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Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Class 7 MCQ


Test Description

15 Questions MCQ Test Hindi (Vasant II) Class 7 (Old NCERT) - Test: हिमालय की बेटियाँ- 2

Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 for Class 7 2025 is part of Hindi (Vasant II) Class 7 (Old NCERT) preparation. The Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 questions and answers have been prepared according to the Class 7 exam syllabus.The Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 MCQs are made for Class 7 2025 Exam. Find important definitions, questions, notes, meanings, examples, exercises, MCQs and online tests for Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 below.
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Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 1

अभी तक मैंने उन्हें दूर से देखा था। बड़ी गंभीर, शांत, अपने आप में खोई हुई लगती थीं। संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं। उनके प्रति मेरे दिल में आदर और श्रद्धा के भाव थे। माँ और दादी, मौसी और मामी की गोद की तरह उनकी धारा में डुबकियाँ लगाया करता।

परंतु इस बार जब मैं हिमालय के कंधे पर चढ़ा तो वे कुछ और रूप में सामने थीं। मैं हैरान था कि यही दुबली-पतली गंगा, यही यमुना, यही सतलुज समतल मैदानों में उतरकर विशाल कैसे हो जाती हैं! इनका उछलना और कूदना, खिलखिलाकर लगातार हँसते जाना, इनकी यह भाव-भंगी, इनका यह उल्लास कहाँ गायब हो जाता है मैदान में जाकर? किसी लड़की को जब मैं देखता हूँ, किसी कली पर जब मेरा ध्यान अटक जाता है, तब भी इतना कौतूहल और विस्मय नहीं होता, जितना कि इन बेटियों की बाललीला देखकर!

Q. निम्नलिखित में से कौन-से शब्द ‘गंगा’ का पर्यायवाची नहीं हैं?

 

Detailed Solution for Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 1

उत्तर: d) निर्झरी

"निर्झरी" का अर्थ झरना होता है और यह "गंगा" का पर्यायवाची नहीं है। जबकि "सुरसरिता," "देवनदी," और "मंदाकिनी" गंगा के पर्यायवाची शब्द हैं।

Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 2

कहाँ से भागी जा रही हैं? वह कौन लक्ष्य है जिसने इन्हें बेचैन कर रखा है? अपने महान पिता का विराट प्रेम पाकर भी अगर उनका हृदय अतृप्त ही है तो वह कौन होगा जो इनकी प्यास मिटा सकेगा! बरफ जली नंगी पहाड़ियाँ, छोटे-छोटे पौधों से भरी घाटियाँ, बंधुर अधित्यकाएँ, सरसब्ज उपत्यकाएँ-ऐसा है इनका लीला निकेतन! खेलते-खेलते जब ये ज़रा दूर निकल जाती हैं तो देवदार, चीड़, सरो, चिनार, सफेदा, कैल के जंगलों में पहँचकर शायद इन्हें बीती बातें याद करने का मौका मिल जाता होगा। कौन जाने, बुड्ढा हिमालय अपनी इन नटखट बेटियों के लिए कितना सिर धुनता होगा! बड़ी-बड़ी चोटियों से जाकर पूछिए तो उत्तर में विराट मौन के सिवाय उनके पास और रखा ही क्या है?

Q. हिमालय की नंगी पहाड़ियों को कैसा बताया गया है?

Detailed Solution for Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 2

गद्यांश में लिखा है:
"बरफ जली नंगी पहाड़ियाँ..."
इसका सीधा अर्थ है कि लेखक ने हिमालय की नंगी पहाड़ियों को "बर्फ से जली हुई" बताया है।

यहाँ “बर्फ जली” एक सुंदर रूपक है, जिससे पहाड़ियों की कठोर, उजाड़, और ठंडी स्थिति का चित्रण होता है।

सही उत्तर: (a) बर्फ से जली हुई

Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 3

कहाँ से भागी जा रही हैं? वह कौन लक्ष्य है जिसने इन्हें बेचैन कर रखा है? अपने महान पिता का विराट प्रेम पाकर भी अगर उनका हृदय अतृप्त ही है तो वह कौन होगा जो इनकी प्यास मिटा सकेगा! बरफ जली नंगी पहाड़ियाँ, छोटे-छोटे पौधों से भरी घाटियाँ, बंधुर अधित्यकाएँ, सरसब्ज उपत्यकाएँ-ऐसा है इनका लीला निकेतन! खेलते-खेलते जब ये ज़रा दूर निकल जाती हैं तो देवदार, चीड़, सरो, चिनार, सफेदा, कैल के जंगलों में पहँचकर शायद इन्हें बीती बातें याद करने का मौका मिल जाता होगा। कौन जाने, बुड्ढा हिमालय अपनी इन नटखट बेटियों के लिए कितना सिर धुनता होगा! बड़ी-बड़ी चोटियों से जाकर पूछिए तो उत्तर में विराट मौन के सिवाय उनके पास और रखा ही क्या है?

 
 

Q. नदियों का लक्ष्य कहाँ पहुँचना होता है?

 

Detailed Solution for Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 3

इस गद्यांश में नदियों को मानवीय रूप में प्रस्तुत किया गया है – जैसे वे किसी लक्ष्य की ओर "भागी जा रही हैं" और "बेचैन" हैं। लेखक यह प्रश्न उठाता है कि "वह कौन लक्ष्य है जिसने इन्हें बेचैन कर रखा है?"

यह प्रश्न प्रतीकात्मक रूप से नदियों की अंतिम यात्रा या मंज़िल को दर्शाता है। भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो नदियों का अंतिम लक्ष्य होता है समुद्र में मिलना

नदियाँ पहाड़ों से निकलकर मैदानों, घाटियों, जंगलों और गाँवों से होकर अंत में समुद्र में जाकर मिलती हैं। इसलिए उनकी यात्रा और बेचैनी का अंत भी वहीं होता है।

इसलिए सही उत्तर है – (d) समुद्र में

Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 4

कहाँ से भागी जा रही हैं? वह कौन लक्ष्य है जिसने इन्हें बेचैन कर रखा है? अपने महान पिता का विराट प्रेम पाकर भी अगर उनका हृदय अतृप्त ही है तो वह कौन होगा जो इनकी प्यास मिटा सकेगा! बरफ जली नंगी पहाड़ियाँ, छोटे-छोटे पौधों से भरी घाटियाँ, बंधुर अधित्यकाएँ, सरसब्ज उपत्यकाएँ-ऐसा है इनका लीला निकेतन! खेलते-खेलते जब ये ज़रा दूर निकल जाती हैं तो देवदार, चीड़, सरो, चिनार, सफेदा, कैल के जंगलों में पहँचकर शायद इन्हें बीती बातें याद करने का मौका मिल जाता होगा। कौन जाने, बुड्ढा हिमालय अपनी इन नटखट बेटियों के लिए कितना सिर धुनता होगा! बड़ी-बड़ी चोटियों से जाकर पूछिए तो उत्तर में विराट मौन के सिवाय उनके पास और रखा ही क्या है?

Q. लेखक ने हिमालय के लिए किस विशेषण का प्रयोग किया है?

Detailed Solution for Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 4

व्याख्या: इस प्रश्न में लेखक ने हिमालय के लिए "बुड्ढा" विशेषण का प्रयोग किया है। यह विशेषण हिमालय के प्राचीन और स्थिर रूप का संकेत देता है, जिसमें वह अपने नटखट बेटियों (हिमालय की चोटियों और प्राकृतिक सौंदर्य) के लिए एक वृद्ध, अनुभवी और धीरज से भरा हुआ प्रतीत होता है।

Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 5

कहाँ से भागी जा रही हैं? वह कौन लक्ष्य है जिसने इन्हें बेचैन कर रखा है? अपने महान पिता का विराट प्रेम पाकर भी अगर उनका हृदय अतृप्त ही है तो वह कौन होगा जो इनकी प्यास मिटा सकेगा! बरफ जली नंगी पहाड़ियाँ, छोटे-छोटे पौधों से भरी घाटियाँ, बंधुर अधित्यकाएँ, सरसब्ज उपत्यकाएँ-ऐसा है इनका लीला निकेतन! खेलते-खेलते जब ये ज़रा दूर निकल जाती हैं तो देवदार, चीड़, सरो, चिनार, सफेदा, कैल के जंगलों में पहँचकर शायद इन्हें बीती बातें याद करने का मौका मिल जाता होगा। कौन जाने, बुड्ढा हिमालय अपनी इन नटखट बेटियों के लिए कितना सिर धुनता होगा! बड़ी-बड़ी चोटियों से जाकर पूछिए तो उत्तर में विराट मौन के सिवाय उनके पास और रखा ही क्या है?

Q. देवदार, चीड़, सरो, चिनार आदि के जंगलों में पहुँचकर नदियों को बीती बातें याद करने का मौका क्यों मिल जाता है?

Detailed Solution for Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 5

गद्यांश में लेखक नदियों को एक कल्पनात्मक और मानवीय रूप में प्रस्तुत कर रहा है। वह कहता है कि जब ये नदियाँ खेलते-खेलते आगे बढ़ जाती हैं, तो देवदार, चीड़, सरो, चिनार जैसे ऊँचे पेड़ों वाले जंगलों में पहुँचती हैं। वहाँ आकर उन्हें बीती बातें याद करने का मौका मिल जाता होगा।

इस वाक्य का गूढ़ अर्थ यह है कि जैसे इंसान जब शांत और धीमी गति से चलता है, तब उसे सोचने और याद करने का समय मिलता है, वैसे ही इन जंगलों में नदियों की गति शायद धीमी हो जाती है, जिससे वे "बीते समय को याद कर सकें" — यह एक सुंदर रूपक (metaphor) है।

इसलिए सही उत्तर है: (b) क्योंकि वहाँ आकर उनकी गति थोड़ा कम हो जाती है

Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 6

कहाँ से भागी जा रही हैं? वह कौन लक्ष्य है जिसने इन्हें बेचैन कर रखा है? अपने महान पिता का विराट प्रेम पाकर भी अगर उनका हृदय अतृप्त ही है तो वह कौन होगा जो इनकी प्यास मिटा सकेगा! बरफ जली नंगी पहाड़ियाँ, छोटे-छोटे पौधों से भरी घाटियाँ, बंधुर अधित्यकाएँ, सरसब्ज उपत्यकाएँ-ऐसा है इनका लीला निकेतन! खेलते-खेलते जब ये ज़रा दूर निकल जाती हैं तो देवदार, चीड़, सरो, चिनार, सफेदा, कैल के जंगलों में पहँचकर शायद इन्हें बीती बातें याद करने का मौका मिल जाता होगा। कौन जाने, बुड्ढा हिमालय अपनी इन नटखट बेटियों के लिए कितना सिर धुनता होगा! बड़ी-बड़ी चोटियों से जाकर पूछिए तो उत्तर में विराट मौन के सिवाय उनके पास और रखा ही क्या है?

Q. ‘उपत्यकाएँ’ शब्द का क्या अर्थ है?

Detailed Solution for Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 6
- ‘उपत्यकाएँ’ का अर्थ होता है पहाड़ों के बीच की समतल भूमि या घाटियाँ।
- यह शब्द आमतौर पर उन क्षेत्रों के लिए उपयोग किया जाता है जो पहाड़ों के निकट होते हैं और जहाँ खेती या बस्तियाँ होती हैं।
- विकल्प 2, "पहाड़ के पास की भूमि, तराई घाटी", सही उत्तर है क्योंकि यह उपत्यका की विशेषता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 7

जिन्होंने मैदानों में ही इन नदियों को देखा होगा, उनके खयाल में शायद ही यह बात आ सके कि बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेला करती हैं। माँ-बाप की गोद में नंग-धडंग होकर खेलने वाली इन बालिकाओं का रूप पहाड़ी आदमियों के लिए आकर्षक भले न हो, लेकिन मुझे तो ऐसा लुभावना प्रतीत हुआ वह रूप कि हिमालय को समुः दो का दामाद कहने में कुछ भी झिझक नहीं होती है।

सालनासा के विरही यक्ष ने अपने मेघूदत से कहा था-वेत्रवती (बेतवा) नदी को प्रेम का प्रतिदान देते जाना, तुम्हारी यह प्रयसी तुम्हें पाकर अवश्य ही प्रसन्न होगी। यह बात इन चंचल नदियों को देखकर मुझे अचानक याद आ गई और सोचा कि शायद उस महाकवि को भी नदियों का सचेतन रूपक पसंद था। दरअसल जो भी कोई नदियों को पहाड़ी घटियों और समतल आँगनों के मैदानों में जुदा-जुदा शक्लों में देखेगा, वह इसी नतीजे पर पहुँचेगा।

Q. नदियाँ किसकी गोद में बच्चियाँ बनकर खेलती हैं?

Detailed Solution for Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 7

लेखक यहाँ नदियों की सुंदरता और उनके जीवन के प्रारंभिक रूप का वर्णन कर रहा है। वह कहता है कि जिन लोगों ने नदियों को सिर्फ मैदानों में बहते हुए देखा है, वे यह नहीं सोच सकते कि ये नदियाँ बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर कैसे खेला करती हैं। यह एक सुंदर रूपक (metaphor) है, जहाँ नदियों को छोटे बच्चों की तरह चित्रित किया गया है, जो हिमालय की गोद में चंचलता से खेलती हैं।

इसका अर्थ है कि नदियाँ अपने आरंभिक स्रोत — जो कि हिमालय है — वहाँ बहुत ही मासूम, चंचल और छोटी होती हैं, जैसे बच्चियाँ होती हैं, और जब मैदानों की ओर बढ़ती हैं तो उनका रूप और व्यवहार बदलता है।

इसलिए सही उत्तर है: (a) हिमालय की

Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 8

जिन्होंने मैदानों में ही इन नदियों को देखा होगा, उनके खयाल में शायद ही यह बात आ सके कि बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेला करती हैं। माँ-बाप की गोद में नंग-धडंग होकर खेलने वाली इन बालिकाओं का रूप पहाड़ी आदमियों के लिए आकर्षक भले न हो, लेकिन मुझे तो ऐसा लुभावना प्रतीत हुआ वह रूप कि हिमालय को समुः दो का दामाद कहने में कुछ भी झिझक नहीं होती है।

सालनासा के विरही यक्ष ने अपने मेघूदत से कहा था-वेत्रवती (बेतवा) नदी को प्रेम का प्रतिदान देते जाना, तुम्हारी यह प्रयसी तुम्हें पाकर अवश्य ही प्रसन्न होगी। यह बात इन चंचल नदियों को देखकर मुझे अचानक याद आ गई और सोचा कि शायद उस महाकवि को भी नदियों का सचेतन रूपक पसंद था। दरअसल जो भी कोई नदियों को पहाड़ी घटियों और समतल आँगनों के मैदानों में जुदा-जुदा शक्लों में देखेगा, वह इसी नतीजे पर पहुँचेगा।

Q. लेखक ने हिमालय को किसका ससुर कहाँ है?

 

Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 9

जिन्होंने मैदानों में ही इन नदियों को देखा होगा, उनके खयाल में शायद ही यह बात आ सके कि बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेला करती हैं। माँ-बाप की गोद में नंग-धडंग होकर खेलने वाली इन बालिकाओं का रूप पहाड़ी आदमियों के लिए आकर्षक भले न हो, लेकिन मुझे तो ऐसा लुभावना प्रतीत हुआ वह रूप कि हिमालय को समुः दो का दामाद कहने में कुछ भी झिझक नहीं होती है।

सालनासा के विरही यक्ष ने अपने मेघूदत से कहा था-वेत्रवती (बेतवा) नदी को प्रेम का प्रतिदान देते जाना, तुम्हारी यह प्रयसी तुम्हें पाकर अवश्य ही प्रसन्न होगी। यह बात इन चंचल नदियों को देखकर मुझे अचानक याद आ गई और सोचा कि शायद उस महाकवि को भी नदियों का सचेतन रूपक पसंद था। दरअसल जो भी कोई नदियों को पहाड़ी घटियों और समतल आँगनों के मैदानों में जुदा-जुदा शक्लों में देखेगा, वह इसी नतीजे पर पहुँचेगा।

Q. पहाड़ी आदमियों को बालिकाओं का रूप आकर्षक क्यों नहीं लगता?

 

Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 10

काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है। किंतु माता बनने से पहले यदि हम इन्हें बेटियों के रूप में देख ले तो क्या हर्ज है? और थोड़ा आगे चाहिए…..इन्हीं में अगर हम प्रेयसी की भावना करें तो कैसे रहेगा? ममता का एक और भी धागा है, जिसे हम इनके साथ जोड़ सकते हैं। बहन का स्थान कितने कवियों ने नदियों को दिया #! एक दिन मेरी भी ऐसी भावना हुई थी। थो-लिङ् (तिब्बत) की बात है। मन उचट गया था, तबीयत ढीली थी। सतलज के किनारे जाकर बैठ गया। दोपहर का समय था। पैर लटका दिए पानी में। थोड़ी ही देर में उसे प्रगतिशील जल ने असर डाला। तन और मन ताज़ा हो गया तो लगा मैं गुनगुनाने-

जय हो सतलज बहन तुम्हारी

लीला अचरज बहन तुम्हारी

हुआ मुदित मन हटा खुमारी

जाऊँ मैं तुम पर बलिहारी

तुम बेटी यह बाप हिमालय

चिंतित पर. चुपचाप हिमालय

प्रकृति नटी के चित्रित पट पर

अनुपम अद्भुत छाप हिमालय

जय हो हिमालय बहन तुम्हारी!

Q. काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?

Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 11

काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है। किंतु माता बनने से पहले यदि हम इन्हें बेटियों के रूप में देख ले तो क्या हर्ज है? और थोड़ा आगे चाहिए…..इन्हीं में अगर हम प्रेयसी की भावना करें तो कैसे रहेगा? ममता का एक और भी धागा है, जिसे हम इनके साथ जोड़ सकते हैं। बहन का स्थान कितने कवियों ने नदियों को दिया #! एक दिन मेरी भी ऐसी भावना हुई थी। थो-लिङ् (तिब्बत) की बात है। मन उचट गया था, तबीयत ढीली थी। सतलज के किनारे जाकर बैठ गया। दोपहर का समय था। पैर लटका दिए पानी में। थोड़ी ही देर में उसे प्रगतिशील जल ने असर डाला। तन और मन ताज़ा हो गया तो लगा मैं गुनगुनाने-

जय हो सतलज बहन तुम्हारी

लीला अचरज बहन तुम्हारी

हुआ मुदित मन हटा खुमारी

जाऊँ मैं तुम पर बलिहारी

तुम बेटी यह बाप हिमालय

चिंतित पर. चुपचाप हिमालय

प्रकृति नटी के चित्रित पट पर

अनुपम अद्भुत छाप हिमालय

जय हो हिमालय बहन तुम्हारी!

Q. जब लेखक सतजल नदी के किनारे बैठा था तो लेखक ने सतलज को किस रूप में देखा?

Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 12

काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है। किंतु माता बनने से पहले यदि हम इन्हें बेटियों के रूप में देख ले तो क्या हर्ज है? और थोड़ा आगे चाहिए…..इन्हीं में अगर हम प्रेयसी की भावना करें तो कैसे रहेगा? ममता का एक और भी धागा है, जिसे हम इनके साथ जोड़ सकते हैं। बहन का स्थान कितने कवियों ने नदियों को दिया #! एक दिन मेरी भी ऐसी भावना हुई थी। थो-लिङ् (तिब्बत) की बात है। मन उचट गया था, तबीयत ढीली थी। सतलज के किनारे जाकर बैठ गया। दोपहर का समय था। पैर लटका दिए पानी में। थोड़ी ही देर में उसे प्रगतिशील जल ने असर डाला। तन और मन ताज़ा हो गया तो लगा मैं गुनगुनाने-

जय हो सतलज बहन तुम्हारी

लीला अचरज बहन तुम्हारी

हुआ मुदित मन हटा खुमारी

जाऊँ मैं तुम पर बलिहारी

तुम बेटी यह बाप हिमालय

चिंतित पर. चुपचाप हिमालय

प्रकृति नटी के चित्रित पट पर

अनुपम अद्भुत छाप हिमालय

जय हो हिमालय बहन तुम्हारी!

 

Q. नदी में पैर डुबोने से लेखक का मन कैसा हो गया?

 

Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 13

काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है। किंतु माता बनने से पहले यदि हम इन्हें बेटियों के रूप में देख ले तो क्या हर्ज है? और थोड़ा आगे चाहिए…..इन्हीं में अगर हम प्रेयसी की भावना करें तो कैसे रहेगा? ममता का एक और भी धागा है, जिसे हम इनके साथ जोड़ सकते हैं। बहन का स्थान कितने कवियों ने नदियों को दिया #! एक दिन मेरी भी ऐसी भावना हुई थी। थो-लिङ् (तिब्बत) की बात है। मन उचट गया था, तबीयत ढीली थी। सतलज के किनारे जाकर बैठ गया। दोपहर का समय था। पैर लटका दिए पानी में। थोड़ी ही देर में उसे प्रगतिशील जल ने असर डाला। तन और मन ताज़ा हो गया तो लगा मैं गुनगुनाने-

जय हो सतलज बहन तुम्हारी

लीला अचरज बहन तुम्हारी

हुआ मुदित मन हटा खुमारी

जाऊँ मैं तुम पर बलिहारी

तुम बेटी यह बाप हिमालय

चिंतित पर. चुपचाप हिमालय

प्रकृति नटी के चित्रित पट पर

अनुपम अद्भुत छाप हिमालय

जय हो हिमालय बहन तुम्हारी!

 

Q. हिमालय के चिंतित होने का क्या कारण हो सकता है?

 

Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 14

काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है। किंतु माता बनने से पहले यदि हम इन्हें बेटियों के रूप में देख ले तो क्या हर्ज है? और थोड़ा आगे चाहिए…..इन्हीं में अगर हम प्रेयसी की भावना करें तो कैसे रहेगा? ममता का एक और भी धागा है, जिसे हम इनके साथ जोड़ सकते हैं। बहन का स्थान कितने कवियों ने नदियों को दिया #! एक दिन मेरी भी ऐसी भावना हुई थी। थो-लिङ् (तिब्बत) की बात है। मन उचट गया था, तबीयत ढीली थी। सतलज के किनारे जाकर बैठ गया। दोपहर का समय था। पैर लटका दिए पानी में। थोड़ी ही देर में उसे प्रगतिशील जल ने असर डाला। तन और मन ताज़ा हो गया तो लगा मैं गुनगुनाने-

जय हो सतलज बहन तुम्हारी

लीला अचरज बहन तुम्हारी

हुआ मुदित मन हटा खुमारी

जाऊँ मैं तुम पर बलिहारी

तुम बेटी यह बाप हिमालय

चिंतित पर. चुपचाप हिमालय

प्रकृति नटी के चित्रित पट पर

अनुपम अद्भुत छाप हिमालय

जय हो हिमालय बहन तुम्हारी!

 

Q.‘अनुपम’ का अर्थ होगा

 

Test: हिमालय की बेटियाँ- 2 - Question 15

नदियों की बाल लीला कहाँ देखी जा सकती है?

 

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