निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
जिन कर्मों में किसी प्रकार का कष्ट या हानि सहने का साहस अपेक्षित होता है उन सबके प्रति उत्कंठापूर्ण आनंद उत्साह के अन्तर्गत लिया जाता है कष्ट या हानि के भेद के अनुसार उत्साह के भी भेद हो जाते हैं। साहित्य-मीमांसकों ने इसी दृष्टि से युद्धवीर, दानवीर, दयावीर आदि भेद किए हैं इनमें सबसे प्राचीन और प्रधान युद्धवीरता है, जिसमें आघात, पीड़ा या मृत्यु की परवा नहीं रहती इस प्रकार की वीरता का प्रयोजन अत्यंत प्राचीनकाल से पड़ता आ रहा है, जिसमें साहस और प्रयत्न दोनों चरम उत्कर्ष पर पहुँचते हैं पर केवल कष्ट या पीड़ा सहन करने के साहस में ही उत्साह का स्वरूप स्फुरित नहीं होता उसके साथ आन्दपूर्ण प्रयत्न या उसकी उत्कंठा का योग चाहिए।
Q. उत्साह के भेद किस आधार पर किए गए हैं ?
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जिन कर्मों में किसी प्रकार का कष्ट या हानि सहने का साहस अपेक्षित होता है उन सबके प्रति उत्कंठापूर्ण आनंद उत्साह के अन्तर्गत लिया जाता है कष्ट या हानि के भेद के अनुसार उत्साह के भी भेद हो जाते हैं। साहित्य-मीमांसकों ने इसी दृष्टि से युद्धवीर, दानवीर, दयावीर आदि भेद किए हैं इनमें सबसे प्राचीन और प्रधान युद्धवीरता है, जिसमें आघात, पीड़ा या मृत्यु की परवा नहीं रहती इस प्रकार की वीरता का प्रयोजन अत्यंत प्राचीनकाल से पड़ता आ रहा है, जिसमें साहस और प्रयत्न दोनों चरम उत्कर्ष पर पहुँचते हैं पर केवल कष्ट या पीड़ा सहन करने के साहस में ही उत्साह का स्वरूप स्फुरित नहीं होता उसके साथ आन्दपूर्ण प्रयत्न या उसकी उत्कंठा का योग चाहिए।
Q. उत्कंठापूर्ण आनंद किसके अन्तर्गत लिया जाता है?
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निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
जिन कर्मों में किसी प्रकार का कष्ट या हानि सहने का साहस अपेक्षित होता है उन सबके प्रति उत्कंठापूर्ण आनंद उत्साह के अन्तर्गत लिया जाता है कष्ट या हानि के भेद के अनुसार उत्साह के भी भेद हो जाते हैं। साहित्य-मीमांसकों ने इसी दृष्टि से युद्धवीर, दानवीर, दयावीर आदि भेद किए हैं इनमें सबसे प्राचीन और प्रधान युद्धवीरता है, जिसमें आघात, पीड़ा या मृत्यु की परवा नहीं रहती इस प्रकार की वीरता का प्रयोजन अत्यंत प्राचीनकाल से पड़ता आ रहा है, जिसमें साहस और प्रयत्न दोनों चरम उत्कर्ष पर पहुँचते हैं पर केवल कष्ट या पीड़ा सहन करने के साहस में ही उत्साह का स्वरूप स्फुरित नहीं होता उसके साथ आन्दपूर्ण प्रयत्न या उसकी उत्कंठा का योग चाहिए।
Q. साहित्य-मीमांसकों ने वीरता के कौन-कौनसे भेद किए हैं ?
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
जिन कर्मों में किसी प्रकार का कष्ट या हानि सहने का साहस अपेक्षित होता है उन सबके प्रति उत्कंठापूर्ण आनंद उत्साह के अन्तर्गत लिया जाता है कष्ट या हानि के भेद के अनुसार उत्साह के भी भेद हो जाते हैं। साहित्य-मीमांसकों ने इसी दृष्टि से युद्धवीर, दानवीर, दयावीर आदि भेद किए हैं इनमें सबसे प्राचीन और प्रधान युद्धवीरता है, जिसमें आघात, पीड़ा या मृत्यु की परवा नहीं रहती इस प्रकार की वीरता का प्रयोजन अत्यंत प्राचीनकाल से पड़ता आ रहा है, जिसमें साहस और प्रयत्न दोनों चरम उत्कर्ष पर पहुँचते हैं पर केवल कष्ट या पीड़ा सहन करने के साहस में ही उत्साह का स्वरूप स्फुरित नहीं होता उसके साथ आन्दपूर्ण प्रयत्न या उसकी उत्कंठा का योग चाहिए।
Q. सबसे प्राचीन कौन सी वीरता है?
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
जिन कर्मों में किसी प्रकार का कष्ट या हानि सहने का साहस अपेक्षित होता है उन सबके प्रति उत्कंठापूर्ण आनंद उत्साह के अन्तर्गत लिया जाता है कष्ट या हानि के भेद के अनुसार उत्साह के भी भेद हो जाते हैं। साहित्य-मीमांसकों ने इसी दृष्टि से युद्धवीर, दानवीर, दयावीर आदि भेद किए हैं इनमें सबसे प्राचीन और प्रधान युद्धवीरता है, जिसमें आघात, पीड़ा या मृत्यु की परवा नहीं रहती इस प्रकार की वीरता का प्रयोजन अत्यंत प्राचीनकाल से पड़ता आ रहा है, जिसमें साहस और प्रयत्न दोनों चरम उत्कर्ष पर पहुँचते हैं पर केवल कष्ट या पीड़ा सहन करने के साहस में ही उत्साह का स्वरूप स्फुरित नहीं होता उसके साथ आन्दपूर्ण प्रयत्न या उसकी उत्कंठा का योग चाहिए।
Q. युद्धवीरता के लिए किस प्रकार की प्रवृत्ति अपेक्षित है ?
निम्नलिखित में से कौन सा शब्द ‘भ्रमर’ का पर्यायवाची नहीं है?
‘बुरे उद्देश्य से की गई गुप्त मंत्रणा’ इस वाक्यांश के लिए एक शब्द है-
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
हरा भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
नदियाँ, पर्वत, हवा, पेड़ से आती है बहार।
बचपन, कोमल तन-मन लेकर,
आए अनुपम जीवन लेकर,
जग से तुम और तुमसे है ये प्यारा संसार
हरा-भरा जो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
वृंद-लताएँ, पौधे, डाली
चारों ओर भरे हरियाली
मन में जगे उमंग यही है सृष्टि का उपहार,
हरा-भरा जो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
मुश्किल से मिलता है जीवन,
हम सब इसे बनाएँ चंदन
पर्यावरण सुरक्षित न हो तो है सब बेकार
हरा – भरा जो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार
Q. हरा-भरा जीवन का अर्थ है -
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हरा भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
नदियाँ, पर्वत, हवा, पेड़ से आती है बहार।
बचपन, कोमल तन-मन लेकर,
आए अनुपम जीवन लेकर,
जग से तुम और तुमसे है ये प्यारा संसार
हरा-भरा जो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
वृंद-लताएँ, पौधे, डाली
चारों ओर भरे हरियाली
मन में जगे उमंग यही है सृष्टि का उपहार,
हरा-भरा जो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
मुश्किल से मिलता है जीवन,
हम सब इसे बनाएँ चंदन
पर्यावरण सुरक्षित न हो तो है सब बेकार
हरा – भरा जो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार
Q. कौन-सी चीजें बहार लेकर आती हैं?
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
हरा भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
नदियाँ, पर्वत, हवा, पेड़ से आती है बहार।
बचपन, कोमल तन-मन लेकर,
आए अनुपम जीवन लेकर,
जग से तुम और तुमसे है ये प्यारा संसार
हरा-भरा जो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
वृंद-लताएँ, पौधे, डाली
चारों ओर भरे हरियाली
मन में जगे उमंग यही है सृष्टि का उपहार,
हरा-भरा जो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
मुश्किल से मिलता है जीवन,
हम सब इसे बनाएँ चंदन
पर्यावरण सुरक्षित न हो तो है सब बेकार
हरा – भरा जो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार
Q. कवि ने सृष्टि का उपहार किसे कहा है?
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
हरा भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
नदियाँ, पर्वत, हवा, पेड़ से आती है बहार।
बचपन, कोमल तन-मन लेकर,
आए अनुपम जीवन लेकर,
जग से तुम और तुमसे है ये प्यारा संसार
हरा-भरा जो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
वृंद-लताएँ, पौधे, डाली
चारों ओर भरे हरियाली
मन में जगे उमंग यही है सृष्टि का उपहार,
हरा-भरा जो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
मुश्किल से मिलता है जीवन,
हम सब इसे बनाएँ चंदन
पर्यावरण सुरक्षित न हो तो है सब बेकार
हरा – भरा जो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार
Q. कवि यह सन्देश देना चाहता है कि-
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
हरा भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
नदियाँ, पर्वत, हवा, पेड़ से आती है बहार।
बचपन, कोमल तन-मन लेकर,
आए अनुपम जीवन लेकर,
जग से तुम और तुमसे है ये प्यारा संसार
हरा-भरा जो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
वृंद-लताएँ, पौधे, डाली
चारों ओर भरे हरियाली
मन में जगे उमंग यही है सृष्टि का उपहार,
हरा-भरा जो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
मुश्किल से मिलता है जीवन,
हम सब इसे बनाएँ चंदन
पर्यावरण सुरक्षित न हो तो है सब बेकार
हरा – भरा जो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार
Q. ‘जग से तुम और तुम से है ये प्यारा संसार’ पंक्ति के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि-
निम्नलिखित प्रत्येक विकल्प में से ऐसे शब्द का चयन कीजिए जिसमे ‘सम्’ उपसर्ग जोड़ने से एक नया शब्द निर्मिंत होता है?
निम्नलिखित में से कौन सा शब्द अनेकार्थी शब्द ‘दल’ से सम्बद्ध नहीं है?
निम्नलिखित में से किस वाक्य में सर्वनाम का सही प्रयोग नही हुआ है?
निम्नलिखित में से किस वाक्य में क्रिया सम्बन्धी अशुद्धि है?
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