कौए ने गाने के लिए मुँह खोला तो रोटी का टुकड़ा ज़मीन पर गिर पड़ा। सियार उसे उठाकर नौ दो ग्यारह हो गया।
वह ज़ोर से हँसा।
बुधु कौआ।
वह चलते-चलते दुकान के सामने पहुँचा। वहाँ अलमारी में काँच के बड़े-बड़े ज़ार कतार में रखे थे।
उनमें चॉकलेट, पिपरमेंट और बिस्कुट थे। उसकी नज़र उनमें से किसी पर नहीं पड़ी। क्यों देखे?
उसके पिता जी उसे ये चीजें बराबर ला देते हैं।
फिर भी एक नए ज़ार ने उसका ध्यान आकृष्ट किया। वह कंधे से लटकते बस्ते का फीता एक तरफ़ हटाकर, उस ज़ार के सामने खड़ा टुकर-टुकर ताकता रहा।
प्रश्न. किसने मुँह खोला?
कौए ने गाने के लिए मुँह खोला तो रोटी का टुकड़ा ज़मीन पर गिर पड़ा। सियार उसे उठाकर नौ दो ग्यारह हो गया।
वह ज़ोर से हँसा।
बुधु कौआ।
वह चलते-चलते दुकान के सामने पहुँचा। वहाँ अलमारी में काँच के बड़े-बड़े ज़ार कतार में रखे थे।
उनमें चॉकलेट, पिपरमेंट और बिस्कुट थे। उसकी नज़र उनमें से किसी पर नहीं पड़ी। क्यों देखे?
उसके पिता जी उसे ये चीजें बराबर ला देते हैं।
फिर भी एक नए ज़ार ने उसका ध्यान आकृष्ट किया। वह कंधे से लटकते बस्ते का फीता एक तरफ़ हटाकर, उस ज़ार के सामने खड़ा टुकर-टुकर ताकता रहा।
प्रश्न. दुकान के पास कौन पहुँचा?
सब अपनी-अपनी जगह पर हैं। रामन अगली बेंच पर है। वह रोज़ समय पर आता है।
तीसरी बेंच के आखिर में मल्लिका के बाद अम्मु बैठी है।
जॉर्ज दिखाई नहीं पड़ता।
लड़कों के बीच जॉर्ज ही सबसे अच्छा कंचे का खिलाड़ी है।
कितना भी बड़ा लड़का उसके साथ खेले, जॉर्ज से मात खाएगा।
हारने पर यों ही विदा नहीं हो सकता।
हारे हुए को अपनी बंद मुट्ठी ज़मीन पर रखनी होगी।
तब जॉर्ज बंद मुट्ठी के जोड़ों की हड्डी पर कंचा चलाता था।
प्रश्न. उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और उसके लेखक के नामवाला विकल्प छाँटकर लिखिए।
कर्मठ मास्टर जी उस लड़के का चेहरा देखकर समझ गए कि उसके मन में और कुछ है।
शायद उसने पाठ पर ध्यान दिया भी हो। अगर दिया है तो उसका जवाब उसके मन से बाहर ले आना है।
इसी में उनकी सफलता है।
“हाँ, हाँ, बता। डरना मत।”
मास्टर जी ने देखा, अप्पू की ज़बान पर जवाब था।
“हाँ, हाँ…।”
वह काँपते हुए बोला-“कंचा।”
“कंचा…!”
वे सकपका गए।
कक्षा में भूचाल आ गया
प्रश्न. मास्टर जी ने लड़के के बारे में क्या अनुमान लगा लिया?
एकाएक उसे शक हुआ। क्या सब कंचों में लकीर होगी?
उसने पोटली खोलकर देखने का निश्चय किया। बस्ता नीचे रखकर वह धीरे से पोटली खोलने लगा।
पोटली खुली और सारे कंचे बिखर गए। वे सड़क के बीचोंबीच पहुंच रहे हैं।
क्षणभर सकपकाने के बाद वह उन्हें चुनने लगा। हथेली भर गई। वह चुने हुए कंचे कहाँ रखे?
प्रश्न. अप्पू को क्या शक हुआ?
कौए ने गाने के लिए मुँह खोला तो रोटी का टुकड़ा ज़मीन पर गिर पड़ा।
सियार उसे उठाकर नौ दो ग्यारह हो गया।
वह ज़ोर से हँसा।
बुधु कौआ।
वह चलते-चलते दुकान के सामने पहुँचा।
वहाँ अलमारी में काँच के बड़े-बड़े ज़ार कतार में रखे थे।
उनमें चॉकलेट, पिपरमेंट और बिस्कुट थे। उसकी नज़र उनमें से किसी पर नहीं पड़ी। क्यों देखे?
उसके पिता जी उसे ये चीजें बराबर ला देते हैं।
फिर भी एक नए ज़ार ने उसका ध्यान आकृष्ट किया।
वह कंधे से लटकते बस्ते का फीता एक तरफ़ हटाकर, उस ज़ार के सामने खड़ा टुकर-टुकर ताकता रहा।
प्रश्न. ज़ोर से कौन हँस पड़ा?
सब अपनी-अपनी जगह पर हैं। रामन अगली बेंच पर है।
वह रोज़ समय पर आता है। तीसरी बेंच के आखिर में मल्लिका के बाद अम्मु बैठी है।
जॉर्ज दिखाई नहीं पड़ता।
लड़कों के बीच जॉर्ज ही सबसे अच्छा कंचे का खिलाड़ी है।
कितना भी बड़ा लड़का उसके साथ खेले, जॉर्ज से मात खाएगा।
हारने पर यों ही विदा नहीं हो सकता। हारे हुए को अपनी बंद मुट्ठी ज़मीन पर रखनी होगी।
तब जॉर्ज बंद मुट्ठी के जोड़ों की हड्डी पर कंचा चलाता था।
प्रश्न. उस दिन आखिरी बेंच पर किसे बैठना पड़ा?
मास्टर जी ने रेलगाड़ी के इंजन में पानी रखने वाले स्थान का क्या नाम बताया है?
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