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Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Class 7 MCQ


Test Description

15 Questions MCQ Test - Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2

Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 for Class 7 2024 is part of Class 7 preparation. The Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 questions and answers have been prepared according to the Class 7 exam syllabus.The Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 MCQs are made for Class 7 2024 Exam. Find important definitions, questions, notes, meanings, examples, exercises, MCQs and online tests for Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 below.
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Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 1

कवि ने अनार के दाने किसे कहाँ है?

Detailed Solution for Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 1

कवि ने तारों को अनार के दाने कहा है। यहाँ कवि पक्षियों की उड़ान के दौरान अकाश में चमकते हुए तारों की तुलना अनार के दानों से कर रहे हैं।

Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 2

क्षितिज किसे कहते हैं?

Detailed Solution for Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 2

क्षितिज को जहाँ धरती-आकाश मिलते हुए दिखाई दे, उसे कहते हैं। यह एक अंतरंग प्रतीक है जो अक्सर सीमा, साधना और स्वतंत्रता के भाव को दर्शाता है।

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Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 3

पक्षी क्या चाहते हैं?

Detailed Solution for Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 3

पक्षी आजादी (स्वतंत्रता) चाहते हैं। वे बिना किसी बंधन के आकाश में उड़ान भरना चाहते हैं और अपनी इच्छाओं के अनुसार जीने की अभिलाषा रखते हैं।

Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 4

ऐसे थे अरमान कि उड़ते

नीले नभ की सीमा पाने,

लाल किरण-सी चांच खोल

चुगते तारक-अनार के दाने।

होती सीमाहीन क्षितिज से

इन पंखों की होड़ा-होड़ी।

या तो क्षितिज मिलन बन जाता

या तनती, साँसों की डोरी।

नीड़ न दो, चाहे टहनी का

आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,

ले किन पंखा दिए है तो

आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।

Q. आकाश में उड़कर पक्षी क्या चाहते हैं?

Detailed Solution for Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 4

आकाश में उड़कर पक्षी सीमाहीन क्षितिज को पाना चाहते हैं। यहाँ क्षितिज स्वतंत्रता, असीमता और पूर्णता का प्रतीक है। पक्षी अपनी उड़ान को बिना किसी बाधा के विस्तारित करना चाहते हैं।

Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 5

ऐसे थे अरमान कि उड़ते
नीले नभ की सीमा पाने,
लाल किरण-सी चांच खोल
चुगते तारक-अनार के दाने।

होती सीमाहीन क्षितिज से
इन पंखों की होड़ा-होड़ी।
या तो क्षितिज मिलन बन जाता
या तनती, साँसों की डोरी।

नीड़ न दो, चाहे टहनी का
आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,
ले किन पंखा दिए है तो
आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।

Q. पक्षियों ने अपनी चोंच की तुलना किससे की है?

Detailed Solution for Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 5

पक्षियों ने अपनी चोंच की तुलना सूर्य की लाल किरणों जैसा की है।

Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 6

ऐसे थे अरमान कि उड़ते

नीले नभ की सीमा पाने,

लाल किरण-सी चांच खोल

चुगते तारक-अनार के दाने।

होती सीमाहीन क्षितिज से

इन पंखों की होड़ा-होड़ी।

या तो क्षितिज मिलन बन जाता

या तनती, साँसों की डोरी।

नीड़ न दो, चाहे टहनी का

आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,

ले किन पंखा दिए है तो

आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।

Q. पक्षी मनुष्य से क्या निवेदन करता है?

Detailed Solution for Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 6

पक्षी मनुष्य से निवेदन करता है कि हमें स्वतंत्र होकर उड़ने दो।

Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 7

ऐसे थे अरमान कि उड़ते

नीले नभ की सीमा पाने,

लाल किरण-सी चांच खोल

चुगते तारक-अनार के दाने।

होती सीमाहीन क्षितिज से

इन पंखों की होड़ा-होड़ी।

या तो क्षितिज मिलन बन जाता

या तनती, साँसों की डोरी।

नीड़ न दो, चाहे टहनी का

आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,

ले किन पंखा दिए है तो

आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।

पक्षियों को आश्रय छिन्न-भिन्न होने का दुःख क्यों नहीं होता?

Detailed Solution for Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 7

पक्षियों को आश्रय छिन्न-भिन्न होने का दुःख नहीं होता क्योंकि वे आज़ाद रहेंगे तो आश्रय दूसरा बना लेंगे।

Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 8

स्वर्ण-शृंखला के बंधन में

अपनी गति, उड़ान सब भूले,

बस सपनों में देख रहे हैं

तरु की फुनगी पर के झूले।

ऐसे थे अरमान कि उड़ते

नीले नभ की सीमा पाने,

लाल किरण-सी चोंच खोल

चुगते तारक-अनार के दाने।

Q.पिंजरे में पक्षी क्या-क्या भूल जाते हैं?

Detailed Solution for Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 8

पिंजरे में पक्षी अपनी गति और उड़ान दोनों भूल जाते हैं।

Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 9

स्वर्ण-शृंखला के बंधन में

अपनी गति, उड़ान सब भूले,

बस सपनों में देख रहे हैं

तरु की फुनगी पर के झूले।

ऐसे थे अरमान कि उड़ते

नीले नभ की सीमा पाने,

लाल किरण-सी चोंच खोल

चुगते तारक-अनार के दाने।

Q. ‘फुनगी’ शब्द का अर्थ होता है-

Detailed Solution for Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 9

शब्द का अर्थ: "फुनगी" शब्द का अर्थ होता है "पेड़ की सबसे ऊँची चोटी का सिरा"।

Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 10

होती सीमाहीन क्षितिज से

इन पंखों की होड़ा-होड़ी,

या तो क्षितिज मिलन बन जाता

या तनती साँसों की डोरी।

नीड़ न दो, चाहे टहनी का

आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,

लेकिन पंख दिए हैं तो

आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।

Q. पक्षी किसकी सीमा पाना चाहते हैं?

Detailed Solution for Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 10

पक्षी नीले आसमान की सीमा पाना चाहते हैं।

Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 11

होती सीमाहीन क्षितिज से

इन पंखों की होड़ा-होड़ी,

या तो क्षितिज मिलन बन जाता

या तनती साँसों की डोरी।

नीड़ न दो, चाहे टहनी का

आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,

लेकिन पंख दिए हैं तो

आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।

Q. पक्षियों का क्या प्रण है?

Detailed Solution for Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 11

पक्षियों का प्रण है कि वे क्षितिज मिलन करेंगे या प्राण त्याग देंगे। इसका मतलब है कि वे आसमान की सीमा तक पहुंचने की कोशिश करेंगे, या फिर अगर वे अपनी इच्छा पूरी नहीं कर पाते हैं तो वे प्राण त्याग देंगे।

Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 12

होती सीमाहीन क्षितिज से

इन पंखों की होड़ा-होड़ी,

या तो क्षितिज मिलन बन जाता

या तनती साँसों की डोरी।

नीड़ न दो, चाहे टहनी का

आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,

लेकिन पंख दिए हैं तो

आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।

Q. ‘क्षितिज’ को कैसा बताया गया है?

Detailed Solution for Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 12

उपरोक्त पद्यांश में 'क्षितिज' को 'सीमाहीन' बताया गया है। इसका अर्थ है कि क्षितिज कोई सीमा नहीं है, यानि वह अनंत है।

Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 13

होती सीमाहीन क्षितिज से

इन पंखों की होड़ा-होड़ी,

या तो क्षितिज मिलन बन जाता

या तनती साँसों की डोरी।

नीड़ न दो, चाहे टहनी का

आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,

लेकिन पंख दिए हैं तो

आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।

Q. ‘लाल किरण की चोंच’ में कौन-सा अलंकार है?

Detailed Solution for Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 13

'लाल किरण की चोंच' में उपमा अलंकार है। इस अलंकार में दो वस्तुओं के मध्य सामान्यता को बताया जाता है।

Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 14

होती सीमाहीन क्षितिज से

इन पंखों की होड़ा-होड़ी,

या तो क्षितिज मिलन बन जाता

या तनती साँसों की डोरी।

नीड़ न दो, चाहे टहनी का

आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,

लेकिन पंख दिए हैं तो

आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।

Q. ‘आकुल उड़ान’ शब्द का क्या अर्थ है?

Detailed Solution for Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 14

'आकुल उड़ान' शब्द का अर्थ है उड़ने की अधीरता। यहाँ कवि पक्षियों की बेचैनी और उत्सुकता को व्यक्त कर रहे हैं।

Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 15

होती सीमाहीन क्षितिज से

इन पंखों की होड़ा-होड़ी,

या तो क्षितिज मिलन बन जाता

या तनती साँसों की डोरी।

नीड़ न दो, चाहे टहनी का

आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,

लेकिन पंख दिए हैं तो

आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।

Q. कवि और कविता का नाम लिखिए।

Detailed Solution for Test: हम पंछी उन्मुक्त गगन के- 2 - Question 15

इस कविता का नाम है "हम पंछी उन्मुक्त गगन के" और कवि का नाम है शिवमंगल सिंह 'सुमन'। इस कविता में कवि ने पक्षियों की आज़ादी और उनकी उड़ान की इच्छा का सुंदर वर्णन किया है।

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