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Test: सपनों के-से दिन - 1 - Class 10 MCQ


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10 Questions MCQ Test - Test: सपनों के-से दिन - 1

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Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 1

नई कॉपियों और किताबों से आती गंध लेखक को कैसी लगती थी?

Detailed Solution for Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 1

जब नई श्रेणी (कक्षा) में जाने और नई कॉपियों तथा पुरानी किताबों से एक विशेष प्रकार की गंध आती थी, तो लेखक का बालमन उदास हो उठता था। यह गंध उन्हें छुट्टियों के खत्म होने और पढ़ाई के नीरस दिनों की वापसी का एहसास कराती थी, जो उनके खेलने-कूदने वाले दिनों की आज़ादी के विपरीत था।

Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 2

लेखक गृहकार्य कब करने की योजना बनाते थे?

Detailed Solution for Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 2

लेखक गर्मियों की छुट्टियों में मिलने वाले काम को पूरा करने की योजना हमेशा छुट्टियों के आखिरी दिनों के लिए बनाते थे। वे सोचते थे कि आखिरी हफ्ते में कर लेंगे, फिर सोचते थे कि आखिरी दिन कर लेंगे। यह बच्चों की सामान्य प्रवृत्ति होती है कि वे काम टालते रहते हैं और आखिरी समय पर पूरा करने की कोशिश करते हैं।

Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 3

नए पी.टी. सर का स्वभाव कैसा था?

Detailed Solution for Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 3

पी.टी. सर (प्रीतमचंद) के सस्पेंड होने के बाद एक नए पी.टी. सर आए थे। उनका स्वभाव पुराने सर जैसा गुस्सैल नहीं था, बल्कि वे अपेक्षाकृत नरम थे। उनके आने से बच्चों को थोड़ी राहत मिली क्योंकि उन्हें अब कम पिटाई का डर रहता था।

Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 4

बच्चे खेलना क्यों पसंद करते हैं?

Detailed Solution for Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 4

बाल-मनोविज्ञान के संदर्भ में, लेखक बताते हैं कि बच्चे खेलना इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि खेलते समय वे पूरी तरह मुक्त होते हैं। वे अपने घर की पिटाई, स्कूल की पिटाई और पढ़ाई की बोरियत सब भूल जाते हैं। खेलने में उन्हें रचनात्मकता और अपनी कल्पना का उपयोग करने का अवसर मिलता है, जिससे उन्हें असीम आनंद मिलता है।

Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 5

लेखक अपने बचपन के दिनों को ‘सपनों के-से दिन’ क्यों कहते हैं?

Detailed Solution for Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 5

लेखक अपने बचपन के दिनों को ‘सपनों के-से दिन’ कहते हैं क्योंकि वे दिन मुख्यतः खेलकूद, मस्तियों और कल्पनाओं में बीतते थे। बच्चे बिना किसी चिंता के अपनी ही दुनिया में लीन रहते थे, जहाँ खेलने की आज़ादी सबसे ऊपर थी। यह एक ऐसी दुनिया थी जहाँ कड़वी सच्चाई (जैसे मार-पिटाई) भी सपनों की तरह धुंधली पड़ जाती थी।

Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 6

उस समय बच्चों को पढ़ाई कैसे कराई जाती थी?

Detailed Solution for Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 6

लेखक ने अपने स्कूल के दिनों का वर्णन करते हुए बताया है कि मास्टर जी बच्चों को अक्सर मार-पीट कर पढ़ाते थे। वे ज़रा-सी गलती पर भी बच्चों को छड़ी से पीट देते थे, चाहे वह गृहकार्य न करने पर हो या कक्षा में कोई गलती करने पर। यह उस समय की पारंपरिक शिक्षण पद्धति का हिस्सा था।

Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 7

मास्टर प्रीतमचंद कौन-सा विषय पढ़ाते थे?

Detailed Solution for Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 7

मास्टर प्रीतमचंद शारीरिक शिक्षा (Physical Training – पी.टी.) के अध्यापक थे। वे बच्चों को परेड करवाते थे, स्काउटिंग सिखाते थे, और उन्हें अनुशासित रहने के लिए प्रेरित करते थे। उनका अनुशासन और सख्त व्यवहार बच्चों के बीच प्रसिद्ध था।

Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 8

लेखक के बचपन में बच्चों के पास क्या नहीं होता था?

Detailed Solution for Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 8

लेखक ने बताया है कि उनके बचपन में अधिकतर बच्चों के पास न तो जूते होते थे और न ही अच्छी किताबें। वे नंगे पाँव स्कूल आते थे और पुरानी, फटी-पुरानी किताबों से काम चलाते थे। यह उस समय की ग्रामीण शिक्षा प्रणाली और बच्चों की आर्थिक स्थिति को दर्शाता है।

Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 9

पी.टी. सर को सस्पेंड करने के बाद क्या हुआ?

Detailed Solution for Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 9

हेडमास्टर शर्मा जी ने मास्टर प्रीतमचंद को फीस के पैसे खर्च करने के कारण सस्पेंड कर दिया था, लेकिन कुछ दिनों बाद उनकी बहाली भी कर दी थी। इससे पता चलता है कि हेडमास्टर भले ही अनुशासनप्रिय थे, लेकिन वे मास्टर प्रीतमचंद की ज़रूरत और उनके कार्य के प्रति निष्ठा को समझते थे।

Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 10

जब बच्चों का गृहकार्य पूरा नहीं होता था तो वे क्या कामना करते थे?

Detailed Solution for Test: सपनों के-से दिन - 1 - Question 10

लेखक बताते हैं कि जब छुट्टियों का गृहकार्य पूरा नहीं होता था और स्कूल खुलने का दिन नज़दीक आता था, तो बच्चे दिल ही दिल में कामना करते थे कि कहीं भूकंप आ जाए, स्कूल की इमारत गिर जाए या उसमें आग लग जाए, जिससे उन्हें गृहकार्य न दिखाने पड़े। यह बच्चों के मन का भोलापन और काम से बचने की उनकी प्रवृत्ति को दर्शाता है।

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