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UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - UGC NET MCQ


Test Description

30 Questions MCQ Test - UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7

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UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 1

किस आलोचक ने छायावादी काव्य में अनुभूति की प्रधानता के कारण इसे स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोह माना है?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 1

डॉ. नगेन्द्र आलोचक ने छायावादी काव्य में अनुभूति की प्रधानता के कारण इसे स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोह माना है

Key Points

  • डॉ. नगेंद्र ने छायावाद को "स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोह" कह कर व्याख्यायित किया है।
  • इस व्याख्या में निहित तर्क को दो आधारों पर समझा जा सकता है- संवेदना एवं शिल्प
  • संवेदना के स्तर पर स्थूल का तात्पर्य है- द्विवेदी युगीन सामाजिकता।
  • शिल्प के स्तर पर भी छायावादी काव्य स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोह है। 

Important Points

Additional Information

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 2

किसने सर्वप्रथम राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी की मान्यता प्रदान की थी?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 2

महात्मा गांधी ने सर्वप्रथम राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी की मान्यता प्रदान की थी।

Key Points

  • 1917 महात्मा गांधी ने 1917 में भरूच में गुजरात शैक्षिक सम्मेलन में अपने अध्यक्षीय भाषण में राष्ट्रभाषा की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा था कि भारतीय भाषाओं में केवल हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जिसे राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाया जा सकता है।
  • इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था।
  • वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।  

Additional Information

  • जवाहर लाल नेहरू- 
    • जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री थे और स्वतन्त्रता के पूर्व और पश्चात् की भारतीय राजनीति में केन्द्रीय व्यक्तित्व थे।
    • स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री का पद संभालने के लिए कांग्रेस द्वारा नेहरू निर्वाचित हुए। 
  • राजेन्द्र प्रसाद-
    • डॉ राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे।
    • वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। 
    • उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने भारत के पहले मंत्रिमंडल में 1946 एवं 1947 मेें कृषि और खाद्यमंत्री का दायित्व भी निभाया था। सम्मान से उन्हें प्रायः 'राजेन्द्र बाबू' कहकर पुकारा जाता है।
  • इन्दिरा गाँधी-
    • इन्दिरा गाँधी वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। 
    • वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं। 
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UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 3

संतन को कहा सीकरी सो काम" प्रस्तुत पद के रचयिता कौन है ?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 3

"संतन को कहा सीकरी सो काम" प्रस्तुत पद के रचयिता है - कुंभनदास अन्य सभी विकल्प असंगत है। 

Key Points

  • 'संतन को कहा सीकरी सों काम' यह काव्य पंक्ति 'कुंभनदास' की है।
  • कुंभनदास परम भगवद्भक्त, आदर्श गृहस्थ और महान विरक्त थे।
  • कुंभनदास अष्टछाप के कवियों में सबसे पहले कवि थे।
  • महाप्रभु वल्लभाचार्य इनके दीक्षा गुरु थे। 

Important Points

Additional Information

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 4

सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए-

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 4

सूची-I का सूची-II से सही सुमेलन है -

Key Points
कामायनी-

  • रचनाकार-जयशंकर प्रसाद 
  • विधा-काव्य 
  • प्रकाशन वर्ष-1935 ई. 
  • मुख्य पात्र-
    • मनु, श्रद्धा और इडा। 
  • मुख्य-
    • इनकी कथावस्तु का आधार ऋग्वेद, छंदोग्य उपनिषद, शतपथ ब्राह्मण और श्रीमद्भागवात है।  
    • इसमें मनोभावों को पात्रों के रूप में रूपांतरित किया है। 
    • इसमें शांत रस है। 
    • ताटंक छंद का प्रयोग किया गया है।

साकेत-

  • रचनाकार- मैथिलीशरण गुप्त
  • प्रकाशन वर्ष- 1931 ई.
  • विधा- महाकाव्य
  • विषय-
    • ​उर्मिला प्रधान चरित्र है।
    • उसका अपने पति लक्ष्मण से वियोग एवं वियोग में उसकी अधीरता का चित्रण है।
    • साकेत पालि का शब्द है जिसका अर्थ अयोध्या होता है।
    • रचना 12 सर्गों में विभक्त है।
    • नगेन्द्र ने इसे जनवादी काव्य कहा है।
  • साकेत लिखने की प्रेरणा इन्हें सन 1908 में सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा छद्म नाम 'भुजंग भूषण भट्टाचार्य' से लिखे 'कवियों की उर्मिला विषयक उदासीनता' शीर्षक लेख से मिली।

प्रियप्रवास-

  • रचनाकार-अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
  • प्रकाशन वर्ष- 1914 ई.
  • विधा-प्रबंध काव्य 
  • विषय-
    • इसमें 17 सर्ग हैं। 
    • इसका पहला नाम ब्रजांगना विलाप था। 
    • कृष्ण के मथुरा गमन की कथा वर्णित है।

Important Points
जयशंकर प्रसाद-

  • जन्म-1889-1937 ई. 
  • छायावादी युग के महत्त्वपूर्ण कवि है। 
  • रचनाएँ-
    • उर्वशी(1909 ई.)
    • वन मिलन(1909 ई.)
    • कानन कुसुम(1913 ई.)
    • प्रेमपथिक(1913 ई.)
    • चित्राधार(1918 ई.)
    • झरना(1918 ई.)
    • आँसू(1925 ई.) आदि। 

मैथिलीशरण गुप्त-

  • जीवनकाल- 1886-1964 ई.
  • उपाधि -राष्ट्रकवि (गाँधी जी द्वारा)
  • ब्रजभाषा में रसिकेन्द्र नाम से कविता लिखते थे।
  • रचनाएँ-
    • रंग में भंग (1909
    • भारत भारती (1912)
    • किसान (1917)
    • पंचवटी (1925)
    • हिंदू (1927)
    • गुरुकुल (1929)
    • साकेत (1931)
    • यशोधरा (1932)
    • द्वापर (1936)
    • विष्णुप्रिया (1957)

अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'-

  • जन्म-1865-1947 ई. 
  • द्विवेदी युगीन महत्वपूर्ण कवि है। 
  • रचनाएँ-
    • कृष्ण शतक(1882 ई.)
    • रसिक रहस्य(1899 ई.)
    • प्रेम प्रपंच(1900 ई.)
    • फूल पत्ते(1935 ई.)
    • रस कलश(1940 ई.)आदि। 

नागार्जुन-

  • जन्म-1911-1998 ई. 
  • मूल नाम-वैद्यनाथ मिश्र 
  • मैथिली में यात्री उपनाम से लिखते थे। 
  • रचनाएँ-
    • युगधारा(1953 ई.)
    • सतरंगे पंखों वाली(1959 ई.)
    • प्यासी पथराई आँखें(1962 ई.)
    • खिचड़ी विप्लव देखा हमने(1980 ई.)
    • तुमने कहा था(1980 ई.)
    • पुरानी जूतियों का कोरस(1983 ई.) आदि। 
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 5

प्रकाशन वर्ष के अनुसार सही है-

A. डायरी के नीरस पृष्ठ- 1951 

B. तर्क का तूफान -1945 

C. अमर वल्लरी -1945 

D. निशानियाँ- 1947 

E. देवदासी- 1945 

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए-

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 5

सही उत्तर है- केवल A, C, D

  • डायरी के नीरस पृष्ठ- 1951 ई. इलाचंद्र जोशी 
  • तर्क का तूफान -1944 ई.  यशपाल 
  • अमर वल्लरी -1945 ई. अज्ञेय 
  • निशानियाँ- 1947 ई. उपेन्द्रनाथ अश्क 
  • देवदासी- 1947 ई.  रांघेय राघव  Key Points

इलाचन्द्र जोशी -

  • जन्म- 1903-1982 ई.
  • जन्म स्थान-  अलमोड़ा जिले
  • इलाचन्द्र जोशी भाषा हिंदी प्रसिद्धि मनोवैज्ञानिक उपन्यासकार, काहानीकार, आलोचक थे हिन्दी में मनोवैज्ञानिक उपन्यासों का प्रारम्भ श्री जोशी से ही हुआ।
  • मुख्य रचनाएँ -
    • धूपरेखा
    • दीवाली और होली
    • रोमांटिक छाया
    • आहुति
    • खँडहर की आत्माएँ
    • डायरी के नीरस पृष्ठ

यशपाल-

  • समयकाल- 3  दिसम्बर 1903  - 26 दिसम्बर 1976 ई.
  • जन्म स्थान- फिरोजपुर छावनी पंजाब 
  • कहानी संग्रह-
    • पिंजरे की उड़ान -1939 ई.
    • फूलो का कुर्ता- 1949 ई.
    • धर्मयुद्ध -1950 ई.
    • उत्तमी की मां- 1955 ई.
    • तुमने क्यों कहा था मै सुंदर हूं -1954 ई.

अज्ञेय-

  •  पूरा नाम- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'
  •  समयकाल - 7 मार्च, 1911 - 4 अप्रैल, 1987
  • कहानी संग्रह-
    • विपथगा 1937 ई.
    • परम्परा 1944 ई.
    • कोठरी की बात 1945 ई.
    • शरणार्थी 1948 ई.
    • जयदोल 1951 ई.

उपेन्द्र नाथ अश्क-

  •  समयकाल -1910 - 1916ई.
  • कहानी संग्रह-  
    • सत्तर श्रेष्ठ कहानियां
    • जुदाई की शाम के गीत
    • काले साहब
    • पिंजरा

रांगेय राघव-

  • समयकाल-1923-1962
  • मूल नाम- टी.एन.बी.आचार्य (तिरूमल्लै नंबकम् वीरराघव आचार्य)
  • कहानी संग्रह-
    • देवदासी
    • समुद्र के फेन
    • अधूरी मूरत
    • जीवन के दाने
    • अंगारे न बुझे 
    • मुरदे
    • इन्सान पैदा हुआ
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 6
किसे मार्क्स का 'यूटोपिया' या 'स्वप्नलोक' भी कहा जाता है?
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 6

साम्यवाद को मार्क्स का 'यूटोपिया' या 'स्वप्नलोक' भी कहा जाता है। Key Points मार्क्सवाद के ऐतिहासिक भौतिकवाद सिद्धान्त के चरण-

  • आदिम साम्यवाद-
    • यह सामाजिक जीवन की शुरुआत का समय है जब न तो निजी संपत्ति की धारणा थी और न ही शोषण।
    • सभी मनुष्य सामुदायिक जीवन जीते थे और उनमें बेहद प्राथमिक किस्म का श्रम विभाजन था।
  • दास व्यवस्था-
    • यह मानवीय सभ्यता का सबसे बुरा दौर था क्योंकि इसमें शोषक वर्ग ने निम्नवर्ग के मनुष्यों को संपत्ति ही बना लिया था। 
    • दास और मालिक इस समय के दो वर्ग थे।
    • दास मालिकों की निजी संपत्ति थे जिनके साथ कुछ भी करना वैध था।
    • यहाँ तक कि दासों को अपनी संतान का अधिकार भी नहीं था।
  • सामंतवाद-​
    • कृषि अर्थव्यवस्था की शुरुआत के साथ ही सामंतवाद का उदय हुआ और इसमें दो वर्ग बने- सामंत तथा कृषक।
    • कृषकों को दासों की तुलना में ज्यादा अधिकार प्राप्त थे किंतु उन्हें बेगार करनी पड़ती थी और युद्ध होने पर सैनिक सेवा भी देनी होती थी। 
    • यह व्यवस्था यूरोप के लगभग सभी देशों में विकसित हुई।
  • पूँजीवाद-
    • औद्योगिक क्रांति के साथ ही पूँजीवा का उदय हुआ जिसमें पूँजीपति (बुर्जुआ) तथा मजदूर (सर्वहारा) दो वर्ग बने।
    • इसमें मजदूरों को अनुबंध की स्वतंत्रत दी गई।
    • सैद्धांतिक तौर पर इस व्यवस्था में उन्हें बेगार नहीं करन पड़ती है। 
    • किंतु राज्य की अहस्तक्षेप नीति तथामांग- पूर्ति के कठोर नियम के कारण मजदूरों की स्थिति बेहद दयनीय बनी रहती है।
  • समाजवाद-
    • समाजवाद पूँजीवाद के तुरंत बाद की स्थिति है जिसे 'सर्वहारा की तानाशाही' भी कहा गया है।
  • साम्यवाद-
    • साम्यवाद् अंतिम अवस्था जिसे मार्क्स का 'यूटोपिया' या 'स्वप्नलोक' भी कहते हैं।
    • यह समाजवाद का अगला स्वाभाविक चरण है जहाँ राज्य लुप्त हो जाता है, धर्म मानवीय चेतना से हट जाता है।
    • इस अवस्था मे न 'शोषण' रहता है, न 'राष्ट्र' न 'विवाह' या 'परिवार' और न ही किसी प्रकार का 'अलगाव' या 'अजनबीपन'। 

Important Points

  • मार्क्सवादी दर्शन- 
    • कार्ल मार्क्स की साम्यवादी विचारधारा ही मार्क्सवादी विचारधारा के नाम से जानी जाती है।
    • मार्क्स एक समाजवादी विचारक थे और यथार्थ पर आधारित समाजवादी विचारक के रूप में जाने जाते हैं।
    • सामाजिक राजनीतिक दर्शन में मार्क्सवाद उत्पादन के साधनों पर सामाजिक स्वामित्व द्वारा वर्गविहीन समाज की स्थापना के संकल्प की साम्यवादी विचारधारा है।
    • मार्क्सवाद उन आर्थिक राजनीतिक और आर्थिक सिद्धांतो का समुच्चय है,
    • जिन्हें उन्नीसवीं-बीसवीं सदी में कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंगेल्स और व्लादिमीर लेनिन तथा साथी विचारकों ने समाजवाद के वैज्ञानिक आधार की पुष्टि के लिए प्रस्तुत किया।
  • मार्क्सवाद की मान्यताएँ- 
    • मार्क्स के अनुसार समाज 2 वर्ग अमीर तथा गरीब में विभाजित है।
    • मार्क्स के अनुसार शोषित वर्ग की समस्याओं का एक ही समाधान है वह संगठित होकर हिंसक क्रांति करें।
    • मार्क्स के अनुसार सभी सामाजिक समस्याओं की जड़ निजी संपत्ति की धारणा में छिपी है।
    • मार्क्सवादी दर्शन ने निजी संपत्ति की व्याख्या अतिरिक्त मूल्य के सिद्धांत में किया है।
    • मार्क्सवाद राज्य का विरोध करता है।
    • मार्क्स ने धर्म का विरोध किया है।
    • कार्ल मार्क्स का ऐतिहासिक भौतिकवाद सिद्धान्त-
    • मार्क्स ने ऐतिहासिक भौतिकवाद के सिद्धान्त की रूपरेखा अपनी पुस्तक 'German Ideology' में प्रस्तुत की है।
    • कार्ल मार्क्स द्वारा प्रस्तुत समाज तथा इतिहास का सिद्धान्त  'ऐतिहासिक भौतिकवाद' के नाम से प्रसिद्ध है।
    • इस सिद्धान्त का आधार काल्पनिक या दार्शनिक नहीं है, बल्कि उस नियम की व्याख्या है जो मानव इतिहास की गतिविधि को निर्धारित करती है।
    • मार्क्स ने ऐतिहासिक भौतिकवाद के सिद्धान्त में उन शक्तियों को स्पष्ट किया है जो वास्तव में इतिहास की घटनाओं का संचालन करती हैं।
    • मार्क्स के अनुसार समाज के भौतिक जीवन की अवस्थाएँ ही अन्तिम रूप से सामाजिक संरचना, राजनीतिक व्यवस्था व समाज के ऐतिहासिक विकास-क्रम को निर्धारित करती हैं।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 7
क्या भूलूँ क्या याद करूँ' के प्रारंभ में उद्धृत पंक्ति " मैं स्वयं अपनी पुस्तक का विषय हूँ" - किसकी है?
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 7

क्या भूलूँ क्या याद करूँ' के प्रारंभ में उद्धृत पंक्ति " मैं स्वयं अपनी पुस्तक का विषय हूँ" - अनातोले की है?Key Pointsक्या भूलूँ क्या याद करूँ- 

  • रचनाकार- हरिवंश राय बच्चन
  • प्रकाशन वर्ष- (1969 ई०)
  • विधा- आत्मकथा
  • यह आत्मकथा चार भाग में है-
    • क्या भूलूँ क्या याद करूँ (1969 ई०)
    • नीड़ का निर्माण फिर (1970 ई०)
    • बसेरे से दूर (1978 ई०)
    • 'दशद्वार' से 'सोपान' तक (1985 ई०)
  • प्रमुख पात्र- 
    • जग्गु    चाचा
    • हीरालाल
    • प्रतापनारायण
    • सरस्वती
    • श्यामा
    • भोलानाथ
    • कर्कल
    • चम्पा
    • शालिग्राम
    • रामकिशोर

   Important Pointsहरिवंश राय बच्चन- 

  • जन्म- 1907 - 2003 ईo
  • आत्मकथा- 
    • क्या भूलूँ क्या याद करूँ (1969 ई०)
    • नीड़ का निर्माण फिर (1970 ई०)
    • बसेरे से दूर (1978 ई०)
    • 'दशद्वार' से 'सोपान' तक (1985 ई०)
  • काव्य कृतियाँ-
    • मधुशाला (1935 ई०)
    • मधुबाला (1936 ई०)
    • मधुकलश (1937 ई०)
    • निशा निमंत्रण ( 1938 ई०)
    • एकान्त संगीत (1939 ई०)
    • आकुल अंतर (1943 ई०)
    • सतरंगिनी (1945 ई०),
    • बंगाल का अकाल (1946 ई०)
    • हलाहल (1946 ई०)
    • खादी के फूल (1948 ई०)
    • मिलन यामिनी (1950 ई०)
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 8
“वर्तमान की परख सदैव अतीत के आधार पर होनी चाहिए।" किसका कथन है ?
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 8

“वर्तमान की परख सदैव अतीत के आधार पर होनी चाहिए।" कथन है- टी. एस. इलियटKey Pointsटी. एस. इलियट-

  • जन्म-1888-1965 ई. 
  • रचनाएँ-
    • द सैक्रेड वुड(1920 ई.)
    • द वेस्टलैंड(1922 ई.)
    • सेलेक्टेड एसेज(1932 ई.)
    • ऑन पोएट्री एंड पोयट्स(1957 ई.) आदि। 

Important Pointsप्लेटो-

  • समय-427-347 ई. पू. 
  • रचनाएँ-
    • ​फीड्रस 
    • स्टेट्समैन 
    • इयोन 
    • लॉज 
    • सिम्पोजियम 
    • फीडो आदि।  

एजरा पाउंड-

  • जन्म-1885-1972 ई. 
  • रचनाएँ-
    • मेक इट न्यू(1934 ई.)
    • ए. बी. सी. ऑफ रीडिंग(1934 ई.) आदि।

आई.ए. रिचड्रर्स-

  • समय-1893-1979 ई. 
  • रचनाएँ-
    • द फाउंडेशन ऑफ एस्थेटिक्स(1922 ई.)
    • प्रिंसिपल ऑफ लिटरेरी क्रिटिसिज्म(1924 ई.)
    • द मीनिंग ऑफ मीनिंग(1923 ई.)
    • फिलॉसफी ऑफ रिटोरिक(1936 ई.) आदि। 
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 9

निम्न रचनाओं में से किसका मिलान सही हैं-

A. नाभादास- अष्टयाम

B. रामप्रिया शरण दास - सीतायण

C. हृदयराम- हनुमन्नाटक

D. नरहरि बारहट- पौरुषेय रामायण

E. रामचरण दास- कवित्तवली

नीचे दिए गए विकल्पों एमन से सही विकल्प का चयन कीजिए-

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 9

सही उत्तर है- केवल A, C, D

Key Points
नाभादास

  • समय 17वीं शताब्दी के मध्य और उत्तरार्ध के बीच माना जाता है।
  • नाभादास की तीन कृतियाँ उपलब्ध हैं - 'भक्तमाल', 'अष्टयाम', 'रामभक्ति संबंधी स्फुट पद'।

हृदयराम

  • एक प्राचीन कवि एवं कृष्णदास जी के पुत्र थे
  • 'हनुमन्नाटक' में हनुमान का चरित नहीं, अपितु भगवान राम का जीवन वृत्त, जानकी-स्वयंवर से लेकर राज्याभिषेक तक प्रस्तुत है।

नरहरिदास बारहठ

  • मध्यकालीन युग के प्रसिद्ध राजस्थानी कवि थे
  • पौरुषेय रामायण और अवतार चरित्र इनकी मुख्य रचनाएँ थी

Additional Information

  • राम चरण दास- 1720 ई. में राजस्थान में जन्म हुआ
  • ये रामस्नेही शाखा के प्रवर्तक हैं
  • अनभे वाणी इनकी रचना है

​​​​​​​Mistake Points

  • 1703 ई. में रामप्रिया शरण दास ने सीतायन नामक काव्य की रचना की। जबकि प्रश्न में सीतायण दिया गया है।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 10

निम्नलिखित कवियों के साथ उनके द्वारा रचित कविताओं को सुमेलित कीजिए।

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 10

सही उत्तर है- (a) - (iv), (b) - (iii), (c) - (i), (d) - (ii)

Key Points

हरिजन गाथा

  • रचनाकार- नागार्जुन
  • प्रकाशन वर्ष- 1977 ई.
  • विधा-लम्बी कविता

बीजाक्षर

  • रचनाकार-अनामिका
  • प्रकाशन वर्ष- 1993 ई.
  • विधा- कविता संग्रह

मैं उस जनपद का कवि हूँ

  • रचनाकार- त्रिलोचन शास्त्री
  • प्रकाशन वर्ष- 1981 ई.
  • विधा- काव्य संग्रह

मोचीराम

  • रचनाकार- धूमिल
  • प्रकाशन वर्ष- 1972 ई.
  • विधा- लम्बी कविता

Important Points

  • नागार्जुन- युगधारा (1953), सतरंगे पंखों वाली (1959), प्यासी पथराई आँखें (1962), तालाब की मछलियाँ (1974), तुमने कहा था (1980), खिचड़ी विप्लव देखा हमने (1980), हजार-हजार बाँहों वाली (1981), पुरानी जूतियों का कोरस (1983), अपने खेत में (1997), हरिजन गाथा (1977)
  • अनामिका- कविता संग्रह : गलत पते की चिट्ठी, बीजाक्षर, अनुष्टुप, समय के शहर में, खुरदुरी हथेलियाँ, दूब धान .
  • त्रिलोचन शास्त्री- धरती(1945), गुलाब और बुलबुल(1956), दिगंत(1957), ताप के ताए हुए दिन(1980), उस जनपद का कवि हूँ (1981), अरधान (1984),​ चैती, जीने की कला(2004)
  • धूमिल- संसद से सड़क तक-(1972), कल सुनना मुझे(1976), सुदामा पांडे का प्रजातंत्र(1984)
    • धूमिल की कुछ सबसे लोकप्रिय कविताएँ हैं- मोचीराम, बीस साल बाद, पटकथा, रोटी और संसद, लोहे का स्वाद
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 11
महाराष्ट्रीय संत संप्रदाय के कवियों का कालक्रमानुसार सही क्रम है :
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 11

महाराष्ट्रीय संत संप्रदाय के कवियों का कालक्रमानुसार सही क्रम है : "चक्रधरस्वामी, ज्ञानेश्वर, एकनाथ, तुकाराम"

Important Pointsसंत ज्ञानेश्‍वर -

  • संत ज्ञानेश्वर का जन्म महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में पैठण के पास आपेगांव में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था।
  • ज्ञानेश्वर ने भगवद् गीता के ऊपर मराठी भाषा में एक 'ज्ञानेश्वरी' नामक 10,000 पद्यों का ग्रंथ लिखा है।
  • महाराष्ट्र की भूमि पर नाथ संप्रदाय, दत्त संप्रदाय, महानुभव संप्रदाय, समर्थ संप्रदाय आदि कई पंथ-संप्रदायों का उदय एवं विस्तार हुआ।
  • भागवत भक्ति संप्रदाय यानी संत ज्ञानेश्वर जी प्रणीत "वारकरी भक्ति संप्रदाय" इस भूमि पर उदित हुआ सबसे विशाल संप्रदाय रहा है।

संत एकनाथ -

  • महाराष्ट्र के संतों में नामदेव के पश्चात दूसरा नाम एकनाथ का ही आता है।
  • इनका जन्म पैठण में हुआ था। ये वर्ण से ब्राह्मण जाति के थे।
  • इन्होंने जाति प्रथा के विरुद्ध आवाज उठाई तथा अनुपम साहस के कारण कष्ट भी सहे।
  • इनकी प्रसिद्धि भागवत पुराण के मराठी कविता में अनुवाद के कारण हुई।
  • दार्शनिक दृष्टि से ये अद्वैतवादी थे।

संत तुकाराम -

  • महाराष्ट्र के प्रमुख संतों और भक्ति आंदोलन के कवियों में एक तुकाराम का जन्म महाराष्ट्र राज्य के पुणे जिले के अंतर्गत 'देहू' नामक ग्राम में सन् 1598 में हुआ था।
  • इनके पिता का नाम 'बोल्होबा' और माता का नाम 'कनकाई' था।
  • तुकाराम ने फाल्गुन माह की कृष्ण द्वादशी शाक संवत 1571 को देह विसर्जन किया।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 12
व्यक्तिव्यंजक निबंधकारों में प्रथम पांक्तेय है
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 12

व्यक्तिव्यंजक निबंधकारों में प्रथम पांक्तेय है- बालकृष्ण भट्ट। Key Pointsबालकृष्ण भट्ट-

  • जन्म- 1844 - 1914 ई०
  • निबन्ध संग्रह -
    • साहित्य सुमन
    • भट्ट निबन्धावली।
  • उपन्यास -
    • नूतन ब्रह्मचारी
    • सौ अजान एक सुजान।
  • नाटक -
    • दमयंती स्वयंवर
    • बाल-विवाह
    • चंद्रसेन
    • रेल का विकट खेल।

Important Pointsभारतेन्दु हरिश्चन्द्र-

  • जन्म- 1850 - 1885 ई.
  • निबंध-
    • नाटक
    • कालचक्र (जर्नल)
    • लेवी प्राण लेवी
    • भारतवर्षोउन्नति कैसे हो सकती?
    • कश्मीर कुसुम
    • जातीय संगीत
    • संगीत सार
    • हिन्दी भाषा
    • स्वर्ग में विचार सभा।

प्रताप नारायण मिश्र-

  • जन्म- 1856 - 1894 ई.
    • भारतेन्दु युग के लेखक।
    • भारतेन्दु मण्डल के प्रमुख लेखक, कवि और पत्रकार थे।
    • 15 मार्च 1883 को, होली के दिन, अपने कई मित्रों के सहयोग से मिश्रजी ने "ब्राह्मण" नामक मासिक पत्र निकाला।
  • नाटक-
    • गो संकट
    • भारत दुर्दशा
    • कलिकौतुक
    • कलिप्रभाव
    • हठी हम्मीर
  • निबंध संग्रह-
    • निबंध नवनीत
    • प्रताप पीयूष
    • प्रताप समीक्षा

बालमुकुंद गुप्त-

  • जन्म- 1865 - 1907 ई०
    • हिन्दी के निबंधकार और पत्रकार थे।
  • प्रमुख रचना-
    • शिवशंभु का चिट्ठा
    • हरिदास
    • खिलौना
    • खेलतमाशा
    • स्फुट कविता
    • शिवशंभु का चिट्ठा
    • सन्निपात चिकित्सा
    • बालमुकुंद गुप्त निबंधावली।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 13

"इस कल्पवास का मोह है, क्योंकि इस थोड़े समय में जीवन का जितना विस्तृत ज्ञान मुझे प्राप्त हो जाता है, उतना अन्य उपाय से संभव नहीं और जीवन के संबंध में निरंतर जिज्ञासा मेरे स्वाभाव का अंग बन गई है।"

उपर्युक्त कथन किस रचना से संबंधित है?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 13
उपर्युक्त कथन ठकुरी बाबा रचना से संबंधित है। Key Pointsठकुरी बाबा -
  • रचनाकार - महादेवी वर्मा
  • प्रकाशन वर्ष - 1943 ई.
  • विधा - रेखाचित्र
  • मुख्य पात्र - महादेवी, भक्तिन,ठकुरी बाबा, बेला (ठकुरी बाबा की बेटी), वृद्ध ठकुराईन, काछी (विधुर) सहूआईन,ब्राह्मण दंपति
  • मुख्य - यह महादेवी वर्मा द्वारा रचित 'स्मृति की रेखाएँ' में संकलित है
    • इसमें महादेवी वर्मा ने अपने संपर्क में आने वाले शोषित व्यक्तियों, दीन - हीन नारियों, साहित्यकारों, जीव - जंतुओं आदि का संवेदनात्मक चित्रण किया है
    • ठाकुरी बाबा रेखाचित्र में अनुभूति की अभिव्यक्ति में चित्र का बिंब-विधान और सूक्ति का प्रभाव एक साथ संश्लिष्ट रूप में देखने को मिलता है
Important Pointsमहादेवी वर्मा (1907 - 1987 ई.)के अन्य रेखाचित्र -
  • अतीत के चलचित्र (1941 ई.)
  • स्मृति की रेखाएं (1946 ई.)
  • पथ के साथी (1956 ई.)
  • स्मारिका (1971 ई.),
  • मेरा परिवार (1972 ई.)
Additional Informationमाटी की मूरतें -
  • रचनाकार - रामवृक्ष बेनीपुरी
  • प्रकाशन वर्ष - 1946 ई.
  • विधा - रेखाचित्र
  • मुख्य - 'माटी की मूरतें' में संकलित सभी रेखाचित्र रामवृक्ष बेनीपुरी ने हजारीबाग सेंट्रल जेल में रहते हुए लिखे है
    • इन रेखाचित्रों में रामवृक्ष बेनीपुरी ने अपने जीवन के उन चुन्नीदा लोगों के बारे में लिखा है जो उन्हें अत्यंत प्रिय थे
    • अन्य रेखाचित्र - लाल तारा (1938 ई.), गेहूं और गुलाब (1950 ई.) मील के पत्थर (1957ई.)
प्रेमचंद घर में -
  • रचनाकार - शिवरानी देवी
  • प्रकाशन वर्ष - 1944 ई.
  • विधा - जीवनी
  • मुख्य - इसमें प्रेमचंद की पत्नी शिवरानी देवी ने उनके संपूर्ण जीवन को दर्शाया है
एक कहानी यह भी -
  • रचनाकार - मन्नू भंडारी
  • प्रकाशन वर्ष - 2007 ई.
  • विधा - आत्मकथा
  • मुख्य - यह दो भागों में प्रकाशित हुई है दूसरे भाग का नाम है 'कली यह भी' (2007 ई.) है
    • यह लेखिका मन्नू भंडारी की भावात्मक तथा सांसारिक जीवन की कथा यात्रा है
    • इसमें पारिवारिक पृष्ठभूमि एवं उनके संघर्षों के साथ-साथ उनके ओर राजेंद्र यादव के आपसी संबंधों और उनकी रचनाओं को दृष्टिगोचर किया गया है
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 14

मानवीय संवेदना को किस प्रकार की धर्म से संबंधित किया गया है?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 14

इसका सही उत्तर "नैतिक धर्म" है
Key Pointsगद्यांश के अनुसार ,

  • मानवीय संवेदना को "एक नैतिक धर्म" के रूप में वर्णित किया गया है, जो हमें सिखाता है कि किस प्रकार हमें अपने जीवन को अर्थपूर्ण बनाना है,
  • समाज की बेहतरी के लिए काम करना है और उसे अधिक समृद्ध बनाना है।
  • नैतिक धर्म सही और गलत की पहचान पर आधारित होता है ,जो व्यक्तिगत और सामाजिक आचार-विचार पर मानवीय, ईमानदार और उचित हो।

Additional Information अन्य विकल्प:

"आर्थिक धर्म" :

  • यह मुख्यतः आर्थिक प्रथाओं, व्यवसायिक नैतिकता और आर्थिक नीतियों से संबंधित होता है।
  • यह मानवीय संवेदना के सीधे संबंध में नहीं आता, क्योंकि संवेदना एक व्यापक और अधिक आधारिक मानवीय भावना है जो सीमित नहीं होती सिर्फ आर्थिक परिस्थितियों तक।

"राजनीतिक धर्म":

  • राजनीतिक नैतिकता, राजनीतिक सिद्धांतों और शासन के व्यवहार से संबंधित होता है।
  • मानवीय संवेदना, जबकि सामाजिक सुधारों और नीति निर्माण के संदर्भ में महत्व रख सकती है, स्वयं में राजनीतिक धर्म से सीधे संबंधित नहीं है।

"प्रौद्योगिक धर्म":

  • यह टेक्नोलॉजी और तकनीकी नैतिकता से संबंधित होता है। वहीं, मानवीय संवेदना एक आधारिक, अन्तर्निहित मानवीय गुण है जो तकनीकी प्रगति से परे है।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 15
बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ - किसकी काव्य-पंक्ति है ?
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 15
बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ - महादेवी वर्मा की काव्य-पंक्ति है।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 16

"स्वाभाविक पर भी नियंत्रण जरूरी होता है। संयम ही संस्कृति है। व्यवहार रूढ़ि बनकर संस्कृति कहलाता है।"

उपर्युक्त कथन झूठा-सच उपन्यास में किस पात्र का है?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 16
उपर्युक्त कथन झूठा-सच उपन्यास में नैयर पात्र का है। Key Pointsझूठा सच -
  • लेखक - यशपाल
  • प्रकाशन वर्ष - 1958 ई., 1960 ई.
  • मुख्य - दो खंडो में विभक्त है 'वतन और देश' (1958 ई.), 'देश का भविष्य'(1960 ई.)
    • झूठा सच उपन्यास विभाजन की त्रासदी का चित्रण करता है और मानवीय जीवन की त्रासदी का प्रत्यक्ष दर्शन है
    • यह उपन्यास सामाजिक- राजनीतिक पृष्ठभूमि पर लिखा गया
    • इस उपन्यास में यशपाल ने (सन 1942 से 1957 ई.) तक अर्थात देश विभाजन से पहले और उसके बाद के उतार- चढ़ाव को दिखाया है
  • मुख्य पात्र - तारा, जयदेव पूरी और कनक
  • गौण पात्र - असद, शीला, डॉक्टर प्राणनाथ, सोमराज, पंडित गिरधारी लाल, महेंद्र नायर, कर्मचंद कशिश, दोलू मामा, रतन, गोस मोहम्मद, महाजन, कृष्ण नारायण अवस्थी, मेहर, नब्बू,हाफिज इनायत अली, विश्वनाथ सूद, उर्मिला, बंती,एस.पी एडिटर या डायरेक्ट सरदार पत्र,प्रसाद,अग्रवाल साहब, पुरुषोत्तम,नरोत्तम, मिस्टर रावत, पी.एस. गिल, निरंजन चढ़ा, माथुर,जया, सीता, पुरण देई, डॉक्टर श्यामा
Important Points यशपाल (1903 - 1976 ई.) के अन्य उपन्यास -
  • दादा कामरेड (1941 ई.)
  • देशद्रोही (1943 ई.)
  • दिव्या (1945 ई.)
  • पार्टी कामरेड (1946 ई.)
  • मनुष्य के रूप (1949 ई.)
  • अमिता (1956 ई.)
  • बारह घंटे (1962 ई.)
  • अप्सरा का श्राप (1965 ई.)
  • क्यों फंसे (1968 ई.)
  • मेरी तेरी उसकी बात (1973 ई.)
Additional Informationतारा -
  • मध्यमवर्गीय किंतु प्रगतिशील सोच रखने वाली आम लड़की
  • तारा ही विभाजन की त्रासदी सबसे ज्यादा झेलती है
जयदेव पुरी -
  • मध्यमवर्ग का प्रतिनिधि पात्र विभाजन के कारण परिवार से अलगाव
  • आगे चलकर प्रगति करते हुए एक पत्र का संपादक, फिर विधायक व कई कमेटियों कामेंबर बनता है
प्राणनाथ-
  • अर्थशास्त्र के प्रोफेसर
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 17

प्रकाशन वर्ष के अनुसार निम्नलिखित उपन्यासों का सही अनुक्रम है:

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 17

दिव्या- यशपाल,1945 ई. 

जहाज का पक्षी- इलाचंद्र जोशी, 1955 ई. 

अमृत और बिष- अमृतलाल नागर,1966 

पहला पड़ाव- श्रीलाल शुक्ल,1987

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 18

निर्देशः प्रश्नों में दो कथन दिए गए हैं। इनमें से एक स्थापना (A) है और दूसरा तर्क (R) है। कोड में दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए।

स्थापना (Asseration) (A): मिथक विगत का आलेख है जिसका संबंध केवल धर्म और इतिहास से है।

तर्क (Reason) (R) : इसीलिए मिथक का प्रयोजन केवल सामाजिक व्यवस्था के संरक्षण और संचालन से है, रचनात्मक स्वतंत्रता से नहीं।

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 18

(A) सही (R) सही

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 19

संवत् 1050-1375 की कालावधि में लिखे गए हिन्दी साहित्य का ‘वीरगाथा काल’ के रूप में नामकरण किसने किया था?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 19

संवत् 1050 से 1375तक के हिन्दी काव्य को आचार्य रामचंद्र शुल्क ने वीरगाथाकाल कहा है, जबकि इसे अन्य कई विद्वान् आदिकाल कहने के पक्ष में हैं |

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 20

निम्नलिखित उपन्यासों को उनसे संबद्ध पात्रों के साथ सुमेलित कीजिए:

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 20

सूरज का सातवाँ घोडा- माणिक मुल्ला, सूरज का सातवाँ घोडा धर्मवीर भारती का प्रसिद्द उपन्यास है| 

मैला आँचल-विश्वनाथ प्रसाद,मैला आँचल एक आंचलिक उपन्यास है जिसके लेखक फणीश्वर नाथ रेणु हैं| 

एक इंच मुस्कान- रंजना, एक इंच मुस्कान राजेन्द्र यादव और मन्नू भंडारी द्वारा सहयोगी रूप में लिखित एक उपन्यास है| 

तमस- नत्थू,तामस भीष्म साहनी का उपन्यास है|

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 21

इनमें से किस कवि ने सतसई की रचना नहीं की है ?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 21

प्रश्नांकित विकल्पों में बेनी ‘प्रवीन' ने 'सतसई की रचना नहीं की है. नवरस तरंग, श्रृंगार भूषण, नानाराव प्रकाश इनकी रचनाएँ हैं. रसनिधि ने बिहारी सतसई की पद्धति पर 'रतन हजारा' नामक दोहा ग्रंथ, वृन्द कवि ने वृंद सतसई' भूपति (राज गुरुदत्त सिंह) ने ‘सतसई' ग्रंथ की रचना की है

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 22

‘हितचौरासी' के रचयिता हैं-

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 22

'हितचौरासी' राधाबल्लभी सम्प्रदाय के प्रवर्तक गोसाईं हितहरिवंश की रचना है. इस ग्रंथ में 84 पद हैं, ‘हितचौरासी' ग्रंथ की 500 पृष्ठों की बड़ी टीका प्रेमदास ने लिखी है. इसके अतिरिक्त हितहरिवंशजी की ‘फुटकल बानी' भी मिलती हैं जिसमें सिद्धान्त सम्बन्धी पद हैं.।

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 23

प्रकाशन वर्ष की दृष्टि से डॉ. नगेन्द्र के आलोचना ग्रंथों का सही अनुक्रम है-

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 23

प्रकाशन वर्ष की दृष्टि से डॉ. नगेन्द्र के आलोचना ग्रंथों का सही अनुक्रम है-भारतीय काव्यशास्त्र की भूमिका (1955 ई.), काव्य में उदात्त तत्व (1958 ई.), भारतीय सौन्दर्यशास्त्र की भूमिका (1972 ई.).

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 24

“गिरा अरथ, जल बीचि सम कहियत भिन्न न भिन्न ।
बंद सीताराम पद जिनहि परम प्रिय खिन्न ।”

उक्त काव्य पंक्तियाँ किस कवि की हैं ?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 24

गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में बालकाण्ड के अन्तर्गत अठारहवाँ दोहा लिखा है- 
"गिरा अरथ जल बीचि सम, कहियत भिन्न न भिन्न । 
बंदउँ सीताराम पद, जिनहि परम प्रिय खिन्न ।”

अर्थात् जो वाणी और उसके अर्थ तथा जल और जल की लहर के समान कहने में अलग-अलग हैं, परन्तु वास्तव में एक ही हैं, उसी प्रकार राम और सीता के चरणों की वंदना करता हूँ, जिन्हें दीन-दु:खी बहुत ही प्रिय हैं.

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 25

‘कविवचनसुधा' के संपादक थे-

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 25

भारतेन्दु हरिश्चंद्र ने 1868 ई. में 'कविवचन सुधा नामक पाक्षिक पत्रिका का सम्पादन, प्रकाशन शुरू किया था. यह साहित्य, समाचार और राजनीति की पत्रिका थी. आगे चलकर 1 सितम्बर, 1873 ई. को यह पत्रिका साप्ताहिक हो गई.

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 26

“अब तक क्या किया,

जीवन क्या जिया,

ज्यादा लिया और दिया बहुत-बहुत कम ।

उपर्युक्त पंक्तियों के रचयिता हैं-

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 26

'सिरफिरे का गीत' मुक्तिबोध का आत्मनिरीक्षण गीत है. युग की संवेदन शून्यता, कर्तव्यहीनता, अकर्मण्यता तथा घोर स्वार्थी मनोवृत्ति को उद्घाटित करने वाला यह गीत व्यक्ति की चिंता में समष्टि तथा राष्ट्र के हित को दफन करने की प्रक्रिया को उद्घाटित करता है-

अब तक क्या किया

जीवन क्या जिया

ज्यादा लिया और दिया बहुत-बहुत कम,

मर गया देश, अरे ! रह गए तुम ।”

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 27

अनुकरण का अर्थ सर्जना का अभाव नहीं अपितु पुनर्सर्जना है। प्रस्तुत मत किस विद्वान का है।

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 27

पस्तुत मत प्रोफेसर मूरे का है।

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 28

छायावादी काव्य का रूद्र किसे कहा गया है ?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 28

निराला को छायावादी काव्य का रूद्र कहा गया है।

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 29

जहाँ कलह तहँ सुख नहीं, कलह सुखन को सूल ।।

सबै कलह इक राज में, राज कलह को मूल ।।।

इस दोहे के द्वारा किस कवि ने अतीतकालीन चित्तवृत्ति का वर्णन किया है ?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 29

नागरीदास का वास्तविक नाम सावंत सिंह है. ये कृष्णगढ़ के राजा थे. गृहकलह से ऊबकर ये वृन्दावन चले गए और वहीं विरक्त भक्त के रूप में रहने लगे तथा आगे चलकर नागरीदास नाम से प्रसिद्ध हुए. अपनी उस समय की चित्रवृत्ति का उल्लेख इन्होंने इस प्रकार किया है-

उस समय की चित्रवृत्ति का उल्लेख इन्होंने इस प्रकार

किया है-

जहाँ कलह तहँ सुख नहीं, कलह सुखन को सूल ।

सबै कलह इक राज में, राजकलह को मूल ।।

कहा भयो नृपहू भए, ढोवत जग बेगार ।

लेत न सुख हरि भक्ति को, सकल सुखन को सार ।।

मैं अपने मन मूढ़ ते, डरत रहत हौं हाय ।

वृंदावन की ओर ते, मति कबहूँ फिरि जाय ।।”

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 30

रामचंद्र शुक्ल ने बिहारी की भाषा के बारे में क्या लिखा है ?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 7 - Question 30

“बिहारी की भाषा चलती होने पर भी साहित्यिक है. वाक्य रचना व्यवस्थित है और शब्दों के रूप का व्यवहार एक निश्चित प्रणाली पर है. यह बात बहुत कम कवियों में पाई जाती है. ‘भूषण' और 'देव' ने शब्दों का बहुत अंग-भंग किया है और कहीं-कहीं गढूत शब्दों का व्यवहार किया है. बिहारी की भाषा इस दोष से भी बहुत कुछ मुक्त है." (हिन्दी साहित्य का इतिहास-रामचंद्र शुक्ल पृष्ठ )

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