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Test: रहीम के दोहे - Class 6 MCQ


Test Description

15 Questions MCQ Test - Test: रहीम के दोहे

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Test: रहीम के दोहे - Question 1

रहीम के अनुसार, संपत्ति किनके काम आती है?

Detailed Solution for Test: रहीम के दोहे - Question 1

रहीम के अनुसार, संपत्ति का सही उपयोग बुद्धिमान लोग करते हैं। वे अपनी संपत्ति का उपयोग समाज और दूसरों के भले के लिए करते हैं, जैसे पेड़ और नदियाँ दूसरों के लिए फल और पानी प्रदान करती हैं। इस विचार को उन्होंने अपने दोहे "तरुवर फल नहिं खात हैं सरवर पियहिं न पान" में व्यक्त किया है।

Test: रहीम के दोहे - Question 2

रहीम के अनुसार, तरुवर और सरवर का स्वभाव कैसा होता है?

Detailed Solution for Test: रहीम के दोहे - Question 2
रहीम के अनुसार, तरुवर (पेड़) और सरवर (तालाब) का स्वभाव दूसरों के लिए जीने का होता है। पेड़ अपने फल खुद नहीं खाते और तालाब अपना पानी खुद नहीं पीते, बल्कि दूसरों के काम आते हैं।
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Test: रहीम के दोहे - Question 3

'रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि' पंक्ति का मुख्य भाव क्या है?

Detailed Solution for Test: रहीम के दोहे - Question 3
'रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि' पंक्ति का मुख्य भाव यह है कि बड़े को देखकर छोटे का त्याग नहीं करना चाहिए। हर चीज का अपना महत्व होता है, चाहे वह बड़ी हो या छोटी।
Test: रहीम के दोहे - Question 4

रहीम के अनुसार बिना पानी सब कुछ क्या हो जाता है?

Detailed Solution for Test: रहीम के दोहे - Question 4

रहीम के अनुसार, बिना पानी सब कुछ सूना हो जाता है। पानी का जीवन में अत्यधिक महत्व है, और इसके बिना न केवल जीवन संभव नहीं है, बल्कि अन्य सभी चीज़ें भी नीरस और अस्तित्वहीन हो जाती हैं। इस विचार को उन्होंने अपने दोहे "रहीमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून" में व्यक्त किया है।

Test: रहीम के दोहे - Question 5

रहीम के अनुसार जिह्वा को बावरी क्यों कहा गया है?

Detailed Solution for Test: रहीम के दोहे - Question 5

रहीम के अनुसार, जिह्वा (जीभ) को बावरी (पागल) कहा गया है क्योंकि यह बिना सोचे-समझे कुछ भी बोल देती है, जिससे नुकसान हो सकता है। इसके कारण व्यक्ति को बाद में पछताना पड़ता है। इस विचार को उन्होंने अपने दोहे "रहीमन जिह्वा बावरी, कहि गइ सरग पताल" में व्यक्त किया है।

Test: रहीम के दोहे - Question 6

रहीम के अनुसार सच्चे मित्र की पहचान कैसे होती है?

Detailed Solution for Test: रहीम के दोहे - Question 6

रहीम के अनुसार, सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति (कठिनाई) के समय होती है। जब व्यक्ति मुश्किलों में होता है, तब वही मित्र सच्चा होता है जो बुरे समय में भी उसके साथ खड़ा रहता है। इस विचार को उन्होंने अपने दोहे "कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत। बिपति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत" में व्यक्त किया है।

Test: रहीम के दोहे - Question 7

रहीम के अनुसार, तालाब (सरवर) क्या नहीं करता?

Detailed Solution for Test: रहीम के दोहे - Question 7

रहीम ने बताया है कि जिस प्रकार तालाब (सरवर) पानी तो देता है पर खुद पानी नहीं पीता, वैसे ही ज्ञानी लोग दूसरों के हित के लिए काम करते हैं पर अपनी संपत्ति का उपयोग नहीं करते।

Test: रहीम के दोहे - Question 8

रहीम के अनुसार, जिह्वा की क्या स्थिति होती है?

Detailed Solution for Test: रहीम के दोहे - Question 8

रहीम के अनुसार, जिह्वा (जीभ) की स्थिति ऐसी होती है कि यह बिना सोचे-समझे कुछ भी बोल देती है, जिससे वह सरग (स्वर्ग) और पाताल (नरक) तक पहुंच सकती है। यह सोचने के बिना बोलने से कई बार व्यक्ति को सुख और दुख दोनों का सामना करना पड़ता है। इस विचार को उन्होंने अपने दोहे "रहीमन जिह्वा बावरी, कहि गइ सरग पताल" में व्यक्त किया है।

Test: रहीम के दोहे - Question 9

रहीम के अनुसार, किसका त्याग नहीं करना चाहिए, भले ही वह छोटा हो?

Detailed Solution for Test: रहीम के दोहे - Question 9

रहीम के अनुसार, हमें छोटी चीज़ों को भी त्यागना नहीं चाहिए, क्योंकि जैसे सुई अपने स्थान पर बहुत महत्वपूर्ण होती है, वैसे ही छोटी चीज़ें भी अपने उपयोग में बहुत महत्वपूर्ण हो सकती हैं। इस विचार को उन्होंने अपने दोहे "रहीमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि। जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि।।" में व्यक्त किया है।

Test: रहीम के दोहे - Question 10

रहीम के अनुसार प्रेम के धागे को क्यों नहीं तोड़ना चाहिए?

Detailed Solution for Test: रहीम के दोहे - Question 10

रहीम के अनुसार, प्रेम का धागा नाजुक होता है और यदि उसे तोड़ा जाता है तो वह कभी भी पहले जैसा नहीं जुड़ता। यदि जुड़ भी जाए, तो उसमें गाँठ पड़ जाती है, जिससे रिश्ते में कड़वाहट आ जाती है। इस विचार को उन्होंने अपने दोहे "रहीमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय। टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय" में व्यक्त किया है।

Test: रहीम के दोहे - Question 11

रहीम के अनुसार, विपत्ति कब अच्छी होती है?

Detailed Solution for Test: रहीम के दोहे - Question 11

रहीम के अनुसार, विपत्ति तब अच्छी होती है जब वह थोड़े समय के लिए होती है, क्योंकि इससे हमें सच्चे मित्र और शत्रु की पहचान हो जाती है। विपत्ति के समय हम समझ सकते हैं कि कौन हमारा साथ देता है और कौन नहीं। इस विचार को उन्होंने अपने दोहे "रहीमन बिपदाहू भली, जो थोरे दिन होय। हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय" में व्यक्त किया है।

Test: रहीम के दोहे - Question 12

रहीम के अनुसार, छोटे कार्यों को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि

Detailed Solution for Test: रहीम के दोहे - Question 12

रहीम कहते हैं कि छोटी चीज़ें भी अपने स्थान पर महत्वपूर्ण होती हैं, जैसे कि सूई का उपयोग तलवार से बेहतर होता है। इसका मतलब है कि छोटे कार्य भी बड़े काम कर सकते हैं।

Test: रहीम के दोहे - Question 13

रहीम के दोहे में 'तरुवर' और 'सरवर' का क्या तात्पर्य है?

Detailed Solution for Test: रहीम के दोहे - Question 13

रहीम के दोहे में 'तरुवर' (पेड़) और 'सरवर' (तालाब) का तात्पर्य यह है कि जैसे पेड़ अपने फल खुद नहीं खाते और तालाब अपना पानी नहीं पीते, वैसे ही सच्चे और अच्छे लोग अपनी संपत्ति का उपयोग दूसरों के भले के लिए करते हैं। यह विचार उन्होंने अपने दोहे "तरुवर फल नहिं खात हैं सरवर पियहिं न पान" में व्यक्त किया है।

Test: रहीम के दोहे - Question 14

"रहिमन धागा प्रेम का, मत तोडो छिटकाय। टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ पड़ि जाय।" इस दोहे में रहीम ने किस बात पर बल दिया है?

Detailed Solution for Test: रहीम के दोहे - Question 14

रहीम के इस दोहे में प्रेम की तुलना एक धागे से की गई है जो बहुत नाजुक होता है। दोहा हमें बताता है कि प्रेम के धागे को कभी भी छिटकाय (अर्थात् अचानक या जोर से) नहीं तोड़ना चाहिए। एक बार यह टूट जाए तो इसे दोबारा जोड़ना मुश्किल होता है, और यदि जुड़ भी जाए तो उसमें गाँठ पड़ जाती है, जो संबंधों में स्थायी खटास या दूरी का कारण बन सकती है। इसलिए, रहीम हमें सिखाते हैं कि प्रेम के रिश्तों को बहुत सावधानी और सम्मान के साथ निभाना चाहिए।

Test: रहीम के दोहे - Question 15

रहीम के अनुसार, सच्ची संपत्ति का उपयोग किसलिए किया जाता है?

Detailed Solution for Test: रहीम के दोहे - Question 15

रहीम कहते हैं कि सच्ची संपत्ति का उपयोग समाज और दूसरों के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए, जैसे पेड़ अपने फल दूसरों के लिए देते हैं।

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