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तापीय शक्ति संयंत्र में विद्युत् उत्पादन के लिए कोयले का उपयोग किया जाता है। विद्युत् ऊर्जा में स्थानांतरित होने से पहले ऊर्जा एक रूप से दुसरे रूप में किस प्रकार स्थानांतरित होती है?
तापीय संयंत्र में कोयले, तेल या गैस जैसे इंधन को भट्टी में ऊष्मा उत्पन्न करने के लिए जलाया जाता है - रासायनिक से ऊष्मीय ऊर्जा
ड्राट तापीय शक्ति संयंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है जो कि दहन के लिए आवश्यक मात्रा में वायु प्रदान करता है और निकाय से जले हुए उत्पादों को बाहर निकालता है।
प्राकृतिक ड्राट: चिमनी के अन्दर की गर्म गैसों और बाहर वातावरण की ठंडी गैसों के घनत्व में अंतर के कारण चिमनी के द्वारा पैदा किया गया ड्राट प्राक्रतिक ड्राट कहलाता है।
प्रेरित ड्राट: इस प्रकार के ड्राट में चिमनी के तल में या तल के पास पंखे के द्वारा इंधन की परत पर वायु दाब वायुमंडलीय दाब से कम किया जाता है।
वाष्प जेट ड्राट:
a) प्रेरित वाष्प जेट: चिमनी में लगाई गयी नोज़ल के द्वारा पैदा की गयी वाष्प जेट के द्वारा पैदा किया गया ड्राट प्रेरित वाष्प जेट कहलाता है।
b) कृत्रिम वाष्प जेट: भठ्टी की आतशदान के नीचे स्थित एशपिट पर लगाये गए नोज़ल के द्वारा पैदा किये गए जेट से पैदा हुए ड्राट को कृत्रिम ड्राट कहते हैं उदाहरणार्थ लोकोमोटिव बायलर।
संतुलित ड्राट: यह प्रेरित और कृत्रिम ड्राट का संयोजन है।
दिए गए दाब और ताप में जब प्रवाहित द्रव, बंधन (जैसे कि अभिसारी - अपसारी नोज़ल में थ्रोट या पाइप में वाल्व) से निम्न दाब वातावरण में जाता है तो गति बढ़ जाती है। द्रव्यमान प्रवाह निकासी दाब के कम होने से बढ़ता है। अवरुद्ध प्रवाह एक सीमांत स्थिति होती है जहाँ द्रव्यमान प्रवाह निम्नधारा दाब वातावरण में पुनः गिराव से द्रव्यमान प्रवाह पुनः नहीं बढ़ता है।
नोज़ल तब अवरुद्ध कहा जाता है जब इससे प्रवाह दर अधिकतम होती है और थ्रोट में M = 1 होता है।
नली के समान व्यास और मोटाई के लिए एक अग्नि नली बायलर की तुलना में जल नली बायलर में क्या होता है?
जल नली बायलर में, कई निम्न व्यास वाली नलियों में जल भरा होता है; इसलिए, जल नली बायलर की ऊष्मीय सतह अग्नि नली बायलर की ऊष्मीय सतह से अधिक होती है। अपेक्षाकृत अधिक ऊष्मीय सतह होने के कारण वाष्पन की दर अधिक हो जाती है। जल नली बायलर में वाष्पन की बढ़ी हुई दर इसे वृहद् शक्ति संयंत्र के लिए उपयुक्त बनाती है।
सामान्य आवेग टर्बाइन में, प्रवेश का नोज़ल कोण 30° है। अधिकतम आरेख क्षमता के लिए ब्लेड - गति अनुपात क्या होगा?
ब्लेड या आरेख क्षमता ब्लेड पर किये गए कार्य और ब्लेड को दी गयी ऊर्जा के अनुपात के रूप में परिभाषित है:
ब्लेड गति अनुपात ब्लेड गति और धारा गति का अनुपात है
ηb अधिकतम होगा जब:
α1 18° से 22° तक की कोटि का होता है।
अभिसारी - अपसारी नोज़ल के द्वारा प्रवाह अपने अधिकतम मान तक पहुँचता है, जब प्रवाह...
अभिसारी - अपसारी नोज़ल गैस के प्रवाह की गति को पराध्वनिक गति में बढाने के लिए प्रयुक्त होती है (राकेट के मामले में)। इनके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल पहले बढ़ता है और फिर कम होता है। जहाँ नली का व्यास न्यूनतम होता है उसे थ्रोट कहते हैं।
जैसे ही गैस अभिसारी अनुभाग में प्रवेश करती है, यह मानते हुए कि इसकी द्रव्यमान प्रवाह दर स्थिर है, इसकी गति बढती है। जैसे ही गैस थ्रोट से प्रवाहित होती है यह ध्वनिक गति (मेक संख्या = 1) अपना लेती है। जैसे ही गैस अपसारी नोज़ल से प्रवाहित होती है गैस की गति पराध्वनिक (मेक संख्या > 1) हो जाती है।
दिए गए नोज़ल के लिए प्रवाह दर अधिकतम होती है यदि प्रवाह थ्रोट पर ध्वनिक होता है। यह स्थिति पश्च दाब को व्यवस्थित करके प्राप्त की जाती है।
यदि नोज़ल के प्रवेश और निकास में एन्थाल्पी 3450 किलो जूल/किलोग्राम और 2800 किलो जूल/किलोग्राम और प्रारंभिक गति नगण्य होती है। निकासी में गति क्या होगी?
नोज़ल के लिए, स्थिर प्रवाह ऊर्जा समीकरण निम्न है:
संचालन के दौरान सुरक्षा उद्देश्य हेतु बायलर की सतह में लगाई जाने वाले अवयवों को बायलर माउन्टिंग कहते हैं। यह बायलर के महत्वपूर्ण भाग हैं जिनके बिना बायलर संचलन संभव नहीं हो सकता है।
बायलर की महत्वपूर्ण माउन्टिंग निम्न प्रकार हैं:
जल स्तर संकेतक, सुरक्षा वाल्व, दाब गेज, वाष्प स्टॉप वाल्व, भराव परीक्षण वाल्व, मुख्य छिद्र, ब्लो ऑफ कॉक।
बायलर उपसाधन वे उपकरण हैं जो कि बायलर के साथ उसकी दक्षता में वृद्धि करने के लिए प्रयुक्त की जाती हैं। यह बायलर के महत्वपूर्ण भाग नहीं हैं। बायलर के मुख्य उपसाधन निम्नलिखित हैं:
इकोनोमाइज़र, एयर प्री-हीटर, सुपरहीटर, वाष्प शुष्क यंत्र या पृथककारी, वाष्प जाल।
चल ब्लेडों में एन्थाल्पी पात और कुल एन्थाल्पी का अनुपात क्या कहलाता है?
प्रतिक्रिया की डिग्री या प्रतिक्रिया अनुपात (R) रोटर और स्टेज (दृढ और गतिक दोनों ब्लेडों के लिए) में स्थैतिक दाब पात के अनुपात के रूप में या रोटर और स्टेज दोनों में स्थैतिक एन्थाल्पी पात के अनुपात के रूप में परिभाषित किया जाता है।
जल नली बायलर में नलियों से निष्कासित गर्म गैसों से ऊष्मा की पुनः प्राप्ति के लिए उपकरणों का कौन सा समूह प्रयुक्त किया जाता है?
सुपर हीटर: इसे वाष्प को शुष्क करने और वाष्प का तापमान संतृप्ति तापमान से अधिक करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। इसे सामान्यतः भठ्टी से निकलती गैसों के पथ पर लगाया जाता है ताकि उनकी ऊष्मा को पुनः उपयोग में लाया जा सके।
इकोनोमाइज़र: इसे भराव जल ऊष्मक के नाम से भी जाना जाता है। इस उपकरण की सहायता से गर्म गैसों की बेकार ऊष्मा का उपयोग भराव जल को गर्म करने में किया जाता है।
एयर प्री-हीटर: भठ्टी में प्रवेश करने से पहले वायु के तापमान में वृद्धि करने के लिए इस उपकरण को प्रयुक्त किया जाता है। इसे सामान्यतः इकोनोमाइज़र के बाद लगाया जाता है ताकि गर्म गैसे पहले इकोनोमाइज़र से होकर निकलें और फिर वायु प्री-हीटर में प्रवेश करे।
विद्युत स्थैतिक अवक्षेपक जिसे विद्युत् स्थैतिक वायु स्वच्छक भी कहते हैं। यह उपकरण वायु या धुएं की अन्य गैसों और गर्म गैसों से कुछ निश्चित अशुद्धियों (या तो ठोस कण या द्रव की बूँदें) को हटाने के लिए विद्युत् आवेश का उपयोग करता है।
बायलर ड्रम एक दाब पात्र होता है जो कि वाष्प और जल मिश्रण को पृथक करने में प्रयुक्त होता है।
इसलिए गर्म गैसों से ऊष्मा की पुनः प्राप्ति के लिए सुपर हीटर और इकोनोमाइज़र और एयर प्री-हीटर प्रयुक्त किये जाते हैं।
दहन कक्ष में ताज़ी हवा के सतत प्रवाह को बनाये रखने के लिए बायलर के दहन कक्ष से दहन के उत्पादों का निष्कासन आवश्यक होता है। दहन उत्पादों को उनकी अंतिम गति में त्वरित करने के लिए और निकाय में दाब हानि को अभिभूत करने के लिए दाबांतर बनाये रखना आवश्यक होता है।
इस प्रकार दाबांतर बनाये रखना ड्राट कहलाता है।
प्राकृतिक/चिमनी ड्राट निम्न बिन्दुओं पर आधारित होता है
रैन्काइन चक्र एक उत्क्रमणीय चक्र है जिसमें दो समदाबी और दो आइसेंट्रोपिक प्रक्रियाएँ हैं। रैनकाइन चक्र की चार प्रक्रियाएँ निम्न हैं:
प्रक्रिया 1 - 2: आइसेंट्रोपिक संपीडन
कार्यात्मक द्रव को निम्न से उच्च दाब की ओर स्थानांतरित किया जाता है।
प्रक्रिया 2 - 3: समदाबी ऊष्मा योग:
उच्च दाब पर द्रव बायलर में प्रवेश करता है जहाँ शुष्क संतृप्त वाष्प बनाने के लिए बाह्य ऊष्मा स्त्रोत से इसे नियत दाब पर ऊष्मित किया जाता है।
प्रक्रिया 3 - 4: आइसेंट्रोपिक प्रसार
शुष्क संतृप्त वाष्प टर्बाइन के द्वारा शक्ति उत्पादन के दौरान प्रसार करती है।
प्रक्रिया 4 - 1: समदाबी ऊष्मा निकासी
आद्र वाष्प फिर संघनित्र में प्रवेश करती है जहाँ यह नियत दाब और नियत ताप पर संतृप्त द्रव बनाने के लिए संघनित की जाती है।
एक सामान्य रैन्काइन चक्र बायलर का 3 मेगापास्कल पर संचालन करता है जिसमें निकासी ताप और एन्थाल्पी क्रमश: 350 डिग्री सेल्सियस और 3115 कि जूल/ किग्रा है और संघनित्र 50 किलो पास्कल होता है। आदर्श संचालन और प्रक्रिया मानते हुए इस चक्र की तापीय दक्षता क्या होगी? पंप कार्य उपेक्षित है। टर्बाइन से निकासी वाष्प को संतृप्त वाष्प मानिए।
0.5 बार पर: hf = 340.5 किलो जूल/किग्रा, hg = 2646 किलो जूल/किग्रा
30 बार पर: hf = 1008 किलो जूल/किग्रा, hg = 2804 किलो जूल/किग्रा
अतः रैन्काइन चक्र की दक्षता निम्न के द्वारा दी जाती है:
रैन्काइन चक्र में, टर्बाइन से कार्य आउटपुट किसके द्वारा दिया जाता है?
रैन्काइन चक्र एक उत्क्रमणीय चक्र है जिसमें दो नियत दाब और दो नियत एन्ट्रापी की प्रक्रियाएं होती हैं। रैन्काइन चक्र की चार प्रक्रियाएं निम्न हैं:
प्रक्रिया 1 – 2: आइसेंट्रोपिक संपीडन
प्रक्रिया 2 – 3: आइसोबेरिक ऊष्मा संवर्धन
प्रक्रिया 3 – 4: आइसेंट्रोपिक प्रसार
प्रक्रिया 4 – 1: आइसोबेरिक ऊष्मा निष्कासन
स्थिर प्रवाह ऊर्जा समीकरण का उपयोग करने पर:
बायलर के लिए: Qप्रवेश = h3 – h2
टर्बाइन के लिए: Wटर्बाइन,out = h3 – h4 (प्रवेश और निकास के बीच एन्थाल्पी में परिवर्तन)
संघनित्र के लिए: Qआउटपुट = h4 – h1
पंप के लिए: Wपंप,इनपुट = h2 – h1
एक तीन - स्टेज प्रत्यागामी संपीडक में चूषण दाब 1 बार है और वितरण दाब 64 बार है। दाब के न्यूनतम कार्य के लिए प्रथम स्तर का वितरण दाब क्या है?
यदि N स्तर हैं, तो आवश्यक न्यूनतम कार्य के लिए निम्न शर्त होती है:
कुल दाब अनुपात = (प्रत्येक स्तर पर दाब अनुपात)N
गणना:
प्रत्येक स्तर में दाब अनुपात:
पहले स्तर पर वितरण दाब निम्न है,
= P2 = 4P1 = 4 × 1 = 4 बार
= P2 = 4P1 = 4 × 1 = 4 बार
वाष्प टर्बाइन शब्दावली में डायाफ्राम का अर्थ क्या होता है?
वाष्प टर्बाइन में डायाफ्राम नोज़ल को सम्मिलित करती रोटर के मध्य एक वियोजक दीवार होती है। इसके अतिरिक्त, चूँकि प्रतिक्रिया टर्बाइन के स्तरों के मध्य दाब गिराव बहुत अधिक होता है, तो डायाफ्राम दाब स्तरों के मध्य पृथक्करण का कार्य भी करता है।
एक ओपन चक्र निरंतर दबाव गैस टरबाइन, 40,000 kJ/kg कैलोरीफ मान वाले ईंधन का उपयोग करता है, इसका वायु-ईंधन अनुपात 80 : 1 है और यह वायु के 80 kJ/kg का आउटपुट उत्पन्न करता है। चक्र की तापीय दक्षता क्या होगी?
अभिसारी - अपसारी नोज़ल में से द्रव्यमान प्रवाह अधिक होता है, जब दाब...
अवरुद्ध प्रवाह एक सीमांत स्थिति होती है जिसमें निम्न प्रवाह दाब वातावरण में पुनः गिराव से द्रव्यमान प्रवाह बढ़ता नहीं है जबकि उच्च प्रवाह दाब में यह नियत रहता है।
अभिसारी - अपसारी नोज़ल में अवरुद्ध प्रवाह के लिए थ्रोट में मैक संख्या 1 होती है और थ्रोट में दाब क्रांतिक दाब के बराबर होता है।
अवरुद्ध नोज़ल के लिए क्रांतिक दाब अनुपात:
जहाँ p* क्रांतिक दाब और p0 आन्तरिक दाब है।