Class 9 Exam  >  Class 9 Notes  >  Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)  >  कविता का सार- ग्राम श्री

कविता का सार- ग्राम श्री | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij) PDF Download

ग्राम श्री कविता का सार या सारांश 

ग्राम श्री कविता में पंत ने गाँव की प्राकृतिक सुषमा और समृद्धि का मनोहारी वर्णन किया है। खेतों में दूर तक फैली लहलहाती फसलें, फल-फूलों से लदी पेड़ों की डालियाँ और गंगा की सुंदर रेती कवि को रोमांचित करती है। उसी रोमांच की अभिव्यक्ति है यह कविता। इस कविता में कवि ने प्रकृति का बड़ा ही मनोहारी चित्रण किया है| प्रकृति का वास्तविक सौन्दर्य हमें गांवो में ही देखने को मिलता है|

ग्राम श्री कविता का भावार्थ व व्याख्या

फैली खेतों में दूर तलक
मखमल की कोमल हरियाली,
लिपटी जिससे रवि की किरणे
चाँदी की सी उजली जाली!
तिनकों के हरे हरे तन पर
हिल हरित रुधिर है रहा झलक,
श्यामल भू तल पर झुका हुआ
नभ का चिर निर्मल नील फलक!

ग्राम श्री का प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक क्षितिज में संकलित कविता ‘ग्राम श्री’ से लिया गया है इसके रचयिता प्रसिद्ध छायावादी कवि श्री सुमित्रानंदन पंत जी हैं। इन पंक्तियों ने गाँव की संस्कृति जो वस्तुतः फसल संस्कृति है, का अत्यंत सुंदर वर्णन किया है ।

ग्राम श्री का भावार्थ व व्याख्या फसलों की मखमली, कोमल हरियाली खेतों में दूर-दूर तक फैली हुई है सूरज की किरणें उससे ऐसे लिपट गई हैं जैसे उस हरियाली पर चाँदी की उजली जाली लपेट दी गई हो। कवि तिनकों को हरे तन वाला बताता है। ऐसे हरे तिनकों में हरियाली इस प्रकार समा गई है जैसे नसों में बहता हुआ खून हो। फसलों की हरीतिमा से साँवली हुई धरती के ऊपर विशाल आकाश का कभी न धूमिल पड़ने वाला नीला आकाश (फलक) मानों नीचे झुककर धरती को छू लेना चाहता है।

रोमांचित सी लगती वसुधा
आई जौ गेहूँ में बाली,
अरहर सनई की सोने की
किंकिणियाँ हैं शोभाशाली!
उड़ती भीनी तैलाक्त गंध
फूली सरसों पीली पीली,
लो, हरित धरा से झाँक रही
नीलम की कलि, तीसी नीली!

ग्राम श्री का भावार्थ व व्याख्या गेहूँ और जौ में जो नव विकसित बालियाँ हैं, अरहर और सनई की पकी फसलों में फलियों के बीच हवा से हिलकर बज उठने वाले गोल सुनहरे दाने हैं, फूली सरसों का पीला रंग और उसके फूलों से हवा में बिखरती तैलीय सुगन्ध है, हरी-हरी धरती से निकलने वाले, नीले फूल सिर पर सजाए जो तीसी के छोटे हैं इन सबका एकत्रित सौन्दर्य देखकर मानों धरती रोमांचित हो गई है। पुलक और प्रसन्नता से भर-सी गई है।

रंग रंग के फूलों में रिलमिल
हँस रही सखियाँ मटर खड़ी,
मखमली पेटियों सी लटकी
छीमियाँ, छिपाए बीज लड़ी!
फिरती हैं रंग रंग की तितली
रंग रंग के फूलों पर सुंदर,
फूले फिरते हों फूल स्वयं
उड़ उड़ वृंतों से वृंतों पर!

ग्राम श्री का भावार्थ व व्याख्यामटर के फूल और फलियों वाले पौधे ऐसे सुंदर लग रहे हैं जैसे मानों विस्तृत फसल-राशि की सखियाँ हों। फसलों की मटर रूपी ऐसी सखी रंग-बिरंगे फूलों को लिए खेतों में खड़ी हँस रही है। बीजों की लड़ी या श्रृंखला को अपने में समेटे मटर की फलियाँ मखमल की मुलायम थैलियों सी मटर के पौधों से लगी लटक रही हैं। मटर के फूलों पर बैठती-उड़ती रंग-बिरंगी तितलियाँ जब तक फूल से दूसरे फूल पर जाती हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे रंग-बिरंगे फूल स्वयं ही अपने वृंतों से उड़कर दूसरे वृत्तों पर जाकर बैठ जाते हों।

अब रजत स्वर्ण मंजरियों से
लद गई आम्र तरु की डाली,
झर रहे ढाक, पीपल के दल,
हो उठी कोकिला मतवाली!
महके कटहल, मुकुलित जामुन,
जंगल में झरबेरी झूली,
फूले आड़ू, नींबू, दाड़िम,
आलू, गोभी, बैंगन, मूली!

ग्राम श्री का भावार्थ व व्याख्यागाँव की धरती केवल फसलों से सौंदर्य पूर्ण नहीं हैं, बल्कि बाग-बगीचों में उगे आम की डालियाँ भी जो अब बौरों से लद सी गई हैं, उसकी शोभा बढ़ा रही हैं। वासंती मौसम आने के कारण ढाक और पीपल के पुराने पत्ते झड़कर नव किसलयों को विकसित होने का अवसर दे रहे हैं। आम्र वन की रजत-स्वर्ण मंजरियों को देखकर कोयल कुक रही है और मतवाली सी हो गई है। कटहल फल आने के कारण महक उठे हैं और जामुन के पेड़ों पर भी जामुन के गुच्छे मुकुलित होने (निकलने) लगे हैं। जैसे बगीचे में इन वृक्षों में फल आ गए हैं वैसे ही जंगल में झरबेरी के पेड़ों में झरबेरी के गुच्छे फल लटक रहे हैं। आड़ू नबी और अनार के पेड़ों में फल के पूर्व आने वाले फूल लग गए हैं। इन सबकी तरह ही सब्जियाँ जैसे आलू, गोभी, बैंगन और मूली भी अपने विकास को प्राप्त कर रहे हैं।

पीले मीठे अमरूदों में
अब लाल लाल चित्तियाँ पड़ी,
पक गए सुनहले मधुर बेर,
आंवले से तरु की डाल जड़ी!
लहलह पालक, महमह धनिया,
लौकी औ’ सेम फली, फैली
मखमली टमाटर हुए लाल,
मिरचों की बड़ी थैली लाल

ग्राम श्री कविता का प्रसंग-कविता की इन पंक्तियों में भी कवि फलों और सब्जियों के ही मनमोहक चित्र खींच रहा है। वह कहता है कि-

ग्राम श्री का भावार्थ व व्याख्या पीले अमरूद अब लाल पत्तियों वाले हो गए हैं अर्थात् पहले से अधिक मीठे और सुंदर हो गए हैं। बेर पक गए हैं और अंवली की डालों पर बहुत से फलों के गुच्छे लटक गए हैं। कहीं खेतों में पालक लहलहा रही है तो कहीं धनिया की भीनी खुशबू फैल रही है। कहीं लौकी और सेम की लताओं में लौकी और सेम झूल रही हैं तो कहीं मखमल से मुलायम टमाटर हरे से लाल हो गए हैं। मिर्च के गुच्छों को देखकर कवि की कल्पना उन्हें बीजों से भरी हुई हरी थैली के रूप में प्रस्तुत करती है।

बालू के साँपों से अंकित
गंगा की सतरंगी रेती
सुंदर लगती सरपत छाई
तट पर तरबूजों की खेती
अँगुली की कंघी से बगुले
कलँगी सँवारते हैं कोई,
तिरते जल में सुरखाब, पुलिन पर
मगरौठी रहती सोई!

ग्राम श्री का प्रसंग कवि अब गंगा की तट-भूमि पर आ गया हैं। लहरीं के आने- जाने से किनारे के बालू पर बने निशानों को बालू के सांप’ कहकर संबोधित करता हुआ वह कहता है कि
ग्राम श्री का भावार्थ व व्याख्या-गंगा की रेती जो सूर्य का प्रकाश पड़ने के कारण सतरंगी बनकर चमक रही है, वह बालू के सांपों से अंकित है। उसके चारों ओर सरपत की घनी झाड़ियाँ और तट पर तरबूजों के खेत बड़े सुंदर लगते हैं। जल में अपने एक फैर को उठा-उठाकर सिर खुजलाते बगुले ऐसे दिखाई पड़ते हैं जैसे बालों में कंघी कर रहे हों। गंगा के उस प्रवहमान जल में कहीं, सुरखाब तैर रहे हैं तो कहीं किनारे पर मगरौठी (एक विशेष चिड़िया) ऊँघती हुई सी दिखाई पड़ रही है।

हँसमुख हरियाली हिम-आतप
सुख से अलसाए-से सोए,
भीगी अँधियाली में निशि की
तारक स्वप्नों में से खोए –
मरकत डिब्बे सा खुला ग्राम-
जिस पर नीलम नभ आच्छादन-
निरुपम हिमांत में स्निग्ध शांत
निज शोभा से हरता जन मन!

ग्राम श्री का प्रसंग– कविता की इन पंक्तियों में पन्त जी ने बताना चाहा है कि हरियाली को अपने में समेटे वसंत के इस मादक मौसम में गाँव का संपूर्ण दृश्य कैसा लगता है।
ग्राम श्री का भावार्थ व व्याख्या– कवि कहता है कि रात की भीगी अधियारी में सुखालस्य (सुख के कारण उत्पन्न होने वाले आलस से युक्त हँसमुख हरीतिमा को धारण करने वाली फसलें जैसे रात और तारों के सपनों में खोई हुई सी सो रही हैं और पन्ने जैसी हरित छवि वाली इन फसलों को धारण करने वाली धरती का गाँव पन्ने (मरकत) के डिब्बे जैसा है। इस ‘मरकत डिब्बे जैसे गाँव के ऊपर नीला आकाश ऐसे छाया है जैसे ‘नीलम’ का आच्छादन हो। अनुपमेय शोभा युक्त गाँव की यह स्निग्ध छटा (दृश्य) इस वासंती मौसम में अपनी शोभा से लोगों का मन हर लेने वाली है।

ग्राम श्री कविता का प्रश्न उत्तर 

प्रश्न 1: कवि ने गाँव को ‘हरता जन मन’ क्यों कहा है?

उत्तर– कवि ने गाँव को ‘हरता जन मन’ इसलिए कहा है क्योंकि गाँव की प्राकृतिक सुषमा सभी को ही प्यारी तथा मनमोहक लगती है। गाँव अपनी प्राकृतिक सुंदरता के बंधन में सबको बाँधते हैं।

प्रश्न 2: कविता में किस मौसम के सौंदर्य का वर्णन है?

उत्तर– कविता में वसंत के सौंदर्य का वर्णन है।

प्रश्न 3: गाँव को ‘मरकत डिब्बे सा खुला’ क्यों कहा गया है?

उत्तर– मरकत जिसे पन्ना भी कहते हैं. हरे रंग का होता है उसके डिब्बे को खोलने पर हरा प्रकाश फैल जाता है |चूँकि गाँव में भी हरियाली चारों ओर फैली हुई है इसलिए कवि ने गाँव को मरकत के खुले डिब्बे जैसा कहा है।

प्रश्न 4: अरहर और सनई के खेत कवि को कैसे दिखाई देते हैं?

उत्तर– अरहर और सनई के तने सुनहले रंग के होते हैं इसलिए कवि को वे सोने की किकिणियों (घुंघरु लगी करधनियों) के समान दिखाई देते हैं।

प्रश्न 5: भाव स्पष्ट कीजिए

(क) बालू के साँपों से अंकित
गंगा की सतरंगी रेती
(ख) हँसमुख हरियाली हिम-आतप
सुख से अलसाए-से सोए

उत्तर
(क) प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि गंगा की रेती सूर्य की सप्तरंगी आभा से युक्त होकर लहरों के साथ लहराते हुए साँपों जैसी प्रतीत हो रही है।

(ख) प्रस्तुत पंक्ति का भाव है कि बसंत ऋतु में प्रसन्नचित्त हरियाली सर्दी की धूप में इस तरह आलस्य से युक्त हो गई है कि वह सोती सी जान पड़ती है।

प्रश्न 6: निम्न पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?

तिनकों के हरे हरे तन पर
हिल हरित रुधिर है रहा झलक

उत्तर– पुनरुक्ति प्रकाश, अनुप्रास, मानवीकरण

प्रश्न 7: इस कविता में जिस गाँव का चित्रण हुआ है वह भारत के किस भू-भाग पर स्थित है?

उत्तर– कविता में जिस गाँव का वर्णन हुआ है वह गंगा के मैदानी भू-भाग पर स्थित है।

ग्राम श्री कविता की रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 1: भाव और भाषा की दृष्टि से आपको यह कविता कैसी लगी? उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर – ग्राम श्री कविता में सरसों के पीले-पीले फूलों की बहार, अरहर और सनई की स्वर्णिम किंकिणियाँ और अलसी की नीली कलियाँ हरी-भरी धरती पर अनूठी प्रतीत होती हैं। मटर के खेतों में रंग-बिरंगे फूलों पर रंग-बिरंगी तितलियाँ हर पल मँडराती रहती हैं। आम के पेड़ बौर से लद जाते हैं; कोयलें कूकने लगती हैं; कटहल महक उठते हैं; जामुन फूल उठते हैं; अमरूदों पर लाल-लाल चित्तियाँ पड़ जाती हैं तथा तरह-तरह की सब्जियाँ अपनी शोभा बिखेरने लगती हैं। गंगा के किनारे तरबूजों की खेती लहलहाती है, तो जलीय पक्षी अपनी मस्ती में क्रीडा करते दिखाई देते हैं। कवि ने प्राकृतिक रंगों को अति स्वाभाविक रूप से प्रस्तुत करने में सफलता पाई है। खड़ी बोली में रचित कविता में तत्सम शब्दावली का अधिक प्रयोग किया गया है।

प्रश्न 2: आप जहाँ रहते हैं उस इलाके के किसी मौसम विशेष के सौंदर्य को कविता या गद्य में वर्णित कीजिए।

उत्तर– जिस क्षेत्र में मैं रहता हूँ, वह भारत का ‘धान का कटोरा’ नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ धान की श्रेष्ठ किस्में उत्पन्न होती हैं, जो केवल भारत में ही नहीं खाई जातीं बल्कि विश्व के अधिकांश देशों को भी निर्यात की जाती हैं। वर्षा ऋतु का इस फसल के लिए बहुत बड़ा योगदान है। जुलाई-अगस्त महीनों में मानसून अपने पूरे रंग में आ जाता है। कई बार तो अचानक आकाश में बादल उमड़ते हैं और भरभूर वर्षा करते हैं।

The document कविता का सार- ग्राम श्री | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij) is a part of the Class 9 Course Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij).
All you need of Class 9 at this link: Class 9
17 videos|159 docs|33 tests

Top Courses for Class 9

FAQs on कविता का सार- ग्राम श्री - Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

1. कविता का सार क्या है?
उत्तर: 'कविता का सार' ग्राम श्री नामक गांव की एक छोटी-सी कहानी है जो एक साधारण गांव के जीवन को दर्शाती है। इस कविता में गांव के लोगों के जीवन के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है। इस ग्राम की दुर्दशा और गांव के लोगों की मेहनत के बावजूद उन्हें जिंदगी से प्यार करने की क्षमता मिलती है।
2. 'कविता का सार' में कौन सी कहानी बताई गई है?
उत्तर: 'कविता का सार' में ग्राम श्री नामक एक छोटी-सी कहानी बताई गई है जो एक साधारण गांव के जीवन को दर्शाती है।
3. इस कविता में किस चीज का वर्णन किया गया है?
उत्तर: इस कविता में गांव के लोगों के जीवन के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है। इसमें गांव की दुर्दशा और गांव के लोगों की मेहनत के बावजूद उन्हें जिंदगी से प्यार करने की क्षमता मिलती है।
4. 'कविता का सार' किस कक्षा के छात्रों के लिए है?
उत्तर: 'कविता का सार' कक्षा 9 के हिंदी के छात्रों के लिए है। यह 'क्षितिज' नामक पाठ से संबंधित है जो कक्षा 9 के लिए पाठ्यक्रम में शामिल है।
5. क्या 'कविता का सार' के प्रत्येक वाक्य का महत्व होता है?
उत्तर: हाँ, 'कविता का सार' में प्रत्येक वाक्य का महत्व होता है। इस कविता में गांव के लोगों के जीवन के विभिन्न पहलुओं का वर्णन बताया गया है, जिन्हें समझने के लिए प्रत्येक वाक्य का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
17 videos|159 docs|33 tests
Download as PDF
Explore Courses for Class 9 exam

Top Courses for Class 9

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

ppt

,

Summary

,

pdf

,

study material

,

Semester Notes

,

कविता का सार- ग्राम श्री | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

,

Objective type Questions

,

कविता का सार- ग्राम श्री | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

,

video lectures

,

Viva Questions

,

practice quizzes

,

mock tests for examination

,

Previous Year Questions with Solutions

,

MCQs

,

shortcuts and tricks

,

Free

,

Exam

,

Sample Paper

,

past year papers

,

कविता का सार- ग्राम श्री | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

,

Important questions

,

Extra Questions

;