Class 9 Exam  >  Class 9 Notes  >  Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)  >  पाठ का सार: मेरे बचपन के दिन

पाठ का सार: मेरे बचपन के दिन | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij) PDF Download

पाठ का सार

लेखिका के परिवार में पहले लड़कियों को जन्म लेते ही मार दिया जाता था। इसीलिए उनके कुल में 200 वर्षों तक कोई लडक़ी नहीं हुई। 200 वर्षों के बाद लेखिका का जन्म हुआ। लेखिका के दादा जी ने दर्गुा.पूजा करके लड़की माँगी थी। इसलिए उन्हकं अपने बचपन में कोई दुख नहीं हुआ। लेखिका को उर्दूए फारसीए अंग्रेजी तथा संस्कृत भाषाओं को पढ़ने की सुविध प्राप्त थी। हिंदी पढ़ने के लिए तो उन्हें उनकी माँ ने ही प्रेरित किया था। लेखिका को हिंदी संस्कृत पढ़ने में तो बहुत ही आनंद आया किंतु उर्दू फारसी पढ़ने में उनकी रुचि नहीं जागी। मिशन स्कूल दिनचर्या भी उन्हें अपनी ओर आकषिर्त न कर सकी। इसीलिए उन्हें क्राॅस्थवेट गल्र्स काॅलेज में भर्ती कराया गया था। वहाँ उन्हें हिंदू व ईसाई लड़कियों के साथ रहने का अवसर मिला।

लेखिका जिस छात्रावास में रहती थीं वहाँ हर कमरे में चार-चार छात्राएँ रहती थीं। लेखिका के कमरे में सुभद्रा कुमारी चाहैान भी थीं जो वहाँ की सीनियर छात्रा थीं। वे कविता लिखती थीं। इध्र लेखिका की माँ भी भजन लिखती और गाती थीं। अतः उन्हें भी लिखने की इच्छा हुई। उन्होंने कविता लिखनी प्रारंभ की और लिखती ही चली गईं। एक दिन महादेवी के द्वारा छिप.छिप कर कविता लिखने की भनक सुभद्रा वुफमारी के कानों में पड़ी तो उन्होंने लेखिका की काॅपियों में से कविताएँ ढूँढ़कर उनके विषय में सारे छात्रावास को बता दिया। उस दिन से उन दोनों के बीच मित्राता हो गई। फिर दोनों ही खेल के समय साथ ही बैठकर कविता लिखने लगीं। उनकी तुकबंदी कर लिखी गई कविता 'स्त्राी दर्पण' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई।

सन 1917 के आस.पास हिंदी के प्रचार का समय था। अतः उन दिनों कवि सम्मेलन खूब होने लगे थे। लेखिका भी कवि सम्मेलनों में जाने लगीं। उनके साथ क्राॅस्थवेट की एक शिक्षिका उनके साथ जाया करती थीं। उन कवि सम्मेलनों के अध्यक्ष प्रायः हरिऔधए श्रीधर पाठक जैसे महान कवि होते थे। अतः लेखिका अपनी बारी का घबराहट के साथ इन्तजार करती थीं आरै अपने नाम की उदघोषणां सुनने के लिए बेचैन रहती थीं। किंतु उन्हों हमेसा ही प्रथम परुस्कार ही मिलता था।

उन्हीं दिनों गांधी जी आनदं भवन आए। लेखिका भी अन्य छात्राआ के साथ उनसे भेंट करके जेबखर्च से बचाकर कुछ पैसे देने उनके पास गईं। उन्होंने कवि सम्मेलन में पुरस्कार स्वरूप मिला एक चाँदी का कटोरा गांधी जी को दिखाया तथा गांधी जी के माँगने पर देश-हित के लिए उन्हें दे दिया। वे गांधी जी को वह कीमती तथा स्मृति-चिह्न रूपी कटोरा भेंट करके बहुत खुश हुईं। छात्रावास का जीवन जाति-पाँति के भेद -भाव से दूर आपसी प्रेम भरा हुआ एक परिवार जैसा था। अतः जे़बुन नाम की एक मराठी लडक़ी लेखिका का सारा काम कर देती थी। वह हिंदी तथा मराठी भाषा का मिलाजुला रूप बाेला करती थी। वह अच्छी हिदीं नहीं जानती थी। वहाँ एक बेगम थीं जिनको मराठी बालेने पर चिढ़ हातेी थी। ‘हम मराठी हैं तो मराठी हीे बोलगें। ’ उन दिनाें देश में सर्वत्र पारस्परिक प्रेम एवं सद्भाव का वातावरण था। अतः अवध की छात्राएँ अवधी, बुंदेलखडं की छात्राएँ बुदेंली बोला करती थीं। इससे किसी को कोई आपत्ति नहीं होती थी। मेस में सभी एक साथ खाना खाती थीं तथा एक ही ईश्वर प्रार्थना एवं भजन मंत्र बोलती थीं। इसमें कोई झगडा़ नहीं होता था।

लेखिका का परिवार जहाँ रहता था वहाँ एक जवारा की बेगम साहिबा का परिवार भी रहता था। उनके परिवारों में बहुत घनिष्ठता थी। उनके बीच कोई जाति एवं र्धम-संबंधी भेदभाव नहीं था। वे एक-दूसरे के जन्मदिन पर परिवार जैसे मिलते-जुलते थे। बेगम के बच्चे लेखिका की माँ को चचीजान तथा लेखिका बेगम साहिबा को ताई कहती थीं। लेखिका राखी के दिन बेगम साहिबा के बच्चों को राखी अवश्य बाँधती थीं तथा मोहर्रम के दिन बेगम साहिबा लेखिका के लिए कपड़े अवश्य बनवाती थीं।

लेखिका के घर जब छोटे भाई का जन्म हुआ तो बेगम साहिबा ने माँगकर नेग लिया था। उसका नाम ‘मनमोहन’ भी उन्हीं ने रखा था। वही मनमोहन वर्मा पढ़.लिखकर प्रोफेसर बने तथा बाद में जम्मू विश्वविद्यालय तथा गोरखपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति बने।

लेखिका परिचय

महादेवी वर्मा
इनका जन्म सन  1907 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद सहर में हुआ था। इनकी शिक्षा दीक्षा प्रयाग में हुई। ये एक सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं जिन्होंने साहित्य के गद्य एवं पद्य दोनों विधाओं में अद्वितीय सफलता प्राप्त की है। प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्राचर्या पद पर रहते हुए इन्होने लड़कियों की शिक्षा के लिए काफी प्रयत्न कियें। सन  1987 में इनका देहांत हो गया।

प्रमुख कार्य
काव्य संग्रह - नीहार, रश्मि , नीरजा, यामा, दीपशिखा।
गद्य रचनाएं - अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएं, पथ के साथी, श्रृंखला की कड़ियाँ।

कठिन शब्दों के अर्थ

  1. परमधाम – स्वर्ग 
  2. प्रतिष्ठित – सम्मानित 
  3. वाइस चांसलर – कुलपति 
  4. निराहार – बिना कुछ खाए-पिए
  5. फूल – ताँबे और राँगे से बनी एक धातु
  6. पदक – धातु का गोल टुकड़ा जो पुरस्कार के रूप में दिया जाता है 
  7. लहरिया – रंग-बरंगी धारियों वाली साड़ी
The document पाठ का सार: मेरे बचपन के दिन | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij) is a part of the Class 9 Course Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij).
All you need of Class 9 at this link: Class 9
17 videos|159 docs|33 tests

Top Courses for Class 9

FAQs on पाठ का सार: मेरे बचपन के दिन - Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

1. कक्षा 9 हिंदी के पाठ 7 मेरे बचपन के दिन का सार क्या है?
उत्तर: पाठ में लेखक अपने बचपन के दिनों के बारे में बताती हैं। वह अपने बचपन के कुछ पलों को याद करती हुई अपने पिता के साथ सीधे मन से बातचीत करती हैं। पाठ में बचपन के दिनों से जुड़ी कुछ यादें और घटनाएं वर्णित की गई हैं।
2. इस पाठ में कौन-कौन सी घटनाएं दर्शाई गई हैं?
उत्तर: पाठ में बचपन के दिनों से जुड़ी कुछ यादें और घटनाएं वर्णित की गई हैं जैसे कि खेलना, भटकना, पानी के बिना घूमना, खुशी, दुःख, शिक्षा और सिखाने वालों को धन्यवाद देना।
3. इस पाठ में लेखक किस भावना को व्यक्त करना चाहती हैं?
उत्तर: लेखक इस पाठ में अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए अपने पिता के साथ सीधे मन से बातचीत करती हुई खुशी को व्यक्त करना चाहती हैं। वह अपने जीवन में उस खुशी को दोबारा पाना चाहती हैं।
4. यह पाठ किस विषय पर आधारित है?
उत्तर: इस पाठ में लेखक अपने बचपन के दिनों के बारे में बताती हैं। यह पाठ बचपन के दिनों, उनकी यादों और उनके जीवन में अपनी प्रतिभाओं का विकास करने के विषय में है।
5. क्या आप इस पाठ में दिए गए विषयों के बारे में कुछ और बता सकते हैं?
उत्तर: पाठ में विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई है जैसे कि बचपन के दिन, खेलना, शिक्षा, सफलता और सिखाने वालों को धन्यवाद देना। यह पाठ अपने समय में बचपन के दिनों को याद करने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपकरण है जो हमारे अंतरिक्ष को बढ़ावा देता है।
17 videos|159 docs|33 tests
Download as PDF
Explore Courses for Class 9 exam

Top Courses for Class 9

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Extra Questions

,

video lectures

,

Exam

,

Important questions

,

MCQs

,

mock tests for examination

,

past year papers

,

Viva Questions

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Free

,

पाठ का सार: मेरे बचपन के दिन | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

,

ppt

,

पाठ का सार: मेरे बचपन के दिन | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

,

shortcuts and tricks

,

pdf

,

Objective type Questions

,

practice quizzes

,

पाठ का सार: मेरे बचपन के दिन | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

,

Semester Notes

,

Summary

,

study material

,

Sample Paper

;