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CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - CTET & State TET MCQ


Test Description

30 Questions MCQ Test - CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 for CTET & State TET 2025 is part of CTET & State TET preparation. The CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 questions and answers have been prepared according to the CTET & State TET exam syllabus.The CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 MCQs are made for CTET & State TET 2025 Exam. Find important definitions, questions, notes, meanings, examples, exercises, MCQs and online tests for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 below.
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CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 1

किस अवस्था में बच्चा अमूर्त विचारों के बारे में सोचना शुरू करता है?

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"अमूर्त विचार" वे विचार हैं जो भौतिक संसार से संबंधित नहीं हैं। यह एक ऐसा विषय हैं जिन्हें आप छू नहीं सकते लेकिन फिर भी महसूस कर सकते हैं।

पियाजे ने संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत को प्रतिपादित किया जिसमें उन्होंने संज्ञानात्मक विकास की चार अवस्था दी हैं। उन्होंने कहा कि बच्चे औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था में अमूर्त रूप से चिन्तन करते हैं जो उनके सिद्धांत की चौथी अवस्था है।

Key Points

अमूर्त विचार: 

  • पियाजे के अनुसार, औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था पियाजे के संज्ञानात्मक विकास वर्गीकरण में चौथी अवस्था है जो लगभग बारह वर्ष की आयु से शुरू होता है और वयस्कता तक रहता है।
  • औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था में पियाजे ने कहा कि इस समय के दौरान, लोग अमूर्त अवधारणाओं, निगमनात्मक तर्क और व्यवस्थित योजना के बारे में चिन्तन की क्षमता विकसित करते हैं।
  • इस अवस्था के दौरान अमूर्त विचारों को समझने की क्षमता विकसित होने लगती है। बच्चे केवल पूर्व अनुभवों पर निर्भर रहने के बजाय कार्यों के संभावित परिणामों और महत्व के बारे में सोचना शुरू कर देते हैं।

इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि औपचारिक संक्रियात्मक  अवस्था में बच्चा अमूर्त विचारों के बारे में सोचना शुरू कर देता है।

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 2

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उसके आधार पर दिए गए प्रश्नों) के उत्तर के लिए सबसे उचित विकल्प चुनिए :
विनम्रता का यह कथन बहुत ठीक है कि विनम्रता के बिना स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं। इस बात को सब लोग मानते हैं कि आत्मसंस्कार के लिए थोड़ी बहुत मानसिक स्वतंत्रता परमावश्यक है – चाहे उस स्वतंत्रता में अभिमान और नम्रता दोनों का मेल हो और चाहे वह नम्रता ही से उत्पन्न हो। यह बात तो निश्चित है कि जो मनुष्य मर्यादापूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहता है उसके लिए वह गुण अनिवार्य है, जिससे आत्मनिर्भरता आती है और जिससे अपने पैरों के बल खड़ा होना आता है। युवा को यह सदा स्मरण रखना चाहिए कि वह बहुत कम बातें जानता है, अपने ही आदर्श से वह बहुत नीचे है और उसकी आकांक्षाएँ उसकी योग्यता से कहीं बढ़ी हुई हैं। उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने बड़ों का सम्मान करे, छोटे और बराबर वालों से कोमलता का व्यवहार करे, ये बातें आत्म-मर्यादा के लिए आवश्यक हैं। यह सारा संसार, जो कुछ हम हैं और जो कुछ हमारा है – हमारा शरीर, हमारी आत्मा, - हमारे कर्म, हमारे भोग, हमारे घर और बाहर की दशा हमारे बहुत से अवगुण, और थोड़े गुण सब इसी बात की आवश्यकता प्रकट करते हैं कि हमें अपनी आत्मा को नम्र रखना चाहिए। नम्रता से मेरा अभिप्राय दब्बूपन से नहीं है जिसके कारण मनुष्य दूसरों का मुँह ताकता है जिससे उसका संकल्प क्षीण और उसकी प्रज्ञा मंद हो जाती है, जिसके कारण बढ़ने के समय भी पीछे रहता है और अवसर पड़ने पर झट से किसी बात का निर्णय नहीं कर सकता। मनुष्य का बेड़ा उसके अपने ही हाथ में है, उसे वह चाहे जिधर ले जाए। सच्ची आत्मा वही है जो प्रत्येक दशा में प्रत्येक स्थिति के बीच अपनी राह आप निकालती है।

Q. दब्बूपन होने से मनुष्य का क्या क्षीण हो जाता है ?

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दब्बूपन होने से मनुष्य का संकल्प क्षीण हो जाता है। 
गद्यांश के अनुसार:-

  • ​नम्रता से मेरा अभिप्राय दब्बूपन से नहीं है जिसके कारण मनुष्य दूसरों का मुँह ताकता है
  • जिससे उसका संकल्प क्षीण और उसकी प्रज्ञा मंद हो जाती है,
  • जिसके कारण बढ़ने के समय भी पीछे रहता है और अवसर पड़ने पर झट से किसी बात का निर्णय नहीं कर सकता। 
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 3

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उसके आधार पर दिए गए प्रश्नों) के उत्तर के लिए सबसे उचित विकल्प चुनिए :
विनम्रता का यह कथन बहुत ठीक है कि विनम्रता के बिना स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं। इस बात को सब लोग मानते हैं कि आत्मसंस्कार के लिए थोड़ी बहुत मानसिक स्वतंत्रता परमावश्यक है – चाहे उस स्वतंत्रता में अभिमान और नम्रता दोनों का मेल हो और चाहे वह नम्रता ही से उत्पन्न हो। यह बात तो निश्चित है कि जो मनुष्य मर्यादापूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहता है उसके लिए वह गुण अनिवार्य है, जिससे आत्मनिर्भरता आती है और जिससे अपने पैरों के बल खड़ा होना आता है। युवा को यह सदा स्मरण रखना चाहिए कि वह बहुत कम बातें जानता है, अपने ही आदर्श से वह बहुत नीचे है और उसकी आकांक्षाएँ उसकी योग्यता से कहीं बढ़ी हुई हैं। उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने बड़ों का सम्मान करे, छोटे और बराबर वालों से कोमलता का व्यवहार करे, ये बातें आत्म-मर्यादा के लिए आवश्यक हैं। यह सारा संसार, जो कुछ हम हैं और जो कुछ हमारा है – हमारा शरीर, हमारी आत्मा, - हमारे कर्म, हमारे भोग, हमारे घर और बाहर की दशा हमारे बहुत से अवगुण, और थोड़े गुण सब इसी बात की आवश्यकता प्रकट करते हैं कि हमें अपनी आत्मा को नम्र रखना चाहिए। नम्रता से मेरा अभिप्राय दब्बूपन से नहीं है जिसके कारण मनुष्य दूसरों का मुँह ताकता है जिससे उसका संकल्प क्षीण और उसकी प्रज्ञा मंद हो जाती है, जिसके कारण बढ़ने के समय भी पीछे रहता है और अवसर पड़ने पर झट से किसी बात का निर्णय नहीं कर सकता। मनुष्य का बेड़ा उसके अपने ही हाथ में है, उसे वह चाहे जिधर ले जाए। सच्ची आत्मा वही है जो प्रत्येक दशा में प्रत्येक स्थिति के बीच अपनी राह आप निकालती है।

Q. 'आत्म-संस्कार' में प्रयुक्त समास है -

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'आत्म-संस्कार' में प्रयुक्त समास है - 'तत्पुरुष'
समास विग्रह - आत्मा का संस्कार

  • तत्पुरुष समास वह होता है, जिसमें उत्तरपद प्रधान होता है, अर्थात प्रथम पद गौण होता है
  • एवं उत्तर पद की प्रधानता होती है व समास करते वक़्त बीच की विभक्ति का लोप हो जाता है।
  • इस समास में आने वाले कारक चिन्हों को, से, के लिए, से, का/के/की, में, पर आदि का लोप होता है।

उदाहरण -

  • धनहीन = धन से हीन
  • आपबीती = आप पर बीती
  • सेनापति = सेना का पति
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 4

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उसके आधार पर दिए गए प्रश्नों) के उत्तर के लिए सबसे उचित विकल्प चुनिए :
विनम्रता का यह कथन बहुत ठीक है कि विनम्रता के बिना स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं। इस बात को सब लोग मानते हैं कि आत्मसंस्कार के लिए थोड़ी बहुत मानसिक स्वतंत्रता परमावश्यक है – चाहे उस स्वतंत्रता में अभिमान और नम्रता दोनों का मेल हो और चाहे वह नम्रता ही से उत्पन्न हो। यह बात तो निश्चित है कि जो मनुष्य मर्यादापूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहता है उसके लिए वह गुण अनिवार्य है, जिससे आत्मनिर्भरता आती है और जिससे अपने पैरों के बल खड़ा होना आता है। युवा को यह सदा स्मरण रखना चाहिए कि वह बहुत कम बातें जानता है, अपने ही आदर्श से वह बहुत नीचे है और उसकी आकांक्षाएँ उसकी योग्यता से कहीं बढ़ी हुई हैं। उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने बड़ों का सम्मान करे, छोटे और बराबर वालों से कोमलता का व्यवहार करे, ये बातें आत्म-मर्यादा के लिए आवश्यक हैं। यह सारा संसार, जो कुछ हम हैं और जो कुछ हमारा है – हमारा शरीर, हमारी आत्मा, - हमारे कर्म, हमारे भोग, हमारे घर और बाहर की दशा हमारे बहुत से अवगुण, और थोड़े गुण सब इसी बात की आवश्यकता प्रकट करते हैं कि हमें अपनी आत्मा को नम्र रखना चाहिए। नम्रता से मेरा अभिप्राय दब्बूपन से नहीं है जिसके कारण मनुष्य दूसरों का मुँह ताकता है जिससे उसका संकल्प क्षीण और उसकी प्रज्ञा मंद हो जाती है, जिसके कारण बढ़ने के समय भी पीछे रहता है और अवसर पड़ने पर झट से किसी बात का निर्णय नहीं कर सकता। मनुष्य का बेड़ा उसके अपने ही हाथ में है, उसे वह चाहे जिधर ले जाए। सच्ची आत्मा वही है जो प्रत्येक दशा में प्रत्येक स्थिति के बीच अपनी राह आप निकालती है।

Q. 'स्वतंत्र' शब्द का विपरीतार्थक शब्द है -

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'स्वतंत्र' शब्द का विपरीतार्थक शब्द है - 'परतंत्र'

  • स्वतंत्र - जो किसी के अधीन न हो, स्वाधीन, आज़ाद।
  • परतंत्र - जो दूसरे के वश में हो, पराधीन, अधीन ।
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 5

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उसके आधार पर दिए गए प्रश्नों) के उत्तर के लिए सबसे उचित विकल्प चुनिए :
विनम्रता का यह कथन बहुत ठीक है कि विनम्रता के बिना स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं। इस बात को सब लोग मानते हैं कि आत्मसंस्कार के लिए थोड़ी बहुत मानसिक स्वतंत्रता परमावश्यक है – चाहे उस स्वतंत्रता में अभिमान और नम्रता दोनों का मेल हो और चाहे वह नम्रता ही से उत्पन्न हो। यह बात तो निश्चित है कि जो मनुष्य मर्यादापूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहता है उसके लिए वह गुण अनिवार्य है, जिससे आत्मनिर्भरता आती है और जिससे अपने पैरों के बल खड़ा होना आता है। युवा को यह सदा स्मरण रखना चाहिए कि वह बहुत कम बातें जानता है, अपने ही आदर्श से वह बहुत नीचे है और उसकी आकांक्षाएँ उसकी योग्यता से कहीं बढ़ी हुई हैं। उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने बड़ों का सम्मान करे, छोटे और बराबर वालों से कोमलता का व्यवहार करे, ये बातें आत्म-मर्यादा के लिए आवश्यक हैं। यह सारा संसार, जो कुछ हम हैं और जो कुछ हमारा है – हमारा शरीर, हमारी आत्मा, - हमारे कर्म, हमारे भोग, हमारे घर और बाहर की दशा हमारे बहुत से अवगुण, और थोड़े गुण सब इसी बात की आवश्यकता प्रकट करते हैं कि हमें अपनी आत्मा को नम्र रखना चाहिए। नम्रता से मेरा अभिप्राय दब्बूपन से नहीं है जिसके कारण मनुष्य दूसरों का मुँह ताकता है जिससे उसका संकल्प क्षीण और उसकी प्रज्ञा मंद हो जाती है, जिसके कारण बढ़ने के समय भी पीछे रहता है और अवसर पड़ने पर झट से किसी बात का निर्णय नहीं कर सकता। मनुष्य का बेड़ा उसके अपने ही हाथ में है, उसे वह चाहे जिधर ले जाए। सच्ची आत्मा वही है जो प्रत्येक दशा में प्रत्येक स्थिति के बीच अपनी राह आप निकालती है।

Q. मनुष्य कैसा जीवन व्यतीत करना चाहता है ?

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 5

मनुष्य मर्यादापूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहता है। 
गद्यांश के अनुसार:-

  • यह बात तो निश्चित है कि जो मनुष्य मर्यादापूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहता है उसके लिए वह गुण अनिवार्य है,
  • जिससे आत्मनिर्भरता आती है और जिससे अपने पैरों के बल खड़ा होना आता है।
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 6

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उसके आधार पर दिए गए प्रश्नों) के उत्तर के लिए सबसे उचित विकल्प चुनिए :
विनम्रता का यह कथन बहुत ठीक है कि विनम्रता के बिना स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं। इस बात को सब लोग मानते हैं कि आत्मसंस्कार के लिए थोड़ी बहुत मानसिक स्वतंत्रता परमावश्यक है – चाहे उस स्वतंत्रता में अभिमान और नम्रता दोनों का मेल हो और चाहे वह नम्रता ही से उत्पन्न हो। यह बात तो निश्चित है कि जो मनुष्य मर्यादापूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहता है उसके लिए वह गुण अनिवार्य है, जिससे आत्मनिर्भरता आती है और जिससे अपने पैरों के बल खड़ा होना आता है। युवा को यह सदा स्मरण रखना चाहिए कि वह बहुत कम बातें जानता है, अपने ही आदर्श से वह बहुत नीचे है और उसकी आकांक्षाएँ उसकी योग्यता से कहीं बढ़ी हुई हैं। उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने बड़ों का सम्मान करे, छोटे और बराबर वालों से कोमलता का व्यवहार करे, ये बातें आत्म-मर्यादा के लिए आवश्यक हैं। यह सारा संसार, जो कुछ हम हैं और जो कुछ हमारा है – हमारा शरीर, हमारी आत्मा, - हमारे कर्म, हमारे भोग, हमारे घर और बाहर की दशा हमारे बहुत से अवगुण, और थोड़े गुण सब इसी बात की आवश्यकता प्रकट करते हैं कि हमें अपनी आत्मा को नम्र रखना चाहिए। नम्रता से मेरा अभिप्राय दब्बूपन से नहीं है जिसके कारण मनुष्य दूसरों का मुँह ताकता है जिससे उसका संकल्प क्षीण और उसकी प्रज्ञा मंद हो जाती है, जिसके कारण बढ़ने के समय भी पीछे रहता है और अवसर पड़ने पर झट से किसी बात का निर्णय नहीं कर सकता। मनुष्य का बेड़ा उसके अपने ही हाथ में है, उसे वह चाहे जिधर ले जाए। सच्ची आत्मा वही है जो प्रत्येक दशा में प्रत्येक स्थिति के बीच अपनी राह आप निकालती है।

Q. 'अभिमान' शब्द में उपसर्ग का कौन-सा विकल्प सही है ?

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 6

'अभिमान' शब्द में उपसर्ग का विकल्प सही है - 'अभि + मान'

  • अभि + मान = अभिमान
  • 'अभि' (पास) उपसर्ग और 'मान' (प्रतिष्ठा) मूल शब्द 
  • अर्थ: अपनी प्रतिष्ठा या मर्यादा एवं सत्ता की अनुचित धारणा, अहंकार, घमंड।
  • विलोम शब्द - 'नम्रता'
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 7

निर्देश: काव्‍यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नो के सबसे उचित उत्‍तर वाले विकल्‍प का चयन कीजिए-
किंतु अरे यह क्या,
इतना आदर, इतनी करुणा, सम्मान? 
प्रथम दृष्टि में ही दे डाला
तुमने मुझे अहो मतिमान! 
मैं अपने झीने आँचल में
इस अपार करुणा का भार
कैसे भला सँभाल सकूँगी
उनका वह स्नेह अपार।
लख महानता उनकी पल-पल
देख रही हूँ अपनी ओर 
मेरे लिए बहुत थी केवल
उनकी तो करुणा की कोर। 

Q. निम्‍न में से मतिमान का अर्थ क्‍या है?

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 7

मतिमान का अर्थ है- बुद्धिमान

  • मतिमान का अन्य अर्थ- जिसमें मति हो, समझदार, ज्ञानी।
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 8

निर्देश: निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढकर उनके नीचे दिये गये बहुविकल्पी प्रश्नों में सही विकल्प का चयन करें।
उभरी नसोंवाले हाथ
घिसे नाखूनों वाले हाथ
पीपल के पत्ते से नये-नये हाथ
जूही की डाल से खुशबूदार हाथ
गंदे कटे पिटे हाथ
जख्म से फटे हुये हाथ
खुशबु रचते हैं हाथ
खुशबु रचते हैं हाथ।
यहीं इस गली में बनती हैं
मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ
इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग
बनाते है केवड़ा गुलाब खस और रातरानी
अगरबत्तियाँ
दुनिया की सारी गंदगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ।

Q. मशहूर शब्द का मानक हिंदी शब्द है:

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 8

मशहूर शब्द का मानक हिंदी शब्द 'प्रसिद्ध' है।
सन्दर्भ पंक्ति - मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 9

निर्देश: निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढकर उनके नीचे दिये गये बहुविकल्पी प्रश्नों में सही विकल्प का चयन करें।
उभरी नसोंवाले हाथ
घिसे नाखूनों वाले हाथ
पीपल के पत्ते से नये-नये हाथ
जूही की डाल से खुशबूदार हाथ
गंदे कटे पिटे हाथ
जख्म से फटे हुये हाथ
खुशबु रचते हैं हाथ
खुशबु रचते हैं हाथ।
यहीं इस गली में बनती हैं
मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ
इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग
बनाते है केवड़ा गुलाब खस और रातरानी
अगरबत्तियाँ
दुनिया की सारी गंदगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ।

Q. मजदूरों के जीवन की विडंबना है:

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 9

मजदूरों के जीवन की विडंबना आभाव व कष्ट में रहकर समाज को सुविधाएँ देना है।
सन्दर्भ पंक्ति - 
मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ
इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग
बनाते है केवड़ा गुलाब खस और रातरानी
अगरबत्तियाँ
दुनिया की सारी गंदगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथ

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 10

निर्देश: निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढकर उनके नीचे दिये गये बहुविकल्पी प्रश्नों में सही विकल्प का चयन करें।
उभरी नसोंवाले हाथ
घिसे नाखूनों वाले हाथ
पीपल के पत्ते से नये-नये हाथ
जूही की डाल से खुशबूदार हाथ
गंदे कटे पिटे हाथ
जख्म से फटे हुये हाथ
खुशबु रचते हैं हाथ
खुशबु रचते हैं हाथ।
यहीं इस गली में बनती हैं
मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ
इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग
बनाते है केवड़ा गुलाब खस और रातरानी
अगरबत्तियाँ
दुनिया की सारी गंदगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ।

Q. काव्यांश का मुख्य उद्देश्य है:

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 10

काव्यांश का मुख्य उद्देश्य सामाजिक विषमताओं को उजागर करना है।
काव्यांश में वर्णित किय गया है कि गरीब स्वयं विषम परिस्तिथियों में रहकर अमीरों को सुविधाएँ देते हैं।
अमीर और गरीब के बीच की खाई को रेखांकित किया गया है।

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 11

निर्देश: निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढकर उनके नीचे दिये गये बहुविकल्पी प्रश्नों में सही विकल्प का चयन करें।
उभरी नसोंवाले हाथ
घिसे नाखूनों वाले हाथ
पीपल के पत्ते से नये-नये हाथ
जूही की डाल से खुशबूदार हाथ
गंदे कटे पिटे हाथ
जख्म से फटे हुये हाथ
खुशबु रचते हैं हाथ
खुशबु रचते हैं हाथ।
यहीं इस गली में बनती हैं
मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ
इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग
बनाते है केवड़ा गुलाब खस और रातरानी
अगरबत्तियाँ
दुनिया की सारी गंदगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ।

Q. विभिन्न प्रकार की खुशबूदार अगरबत्तियाँ बनती हैं:

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 11

गंदे मुहल्लों में विभिन्न प्रकार की खुशबूदार अगरबत्तियाँ बनती हैं।
सन्दर्भ पंक्ति - 
इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग
बनाते है केवड़ा गुलाब खस और रातरानी
अगरबत्तियाँ

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 12

निर्देश: निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढकर उनके नीचे दिये गये बहुविकल्पी प्रश्नों में सही विकल्प का चयन करें।
उभरी नसोंवाले हाथ
घिसे नाखूनों वाले हाथ
पीपल के पत्ते से नये-नये हाथ
जूही की डाल से खुशबूदार हाथ
गंदे कटे पिटे हाथ
जख्म से फटे हुये हाथ
खुशबु रचते हैं हाथ
खुशबु रचते हैं हाथ।
यहीं इस गली में बनती हैं
मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ
इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग
बनाते है केवड़ा गुलाब खस और रातरानी
अगरबत्तियाँ
दुनिया की सारी गंदगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ।

Q. 'पीपल के पत्ते से हाथ' संकेत करते हैं:

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 12

'पीपल के पत्ते से हाथ' बालमजदूरों की ओर संकेत करते हैं।
कवि अगरबत्तियां बनाने वालों की दशा का वर्णन करते हुए लिखता है कि कुछ कोमल पीपल के पत्ते से हाथों वाले बच्चे हैं जो यह काम कर रहे हैं। कुछ यौवन से संपन्न लड़कियां भी यही काम कर रही है जिनके हाथ जूही की डाल जैसे सुगंधित है।
सन्दर्भ पंक्ति - 
पीपल के पत्ते से नये-नये हाथ
जूही की डाल से खुशबूदार हाथ

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 13

भाषा अर्जन की अवस्थाओं के सही क्रम को चुनिए।

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 13

भाषा अर्जन की अवस्थाओं के सही क्रम है- बबलाना, किलकारी मारना (कूइंग), एक शब्दीय अवस्था, टेलीग्राफ़िक वाचन तथा दो शब्दों वाली अवस्था।
जीवन के पहले कुछ वर्षों के भीतर मनुष्य भाषा के निर्माण में निम्नलिखित चरणों से गुजरते हुए प्रतीत होते हैं:

  • बबलाना : बालको द्वारा स्वरों की ध्वनि का उच्चारण बबलाना कहलाता है। बालक द्वारा ई, ऐ, ऊ की आवाजे निकालना।
  • कूइंग (कुंजन करना): लगभग एक महीने की उम्र में बच्चे रोने के अलावा कूकना भी शुरू कर देते हैं। यह अवस्था जन्म के 4-5 महीने बाद तक चलती है। कूइंग एक स्वर जैसी ध्वनि है, विशेष रूप से 'मू...' जैसी, जिसे जब बच्चे संतुष्ट और प्रसन्न होते हैं तो निकालते हैं।
  • बड़बड़ाना (बेबीलिंग): छह से दस महीने के बीच, शिशु बड़बड़ाना शुरू कर देता है। वह 'मा', 'दा', 'की' और 'ने' जैसे अक्षरों को बार-बार दोहराते है ताकि हम "दादा...", "किकिकिकिकि...", "मम्मा..." जैसी आवाजें सुन सकें। इसे बड़बड़ाना कहते हैं।
  • एक-शब्द का उच्चारण: कभी-कभी दस से बारह महीने के बीच, अक्सर पहले जन्मदिन के आसपास, शिशु पहला शब्द बोलत है। यह शब्द वयस्कों द्वारा उपयोग किए जाने वाले शब्दों से मेल नहीं खा सकता है। उदाहरण के लिए उनके पहले शब्द में आमतौर पर एक शब्दांश - मा या दा होता है। धीरे-धीरे वे एक या एक से अधिक शब्दों तक पहुच जाते हैं।
  • टेलीग्राफ़िक वाचन: भाषा विज्ञान और मनोविज्ञान के अनुसार टेलीग्राफिक भाषण, बच्चों में भाषा अधिग्रहण के दो-शब्द के संक्षिप्त और कुशल भाषण की अवस्था है। जिन शब्दों का वे उच्चारण नहीं कर सकते, उनके बदले में वे दूसरे शब्द काम में ले आते हैं। पानी के लिए मम्मा कहते हैं, चिड़िया को चू चू और कुत्ते को तू तू कहते हैं।
  • दो शब्दों के उच्चारण: धीरे -धीरे, 1.5 से 2.5 वर्ष की आयु के बीच, बच्चे दो शब्दों के उच्चारण बनाने के लिए एकल शब्दों को जोड़ना शुरू कर देते हैं। इस प्रकार वाक्य रचना की समझ शुरू होती है। जैसे- टाटा, दादा, मामा आदि।
  • बुनियादी वयस्क वाक्य संरचना (लगभग 4 वर्ष की आयु तक), निरंतर शब्दावली अधिग्रहण के साथ शब्दावली तेजी से विकसित होती है। यह लगभग 2 वर्ष की आयु में 300 शब्दों तक और तीन वर्ष की आयु में लगभग 1000 शब्दों तक तिगुनी से अधिक हो जाती है। लगभग अविश्वसनीय, 4 साल की उम्र तक, बच्चे वयस्क वाक्य रचना और भाषा संरचना का आधार हासिल कर लेते हैं।
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 14

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
काल को हम बांध नहीं सकते। वह स्वत: नियंत्रित है, अबाध है। देवों का आह्वान करते हुए हम सकल कामना सिद्धि का संकल्प व्यक्त करते हुए और फिर विदा करते हुए कहते हैं- 'गच्छ-गच्छ सुरश्रेष्ठ पुनरागमनाय च'। जिसका अर्थ 'हे देव, आप स्वस्थान को तो जाएं, परंतु फिर आने के लिए' है। कितनी सकारात्मक हमारी संस्कृति है, जिसका मूल है- जो मानव मात्र के लिए हितकारी हो, कल्याणकारी हो, वह पुन:-पुन: हमारे जीवन में आए। गत वर्ष के लिए भी क्या ऐसी विदाई देना हमारे लिए संभव नहीं ? यह प्रश्न अनुत्तरित है। यह आना-जाना, आगमन-प्रस्थान सब क्या है ? एक उत्तर है कि ये काल द्वारा नियंत्रित क्रिया- प्रतिक्रियाएं हैं। जो आया है, वह जाएगा। फिर जो गया है, वह भी आएगा। यह हमारी संस्कृति की मान्यता है। हाल ही में एक विद्वान से उनके परिवार में हुई मृत्यु पर शोक संवेदना में कहा- 'गत आत्मा को शांति प्राप्त हो'। उन्होंने तुरंत ही टोकते हुए कहा- शांति प्राप्ति की बात तो पश्चिमी संस्कृति-सभ्यता की बात है। भारतीय परंपरा में तो उचित है- 'गत आत्मा को सद्गति प्राप्त हो'। इसके पीछे का गूढ़ भाव नए वर्ष के आगमन और पुराने वर्ष की विदाई की वेला को पूरी सार्थकता प्रदान करता है। शब्द और अर्थ मिलकर ही काल का, काल की गति का अर्थात् परिवर्तन का बोध कराते हैं।
काल (समय) निराकार है, अबूझ है। मानव ने समय को बांधने का बहुत प्रयास किया- पल, घड़ी, घंटा, दिन, सप्ताह, महीना, साल, मन्वन्तर... फिर भी समय कभी बंधा नहीं, कहीं ठहरता नहीं। 'कालोस्मि भरतर्षभ' कहकर कृष्ण ने काल की सार्वकालिक सत्ता को प्रतिपादित किया। इस सत्ता के आगे नत भाव से, साहचर्य के भाव से हम नया वर्ष मनाते हैं। काल ने जो दिया था, उसे स्वीकार करें और नए वर्ष में जो मिलेगा, उसको अंगीकार-स्वीकार करने के लिए हम पूरी तैयारी, पूरे जोश से तैयार रहें। इसी में पुरातन और नववर्ष के सन्धिकाल की सार्थकता है। यह सत्य है कि परिणाम पर मनुष्य का कोई नियंत्रण या दखल नहीं, पर नया साल भी पुराना होगा। इसलिए मनुष्य एक साल की अवधि के लिए अपने जीवन के कुछ नियामक लक्ष्य तो तय कर सकता है। नए साल का सूरज यही प्रेरणा लेकर आया है। जीवन के चरम लक्ष्य पीछे छूटते जा रहे हैं, खोते जा रहे हैं। ऐसे में नए वर्ष की शुरुआत अपने लक्ष्य निर्धारित करने का अच्छा अवसर है, आत्म निरीक्षण का अचूक मौका है यह। काल शाश्वत है। नए साल का आगमन और पुराने की विदाई यह हमारा कालबोध ही तो है। आगत का स्वागत भारतीय परम्परा के मूल में है। जो आया है, अतिथि है उसे अपना लो। काल के साथ, समय के साथ चलना मनुष्य की नियति है, परंतु काल के कपाल पर कुछ अंकित करने का संकल्प मनुष्य की जिजीविषा का मूल है।

Q. मनुष्य की जिजीविषा का मूल क्या है?

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गद्यांश के अनुसार, "नए साल का आगमन और पुराने की विदाई यह हमारा कालबोध ही तो है। आगत का स्वागत भारतीय परम्परा के मूल में है। जो आया है, अतिथि है उसे अपना लो। काल के साथ, समय के साथ चलना मनुष्य की नियति है, परंतु काल के कपाल पर कुछ अंकित करने का संकल्प मनुष्य की जिजीविषा का मूल है।"
इसलिए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि मनुष्य की जिजीविषा का मूल काल के कपाल पर कुछ अंकित करने का संकल्प है।

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 15

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
काल को हम बांध नहीं सकते। वह स्वत: नियंत्रित है, अबाध है। देवों का आह्वान करते हुए हम सकल कामना सिद्धि का संकल्प व्यक्त करते हुए और फिर विदा करते हुए कहते हैं- 'गच्छ-गच्छ सुरश्रेष्ठ पुनरागमनाय च'। जिसका अर्थ 'हे देव, आप स्वस्थान को तो जाएं, परंतु फिर आने के लिए' है। कितनी सकारात्मक हमारी संस्कृति है, जिसका मूल है- जो मानव मात्र के लिए हितकारी हो, कल्याणकारी हो, वह पुन:-पुन: हमारे जीवन में आए। गत वर्ष के लिए भी क्या ऐसी विदाई देना हमारे लिए संभव नहीं ? यह प्रश्न अनुत्तरित है। यह आना-जाना, आगमन-प्रस्थान सब क्या है ? एक उत्तर है कि ये काल द्वारा नियंत्रित क्रिया- प्रतिक्रियाएं हैं। जो आया है, वह जाएगा। फिर जो गया है, वह भी आएगा। यह हमारी संस्कृति की मान्यता है। हाल ही में एक विद्वान से उनके परिवार में हुई मृत्यु पर शोक संवेदना में कहा- 'गत आत्मा को शांति प्राप्त हो'। उन्होंने तुरंत ही टोकते हुए कहा- शांति प्राप्ति की बात तो पश्चिमी संस्कृति-सभ्यता की बात है। भारतीय परंपरा में तो उचित है- 'गत आत्मा को सद्गति प्राप्त हो'। इसके पीछे का गूढ़ भाव नए वर्ष के आगमन और पुराने वर्ष की विदाई की वेला को पूरी सार्थकता प्रदान करता है। शब्द और अर्थ मिलकर ही काल का, काल की गति का अर्थात् परिवर्तन का बोध कराते हैं।
काल (समय) निराकार है, अबूझ है। मानव ने समय को बांधने का बहुत प्रयास किया- पल, घड़ी, घंटा, दिन, सप्ताह, महीना, साल, मन्वन्तर... फिर भी समय कभी बंधा नहीं, कहीं ठहरता नहीं। 'कालोस्मि भरतर्षभ' कहकर कृष्ण ने काल की सार्वकालिक सत्ता को प्रतिपादित किया। इस सत्ता के आगे नत भाव से, साहचर्य के भाव से हम नया वर्ष मनाते हैं। काल ने जो दिया था, उसे स्वीकार करें और नए वर्ष में जो मिलेगा, उसको अंगीकार-स्वीकार करने के लिए हम पूरी तैयारी, पूरे जोश से तैयार रहें। इसी में पुरातन और नववर्ष के सन्धिकाल की सार्थकता है। यह सत्य है कि परिणाम पर मनुष्य का कोई नियंत्रण या दखल नहीं, पर नया साल भी पुराना होगा। इसलिए मनुष्य एक साल की अवधि के लिए अपने जीवन के कुछ नियामक लक्ष्य तो तय कर सकता है। नए साल का सूरज यही प्रेरणा लेकर आया है। जीवन के चरम लक्ष्य पीछे छूटते जा रहे हैं, खोते जा रहे हैं। ऐसे में नए वर्ष की शुरुआत अपने लक्ष्य निर्धारित करने का अच्छा अवसर है, आत्म निरीक्षण का अचूक मौका है यह। काल शाश्वत है। नए साल का आगमन और पुराने की विदाई यह हमारा कालबोध ही तो है। आगत का स्वागत भारतीय परम्परा के मूल में है। जो आया है, अतिथि है उसे अपना लो। काल के साथ, समय के साथ चलना मनुष्य की नियति है, परंतु काल के कपाल पर कुछ अंकित करने का संकल्प मनुष्य की जिजीविषा का मूल है।

Q. हमारा कालबोध क्या है?

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गद्यांश के अनुसार, "नए साल का आगमन और पुराने की विदाई यह हमारा कालबोध ही तो है। आगत का स्वागत भारतीय परम्परा के मूल में है।"

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 16

भाषा प्रवीणता के मूल्यांकन में डिकोडिंग का अर्थ है:

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डिकोडिंग: यह अलग-अलग शब्दों को पढ़ने और अपरिचित शब्दों को सटीक और स्वचालित रूप से बाहर निकालने की क्षमता को संदर्भित करता है। पढ़ने की अधिकांश समस्याएं डिकोडिंग में कठिनाई से संबंधित हैं।
डिकोडिंग का मूल्यांकन तीन तरीकों से किया जाना चाहिए:

  • पाठक के लिए संदर्भ सुराग को खत्म करने के लिए शब्द सूचियों का डिकोडिंग,
  • शब्दों की याद को खत्म करने के लिए निरर्थक शब्दों को पढ़ना,
  • संदर्भ में पढ़ना।

इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि भाषा दक्षता का मूल्यांकन करने में डिकोडिंग व्यक्तिगत शब्दों को पढ़ने और अपरिचित शब्दों को सटीक रूप से बाहर निकालने की क्षमता को संदर्भित करता है।

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 17

एक अंग्रेजी शिक्षक रोहित अपने छात्रों के बोलने के कौशल का मूल्यांकन करने की योजना बना रहा है। बोलने के कौशल के मूल्यांकन के लिए निम्नलिखित में से किस पर मुख्य फोकस होना चाहिए?

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संचारी क्षमता का तात्पर्य शिक्षार्थी की सफलतापूर्वक संवाद करने के लिए भाषा का उपयोग करने की क्षमता से है। यह क्षमता मौखिक, लिखित या अशाब्दिक भी हो सकती है।

  • यह एक समावेशी शब्द है जो भाषा के ज्ञान के साथ-साथ संचार संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए वास्तविक जीवन की स्थितियों में भाषा का उपयोग करने के कौशल को दर्शाता है।
  • इसमें संदेशों को व्यक्त करने और व्याख्या करने और अर्थों पर बातचीत करने के लिए विभिन्न स्थितियों में व्याकरणिक संरचनाओं का उपयोग करने की क्षमता शामिल है।
  • शिक्षार्थियों की बोलने की क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए शिक्षक सूचना अंतराल और भूमिका निभाने वाली गतिविधियों का उपयोग कर सकते हैं। इसमें सटीकता, प्रवाह, जटिलता, उपयुक्तता और क्षमता शामिल है।

इस प्रकार, यह निष्कर्ष निकाला गया है कि बोलने के कौशल के मूल्यांकन के लिए संचार क्षमता मुख्य फोकस होना चाहिए।

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 18

An individual with a learning disability is likely to

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An individual with a learning disability is likely to have language difficulties.

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 19

'We intend to go on a field trip with our teachers. This is our plan.'
In the given statement, which one is a reference word?

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"This" is going to be the reference word as it describes the plan of going on a field trip with the teachers.

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 20

Identify the synonym of the word underlined in the following sentence.
"The patient's deteriorating health condition became enigmatic to the doctors as days passed."

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'Enigmatic' means 'difficult to interpret or understand; mysterious' and its synonym will be 'puzzling'.

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 21

Directions: Read the following sentence to find out whether there is any grammatical error in it. The error, if any, will be in one part of the sentence. The letter representing that part is the answer. If there is no error, mark D as the answer.
Everybody know that his failure can (A)/ be attributed to (B)/ his lack of practice. (C)/ No error (D)

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It should be "Everybody knows that....".

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 22

Directions: In the following sentence, an idiomatic expression or a proverb is highlighted. Select the alternative which best describes its use in the sentence.
The concert was brought to a close with a display of fireworks.

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Here, 'brought to a close' means 'concluded'. As per the sentence, the concert ended with the display of fireworks.

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 23

'Prediction' as a subskill is associated with: 

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Language skills are necessary for effective communication in any environment and to interact with others. It allows an individual to comprehend and produce language for proper and effective interpersonal communication.

  • The four basic language skills and their natural order are listening-speaking-reading-writing. These foundational skills of language are divided into two categories which are receptive and productive skills.
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 24

Task : Fill in the blanks choosing the suitable words.
(i) I want a cup of ______ coffee. (strong/powerful)
(ii) He is a ______ smoker. (heavy/big)
The task above tests the learner's ability in:

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A collocation is two or more words that often go together. These combinations just sound "right" to native English speakers, who use them all the time. On the other hand, other combinations may be unnatural and just sound "wrong". Look at these examples-
I want a cup of Strong (not powerful) coffee. 
He is a heavy (not big) smoker. 
NOTE:

  • Spelling: the forming of words from letters according to accepted usage.
  • Pronunciation: the way in which a particular letter word or sound is said.
  • Idiomatic use: using language that contains expressions that are natural to somebody who learned the language as a child.

Hence, the task above tests the learner's ability in collocation.

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 25

Students always find it difficult to listen to and understand a second language presentation inside or outside their class. This can be helped by

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The English language has achieved a prior place in the curriculum. The aim of teaching the English language is to help children to acquire practical commands of the English language. In the present era, English language teaching is facing several problems.
First language: A native language or mother tongue that a child acquires since birth.
Second language: A language learned by an individual other than his/her native language. 
Many a time students always find it difficult to listen to and understand a second language presentation inside or outside their class. Therefore,

  • Students are given the opportunity to learn the targeted language (L2) and should able to use it in a social context.
  • The teachers should give an opportunity for students to mimic/imitate, practise the language.
  • Based on the principle that language learning is habit formation, the method encourages imitation and memorization of set phrases. Structures are taught one at a time using drills.
  • Teaching points are often determined by the differences and similarities between L1 and L2, with an emphasis on the differences.

Hence, we conclude that in the above situation practice by using the second language more can be helpful.

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 26

Which of the following involves a rich control on grammar, vocabulary, content, punctuation as well as abilities to organize thoughts coherently?

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Language skill refers to the ability to use a language properly. In other words, the learner should be fully proficient in all four skills of the language: listening, speaking, reading, and writing.

  • The process of writing is generally a way to put abstract thoughts, ideas, and concepts into words, and to bring imagination into reality with the help of proper words of a particular language. Students' writing skills usually improve naturally with their experiences, maturity, and practice.
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 27

The two-word stage of language acquisition which is also known as telegraphic speech includes words like:
I. mim-mim-mai-yaaaaa, ba-ba-ga-ga 
II. mummii khaanaa, ghuumii jaana

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Children seem to pass through a series of more or less fixed ‘stages’, as they acquire language. The age at which different children reach each stage can vary considerably, however, the order of ‘stages’ remains the same.

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 28

Which of the following the most important means to give students a feedback on their linguistic development?

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The teacher must analyze their mistakes and will adopt a measure to rectify their mistakes. She should ignore the mistakes that occur due to interference of their first language, and later after seeing the pattern can give effective feedback.

  • For students, feedback points out what they have done well and what they should keep doing, as well as what they should adjust and work on next.
  • Including both positive and negative or corrective feedback can motivate students and promote a growth mindset, which enables them to see errors as opportunities to learn, grow, and improve.
  • Feedback is also valuable for teachers. It gives them an opportunity to analyze student growth in terms of objectives they are trying to meet. It informs teachers about the strengths in the student’s work and the areas where more work is needed.
  • Improving student learning is our ultimate reason to implement effective feedback in the classroom.
  • Because of what we understand about the developmental nature and the role of errors in language learning, we recognize that feedback that is appropriate for English learners is also balanced, differentiated, and supportive.
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 29

Who is known as the father of modern media education.

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Edger Dale is known as the father of modern media education.
Edger Dale: edgar Dale (April 27, 1900 in Benson, Minnesota, – March 8, 1985 in Columbus, Ohio) was an American educator who developed the Cone of Experience, also known as the Learning Pyramid. He made several contributions to audio and visual instruction, including a methodology for analyzing the content of motion pictures.

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 5 - Question 30

Direction: Given below are two statements, one leveled as Assertion (A) and the other leveled as Reason (R) :
Assertion (A) - The teacher introduces new patterns of language with vocabulary that students already know.
Reasoning (R) - Teaching a language is to impart a new system of complex habits, and habits are acquired slowly.

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Language teaching is less about the school and more about the process of learning English. The modern approach to all language learning and teaching is the scientific one and is based on sound linguistic principles.
Principle of Graded Patterns:

  • “To teach a language is to impart a new system of complex habits, and habits are acquired slowly.” So, language patterns should be taught gradually, in cumulative graded steps.
  • This means the teacher should go on adding each new element or pattern to previous ones. New patterns of language should be introduced and practiced with vocabulary that students already know.
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