निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
आधुनिक मानव की चिंतन प्रक्रिया पर भी विज्ञान ने गहरा प्रभाव डाला है आस्था और श्रद्धा के स्थान पर तर्क और बृद्धि की प्रतिष्ठा से ही परम्परागत मूल्यों पर प्रश्नचिह्न लगा है, किन्तु इस तथ्य का एक-दूसरा पहलू भी है वैज्ञानिक चिंतन ने देश की जो दूरियाँ कम कर दी हैं, उससे मानव-मानव में अन्तर घटा है जिससे कई पुराने मूल्यों को ही नए आयाम मिले हैं। जो सहयोग छोटे से ग्राम या समाज तक सीमित था, अब विश्वव्यापी बनता जा रहा है जिसके परिणामरूवरूप अन्तर्राष्ट्रीयतावाद पर अधिक बल दिया जाने लगा है। युद्ध पहले से अधिक गर्हित ठहराया जाने लगा है समता भी अधिक महत्वपूर्ण मूल्य हो गया है इसलिए यह कहना तो उचित नहीं जान पड़ता कि नए मूल्यों का विकास नहीं हुआ किन्तु संप्रति इतना अवश्य है कि कोई नया मूल्य इतना व्यापक नहीं हो सका कि पूरी मूल्य-व्यवस्था दे सके अधिकांश नवीनता पुरातन के संशोधन में हो रही है।
Q. विज्ञान ने हमारी चिंतन-प्रक्रिया पर किस प्रकार प्रभाव डाला है ?
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आधुनिक मानव की चिंतन प्रक्रिया पर भी विज्ञान ने गहरा प्रभाव डाला है आस्था और श्रद्धा के स्थान पर तर्क और बृद्धि की प्रतिष्ठा से ही परम्परागत मूल्यों पर प्रश्नचिह्न लगा है, किन्तु इस तथ्य का एक-दूसरा पहलू भी है वैज्ञानिक चिंतन ने देश की जो दूरियाँ कम कर दी हैं, उससे मानव-मानव में अन्तर घटा है जिससे कई पुराने मूल्यों को ही नए आयाम मिले हैं। जो सहयोग छोटे से ग्राम या समाज तक सीमित था, अब विश्वव्यापी बनता जा रहा है जिसके परिणामरूवरूप अन्तर्राष्ट्रीयतावाद पर अधिक बल दिया जाने लगा है। युद्ध पहले से अधिक गर्हित ठहराया जाने लगा है समता भी अधिक महत्वपूर्ण मूल्य हो गया है इसलिए यह कहना तो उचित नहीं जान पड़ता कि नए मूल्यों का विकास नहीं हुआ किन्तु संप्रति इतना अवश्य है कि कोई नया मूल्य इतना व्यापक नहीं हो सका कि पूरी मूल्य-व्यवस्था दे सके अधिकांश नवीनता पुरातन के संशोधन में हो रही है।
Q. वैज्ञानिक चिंतन से क्या परिवर्तन हुआ है ?
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निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
आधुनिक मानव की चिंतन प्रक्रिया पर भी विज्ञान ने गहरा प्रभाव डाला है आस्था और श्रद्धा के स्थान पर तर्क और बृद्धि की प्रतिष्ठा से ही परम्परागत मूल्यों पर प्रश्नचिह्न लगा है, किन्तु इस तथ्य का एक-दूसरा पहलू भी है वैज्ञानिक चिंतन ने देश की जो दूरियाँ कम कर दी हैं, उससे मानव-मानव में अन्तर घटा है जिससे कई पुराने मूल्यों को ही नए आयाम मिले हैं। जो सहयोग छोटे से ग्राम या समाज तक सीमित था, अब विश्वव्यापी बनता जा रहा है जिसके परिणामरूवरूप अन्तर्राष्ट्रीयतावाद पर अधिक बल दिया जाने लगा है। युद्ध पहले से अधिक गर्हित ठहराया जाने लगा है समता भी अधिक महत्वपूर्ण मूल्य हो गया है इसलिए यह कहना तो उचित नहीं जान पड़ता कि नए मूल्यों का विकास नहीं हुआ किन्तु संप्रति इतना अवश्य है कि कोई नया मूल्य इतना व्यापक नहीं हो सका कि पूरी मूल्य-व्यवस्था दे सके अधिकांश नवीनता पुरातन के संशोधन में हो रही है।
Q. विज्ञान ने किन नए मूल्यों के निर्माण में सहयोग दिया है?
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
आधुनिक मानव की चिंतन प्रक्रिया पर भी विज्ञान ने गहरा प्रभाव डाला है आस्था और श्रद्धा के स्थान पर तर्क और बृद्धि की प्रतिष्ठा से ही परम्परागत मूल्यों पर प्रश्नचिह्न लगा है, किन्तु इस तथ्य का एक-दूसरा पहलू भी है वैज्ञानिक चिंतन ने देश की जो दूरियाँ कम कर दी हैं, उससे मानव-मानव में अन्तर घटा है जिससे कई पुराने मूल्यों को ही नए आयाम मिले हैं। जो सहयोग छोटे से ग्राम या समाज तक सीमित था, अब विश्वव्यापी बनता जा रहा है जिसके परिणामरूवरूप अन्तर्राष्ट्रीयतावाद पर अधिक बल दिया जाने लगा है। युद्ध पहले से अधिक गर्हित ठहराया जाने लगा है समता भी अधिक महत्वपूर्ण मूल्य हो गया है इसलिए यह कहना तो उचित नहीं जान पड़ता कि नए मूल्यों का विकास नहीं हुआ किन्तु संप्रति इतना अवश्य है कि कोई नया मूल्य इतना व्यापक नहीं हो सका कि पूरी मूल्य-व्यवस्था दे सके अधिकांश नवीनता पुरातन के संशोधन में हो रही है।
Q. क्या आज के सभी मूल्य नवनिर्मित ही हैं?
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
आधुनिक मानव की चिंतन प्रक्रिया पर भी विज्ञान ने गहरा प्रभाव डाला है आस्था और श्रद्धा के स्थान पर तर्क और बृद्धि की प्रतिष्ठा से ही परम्परागत मूल्यों पर प्रश्नचिह्न लगा है, किन्तु इस तथ्य का एक-दूसरा पहलू भी है वैज्ञानिक चिंतन ने देश की जो दूरियाँ कम कर दी हैं, उससे मानव-मानव में अन्तर घटा है जिससे कई पुराने मूल्यों को ही नए आयाम मिले हैं। जो सहयोग छोटे से ग्राम या समाज तक सीमित था, अब विश्वव्यापी बनता जा रहा है जिसके परिणामरूवरूप अन्तर्राष्ट्रीयतावाद पर अधिक बल दिया जाने लगा है। युद्ध पहले से अधिक गर्हित ठहराया जाने लगा है समता भी अधिक महत्वपूर्ण मूल्य हो गया है इसलिए यह कहना तो उचित नहीं जान पड़ता कि नए मूल्यों का विकास नहीं हुआ किन्तु संप्रति इतना अवश्य है कि कोई नया मूल्य इतना व्यापक नहीं हो सका कि पूरी मूल्य-व्यवस्था दे सके अधिकांश नवीनता पुरातन के संशोधन में हो रही है।
Q. उपर्युक्त गद्य अवतरण का उपयुक्त शीर्षक है-
निम्नलिखित में से कौन सा शब्द भाववाचक संज्ञा नहीं है?
निम्नलिखित में से अशुद्ध वर्तनी वाले शब्द का चयन कीजिए-
‘वृक्ष से पत्ते गिरते हैं’ – इस वाक्य में ‘से’ किस कारक का चिह्न है?
निम्नलिखित अपठित काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
“यदि फुल नहीं बो सकते तो काँटे कम से कम मत बोओ।
क्या करोगे अब?
समय का
जब प्यार नहीं रहा
सर्वहारा पृथ्वी का
आधार नहीं रहा
न वाणी साथ है
न पानी साथ है
न कही प्रकाश है स्वच्छ
जब सब कुछ मैला है आसमान
गंदगी बरसाने वाले
एक अछोर फैला है
कही चले जाओ
विनती नहीं है
वायु प्राणपद
आदमकद आदमी
सब जगह से गायब है”
Q. कवि ने धरती के बारे में क्या कहा है?
निम्नलिखित अपठित काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
“यदि फुल नहीं बो सकते तो काँटे कम से कम मत बोओ।
क्या करोगे अब?
समय का
जब प्यार नहीं रहा
सर्वहारा पृथ्वी का
आधार नहीं रहा
न वाणी साथ है
न पानी साथ है
न कही प्रकाश है स्वच्छ
जब सब कुछ मैला है आसमान
गंदगी बरसाने वाले
एक अछोर फैला है
कही चले जाओ
विनती नहीं है
वायु प्राणपद
आदमकद आदमी
सब जगह से गायब है”
Q. आसमान की तुलना किससे की गई है?
निम्नलिखित अपठित काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
“यदि फुल नहीं बो सकते तो काँटे कम से कम मत बोओ।
क्या करोगे अब?
समय का
जब प्यार नहीं रहा
सर्वहारा पृथ्वी का
आधार नहीं रहा
न वाणी साथ है
न पानी साथ है
न कही प्रकाश है स्वच्छ
जब सब कुछ मैला है आसमान
गंदगी बरसाने वाले
एक अछोर फैला है
कही चले जाओ
विनती नहीं है
वायु प्राणपद
आदमकद आदमी
सब जगह से गायब है”
Q. प्राणदान का तात्पर्य है-
निम्नलिखित अपठित काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
“यदि फुल नहीं बो सकते तो काँटे कम से कम मत बोओ।
क्या करोगे अब?
समय का
जब प्यार नहीं रहा
सर्वहारा पृथ्वी का
आधार नहीं रहा
न वाणी साथ है
न पानी साथ है
न कही प्रकाश है स्वच्छ
जब सब कुछ मैला है आसमान
गंदगी बरसाने वाले
एक अछोर फैला है
कही चले जाओ
विनती नहीं है
वायु प्राणपद
आदमकद आदमी
सब जगह से गायब है”
Q. कवि समय से कब और क्यों कतराना चाहता है?
’मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई।
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।।
Q. इन पंक्तियों में कौन- सा रस है?
‘स्पृश्य’ शब्द को विलोमर्थक बनाने के लिए किस उपसर्ग का प्रयोग करेंगें?
निम्नलिखित में से किस वाक्य में वचन संबंधी अशुद्धि है-