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Test: माता का आँचल - Class 10 MCQ


Test Description

20 Questions MCQ Test - Test: माता का आँचल

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Test: माता का आँचल - Question 1

चबूतरे के एक कोने को किस रूप में इस्तेमाल किया जाता था?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 1

बच्चे चबूतरे के एक कोने को नाटकघर बनाते थे। बाबूजी की छोटी-छोटी रंगीन चिंदियों से परदा बनाते, रस्सी बाँधकर स्टेज तैयार करते। यह उनकी रचनात्मकता और कल्पनाशीलता को दर्शाता है कि कैसे वे सीमित साधनों में भी मनोरंजन का साधन खोज लेते थे।

Test: माता का आँचल - Question 2

लेखक और उनके साथी बारात का खेल कैसे खेलते थे?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 2

बारात के खेल में, कनस्तर का तंबूरा बनता, अमोलों की शहनाई बजती। टूटी चूहेदानी की पालकी बनती, जिसमें समधी (पिता) बैठते। यह खेल उनकी नकल करने की प्रवृत्ति और सामाजिक रीति-रिवाजों को समझने का प्रयास दर्शाता था।

Test: माता का आँचल - Question 3

खेती के खेल में बच्चे हल किससे बनाते थे?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 3

खेती के खेल में बच्चे एक पतली लकड़ी को हल बनाकर और उसके आगे जुलाहे की छोटी सी लकड़ी से बनी हुई गूलर बाँधकर खेतों को जोतते थे। यह उनकी रचनात्मकता को दर्शाता है कि कैसे वे उपलब्ध चीज़ों से ही अपने खेल के औज़ार बना लेते थे।

Test: माता का आँचल - Question 4

जब बच्चे खेलते हुए पकड़ाई या कोई और खेल खेलते थे, तो क्या देखकर सिसकना भूल जाते थे?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 4

लेखक कहते हैं कि जब उन्हें कोई डाँटकर या पीटकर रोने लगता था, लेकिन अपने साथी बच्चों को खेलते देखकर वे अपना रोना-सिसकना भूल जाते थे। खेल की दुनिया उन्हें तुरंत अपनी ओर खींच लेती थी और वे दुःख या दर्द को भूलकर फिर से खेल में मग्न हो जाते थे। यह बच्चों की स्वाभाविक प्रवृत्ति है।

Test: माता का आँचल - Question 5

सांप निकलने पर भोलानाथ और उनके साथी किस ओर भागे?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 5

जब एक सांप निकल आया, तो बच्चे डरकर ‘तार-तार’ होकर भागे। सब सीधे अपने-अपने घरों की ओर भागे, जैसे उनके पंख लग गए हों। यह घटना बच्चों के डर और अपने घर की सुरक्षा के प्रति उनकी सहज वृत्ति को दर्शाती है।

Test: माता का आँचल - Question 6

विपदा के समय भोलानाथ पिता के पास न जाकर माँ की शरण क्यों लेते हैं?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 6

संकट के समय, जैसे सांप निकलने पर, भोलानाथ सीधे अपनी माँ की गोद में छिप जाते हैं। इसका कारण यह है कि माँ का अँचल उनके लिए परम सुरक्षा, शांति और ममता का प्रतीक था। माँ की गोद में उन्हें वह निश्चिंतता मिलती थी जो पिता के साथ नहीं मिल पाती थी। माँ की ममता उन्हें हर डर से बचा लेती थी।

Test: माता का आँचल - Question 7

सांप के डर से भागे हुए भोलानाथ कहाँ जाकर छिपे?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 7

सांप के डर से भागे हुए भोलानाथ सीधे अपनी माँ के आँचल में जाकर छिप गए। माँ ने उन्हें अपनी गोद में लेकर आँचल में छिपा लिया और उनके आँसुओं को पोंछकर उन्हें शांत करने की कोशिश की। यह दृश्य माँ के असीम वात्सल्य को दर्शाता है।

Test: माता का आँचल - Question 8

लेखक के बचपन में गाँव की गलियों में किसकी धूम मची रहती थी?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 8

लेखक के बचपन में गाँव की गलियों और चबूतरों पर बच्चों के खेल की धूम मची रहती थी। वे हर समय नए-नए खेल खेलते, शोर मचाते और मस्ती करते थे। यह उस दौर के ग्रामीण जीवन के सहज और उन्मुक्त बचपन को दर्शाता है, जहाँ बच्चों को खेलने की पूरी आज़ादी थी।

Test: माता का आँचल - Question 9

इस पाठ में किस दशक की ग्रामीण संस्कृति का चित्रण है?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 9

इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्रामीण संस्कृति का चित्रण है। यह वह समय था जब ग्रामीण जीवन सादगी भरा था, बच्चों के खेल प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित थे, और परिवार में संबंध गहरे व पारंपरिक थे। यह उस समय के सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश को बारीकी से दर्शाता है।

Test: माता का आँचल - Question 10

‘त्रिपुंड’ क्या है?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 10

‘त्रिपुंड’ माथे पर लगाया जाने वाला एक प्रकार का तिलक है, जिसमें भभूत या चंदन की तीन आड़ी या खड़ी रेखाएँ बनाई जाती हैं। लेखक के पिता पूजा के बाद उनके माथे पर भभूत का त्रिपुंड बना देते थे, जिससे लेखक ‘बम-भोला’ लगते थे। यह धार्मिक पहचान और परंपरा का प्रतीक है।

Test: माता का आँचल - Question 11

‘माता का अँचल’ पाठ के लेखक कौन हैं?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 11

प्रस्तुत पाठ ‘माता का अँचल’ के लेखक शिवपूजन सहाय हैं। यह कहानी उनकी आत्मकथा ‘देहाती दुनिया’ से ली गई है। शिवपूजन सहाय हिंदी साहित्य में अपनी आंचलिक कहानियों और संस्मरणों के लिए जाने जाते हैं। इस पाठ में उन्होंने ग्रामीण बचपन, माता-पिता के वात्सल्य और तत्कालीन ग्रामीण संस्कृति का बहुत ही सजीव और मार्मिक चित्रण किया है।

Test: माता का आँचल - Question 12

लेखक का असल नाम क्या था?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 12

लेखक का असल नाम ‘तारकेश्वरनाथ’ था। उनके पिता उन्हें प्यार से ‘भोलानाथ’ कहकर पुकारा करते थे क्योंकि वे भभूत रमाकर ‘बम-भोला’ बन जाते थे। यह उनके बचपन का उपनाम था जो उन्हें पिता ने दिया था, लेकिन उनका वास्तविक नाम तारकेश्वरनाथ था।

Test: माता का आँचल - Question 13

लेखक अपने पिता को क्या कहकर पुकारते थे?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 13

लेखक बचपन से ही अपने पिता को ‘बाबूजी’ कहकर पुकारते थे। यह उनके और उनके पिता के बीच के आत्मीय और स्नेह भरे संबंध को दर्शाता है। यह उस दौर की ग्रामीण संस्कृति में पिता को संबोधित करने का एक आम और प्यारा तरीका भी था।

Test: माता का आँचल - Question 14

लेखक माता से किस हद तक जुड़े थे?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 14

लेखक ने अपने बचपन के दिनों का वर्णन करते हुए बताया है कि माता से उनका नाता केवल दूध पीने तक का था। वे अधिकतर समय अपने पिता के साथ ही रहते, सोते, नहाते और पूजा करते थे। यह उस दौर में बच्चों के पालन-पोषण की एक सामान्य पद्धति को दर्शाता है जहाँ पिता बच्चों के बाहरी दुनिया के दोस्त होते थे।

Test: माता का आँचल - Question 15

लेखक के पिता रोज़ सुबह उठकर क्या करते थे?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 15

लेखक के पिता ‘तड़के उठकर, निबट-नहाकर पूजा करने बैठ जाते थे।’ यह उनकी दैनिक दिनचर्या का एक अभिन्न अंग था। लेखक बचपन से ही उनके साथ पूजा में बैठते थे और उन्हें त्रिपुंड लगाने के लिए दिक करते थे, जिससे पिता-पुत्र का प्रेम और धार्मिक संस्कार स्पष्ट होता है।

Test: माता का आँचल - Question 16

लेखक अपने माथे पर किसका तिलक लगाते थे?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 16

लेखक के पिता पूजा करने के बाद उनके चौड़े लिलार (माथे) में त्रिपुंड बना देते थे, जो भभूत (भस्म) का तिलक होता था। भभूत रमाने से लेखक ‘खासे बम-भोला’ बन जाते थे। यह उनके बचपन की एक प्यारी आदत और धार्मिक माहौल का हिस्सा था।

Test: माता का आँचल - Question 17

लेखक के पिता लेखक को क्या कहकर पुकारते थे?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 17

लेखक के पिता उन्हें बड़े प्यार से ‘भोलानाथ’ कहकर पुकारा करते थे। यह नाम उनकी मासूमियत और भोलेपन के कारण दिया गया था, क्योंकि वे भभूत लगाकर शिव के भोले रूप जैसे दिखते थे। यह नाम कहानी में बार-बार आता है और लेखक के बाल-मन को दर्शाता है।

Test: माता का आँचल - Question 18

जब बाबूजी रामायण का पाठ करते थे, तो लेखक क्या करते थे?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 18

जब बाबूजी रामायण का पाठ करते थे, तब लेखक उनकी बगल में बैठे-बैठे आइने में अपना मुँह निहारा करते थे। जब पिता उनकी ओर देखते तो वे लजाकर और मुसकराकर आइना नीचे रख देते थे, और पिता भी मुसकरा पड़ते थे। यह दृश्य पिता-पुत्र के सहज और प्यारे संबंध को दर्शाता है।

Test: माता का आँचल - Question 19

पिता जी आटे की कितनी गोलियाँ गंगा जी में फेंकते थे?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 19

लेखक के बाबूजी रोज़ाना पाँच सौ आटे की गोलियाँ कागज़ में लपेटकर गंगा जी में फेंकते थे। यह उनकी धार्मिक आस्था और दिनचर्या का हिस्सा था। लेखक भी उनके साथ जाते और मछलियों को चारा डालने में मदद करते थे, जिससे उनका प्रकृति के प्रति लगाव भी दिखता है।

Test: माता का आँचल - Question 20

लेखक और उनके साथी मिलकर कौन-सा खेल खेलते थे?

Detailed Solution for Test: माता का आँचल - Question 20

लेखक और उनके साथी मिलकर तरह-तरह के खेल खेलते थे, जिनमें चबूतरे पर नाटक (जैसे नाटकघर, बारात का खेल, खेती) और शादी का खेल प्रमुख थे। वे धूल, मिट्टी, लकड़ी, पत्ते जैसी सामान्य चीज़ों से ही अपने खेल का सामान तैयार कर लेते थे। यह ग्रामीण बच्चों के रचनात्मक और स्वाभाविक खेलों को दर्शाता है।

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