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काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न
मोरपखा सिर ऊपर राखिहों गुंज की माल गरें पहिरोंगी।
ओदि पितंबर ले लकुटी बन गोधन ग्वारिन संग फिरौंगी।।
भावतो वोहि मेरी रसखानि सो तेरे कहें सब स्वांग करौंगी।
या मुरली मुरतीघर की अधरान भरी अधरा न घरौंगी।
‘गोपिका’ की क्या कामना है?
‘या मुरली धर की अधरान धरी अपरा न घरौंगी’ इस पंक्ति से गोपी के किस मनोभाव का पता चलता है?
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