नम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों वेफ सही उत्तर विकल्पों में से चुनिए:
धुनिये को अपनी जिंदगी में आज तक इतनी खरी मजदूरी कभी न मिली थी। सोलह आने में आठ आने मजूरी तो इसके लिए सपना थी। वह झट तैयार हो गया। ‘घर्र-चों, घर्र-चों’ उसकी ताँती बज उठी। उसने बड़े मन सेरुई धुनी, ‘‘लो इसे ...।’’ उसमें से आधा धुनिये ने ले लिया और आधा गवरइया ने। इससे उत्साहित गवरा-गवरइया एक कोरी के यहाँ गए और कहने लगे, कोरी भइया-कोरी भइया, इस धुनी रुई से सूत कात दो।
’’प्रश्न: धुनिये को पहली बार इतनी खरी मशदूरी किसने दी?
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धुनिये को अपनी जिंदगी में आज तक इतनी खरी मजदूरी कभी न मिली थी। सोलह आने में आठ आने मजूरी तो इसके लिए सपना थी। वह झट तैयार हो गया। ‘घर्र-चों, घर्र-चों’ उसकी ताँती बज उठी। उसने बड़े मन सेरुई धुनी, ‘‘लो इसे ...।’’ उसमें से आधा धुनिये ने ले लिया और आधा गवरइया ने। इससे उत्साहित गवरा-गवरइया एक कोरी के यहाँ गए और कहने लगे, कोरी भइया-कोरी भइया, इस धुनी रुई से सूत कात दो।
’प्रश्न: ‘सोलह आने में आठ आने मजूरी’ का अर्थ है-
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नम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों वेफ सही उत्तर विकल्पों में से चुनिए:
धुनिये को अपनी जिंदगी में आज तक इतनी खरी मजदूरी कभी न मिली थी। सोलह आने में आठ आने मजूरी तो इसके लिए सपना थी। वह झट तैयार हो गया। ‘घर्र-चों, घर्र-चों’ उसकी ताँती बज उठी। उसने बड़े मन सेरुई धुनी, ‘‘लो इसे ...।’’ उसमें से आधा धुनिये ने ले लिया और आधा गवरइया ने। इससे उत्साहित गवरा-गवरइया एक कोरी के यहाँ गए और कहने लगे, कोरी भइया-कोरी भइया, इस धुनी रुई से सूत कात दो।
’प्रश्न: ‘ताँती’ क्या है?
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धुनिये को अपनी जिंदगी में आज तक इतनी खरी मजदूरी कभी न मिली थी। सोलह आने में आठ आने मजूरी तो इसके लिए सपना थी। वह झट तैयार हो गया। ‘घर्र-चों, घर्र-चों’ उसकी ताँती बज उठी। उसने बड़े मन सेरुई धुनी, ‘‘लो इसे ...।’’ उसमें से आधा धुनिये ने ले लिया और आधा गवरइया ने। इससे उत्साहित गवरा-गवरइया एक कोरी के यहाँ गए और कहने लगे, कोरी भइया-कोरी भइया, इस धुनी रुई से सूत कात दो।
प्रश्न: गवरा, गवरइया कोरी वेफ यहाँ क्यों गए?
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धुनिये को अपनी जिंदगी में आज तक इतनी खरी मजदूरी कभी न मिली थी। सोलह आने में आठ आने मजूरी तो इसके लिए सपना थी। वह झट तैयार हो गया। ‘घर्र-चों, घर्र-चों’ उसकी ताँती बज उठी। उसने बड़े मन सेरुई धुनी, ‘‘लो इसे ...।’’ उसमें से आधा धुनिये ने ले लिया और आधा गवरइया ने। इससे उत्साहित गवरा-गवरइया एक कोरी के यहाँ गए और कहने लगे, कोरी भइया-कोरी भइया, इस धुनी रुई से सूत कात दो।
प्रश्न: ‘उत्साहित’ शब्द में लगा प्रत्यय है-