Class 10 Exam  >  Class 10 Notes  >  Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij)  >  पाठ का सार - पाठ 10 - एक कहानी यह भी, क्षितिज II, हिंदी, कक्षा - 10

पाठ का सार - पाठ 10 - एक कहानी यह भी, क्षितिज II, हिंदी, कक्षा - 10 | Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij) PDF Download

पाठ का संक्षिप्त परिचय

यह पाठ आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया है, किंतु आत्मकथा नहीं है। इसमें लेखिका ने अपने पारिवारिक वातावरण के उन पहलुओं को चित्रित किया है, जिनका प्रभाव उनके व्यक्तित्व निर्माण पर पड़ा है। अपनी सहज अभिव्यक्ति में आपने अपने माता-पिता का बेबाकी से वर्णन करके अपनी ईमानदारी का परिचय दिया है। कहानी का प्रारंभ अजमेर (राजस्थान) के ब्रह्मपुरी मोहल्ले के अपने मकान के वर्णन से किया है, जो आपकी ईमानदारी की झलक प्रस्तुत करता है।

पाठ का सार

आरंभ में लेखिका के पिता इंदौर में रहते थे। वे संपन्न और प्रतिष्ठित होने के साथ कोमल और संवेदनशील भी थे। शिक्षा और समाजसेवा की उनकी विशेष रुचि को आठ-दस विद्यार्थियों के सदा उनके घर रहकर पढ़ने से समझा जा सकता था। एक बार किसी करीबी व्यक्ति के धेखा दिए जाने पर वे आर्थिक मुसीबत में पँफसकर अजमेर आ गए। एक अंग्रेज़ी-हिंदी कोश पूरा करने पर भी जब धन नहीं मिला, तो उनकी सकारात्मकता घटती चली गई और वे सदा के लिए बेहद क्रोधी, शक्की, जिद्दी और अहंवादी हो गए।

लेखिका का जन्म मध्य प्रदेश के भानपुरा गाँव में हुआ था, परंतु उसकी यादें अजमेर के ब्रह्मपुरी मोहल्ले के एक दो-मंजिला मकान में पिता की बिगड़ी मनःस्थिति के साथ शुरू हुईं। पिता जी उपर की मंजिल पर बिखरी काॅपी-किताबों में उलझे रहते थे और वह अपनी माँ और पाँच भाई-बहनों के साथ नीचे रहती थी। नवाबी आदतों के आदी पिता त्यागमयी पत्नी और ममतामयी अनपढ़ माँ पर जब-तब बरसते और सभी पर शक करते रहते। परिस्थितियों को किस्मत समझने वाली माँ को लेखिका कभी अपना आदर्श नहीं बना सकीं। लेखिका की बड़ी बहन की शादी लेखिका की छोटी उम्र में होने के कारण उसकी धुँधली-सी याद ही थी। बचपन में घर के पड़ोस की संस्कृति ने उसे इतना प्रभावित किया कि उसने अपनी आरंभिक कहानियाँ उन्हीं पर लिखीं। वर्तमान शहरी जीवन में पड़ोस की कमी उसे दुखी और चिंतित बनाती है। पिता के द्वारा उससे बड़ी बहन सुशीला के गोरेपन और सुंदरता की प्रशंसा से जगे हीनबोध् ने उसमें विशेष बनने की लगन उत्पन्न की, परंतु लेखकीय उपलब्ध्यिों के मिलने पर भी वह उससे उबर न सकी। सुशीला के विवाह और भाइयों के पढ़ने के लिए बाहर जाने पर पिता ने उसे रसोई में समय खराब न कर देश-दुनिया का हाल जानने को पे्ररित किया। घर में राजनीतिक पार्टियों की बहसों को सुनकर उसमें देशभक्ति की भावना जगी।

सन 1945 में सावित्राी गल्र्स  कालेजॅ के प्रथम वर्ष में हिंदी प्रधयापिका शीला अग्रवाल ने लेखिका में न केवल हिंदी साहित्य के प्रति रुचि जगाई, बल्कि साहित्य के सच को जीवन में उतारने के लिए भी प्रेरित किया। सन 1946-47 के दिनों में लेखिका ने घर से बाहर निकलकर देशसेवा में सक्रिय भूमिका निभाई। हड़तालों, जुलूसों व भाषणों में भाग लेने से छात्राएँ भी प्रभावित होकर काॅलेजों का बहिष्कार करने लगीं। प्रिंसिपल ने काॅलेज से निकाले जाने का नोटिस देने से पहले पिता को बुलाकर शिकायत की, तो वे क्रोधित होने के बदले लेखिका की नेतृत्वशक्ति देख गद्गद हो गए। एक बार जब पिता ने अजमेर के व्यस्त चैराहे पर बेटी के साथियों के बीच अकेले धाराप्रवाह क्रांतिकारी भाषण की खबर मित्र से सुनी तो पिता को लेखिका, घर की मर्यादा लाँघती लगी। दूसरे मित्र से उसी भाषण की प्रशंसा सुनकर वे गद्गद भी हो उठे। बेटी में वे अपने देखे सपनों को पूरा होते देखने लगे। लेखिका को भी इसका अहसास था कि उसमें पिता के अनेक गुण-अवगुण स्वाभाविक रूप से आ गए हैं। फिर भी पिता के स्वभाव की विशेषता-विशिष्ट बनने की चाह और सामाजिक छवि को न बिगड़ने देने के अंतविर्रोध को वह पूर्णतः न समझ पाई। देश की आजादी की खुशी से वह फूली नहीं समाई।

लेखक परिचय

मन्नू भंडारी
इनका जन्म सन 1931 में गाँव भानपुरा, जिला मंदसौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। इनकी इंटर तक की शिक्षा  शहर में हुई। बाद में इन्होने हिंदी से एम.ए किया। दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज में अध्यापन कार्य से अवकाश प्राप्ति के बाद आजकल दिल्ली में ही रहकर स्वतंत्र लेखन कर रही हैं।

प्रमुख कार्य
कहानी संग्रह – एक प्लेट सैलाब, मैं हार गई, यही सच है, त्रिशंकु
उपन्यास – आपका बन्टी, महाभोज।
पुरस्कार – हिंदी अकादमी का शिखर सम्मान, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान इत्यादि।

कठिन शब्दों के अर्थ

  1. अहंवादी – अहंकारी
  2. आक्रांत – संकटग्रस्त
  3. भग्नावशेष – खंडहर
  4. वर्चस्व – दबदबा
  5. विस्फारित – फैलाकर
  6. महाभोज – मन्नू भंडारी का चर्चित उपन्यास
  7. निहायत – बिल्कुल
  8. विवशता – मज़बूरी
  9. आसन्न अतीत – थोड़ा पहले ही बिता भूतकाल
  10. यशलिप्सा – सम्मान की चाह
  11. अचेतन – बेहोश
  12. शक्की – वहमी
  13. बेपढ़ी – अनपढ़
  14. ओहदा – पद
  15. हाशिया – किनारा
  16. यातना – कष्ट
  17. लेखकीय – लेखन से सम्बंधित
  18. गुंथी – पिरोई
  19. भन्ना-भन्ना – बार बार क्रोधित होना
  20. प्रवाह – गति
  21. प्राप्य – प्राप्त
  22. दायरा – सीमा
  23. वजूद – अस्तित्व
  24. जमावड़े – बैठकें
  25. शगल – शौक
  26. अहमियत – महत्व
  27. बाकायदा – विधिवत
  28. दकियानूसी – पिछड़े
  29. अंतर्विरोध – द्वंदव
  30. रोब – दबदबा
  31. भभकना – अत्यधिक क्रोधित होना
  32. धुरी – अक्ष
  33. छवि – सुंदरता
  34. चिर – सदा
  35. प्रबल – बलवती
  36. लू उतारना – चुगली करना
  37. थू-थू – शर्मसार होना
  38. मत मारी जाना – अक्ल काम ना करना
  39. गुबार निकालना – मन की भड़ास निकालना
  40. चपेट में आना – चंगुल में आना
  41. आँख मूंदना – मृत्यु को प्राप्त होना
  42. जड़ें जमाना – अपना प्रभाव जमाना
  43. भट्टी में झोंकना – अस्तित्व मिटा देना
  44. अंतरंग – आत्मिक
  45. आह्वान – पुकार
The document पाठ का सार - पाठ 10 - एक कहानी यह भी, क्षितिज II, हिंदी, कक्षा - 10 | Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij) is a part of the Class 10 Course Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij).
All you need of Class 10 at this link: Class 10
16 videos|68 docs|28 tests

Top Courses for Class 10

FAQs on पाठ का सार - पाठ 10 - एक कहानी यह भी, क्षितिज II, हिंदी, कक्षा - 10 - Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij)

1. इस कहानी का सार क्या है?
उत्तर: इस कहानी में एक बच्चे की कहानी है जो अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण फैसले को लेकर जूझता है। वह सफल होता है और उसे यह समझ में आता है कि जीवन में कुछ भी हासिल करने के लिए निर्णय का महत्व होता है।
2. इस कहानी में कौन सा संदेश है?
उत्तर: इस कहानी में संदेश है कि हमें जीवन में उचित निर्णय लेने की आवश्यकता होती है और हमें उन निर्णयों को अपने जीवन में सफलता हासिल करने के लिए उपयोगी बनाना चाहिए।
3. इस कहानी में कौन सा विषय दिया गया है?
उत्तर: इस कहानी में एक बच्चे के जीवन में लिए गए एक महत्वपूर्ण निर्णय का विषय दिया गया है जो उसे अपने भविष्य के लिए फैसला लेने के लिए आगे बढ़ने के लिए मजबूर करता है।
4. इस कहानी में कौन सा चरित्र है?
उत्तर: इस कहानी में एक बच्चे का चरित्र है जो अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय को लेकर जूझता है। वह निर्णय से बचने की कोशिश नहीं करता है और अंत में सफल होता है।
5. क्या इस कहानी में कोई संघर्ष है?
उत्तर: हाँ, इस कहानी में बच्चे को उसके जीवन में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। वह निर्णय लेने के लिए भयभीत होता है लेकिन उसे उस निर्णय को लेना होता है ताकि वह अपने जीवन में सफल हो सके।
16 videos|68 docs|28 tests
Download as PDF
Explore Courses for Class 10 exam

Top Courses for Class 10

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Objective type Questions

,

कक्षा - 10 | Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij)

,

हिंदी

,

MCQs

,

क्षितिज II

,

Important questions

,

कक्षा - 10 | Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij)

,

pdf

,

video lectures

,

ppt

,

past year papers

,

Semester Notes

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Viva Questions

,

practice quizzes

,

पाठ का सार - पाठ 10 - एक कहानी यह भी

,

हिंदी

,

हिंदी

,

Exam

,

Sample Paper

,

Extra Questions

,

पाठ का सार - पाठ 10 - एक कहानी यह भी

,

कक्षा - 10 | Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij)

,

पाठ का सार - पाठ 10 - एक कहानी यह भी

,

study material

,

Free

,

mock tests for examination

,

क्षितिज II

,

Summary

,

क्षितिज II

,

shortcuts and tricks

;