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आकाश का साफ़ा बाँधकर
सूरज की चिलम खींचता
बैठा है पहाड़,
घुटनों पर पड़ी है नदी चादर-सी,
पास ही दहक रही है
पलाश के जंगल की अँगीठी
अँधकार दूर पूर्व में
सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले-सा।
Q. पहाड़ किस रूप में है?
आकाश का साफ़ा बाँधकर
सूरज की चिलम खींचता
बैठा है पहाड़,
घुटनों पर पड़ी है नदी चादर-सी,
पास ही दहक रही है
पलाश के जंगल की अँगीठी
अँधकार दूर पूर्व में
सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले-सा।
Q. अंधेरे की तुलना किससे की गई है?
अचानक बोला मोर।
जैसे किसी ने आवाज़ दी-
‘सुनते हो’।
धुआँ उठा-
सूरज डूबा
अँधेरा छा गया।
Q. अचानक कौन बोला?
अचानक बोला मोर।
जैसे किसी ने आवाज़ दी-
‘सुनते हो’।
धुआँ उठा-
सूरज डूबा
अँधेरा छा गया।
Q. चिलम आधी होना’ किसका प्रतीक है?
अचानक बोला मोर।
जैसे किसी ने आवाज़ दी-
‘सुनते हो’।
धुआँ उठा-
सूरज डूबा
अँधेरा छा गया।
Q. पेड़ों के झुंड-सा अंधकार कहाँ बैठा है?
आकाश का साफ़ा बाँधकर
सूरज की चिलम खींचता
बैठा है पहाड़,
घुटनों पर पड़ी है नदी चादर-सी,
पास ही दहक रही है
पलाश के जंगल की अँगीठी
अँधकार दूर पूर्व में
सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले-सा।
Q. इस काव्यांश के रचयिता कौन हैं?
आकाश का साफ़ा बाँधकर
सूरज की चिलम खींचता
बैठा है पहाड़,
घुटनों पर पड़ी है नदी चादर-सी,
पास ही दहक रही है
पलाश के जंगल की अँगीठी
अँधकार दूर पूर्व में
सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले-सा।
Q. जंगल में खिले पलाश के फूल किसके समान दिखते हैं?