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Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 1 - Class 10 MCQ


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10 Questions MCQ Test - Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 1

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Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 1 - Question 1

‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के लेखक कौन हैं?

Detailed Solution for Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 1 - Question 1

प्रस्तुत पाठ ‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ के लेखक निदा फ़ाज़ली हैं। उनका जन्म 12 अक्तूबर 1938 को दिल्ली में हुआ था और उनका बचपन ग्वालियर में बीता। निदा फ़ाज़ली उर्दू की साठोत्तरी पीढ़ी के महत्त्वपूर्ण कवि माने जाते हैं और वे अपनी गद्य रचनाओं में भी शेर-ओ-शायरी पिरोकर बहुत कुछ थोड़े में कहने की महारत रखते हैं। यह पाठ उनकी किताब ‘तमाशा मेरे आगे’ से संकलित है。

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 1 - Question 2

निदा फ़ाज़ली का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

Detailed Solution for Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 1 - Question 2

लेखक परिचय के अनुसार, निदा फ़ाज़ली का जन्म 12 अक्तूबर 1938 को दिल्ली में हुआ था। हालाँकि उनका बचपन ग्वालियर में बीता, उनका जन्म स्थान दिल्ली ही था। यह जानकारी लेखक के मूल और उनके प्रारंभिक जीवन से पाठकों को परिचित कराती है, जो उनकी लेखन शैली और विषयों को समझने में सहायक है।

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 1 - Question 3

निदा फ़ाज़ली को उनकी शायरी की किताब ‘खोया हुआ सा कुछ’ के लिए कौन सा पुरस्कार मिला था?

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निदा फ़ाज़ली को उनकी शायरी की किताब ‘खोया हुआ सा कुछ’ के लिए 1999 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह उनकी साहित्यिक उपलब्धियों में से एक महत्वपूर्ण पड़ाव था, जो उनकी कविताओं की गहराई और उनके विशिष्ट अंदाज़ को मान्यता प्रदान करता है।

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 1 - Question 4

निदा फ़ाज़ली के अनुसार, कुदरत ने यह धरती किनके लिए अता फरमाई थी?

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पाठ की शुरुआत में ही लेखक निदा फ़ाज़ली यह विचार रखते हैं कि कुदरत ने यह धरती उन तमाम जीवधारियों के लिए अता फरमाई थी जिन्हें खुद उसी ने जन्म दिया था। उनका मानना है कि यह धरती किसी एक मनुष्य की जागीर नहीं, बल्कि सभी जीवों का साझा घर है।

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 1 - Question 5

मनुष्य ने धीरे-धीरे पूरी धरती को क्या बना लिया है?

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लेखक का कहना है कि आदमी नाम के कुदरत के सबसे अज़ीम करिश्मे ने धीरे-धीरे पूरी धरती को ही अपनी जागीर बना लिया है। मनुष्य ने स्वार्थ के चलते अन्य तमाम जीवधारियों को दर-ब-दर कर दिया है, जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ा है और पर्यावरण को नुकसान पहुँचा है।

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 1 - Question 6

इस पाठ में किस संत का जिक्र है जो दूसरों के दुख से दुखी होने वाले थे?

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पाठ में हज़रत सुलेमान का जिक्र किया गया है, जिन्हें बाइबिल, कुरान और अन्य पवित्र ग्रंथों में पैगंबर या महान पुरुष के रूप में वर्णित किया गया है। वे न केवल मानव जाति के हाकिम थे, बल्कि पशु-पक्षी सबकी भाषा समझते थे। लेखक उनका उदाहरण देकर दूसरों के प्रति संवेदनशीलता का भाव व्यक्त करते हैं।

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हज़रत सुलेमान की यात्रा के दौरान चींटियों ने उनसे क्या प्रार्थना की थी?

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हज़रत सुलेमान अपनी सेना के साथ जा रहे थे, तभी उन्होंने घोड़े पर सवार होते हुए एक चींटी को कहते हुए सुना कि, “भाइयों, अपने-अपने बिलों में घुस जाओ, फ़ौज आ रही है।” यह सुनकर सुलेमान ने घोड़ों को रोका और चींटी से कहा कि वे उन्हें दुख नहीं देंगे, जिससे चींटियों की जान बच गई। यह घटना सुलेमान की संवेदनशीलता को दर्शाती है।

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 1 - Question 8

लेखक ने अपनी माँ से क्या सुना था?

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लेखक ने अपनी माँ से एक कबूतर की कहानी सुनी थी। कबूतर का जोड़ा उनके घर में आँगन की रोशनदान में घोंसला बनाए हुए था। एक अंडे से बच्चा निकल आया था, और दूसरे को बिल्ली ने तोड़ दिया। इस पर कबूतरी दिन भर दुखी रहती थी, जिससे लेखक की माँ भी परेशान हो जाती थीं। यह कहानी दूसरों के दुख से दुखी होने के भाव को दर्शाती है।

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 1 - Question 9

लेखक की माँ ने कबूतरी के दूसरे अंडे को बचाने के लिए क्या किया?

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जब एक कबूतर का अंडा बिल्ली ने तोड़ दिया और दूसरा अंडा बचाने के लिए कबूतरी बार-बार वहीं बैठी रहती, तो लेखक की माँ ने उस अंडे को उठाकर दूसरे सुरक्षित स्थान पर रखने की कोशिश की। उन्होंने उसे टोकरी में रखकर पेड़ पर लटका दिया ताकि वह बिल्ली से सुरक्षित रहे और कबूतरी को भी शांति मिले। यह उनकी जीवदया का प्रमाण था।

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 1 - Question 10

ग्वालियर में लेखक के घर में कहाँ कबूतरों ने घोंसला बनाया था?

Detailed Solution for Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 1 - Question 10

लेखक के ग्वालियर वाले घर में कबूतरों ने आँगन की रोशनदान में घोंसला बनाया था। इस घोंसले में उन्होंने दो अंडे दिए थे, जिनमें से एक बिल्ली ने तोड़ दिया था और दूसरा लेखक की माँ ने सुरक्षित रखने का प्रयास किया था। यह घर के अंदर जीवों के सह-अस्तित्व का एक उदाहरण था।

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