गाँव हो रहे शहर हमारे, बाकी सब कुछ अच्छा है
रिश्ते अब व्यापार हो रहे, बाकी सब कुछ अच्छा है।
उत्पादन में बढ़त हो रही, खेतों से खलिहानों तक
फिर भी भूखे बढ़ते जाते, बाकी सब कुछ अच्छा है।
चौड़ी सड़कें पक्की गलियाँ औ बिजली की जगमग में
दिल की दूरी बढ़ती जाती, बाकी सब कुछ अच्छा है।
चौपालों की मीठी बातें दूरदर्शनी संस्कृति में
तीज और त्योहार खो रहे, बाकी सब कुछ अच्छा है।
कोर्ट-कचहरी, आफिस, थाने, मोटर-गाड़ी, अफसर से
अमन चैन के दिवस हिराने, बाकी सब कुछ अच्छा है।
घर से आयी जब ये पाती कि यहाँ हालत बदल गई
दिल की धड़कन और बढ़ गई बाकी सब कुछ अच्छा है।
प्रश्न. अब हमारे आपसी रिश्ते कैसे हो रहे हैं ? (सही उत्तर छाँटकर लिखिए)
गाँव हो रहे शहर हमारे, बाकी सब कुछ अच्छा है
रिश्ते अब व्यापार हो रहे, बाकी सब कुछ अच्छा है।
उत्पादन में बढ़त हो रही, खेतों से खलिहानों तक
फिर भी भूखे बढ़ते जाते, बाकी सब कुछ अच्छा है।
चौड़ी सड़कें पक्की गलियाँ औ बिजली की जगमग में
दिल की दूरी बढ़ती जाती, बाकी सब कुछ अच्छा है।
चौपालों की मीठी बातें दूरदर्शनी संस्कृति में
तीज और त्योहार खो रहे, बाकी सब कुछ अच्छा है।
कोर्ट-कचहरी, आफिस, थाने, मोटर-गाड़ी, अफसर से
अमन चैन के दिवस हिराने, बाकी सब कुछ अच्छा है।
घर से आयी जब ये पाती कि यहाँ हालत बदल गई
दिल की धड़कन और बढ़ गई बाकी सब कुछ अच्छा है।
प्रश्न. चौड़ी सड़कें, पक्की गलियाँ और बिजली की जगमग होने पर भी क्या कमी आई है?
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गाँव हो रहे शहर हमारे, बाकी सब कुछ अच्छा है
रिश्ते अब व्यापार हो रहे, बाकी सब कुछ अच्छा है।
उत्पादन में बढ़त हो रही, खेतों से खलिहानों तक
फिर भी भूखे बढ़ते जाते, बाकी सब कुछ अच्छा है।
चौड़ी सड़कें पक्की गलियाँ औ बिजली की जगमग में
दिल की दूरी बढ़ती जाती, बाकी सब कुछ अच्छा है।
चौपालों की मीठी बातें दूरदर्शनी संस्कृति में
तीज और त्योहार खो रहे, बाकी सब कुछ अच्छा है।
कोर्ट-कचहरी, आफिस, थाने, मोटर-गाड़ी, अफसर से
अमन चैन के दिवस हिराने, बाकी सब कुछ अच्छा है।
घर से आयी जब ये पाती कि यहाँ हालत बदल गई
दिल की धड़कन और बढ़ गई बाकी सब कुछ अच्छा है।
प्रश्न. अमन चैन के दिवस कहाँ खो गए हैं?
गाँव हो रहे शहर हमारे, बाकी सब कुछ अच्छा है
रिश्ते अब व्यापार हो रहे, बाकी सब कुछ अच्छा है।
उत्पादन में बढ़त हो रही, खेतों से खलिहानों तक
फिर भी भूखे बढ़ते जाते, बाकी सब कुछ अच्छा है।
चौड़ी सड़कें पक्की गलियाँ औ बिजली की जगमग में
दिल की दूरी बढ़ती जाती, बाकी सब कुछ अच्छा है।
चौपालों की मीठी बातें दूरदर्शनी संस्कृति में
तीज और त्योहार खो रहे, बाकी सब कुछ अच्छा है।
कोर्ट-कचहरी, आफिस, थाने, मोटर-गाड़ी, अफसर से
अमन चैन के दिवस हिराने, बाकी सब कुछ अच्छा है।
घर से आयी जब ये पाती कि यहाँ हालत बदल गई
दिल की धड़कन और बढ़ गई बाकी सब कुछ अच्छा है।
प्रश्न. पालों की मीठी बातें और तीज-त्यौहार किस कारण से खो रहे हैं?
गाँव हो रहे शहर हमारे, बाकी सब कुछ अच्छा है
रिश्ते अब व्यापार हो रहे, बाकी सब कुछ अच्छा है।
उत्पादन में बढ़त हो रही, खेतों से खलिहानों तक
फिर भी भूखे बढ़ते जाते, बाकी सब कुछ अच्छा है।
चौड़ी सड़कें पक्की गलियाँ औ बिजली की जगमग में
दिल की दूरी बढ़ती जाती, बाकी सब कुछ अच्छा है।
चौपालों की मीठी बातें दूरदर्शनी संस्कृति में
तीज और त्योहार खो रहे, बाकी सब कुछ अच्छा है।
कोर्ट-कचहरी, आफिस, थाने, मोटर-गाड़ी, अफसर से
अमन चैन के दिवस हिराने, बाकी सब कुछ अच्छा है।
घर से आयी जब ये पाती कि यहाँ हालत बदल गई
दिल की धड़कन और बढ़ गई बाकी सब कुछ अच्छा है।
प्रश्न. उत्पादन में बढ़त होने पर भी ______ बढ़ रहे हैं। (सही कथन से वाक्य पूरा कीजिए।)
पौ फटते ही
उठ जाती हैं स्त्रियाँ
बुहारती हैं झाडू
और फिर पानी के
बर्तनों की खनकती
हैं आवाजें
पायल की झंकार और
चूड़ियों की खनक से
गूंज जाता है गली-मुहल्ले
का नुक्कड़
जहाँ करती हैं स्त्रियाँ
इंतजार कतारबद्ध हो
पानी के आने का।
होती हैं चिंता पति के
ऑफिस जाने की और
बच्चों के लंच बॉक्स
तैयार करने को,
देखते ही देखत
हो जाती हैं दोपहर
अब स्त्री को इंतजार
होता है बच्चों के
स्कूल से लौटने का
और फिर धीरे-धीरे
ढल जाती है शाम भी
उसके माथे की बिंदी
अब चमकने लगती है
पति के इंतजार में
और फिर होता
उसे पौ फटने का
अगला इंतजार!!
प्रश्न. गली-मुहल्ले के नुक्कड़ पर स्त्रियाँ सुबह-सुबह क्यों एकत्र होती हैं?
पौ फटते ही
उठ जाती हैं स्त्रियाँ
बुहारती हैं झाडू
और फिर पानी के
बर्तनों की खनकती
हैं आवाजें
पायल की झंकार और
चूड़ियों की खनक से
गूंज जाता है गली-मुहल्ले
का नुक्कड़
जहाँ करती हैं स्त्रियाँ
इंतजार कतारबद्ध हो
पानी के आने का।
होती हैं चिंता पति के
ऑफिस जाने की और
बच्चों के लंच बॉक्स
तैयार करने को,
देखते ही देखत
हो जाती हैं दोपहर
अब स्त्री को इंतजार
होता है बच्चों के
स्कूल से लौटने का
और फिर धीरे-धीरे
ढल जाती है शाम भी
उसके माथे की बिंदी
अब चमकने लगती है
पति के इंतजार में
और फिर होता
उसे पौ फटने का
अगला इंतजार!!
प्रश्न. दोपहर को अब स्त्री को _____ इंतज़ार होता है। (वाक्य पूरा कीजिए)
पौ फटते ही
उठ जाती हैं स्त्रियाँ
बुहारती हैं झाडू
और फिर पानी के
बर्तनों की खनकती
हैं आवाजें
पायल की झंकार और
चूड़ियों की खनक से
गूंज जाता है गली-मुहल्ले
का नुक्कड़
जहाँ करती हैं स्त्रियाँ
इंतजार कतारबद्ध हो
पानी के आने का।
होती हैं चिंता पति के
ऑफिस जाने की और
बच्चों के लंच बॉक्स
तैयार करने को,
देखते ही देखत
हो जाती हैं दोपहर
अब स्त्री को इंतजार
होता है बच्चों के
स्कूल से लौटने का
और फिर धीरे-धीरे
ढल जाती है शाम भी
उसके माथे की बिंदी
अब चमकने लगती है
पति के इंतजार में
और फिर होता
उसे पौ फटने का
अगला इंतजार!!
प्रश्न. स्त्रियाँ सुबह होते ही उठकर क्या करती हैं?
पौ फटते ही
उठ जाती हैं स्त्रियाँ
बुहारती हैं झाडू
और फिर पानी के
बर्तनों की खनकती
हैं आवाजें
पायल की झंकार और
चूड़ियों की खनक से
गूंज जाता है गली-मुहल्ले
का नुक्कड़
जहाँ करती हैं स्त्रियाँ
इंतजार कतारबद्ध हो
पानी के आने का।
होती हैं चिंता पति के
ऑफिस जाने की और
बच्चों के लंच बॉक्स
तैयार करने को,
देखते ही देखत
हो जाती हैं दोपहर
अब स्त्री को इंतजार
होता है बच्चों के
स्कूल से लौटने का
और फिर धीरे-धीरे
ढल जाती है शाम भी
उसके माथे की बिंदी
अब चमकने लगती है
पति के इंतजार में
और फिर होता
उसे पौ फटने का
अगला इंतजार!!
प्रश्न. शाम ढल जाने पर भी उसके माथे की बिंदी क्यों चमकने लगती है?
पौ फटते ही
उठ जाती हैं स्त्रियाँ
बुहारती हैं झाडू
और फिर पानी के
बर्तनों की खनकती
हैं आवाजें
पायल की झंकार और
चूड़ियों की खनक से
गूंज जाता है गली-मुहल्ले
का नुक्कड़
जहाँ करती हैं स्त्रियाँ
इंतजार कतारबद्ध हो
पानी के आने का।
होती हैं चिंता पति के
ऑफिस जाने की और
बच्चों के लंच बॉक्स
तैयार करने को,
देखते ही देखत
हो जाती हैं दोपहर
अब स्त्री को इंतजार
होता है बच्चों के
स्कूल से लौटने का
और फिर धीरे-धीरे
ढल जाती है शाम भी
उसके माथे की बिंदी
अब चमकने लगती है
पति के इंतजार में
और फिर होता
उसे पौ फटने का
अगला इंतजार!!
प्रश्न. सुबह-सुबह इन स्त्रियों को किस बात की चिन्ता होती है? (सही विकल्प पर निशान लगाइए)