बच्चा एक सामाजिक प्राणी है, वह पैदा होने के बाद समाज का सदस्य बन जाता है। आपके अनुसार बच्चा अपनी सामाजिक शिक्षा सबसे पहले कहां से प्राप्त करता है?
राधिका अक्सर 'लड़का' को 'लका', 'कमाई होने लगी' को 'कमाई होगी' लिखना जैसी गलतियाँ कर बैठती है। यह इस ओर संकेत करता है कि-
प्राथमिक स्तर पर बहु-सांस्कृतिक पृष्ठ-भूमि वाली कक्षा में बच्चे लक्ष्य भाषा के परिवेश से भाषा अर्जित करते हुए-
निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यान से पढ़कर उससे संबंधित प्रश्नों के उत्तरों का सही विकल्प चुनिए:
हम सब की मिली-जुली ज़िंदगी में कला के रूपों का ख़ज़ाना हर तरह बेहिसाब बिखरा चला गया है। सुंदरता का अवतार हमारे सामने पल-छिन होता रहता है। अब यह हम पर है, ख़ासतौर से कवियों पर, कि हम अपने सामने और चारों ओर की इस अनन्त और अपार लीला को कितना अपने अंदर बुला सकते हैं। इसका सीधा-सादा मतलब हुआ अपने चारों तरफ़ की ज़िंदगी में दिलचस्पी लेना, उसको ठीक-ठीक यानी वैज्ञानिक आधार पर समझना और अनुभूति और अपने अनुभव को इसी समझ और जानकारी से सुलझाकर स्पष्ट करके, पुष्ट करके अपनी कला-भावना को जगाना। यह आधार इस युग के हर सच्चे और ईमानदार कलाकार के लिए बेहद ज़रूरी है। इस तरह अपनी कला-चेतना को जगाना और उसकी मदद से जीवन की सच्चाई और सौंदर्य को अपनी कला में सजीव से सजीव रूप देते जाना : इसी को मैं 'साधना' समझता हूँ, और इसी में कलाकार का संघर्ष छिपा हुआ देखता हूँ। कला में भावनाओं की तराश-खराश, चमक, तेज़ी और गर्मी सब उसी से पैदा होंगी, उसी 'संघर्ष' और 'साधना' से, जिसमें अन्तर-बाह्य दोनों का मेल है। कला के इस सौंदर्य और उससे मिलने वाले आनंद के शत्रु वे जहाँ और जिस भेष में भी होंगे, जो भी होंगे-परिस्थितियाँ, व्यक्ति या दल-हर ईमानदार कलाकार के शत्रु होंगे।
कला जीवन का सच्चा दर्पण है। और आज के सभी देशों के जीवन में कायापलट तेज़ी के साथ आ रही है; क्योंकि आज किसको नहीं दिखाई दे रहा है कि यह क्रान्ति का युग है। थके हुए पुराने कलाकारों की आहों को भी उससे चमक मिलती है। नयों की तो वह काव्य सामग्री ही है ; क्योंकि वही उनके और उनके आगे की पीढ़ियों के लिए नये, उन्मुक्त, सुखी, आदर्श जीवन की नींव डालनेवाला है।
Q. उपर्युक्त अनुच्छेद के आधार पर बताइए कि आज का युग किस प्रकार का है?
निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यान से पढ़कर उससे संबंधित प्रश्नों के उत्तरों का सही विकल्प चुनिए:
हम सब की मिली-जुली ज़िंदगी में कला के रूपों का ख़ज़ाना हर तरह बेहिसाब बिखरा चला गया है। सुंदरता का अवतार हमारे सामने पल-छिन होता रहता है। अब यह हम पर है, ख़ासतौर से कवियों पर, कि हम अपने सामने और चारों ओर की इस अनन्त और अपार लीला को कितना अपने अंदर बुला सकते हैं। इसका सीधा-सादा मतलब हुआ अपने चारों तरफ़ की ज़िंदगी में दिलचस्पी लेना, उसको ठीक-ठीक यानी वैज्ञानिक आधार पर समझना और अनुभूति और अपने अनुभव को इसी समझ और जानकारी से सुलझाकर स्पष्ट करके, पुष्ट करके अपनी कला-भावना को जगाना। यह आधार इस युग के हर सच्चे और ईमानदार कलाकार के लिए बेहद ज़रूरी है। इस तरह अपनी कला-चेतना को जगाना और उसकी मदद से जीवन की सच्चाई और सौंदर्य को अपनी कला में सजीव से सजीव रूप देते जाना : इसी को मैं 'साधना' समझता हूँ, और इसी में कलाकार का संघर्ष छिपा हुआ देखता हूँ। कला में भावनाओं की तराश-खराश, चमक, तेज़ी और गर्मी सब उसी से पैदा होंगी, उसी 'संघर्ष' और 'साधना' से, जिसमें अन्तर-बाह्य दोनों का मेल है। कला के इस सौंदर्य और उससे मिलने वाले आनंद के शत्रु वे जहाँ और जिस भेष में भी होंगे, जो भी होंगे-परिस्थितियाँ, व्यक्ति या दल-हर ईमानदार कलाकार के शत्रु होंगे।
कला जीवन का सच्चा दर्पण है। और आज के सभी देशों के जीवन में कायापलट तेज़ी के साथ आ रही है; क्योंकि आज किसको नहीं दिखाई दे रहा है कि यह क्रान्ति का युग है। थके हुए पुराने कलाकारों की आहों को भी उससे चमक मिलती है। नयों की तो वह काव्य सामग्री ही है ; क्योंकि वही उनके और उनके आगे की पीढ़ियों के लिए नये, उन्मुक्त, सुखी, आदर्श जीवन की नींव डालनेवाला है।
Q. कला चेतना जाग्रत कर जीवन की सच्चाई और सौंदर्य को सजीव रूप देना क्या कहलाएगा?
निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यान से पढ़कर उससे संबंधित प्रश्नों के उत्तरों का सही विकल्प चुनिए:
हम सब की मिली-जुली ज़िंदगी में कला के रूपों का ख़ज़ाना हर तरह बेहिसाब बिखरा चला गया है। सुंदरता का अवतार हमारे सामने पल-छिन होता रहता है। अब यह हम पर है, ख़ासतौर से कवियों पर, कि हम अपने सामने और चारों ओर की इस अनन्त और अपार लीला को कितना अपने अंदर बुला सकते हैं। इसका सीधा-सादा मतलब हुआ अपने चारों तरफ़ की ज़िंदगी में दिलचस्पी लेना, उसको ठीक-ठीक यानी वैज्ञानिक आधार पर समझना और अनुभूति और अपने अनुभव को इसी समझ और जानकारी से सुलझाकर स्पष्ट करके, पुष्ट करके अपनी कला-भावना को जगाना। यह आधार इस युग के हर सच्चे और ईमानदार कलाकार के लिए बेहद ज़रूरी है। इस तरह अपनी कला-चेतना को जगाना और उसकी मदद से जीवन की सच्चाई और सौंदर्य को अपनी कला में सजीव से सजीव रूप देते जाना : इसी को मैं 'साधना' समझता हूँ, और इसी में कलाकार का संघर्ष छिपा हुआ देखता हूँ। कला में भावनाओं की तराश-खराश, चमक, तेज़ी और गर्मी सब उसी से पैदा होंगी, उसी 'संघर्ष' और 'साधना' से, जिसमें अन्तर-बाह्य दोनों का मेल है। कला के इस सौंदर्य और उससे मिलने वाले आनंद के शत्रु वे जहाँ और जिस भेष में भी होंगे, जो भी होंगे-परिस्थितियाँ, व्यक्ति या दल-हर ईमानदार कलाकार के शत्रु होंगे।
कला जीवन का सच्चा दर्पण है। और आज के सभी देशों के जीवन में कायापलट तेज़ी के साथ आ रही है; क्योंकि आज किसको नहीं दिखाई दे रहा है कि यह क्रान्ति का युग है। थके हुए पुराने कलाकारों की आहों को भी उससे चमक मिलती है। नयों की तो वह काव्य सामग्री ही है ; क्योंकि वही उनके और उनके आगे की पीढ़ियों के लिए नये, उन्मुक्त, सुखी, आदर्श जीवन की नींव डालनेवाला है।
Q. उपर्युक्त अनुच्छेद के आधार पर बताइए कि ईमानदार कलाकार के शत्रु कौन हैं?
निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यान से पढ़कर उससे संबंधित प्रश्नों के उत्तरों का सही विकल्प चुनिए:
हम सब की मिली-जुली ज़िंदगी में कला के रूपों का ख़ज़ाना हर तरह बेहिसाब बिखरा चला गया है। सुंदरता का अवतार हमारे सामने पल-छिन होता रहता है। अब यह हम पर है, ख़ासतौर से कवियों पर, कि हम अपने सामने और चारों ओर की इस अनन्त और अपार लीला को कितना अपने अंदर बुला सकते हैं। इसका सीधा-सादा मतलब हुआ अपने चारों तरफ़ की ज़िंदगी में दिलचस्पी लेना, उसको ठीक-ठीक यानी वैज्ञानिक आधार पर समझना और अनुभूति और अपने अनुभव को इसी समझ और जानकारी से सुलझाकर स्पष्ट करके, पुष्ट करके अपनी कला-भावना को जगाना। यह आधार इस युग के हर सच्चे और ईमानदार कलाकार के लिए बेहद ज़रूरी है। इस तरह अपनी कला-चेतना को जगाना और उसकी मदद से जीवन की सच्चाई और सौंदर्य को अपनी कला में सजीव से सजीव रूप देते जाना : इसी को मैं 'साधना' समझता हूँ, और इसी में कलाकार का संघर्ष छिपा हुआ देखता हूँ। कला में भावनाओं की तराश-खराश, चमक, तेज़ी और गर्मी सब उसी से पैदा होंगी, उसी 'संघर्ष' और 'साधना' से, जिसमें अन्तर-बाह्य दोनों का मेल है। कला के इस सौंदर्य और उससे मिलने वाले आनंद के शत्रु वे जहाँ और जिस भेष में भी होंगे, जो भी होंगे-परिस्थितियाँ, व्यक्ति या दल-हर ईमानदार कलाकार के शत्रु होंगे।
कला जीवन का सच्चा दर्पण है। और आज के सभी देशों के जीवन में कायापलट तेज़ी के साथ आ रही है; क्योंकि आज किसको नहीं दिखाई दे रहा है कि यह क्रान्ति का युग है। थके हुए पुराने कलाकारों की आहों को भी उससे चमक मिलती है। नयों की तो वह काव्य सामग्री ही है ; क्योंकि वही उनके और उनके आगे की पीढ़ियों के लिए नये, उन्मुक्त, सुखी, आदर्श जीवन की नींव डालनेवाला है।
Q. उपर्युक्त अनुच्छेद का केन्द्रीय विषय है:
निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यान से पढ़कर उससे संबंधित प्रश्नों के उत्तरों का सही विकल्प चुनिए:
हम सब की मिली-जुली ज़िंदगी में कला के रूपों का ख़ज़ाना हर तरह बेहिसाब बिखरा चला गया है। सुंदरता का अवतार हमारे सामने पल-छिन होता रहता है। अब यह हम पर है, ख़ासतौर से कवियों पर, कि हम अपने सामने और चारों ओर की इस अनन्त और अपार लीला को कितना अपने अंदर बुला सकते हैं। इसका सीधा-सादा मतलब हुआ अपने चारों तरफ़ की ज़िंदगी में दिलचस्पी लेना, उसको ठीक-ठीक यानी वैज्ञानिक आधार पर समझना और अनुभूति और अपने अनुभव को इसी समझ और जानकारी से सुलझाकर स्पष्ट करके, पुष्ट करके अपनी कला-भावना को जगाना। यह आधार इस युग के हर सच्चे और ईमानदार कलाकार के लिए बेहद ज़रूरी है। इस तरह अपनी कला-चेतना को जगाना और उसकी मदद से जीवन की सच्चाई और सौंदर्य को अपनी कला में सजीव से सजीव रूप देते जाना : इसी को मैं 'साधना' समझता हूँ, और इसी में कलाकार का संघर्ष छिपा हुआ देखता हूँ। कला में भावनाओं की तराश-खराश, चमक, तेज़ी और गर्मी सब उसी से पैदा होंगी, उसी 'संघर्ष' और 'साधना' से, जिसमें अन्तर-बाह्य दोनों का मेल है। कला के इस सौंदर्य और उससे मिलने वाले आनंद के शत्रु वे जहाँ और जिस भेष में भी होंगे, जो भी होंगे-परिस्थितियाँ, व्यक्ति या दल-हर ईमानदार कलाकार के शत्रु होंगे।
कला जीवन का सच्चा दर्पण है। और आज के सभी देशों के जीवन में कायापलट तेज़ी के साथ आ रही है; क्योंकि आज किसको नहीं दिखाई दे रहा है कि यह क्रान्ति का युग है। थके हुए पुराने कलाकारों की आहों को भी उससे चमक मिलती है। नयों की तो वह काव्य सामग्री ही है ; क्योंकि वही उनके और उनके आगे की पीढ़ियों के लिए नये, उन्मुक्त, सुखी, आदर्श जीवन की नींव डालनेवाला है।
Q. "कला-भावना" किस समास का उदाहरण है?
निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यान से पढ़कर उससे संबंधित प्रश्नों के उत्तरों का सही विकल्प चुनिए:
हम सब की मिली-जुली ज़िंदगी में कला के रूपों का ख़ज़ाना हर तरह बेहिसाब बिखरा चला गया है। सुंदरता का अवतार हमारे सामने पल-छिन होता रहता है। अब यह हम पर है, ख़ासतौर से कवियों पर, कि हम अपने सामने और चारों ओर की इस अनन्त और अपार लीला को कितना अपने अंदर बुला सकते हैं। इसका सीधा-सादा मतलब हुआ अपने चारों तरफ़ की ज़िंदगी में दिलचस्पी लेना, उसको ठीक-ठीक यानी वैज्ञानिक आधार पर समझना और अनुभूति और अपने अनुभव को इसी समझ और जानकारी से सुलझाकर स्पष्ट करके, पुष्ट करके अपनी कला-भावना को जगाना। यह आधार इस युग के हर सच्चे और ईमानदार कलाकार के लिए बेहद ज़रूरी है। इस तरह अपनी कला-चेतना को जगाना और उसकी मदद से जीवन की सच्चाई और सौंदर्य को अपनी कला में सजीव से सजीव रूप देते जाना : इसी को मैं 'साधना' समझता हूँ, और इसी में कलाकार का संघर्ष छिपा हुआ देखता हूँ। कला में भावनाओं की तराश-खराश, चमक, तेज़ी और गर्मी सब उसी से पैदा होंगी, उसी 'संघर्ष' और 'साधना' से, जिसमें अन्तर-बाह्य दोनों का मेल है। कला के इस सौंदर्य और उससे मिलने वाले आनंद के शत्रु वे जहाँ और जिस भेष में भी होंगे, जो भी होंगे-परिस्थितियाँ, व्यक्ति या दल-हर ईमानदार कलाकार के शत्रु होंगे।
कला जीवन का सच्चा दर्पण है। और आज के सभी देशों के जीवन में कायापलट तेज़ी के साथ आ रही है; क्योंकि आज किसको नहीं दिखाई दे रहा है कि यह क्रान्ति का युग है। थके हुए पुराने कलाकारों की आहों को भी उससे चमक मिलती है। नयों की तो वह काव्य सामग्री ही है ; क्योंकि वही उनके और उनके आगे की पीढ़ियों के लिए नये, उन्मुक्त, सुखी, आदर्श जीवन की नींव डालनेवाला है।
Q. "सुंदरता का अवतार हमारे सामने पल-छिन होता रहता है।" रेखांकित पद में कौनसी संज्ञा है?
निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यान से पढ़कर उससे संबंधित प्रश्नों के उत्तरों का सही विकल्प चुनिए:
हम सब की मिली-जुली ज़िंदगी में कला के रूपों का ख़ज़ाना हर तरह बेहिसाब बिखरा चला गया है। सुंदरता का अवतार हमारे सामने पल-छिन होता रहता है। अब यह हम पर है, ख़ासतौर से कवियों पर, कि हम अपने सामने और चारों ओर की इस अनन्त और अपार लीला को कितना अपने अंदर बुला सकते हैं। इसका सीधा-सादा मतलब हुआ अपने चारों तरफ़ की ज़िंदगी में दिलचस्पी लेना, उसको ठीक-ठीक यानी वैज्ञानिक आधार पर समझना और अनुभूति और अपने अनुभव को इसी समझ और जानकारी से सुलझाकर स्पष्ट करके, पुष्ट करके अपनी कला-भावना को जगाना। यह आधार इस युग के हर सच्चे और ईमानदार कलाकार के लिए बेहद ज़रूरी है। इस तरह अपनी कला-चेतना को जगाना और उसकी मदद से जीवन की सच्चाई और सौंदर्य को अपनी कला में सजीव से सजीव रूप देते जाना : इसी को मैं 'साधना' समझता हूँ, और इसी में कलाकार का संघर्ष छिपा हुआ देखता हूँ। कला में भावनाओं की तराश-खराश, चमक, तेज़ी और गर्मी सब उसी से पैदा होंगी, उसी 'संघर्ष' और 'साधना' से, जिसमें अन्तर-बाह्य दोनों का मेल है। कला के इस सौंदर्य और उससे मिलने वाले आनंद के शत्रु वे जहाँ और जिस भेष में भी होंगे, जो भी होंगे-परिस्थितियाँ, व्यक्ति या दल-हर ईमानदार कलाकार के शत्रु होंगे।
कला जीवन का सच्चा दर्पण है। और आज के सभी देशों के जीवन में कायापलट तेज़ी के साथ आ रही है; क्योंकि आज किसको नहीं दिखाई दे रहा है कि यह क्रान्ति का युग है। थके हुए पुराने कलाकारों की आहों को भी उससे चमक मिलती है। नयों की तो वह काव्य सामग्री ही है ; क्योंकि वही उनके और उनके आगे की पीढ़ियों के लिए नये, उन्मुक्त, सुखी, आदर्श जीवन की नींव डालनेवाला है।
Q. ‘अनन्त’ शब्द में कौन – सा उपसर्ग है?
"बच्चें सामाजिक अंतःक्रिया से भाषा सीखते हैं।" किसके साथ संबंधित है?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में भाषा शिक्षा के संबंध में क्या सही नहीं है?
उच्चारण दोष के निवारण के लिए विशेष रूप से किस स्तर पर ध्यान देने की आवश्यकता है?
Read the passage given below and answer the question that follows by selecting the most appropriate option.
In this floating village in Brazil, there is only one way to travel. Students go to school by boat. Locals go to worship by boat. Taxis arrive by boat. Even the soccer field is often a boat. There are three homemade fields on land, but they are submerged now in the annual flooding of the Black River. If the wooden goal posts had nets, they would be useful this time of the year only for catching fish. So, young players and adults improvise. They play soccer at a community centre that has a roof but no walls. They play on the dock of a restaurant. And they play on a parked ferry, a few wearing life jackets to cushion their fall. The high-water mark in the Rio Negro this year was the fifth-highest in more than a century of measurements.
As scientists study the impact of deforestation on the Amazon basin, and the cooling and warming of the Pacific Ocean, extreme patterns observed over the last 25 or 30 years raise an important unanswered question: “Are these trends human-induced climate change, or can we explain this with natural variability?” Villagers said that passing boats sometimes knocked down power lines during periods of exceptionally high water. And while the soccer fields are usually available for about half the year, the land has recently been dry enough for only four or five months of play. “We don’t have a place for the children to play,” said de Sousa, a shop owner. “They are stuck in the houses, bored.” The most adventurous, though, will find a game somewhere.
Q. "..... will find a game somewhere" suggests that:
Read the poem given below and answer the questions that follow by selecting the most appropriate option.
THE LAST CONQUEROR
Victorious men of earth, no more
Proclaim how wide your empires are;
Though you bind-in every shore
And your triumphs reach as far
As night and day,
Yet you, proud monarchs, must obey
And mingle with forgotten ashes, when
Death calls ye to the crowd of common men.
Devouring Famine, Plague, and War,
Each able to undo mankind,
Death's servile emissaries are;
Nor to these alone confined,
He hath at will
More quaint and subtle ways to kill;
A smile or kiss, as he will use the art,
Shall have the cunning skill to break a heart.
Q. "..... servile emmisaries" means:
Read the poem given below and answer the questions that follow by selecting the most appropriate option.
THE LAST CONQUEROR
Victorious men of earth, no more
Proclaim how wide your empires are;
Though you bind-in every shore
And your triumphs reach as far
As night and day,
Yet you, proud monarchs, must obey
And mingle with forgotten ashes, when
Death calls ye to the crowd of common men.
Devouring Famine, Plague, and War,
Each able to undo mankind,
Death's servile emissaries are;
Nor to these alone confined,
He hath at will
More quaint and subtle ways to kill;
A smile or kiss, as he will use the art,
Shall have the cunning skill to break a heart.
Q. "... mingle with forgotten ashes" means
Read the poem given below and answer the questions that follow by selecting the most appropriate option.
THE LAST CONQUEROR
Victorious men of earth, no more
Proclaim how wide your empires are;
Though you bind-in every shore
And your triumphs reach as far
As night and day,
Yet you, proud monarchs, must obey
And mingle with forgotten ashes, when
Death calls ye to the crowd of common men.
Devouring Famine, Plague, and War,
Each able to undo mankind,
Death's servile emissaries are;
Nor to these alone confined,
He hath at will
More quaint and subtle ways to kill;
A smile or kiss, as he will use the art,
Shall have the cunning skill to break a heart.
Q. "And your triumphs reach as far As night or day,
The poetic device found in these words is a
Which language skill is required to interact in decontextualized academic situations?
________ comprehension is the skill of reading a piece of text closely or intensely for the purpose of extracting specific information from the text.
After teaching in the classroom, language teacher wrote in her notebook, “Children love language games and take an active part in them. However, the children in the third panel had difficulty in achieving the expected results.” Her entry in the register is _______.
Indian learners of English generally suffer from the following weakness :
Most classrooms in India are multilingual and this needs to be seen as ______by the teacher.
Which among the following cannot be tested in a formal writing examination?
Sheena is an English teacher. While checking the answer scripts of the students, she noticed that most of the students made mistakes in Verbs and Tenses. What must Sheena do to solve the problem?
Why are interesting stories told primarily to the young learners?