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39. Function and Their Three major stuffs in C++ (Hindi) Video Lecture | Learn to Program with C++: Beginner to Expert (in Hindi) - Back-End Programming

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FAQs on 39. Function and Their Three major stuffs in C++ (Hindi) Video Lecture - Learn to Program with C++: Beginner to Expert (in Hindi) - Back-End Programming

1. कार्य क्या है और सी में उनके तीन मुख्य हिस्से क्या हैं?
उत्तर: कार्य सी प्रोग्रामिंग में एक बहुत महत्वपूर्ण एकत्री होता है जिसे एक या एक से अधिक निर्दिष्ट कार्यों का निर्देश देने के लिए उपयोग किया जाता है। कार्यों के तीन मुख्य हिस्से हैं: 1. सिगनेचर (Signature): कार्य का सिगनेचर उसका नाम और उसके द्वारा ग्रहण किए जाने वाले पैरामीटरों की सूची होती है। 2. डिफिनिशन (Definition): कार्य का डिफिनिशन उसका वास्तविक आवृत्ति होता है, जो कार्य के कोड का जीवंत रूप होता है। 3. कॉल (Call): कार्य को कॉल करने से उसके वास्तविक आवृत्ति का उपयोग किया जाता है।
2. कार्य को डिफाइन करने के लिए क्या सिगनेचर की आवश्यकता होती है?
उत्तर: कार्य को डिफाइन करने के लिए सिगनेचर की आवश्यकता होती है क्योंकि सिगनेचर विशेषताओं का वर्णन करता है जो कार्य के नाम और पैरामीटरों की सूची को परिभाषित करता है। यह कंपाइलर को कार्य को ठीक से व्याख्या करने में मदद करता है और प्रोग्राम के अन्य हिस्सों को कार्य के साथ संबंधित डेटा के साथ अनुस्मारक बनाने में मदद करता है।
3. सी में कार्य को कॉल करने के लिए क्या समर्थन होता है?
उत्तर: सी में कार्य को कॉल करने के लिए कई तरीके हो सकते हैं। यहां कुछ मुख्य तरीके हैं: 1. कार्य को सीधे बुलाएं: कार्य का नाम और पैरामीटरों की सूची के साथ उसे सीधे बुलाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, "functionName(parameter1, parameter2)". 2. कार्य को पॉइंटर के माध्यम से बुलाएं: कार्य को उसके पते के माध्यम से भी बुलाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, "functionPointer(parameter1, parameter2)". 3. कार्य को लंबवत पैरामीटर के माध्यम से बुलाएं: कार्य को उसके पैरामीटर के माध्यम से भी बुलाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, "functionName(parameter1, parameter2)(parameter3)".
4. कार्यों के माध्यम से क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर: कार्यों के माध्यम से कई लाभ हो सकते हैं, जैसे: 1. रियूजेबिलिटी (Reusability): कार्यों को एक बार लिखने के बाद उन्हें बार-बार उपयोग किया जा सकता है, जो प्रोग्राम को संक्षेप में रखता है और कोड की प्रतिद्वंद्विता में सुधार करता है। 2. मोड्यूलैरिटी (Modularity): कई कार्यों को एक साथ संगठित करके बड़े प्रोजेक्ट को आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है। कार्यों की मोड्यूलैरिटी, प्रोग्राम को अधिक संरचनात्मक और सुव्यवस्थित बनाती है। 3. कोड की पढ़ाई और समर्थन: कार्यों को अलग-अलग मॉड्यूल में लिखने से कोड को पढ़ने और समर्थन करने में आसानी होती है। कार्यों की वर्णनात्मक नामों और सिगनेचरों की मदद से कोड को समझने में भी मदद मिलती है।
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