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Test: मिठाईवाला- 2 - Class 7 MCQ


Test Description

15 Questions MCQ Test Hindi (Vasant II) Class 7 - Test: मिठाईवाला- 2

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Test: मिठाईवाला- 2 - Question 1

अतिशय गंभीरता के साथ मिठाईवाले ने कहा-“मैं भी अपने नगर का एक प्रतिष्ठत आदमी था। मकान, व्यवसाय, गाड़ी-घोड़े, नौकर-चाक्कर सभी कुछ था। स्त्री थी, छोटे-छोटे दो बच्चे भी थे। मेरा वह सोने का संसार था। बाहर संपत्ति का वैभव था, भीतर सांसारिक सुख था। स्त्री सुंदरी थी, मेरी प्राण थी। बच्चे ऐसे सुंदर थे, जैसे सोने के सजीव खिलौने! उनकी अठखेलियों के मारे घर में कोलाहल मचा रहता था। समय की गति! विधाता की लीला। अब कोई नहीं है। दादी, प्राण निकाले नहीं निकले। इसलिए अपने उन बच्चों की खोज में निकला हूँ। वे सब अंत में होंगे, तो यही कहीं। आखिर, कहीं न जनमे ही होंगे। उस तरह रहता, घुल-घुलकर मरता। इस तरह सुख-संतोष के साथ मरूँगा। इस तरह के जीवन में कभी-कभी अपने उन बच्चों की एक झलक-सी मिल जाती है। ऐसा जान पड़ता है, जैसे वे इन्हीं में उछल-उछलकर हँस-खेल रहे हैं। पैसों की कमी थोडे ही है, आपकी दया से पैसे तो काफी हैं। जो नहीं है, इस तरह उसी को पा जाता हूँ।”

Q. मुरलीवाले की पहले कैसी स्थिति थी?

Test: मिठाईवाला- 2 - Question 2

अतिशय गंभीरता के साथ मिठाईवाले ने कहा-“मैं भी अपने नगर का एक प्रतिष्ठत आदमी था। मकान, व्यवसाय, गाड़ी-घोड़े, नौकर-चाक्कर सभी कुछ था। स्त्री थी, छोटे-छोटे दो बच्चे भी थे। मेरा वह सोने का संसार था। बाहर संपत्ति का वैभव था, भीतर सांसारिक सुख था। स्त्री सुंदरी थी, मेरी प्राण थी। बच्चे ऐसे सुंदर थे, जैसे सोने के सजीव खिलौने! उनकी अठखेलियों के मारे घर में कोलाहल मचा रहता था। समय की गति! विधाता की लीला। अब कोई नहीं है। दादी, प्राण निकाले नहीं निकले। इसलिए अपने उन बच्चों की खोज में निकला हूँ। वे सब अंत में होंगे, तो यही कहीं। आखिर, कहीं न जनमे ही होंगे। उस तरह रहता, घुल-घुलकर मरता। इस तरह सुख-संतोष के साथ मरूँगा। इस तरह के जीवन में कभी-कभी अपने उन बच्चों की एक झलक-सी मिल जाती है। ऐसा जान पड़ता है, जैसे वे इन्हीं में उछल-उछलकर हँस-खेल रहे हैं। पैसों की कमी थोडे ही है, आपकी दया से पैसे तो काफी हैं। जो नहीं है, इस तरह उसी को पा जाता हूँ।”

Q. मुरलीवाला बच्चों के बीच विभिन्न वस्तुएँ क्यों बेचता है?

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Test: मिठाईवाला- 2 - Question 3

अतिशय गंभीरता के साथ मिठाईवाले ने कहा-“मैं भी अपने नगर का एक प्रतिष्ठत आदमी था। मकान, व्यवसाय, गाड़ी-घोड़े, नौकर-चाक्कर सभी कुछ था। स्त्री थी, छोटे-छोटे दो बच्चे भी थे। मेरा वह सोने का संसार था। बाहर संपत्ति का वैभव था, भीतर सांसारिक सुख था। स्त्री सुंदरी थी, मेरी प्राण थी। बच्चे ऐसे सुंदर थे, जैसे सोने के सजीव खिलौने! उनकी अठखेलियों के मारे घर में कोलाहल मचा रहता था। समय की गति! विधाता की लीला। अब कोई नहीं है। दादी, प्राण निकाले नहीं निकले। इसलिए अपने उन बच्चों की खोज में निकला हूँ। वे सब अंत में होंगे, तो यही कहीं। आखिर, कहीं न जनमे ही होंगे। उस तरह रहता, घुल-घुलकर मरता। इस तरह सुख-संतोष के साथ मरूँगा। इस तरह के जीवन में कभी-कभी अपने उन बच्चों की एक झलक-सी मिल जाती है। ऐसा जान पड़ता है, जैसे वे इन्हीं में उछल-उछलकर हँस-खेल रहे हैं। पैसों की कमी थोडे ही है, आपकी दया से पैसे तो काफी हैं। जो नहीं है, इस तरह उसी को पा जाता हूँ।”

Q. कोलाहल का अर्थ है?

Test: मिठाईवाला- 2 - Question 4

अतिशय गंभीरता के साथ मिठाईवाले ने कहा-“मैं भी अपने नगर का एक प्रतिष्ठत आदमी था। मकान, व्यवसाय, गाड़ी-घोड़े, नौकर-चाक्कर सभी कुछ था। स्त्री थी, छोटे-छोटे दो बच्चे भी थे। मेरा वह सोने का संसार था। बाहर संपत्ति का वैभव था, भीतर सांसारिक सुख था। स्त्री सुंदरी थी, मेरी प्राण थी। बच्चे ऐसे सुंदर थे, जैसे सोने के सजीव खिलौने! उनकी अठखेलियों के मारे घर में कोलाहल मचा रहता था। समय की गति! विधाता की लीला। अब कोई नहीं है। दादी, प्राण निकाले नहीं निकले। इसलिए अपने उन बच्चों की खोज में निकला हूँ। वे सब अंत में होंगे, तो यही कहीं। आखिर, कहीं न जनमे ही होंगे। उस तरह रहता, घुल-घुलकर मरता। इस तरह सुख-संतोष के साथ मरूँगा। इस तरह के जीवन में कभी-कभी अपने उन बच्चों की एक झलक-सी मिल जाती है। ऐसा जान पड़ता है, जैसे वे इन्हीं में उछल-उछलकर हँस-खेल रहे हैं। पैसों की कमी थोडे ही है, आपकी दया से पैसे तो काफी हैं। जो नहीं है, इस तरह उसी को पा जाता हूँ।”

Q. मुरलीवाला अपने जीवन का आधार किन्हें समझ रहा है?

Test: मिठाईवाला- 2 - Question 5

अतिशय गंभीरता के साथ मिठाईवाले ने कहा-“मैं भी अपने नगर का एक प्रतिष्ठत आदमी था। मकान, व्यवसाय, गाड़ी-घोड़े, नौकर-चाक्कर सभी कुछ था। स्त्री थी, छोटे-छोटे दो बच्चे भी थे। मेरा वह सोने का संसार था। बाहर संपत्ति का वैभव था, भीतर सांसारिक सुख था। स्त्री सुंदरी थी, मेरी प्राण थी। बच्चे ऐसे सुंदर थे, जैसे सोने के सजीव खिलौने! उनकी अठखेलियों के मारे घर में कोलाहल मचा रहता था। समय की गति! विधाता की लीला। अब कोई नहीं है। दादी, प्राण निकाले नहीं निकले। इसलिए अपने उन बच्चों की खोज में निकला हूँ। वे सब अंत में होंगे, तो यही कहीं। आखिर, कहीं न जनमे ही होंगे। उस तरह रहता, घुल-घुलकर मरता। इस तरह सुख-संतोष के साथ मरूँगा। इस तरह के जीवन में कभी-कभी अपने उन बच्चों की एक झलक-सी मिल जाती है। ऐसा जान पड़ता है, जैसे वे इन्हीं में उछल-उछलकर हँस-खेल रहे हैं। पैसों की कमी थोडे ही है, आपकी दया से पैसे तो काफी हैं। जो नहीं है, इस तरह उसी को पा जाता हूँ।”

Q. मुरली वाले के बच्चों व पत्नी का क्या हुआ?

Detailed Solution for Test: मिठाईवाला- 2 - Question 5
- मिठाईवाले के बच्चों और पत्नी का कुछ स्पष्ट पता नहीं है।
- वह यह बताता है कि सभी उनकी जिन्दगी से चले गए हैं।
- उनके जाने के कारणों में यह शामिल हो सकता है:
- शायद वे मारे गए
- शायद वे कहीं चले गए
- इसलिए विकल्प (a) और (b) दोनों सही हैं, जिससे सही उत्तर (d) है।
- उनका जीवन अब अकेलेपन और खोने के दर्द से भरा है।
Test: मिठाईवाला- 2 - Question 6

“मिठाई वाला’ कहानी में इनमें से कौन नहीं है?

Test: मिठाईवाला- 2 - Question 7

निम्नलिखित में से कौन-सा गुण मिठाई वाले में नहीं था?

Test: मिठाईवाला- 2 - Question 8

मिठाई वाले के दुःख का क्या कारण था?

Test: मिठाईवाला- 2 - Question 9

मुरलीवाला हर्ष-गद्गद हो उठा। बोला-“सबको देंगे भैया! लेकिन ज़रा रुको, ठहरो, एक-एक को देने दो। अभी इतनी जल्दी हम कहीं लौट थोड़े ही जाएंगे। बेचने तो आए ही हैं और हैं भी इस समय मेरे पास एक-दो नहीं, . पूरी सत्तावन। …हाँ, बाबू जी, क्या पूछा था आपने, कितने में दीं! …दीं तो वैसे तीन-तीन पैसे के हिसाब से हैं, पर आपको दो-दो पैसे में ही दे दूंगा!”।

विजय बाबू भीतर-बाहर दोनों रूपों में मुसकरा दिए। मन-ही-मन कहने लगे-कैसा है! देता तो सबको इसी भाव से है, पर मुझ पर उलटा एहसान लाद रहा है। फिर बोले-“तुम लोगों की झूठ बोलने की आदत होती है। देते होगे सभी को दो-दो पैसे में, पर एहसान का बोझ मेरे ही ऊपर लाद रहे हो।”

Q. बच्चे क्या चाहते थे?

Test: मिठाईवाला- 2 - Question 10

मुरलीवाला हर्ष-गद्गद हो उठा। बोला-“सबको देंगे भैया! लेकिन ज़रा रुको, ठहरो, एक-एक को देने दो। अभी इतनी जल्दी हम कहीं लौट थोड़े ही जाएंगे। बेचने तो आए ही हैं और हैं भी इस समय मेरे पास एक-दो नहीं, . पूरी सत्तावन। …हाँ, बाबू जी, क्या पूछा था आपने, कितने में दीं! …दीं तो वैसे तीन-तीन पैसे के हिसाब से हैं, पर आपको दो-दो पैसे में ही दे दूंगा!”।

विजय बाबू भीतर-बाहर दोनों रूपों में मुसकरा दिए। मन-ही-मन कहने लगे-कैसा है! देता तो सबको इसी भाव से है, पर मुझ पर उलटा एहसान लाद रहा है। फिर बोले-“तुम लोगों की झूठ बोलने की आदत होती है। देते होगे सभी को दो-दो पैसे में, पर एहसान का बोझ मेरे ही ऊपर लाद रहे हो।”

Q. मुरलीवाला कितने पैसे में मुरली देना चाहता था?

Test: मिठाईवाला- 2 - Question 11

मुरलीवाला हर्ष-गद्गद हो उठा। बोला-“सबको देंगे भैया! लेकिन ज़रा रुको, ठहरो, एक-एक को देने दो। अभी इतनी जल्दी हम कहीं लौट थोड़े ही जाएंगे। बेचने तो आए ही हैं और हैं भी इस समय मेरे पास एक-दो नहीं, . पूरी सत्तावन। …हाँ, बाबू जी, क्या पूछा था आपने, कितने में दीं! …दीं तो वैसे तीन-तीन पैसे के हिसाब से हैं, पर आपको दो-दो पैसे में ही दे दूंगा!”।

विजय बाबू भीतर-बाहर दोनों रूपों में मुसकरा दिए। मन-ही-मन कहने लगे-कैसा है! देता तो सबको इसी भाव से है, पर मुझ पर उलटा एहसान लाद रहा है। फिर बोले-“तुम लोगों की झूठ बोलने की आदत होती है। देते होगे सभी को दो-दो पैसे में, पर एहसान का बोझ मेरे ही ऊपर लाद रहे हो।”

Q. विजय बाबू ने मुरली वाले को क्या कहा?

Test: मिठाईवाला- 2 - Question 12

मुरलीवाला हर्ष-गद्गद हो उठा। बोला-“सबको देंगे भैया! लेकिन ज़रा रुको, ठहरो, एक-एक को देने दो। अभी इतनी जल्दी हम कहीं लौट थोड़े ही जाएंगे। बेचने तो आए ही हैं और हैं भी इस समय मेरे पास एक-दो नहीं, . पूरी सत्तावन। …हाँ, बाबू जी, क्या पूछा था आपने, कितने में दीं! …दीं तो वैसे तीन-तीन पैसे के हिसाब से हैं, पर आपको दो-दो पैसे में ही दे दूंगा!”।

विजय बाबू भीतर-बाहर दोनों रूपों में मुसकरा दिए। मन-ही-मन कहने लगे-कैसा है! देता तो सबको इसी भाव से है, पर मुझ पर उलटा एहसान लाद रहा है। फिर बोले-“तुम लोगों की झूठ बोलने की आदत होती है। देते होगे सभी को दो-दो पैसे में, पर एहसान का बोझ मेरे ही ऊपर लाद रहे हो।”

Q. विजय बाबू क्यों मुसकरा रहे थे?

Test: मिठाईवाला- 2 - Question 13

फिर वह सौदा भी कैसा भी सस्ता बेचता है? अर्थ के आधार पर वाक्य भेद है

Test: मिठाईवाला- 2 - Question 14
मिठाईवाले ने क्यों व्यवसाय बदलने का निर्णय लिया?
Detailed Solution for Test: मिठाईवाला- 2 - Question 14
मिठाईवाले ने व्यवसाय बदलने का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि उसके बच्चों की मृत्यु हो गई थी और वह अपने बच्चों की यादों को दूसरों के बच्चों में देखना चाहता था।
Test: मिठाईवाला- 2 - Question 15
कहानी के अंत में मिठाईवाले ने पैसे क्यों नहीं लिए?
Detailed Solution for Test: मिठाईवाला- 2 - Question 15
मिठाईवाले ने पैसे इसलिए नहीं लिए क्योंकि उसे पहली बार किसी ने उसके दुःख को समझा और उसे चुन्नू-मुन्नु में अपने बच्चों की झलक नजर आई।
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