निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
कवित्त विश्व का अंतरतम् संगीत है उसके आनन्द का रोमहास है, उसमें हमारी सूक्ष्म दृष्टि का मर्म प्रकाश है जिस प्रकार कविता में भावों का अंतरस्थ ह्रित्स्पंदन अधिक गम्भीर परिस्फुट तथा परिपक्व रहता है उसी प्रकार छंदबद्ध भाषा में भी राग का प्रभाव, उसकी शक्ति, अधिक जाग्रत, प्रबल तथा परिपूर्ण रहती है रागध्वनि लोक की कल्पना है जो कार्य भाव जगत् में कल्पना करती है वह कार्य शब्द जगत् में राग; दोनों अभिन्न हैं। यदि किसी भाषा के छंदों में, भारती के प्राणों में शक्ति तथा स्फूर्ति संचार करने वाले उसके संगीत को अपनी उन्मुक्त झंकारों के पंखों में उड़ने के लिए प्रशस्त क्षेत्र तथा विशदाकाश न मिलता हो, वह पिंजरबद्ध कीर की तरह छंद के अस्वाभाविक बंधनों से कुंठित हो, उड़ने की चेष्टा में छटपटाकर गिर पड़ता हो; तो उस भाषा में छंदबद्ध काव्य का प्रयोजन ही क्या ? प्रत्येक भाषा के छंद उसके उच्चारण संगत के अनुकूल होने चाहिए जिस प्रकार पतंग डोर के लघु-संकेतों की सहायता से ओर भी ऊँची उड़ती है, उसी प्रकार कविता का राग भी छंद के इंगितों से दृप्त तथा प्रभावित होकर अपनी ही उन्मुक्ति में अनंत की ओर अग्रसर होता जाता है हमारे साधारण वार्तालाप में भाषा संगीत को जो यथेष्ट क्षेत्र नहीं प्राप्त होता, उसी की पूर्ति के लिए काव्य में छंदों का प्रादुर्भाव हुआ है कविता में भावों के प्रगाढ़ संगीत के साथ भाषा का संगीत भी पूर्ण परिस्फुटित होना चाहिए, तभी दोनों में संतुलन रह सकता है।
Q. कविता का राग छंद से दृप्त होता है-
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
कवित्त विश्व का अंतरतम् संगीत है उसके आनन्द का रोमहास है, उसमें हमारी सूक्ष्म दृष्टि का मर्म प्रकाश है जिस प्रकार कविता में भावों का अंतरस्थ ह्रित्स्पंदन अधिक गम्भीर परिस्फुट तथा परिपक्व रहता है उसी प्रकार छंदबद्ध भाषा में भी राग का प्रभाव, उसकी शक्ति, अधिक जाग्रत, प्रबल तथा परिपूर्ण रहती है रागध्वनि लोक की कल्पना है जो कार्य भाव जगत् में कल्पना करती है वह कार्य शब्द जगत् में राग; दोनों अभिन्न हैं। यदि किसी भाषा के छंदों में, भारती के प्राणों में शक्ति तथा स्फूर्ति संचार करने वाले उसके संगीत को अपनी उन्मुक्त झंकारों के पंखों में उड़ने के लिए प्रशस्त क्षेत्र तथा विशदाकाश न मिलता हो, वह पिंजरबद्ध कीर की तरह छंद के अस्वाभाविक बंधनों से कुंठित हो, उड़ने की चेष्टा में छटपटाकर गिर पड़ता हो; तो उस भाषा में छंदबद्ध काव्य का प्रयोजन ही क्या ? प्रत्येक भाषा के छंद उसके उच्चारण संगत के अनुकूल होने चाहिए जिस प्रकार पतंग डोर के लघु-संकेतों की सहायता से ओर भी ऊँची उड़ती है, उसी प्रकार कविता का राग भी छंद के इंगितों से दृप्त तथा प्रभावित होकर अपनी ही उन्मुक्ति में अनंत की ओर अग्रसर होता जाता है हमारे साधारण वार्तालाप में भाषा संगीत को जो यथेष्ट क्षेत्र नहीं प्राप्त होता, उसी की पूर्ति के लिए काव्य में छंदों का प्रादुर्भाव हुआ है कविता में भावों के प्रगाढ़ संगीत के साथ भाषा का संगीत भी पूर्ण परिस्फुटित होना चाहिए, तभी दोनों में संतुलन रह सकता है।
Q. कविता में छंदों का अस्वाभाविक बंधन -
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निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
कवित्त विश्व का अंतरतम् संगीत है उसके आनन्द का रोमहास है, उसमें हमारी सूक्ष्म दृष्टि का मर्म प्रकाश है जिस प्रकार कविता में भावों का अंतरस्थ ह्रित्स्पंदन अधिक गम्भीर परिस्फुट तथा परिपक्व रहता है उसी प्रकार छंदबद्ध भाषा में भी राग का प्रभाव, उसकी शक्ति, अधिक जाग्रत, प्रबल तथा परिपूर्ण रहती है रागध्वनि लोक की कल्पना है जो कार्य भाव जगत् में कल्पना करती है वह कार्य शब्द जगत् में राग; दोनों अभिन्न हैं। यदि किसी भाषा के छंदों में, भारती के प्राणों में शक्ति तथा स्फूर्ति संचार करने वाले उसके संगीत को अपनी उन्मुक्त झंकारों के पंखों में उड़ने के लिए प्रशस्त क्षेत्र तथा विशदाकाश न मिलता हो, वह पिंजरबद्ध कीर की तरह छंद के अस्वाभाविक बंधनों से कुंठित हो, उड़ने की चेष्टा में छटपटाकर गिर पड़ता हो; तो उस भाषा में छंदबद्ध काव्य का प्रयोजन ही क्या ? प्रत्येक भाषा के छंद उसके उच्चारण संगत के अनुकूल होने चाहिए जिस प्रकार पतंग डोर के लघु-संकेतों की सहायता से ओर भी ऊँची उड़ती है, उसी प्रकार कविता का राग भी छंद के इंगितों से दृप्त तथा प्रभावित होकर अपनी ही उन्मुक्ति में अनंत की ओर अग्रसर होता जाता है हमारे साधारण वार्तालाप में भाषा संगीत को जो यथेष्ट क्षेत्र नहीं प्राप्त होता, उसी की पूर्ति के लिए काव्य में छंदों का प्रादुर्भाव हुआ है कविता में भावों के प्रगाढ़ संगीत के साथ भाषा का संगीत भी पूर्ण परिस्फुटित होना चाहिए, तभी दोनों में संतुलन रह सकता है।
Q. राग और कल्पना में क्या सम्बन्ध है?
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
कवित्त विश्व का अंतरतम् संगीत है उसके आनन्द का रोमहास है, उसमें हमारी सूक्ष्म दृष्टि का मर्म प्रकाश है जिस प्रकार कविता में भावों का अंतरस्थ ह्रित्स्पंदन अधिक गम्भीर परिस्फुट तथा परिपक्व रहता है उसी प्रकार छंदबद्ध भाषा में भी राग का प्रभाव, उसकी शक्ति, अधिक जाग्रत, प्रबल तथा परिपूर्ण रहती है रागध्वनि लोक की कल्पना है जो कार्य भाव जगत् में कल्पना करती है वह कार्य शब्द जगत् में राग; दोनों अभिन्न हैं। यदि किसी भाषा के छंदों में, भारती के प्राणों में शक्ति तथा स्फूर्ति संचार करने वाले उसके संगीत को अपनी उन्मुक्त झंकारों के पंखों में उड़ने के लिए प्रशस्त क्षेत्र तथा विशदाकाश न मिलता हो, वह पिंजरबद्ध कीर की तरह छंद के अस्वाभाविक बंधनों से कुंठित हो, उड़ने की चेष्टा में छटपटाकर गिर पड़ता हो; तो उस भाषा में छंदबद्ध काव्य का प्रयोजन ही क्या ? प्रत्येक भाषा के छंद उसके उच्चारण संगत के अनुकूल होने चाहिए जिस प्रकार पतंग डोर के लघु-संकेतों की सहायता से ओर भी ऊँची उड़ती है, उसी प्रकार कविता का राग भी छंद के इंगितों से दृप्त तथा प्रभावित होकर अपनी ही उन्मुक्ति में अनंत की ओर अग्रसर होता जाता है हमारे साधारण वार्तालाप में भाषा संगीत को जो यथेष्ट क्षेत्र नहीं प्राप्त होता, उसी की पूर्ति के लिए काव्य में छंदों का प्रादुर्भाव हुआ है कविता में भावों के प्रगाढ़ संगीत के साथ भाषा का संगीत भी पूर्ण परिस्फुटित होना चाहिए, तभी दोनों में संतुलन रह सकता है।
Q. छंद के इंगित से कविता का राग-
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
कवित्त विश्व का अंतरतम् संगीत है उसके आनन्द का रोमहास है, उसमें हमारी सूक्ष्म दृष्टि का मर्म प्रकाश है जिस प्रकार कविता में भावों का अंतरस्थ ह्रित्स्पंदन अधिक गम्भीर परिस्फुट तथा परिपक्व रहता है उसी प्रकार छंदबद्ध भाषा में भी राग का प्रभाव, उसकी शक्ति, अधिक जाग्रत, प्रबल तथा परिपूर्ण रहती है रागध्वनि लोक की कल्पना है जो कार्य भाव जगत् में कल्पना करती है वह कार्य शब्द जगत् में राग; दोनों अभिन्न हैं। यदि किसी भाषा के छंदों में, भारती के प्राणों में शक्ति तथा स्फूर्ति संचार करने वाले उसके संगीत को अपनी उन्मुक्त झंकारों के पंखों में उड़ने के लिए प्रशस्त क्षेत्र तथा विशदाकाश न मिलता हो, वह पिंजरबद्ध कीर की तरह छंद के अस्वाभाविक बंधनों से कुंठित हो, उड़ने की चेष्टा में छटपटाकर गिर पड़ता हो; तो उस भाषा में छंदबद्ध काव्य का प्रयोजन ही क्या ? प्रत्येक भाषा के छंद उसके उच्चारण संगत के अनुकूल होने चाहिए जिस प्रकार पतंग डोर के लघु-संकेतों की सहायता से ओर भी ऊँची उड़ती है, उसी प्रकार कविता का राग भी छंद के इंगितों से दृप्त तथा प्रभावित होकर अपनी ही उन्मुक्ति में अनंत की ओर अग्रसर होता जाता है हमारे साधारण वार्तालाप में भाषा संगीत को जो यथेष्ट क्षेत्र नहीं प्राप्त होता, उसी की पूर्ति के लिए काव्य में छंदों का प्रादुर्भाव हुआ है कविता में भावों के प्रगाढ़ संगीत के साथ भाषा का संगीत भी पूर्ण परिस्फुटित होना चाहिए, तभी दोनों में संतुलन रह सकता है।
Q. भाषा का संगीत किसका उपकारक है?
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
सुनता हूँ मैंने भी देखा,
काले बादल में रहती चाँदी की रेखा।
काले बादल जाती-द्वेष के,
काले बादल विश्व-क्लेश के,
काले बादल उठते पथ पर
नवस्वतंत्रता के प्रवेश के!
सुनता आया हूँ, है देखा
काले बादल में हँसती चाँदी की रेखा!
Q. “काले बादल में रहती चाँदी की रेखा।” पंक्ति का भाव है-
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
सुनता हूँ मैंने भी देखा,
काले बादल में रहती चाँदी की रेखा।
काले बादल जाती-द्वेष के,
काले बादल विश्व-क्लेश के,
काले बादल उठते पथ पर
नवस्वतंत्रता के प्रवेश के!
सुनता आया हूँ, है देखा
काले बादल में हँसती चाँदी की रेखा!
Q. ‘काले बादल’ प्रतीक हैं-
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
सुनता हूँ मैंने भी देखा,
काले बादल में रहती चाँदी की रेखा।
काले बादल जाती-द्वेष के,
काले बादल विश्व-क्लेश के,
काले बादल उठते पथ पर
नवस्वतंत्रता के प्रवेश के!
सुनता आया हूँ, है देखा
काले बादल में हँसती चाँदी की रेखा!
Q. ‘काले बादल में रहती चाँदी की रेखा’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
सुनता हूँ मैंने भी देखा,
काले बादल में रहती चाँदी की रेखा।
काले बादल जाती-द्वेष के,
काले बादल विश्व-क्लेश के,
काले बादल उठते पथ पर
नवस्वतंत्रता के प्रवेश के!
सुनता आया हूँ, है देखा
काले बादल में हँसती चाँदी की रेखा!
Q. निम्न में से कौन सा शब्द ‘बादल’ का पर्यायवाची नहीं है?
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
सुनता हूँ मैंने भी देखा,
काले बादल में रहती चाँदी की रेखा।
काले बादल जाती-द्वेष के,
काले बादल विश्व-क्लेश के,
काले बादल उठते पथ पर
नवस्वतंत्रता के प्रवेश के!
सुनता आया हूँ, है देखा
काले बादल में हँसती चाँदी की रेखा!
Q. कवि क्या सुनने और देखने की बात करता है?
‘गुरु के समीप रहकर अध्ययन करने वाला’ के लिए एक शब्द है?
निम्नलिखित प्रश्न में चार शब्द दिए गए हैं। कृत् प्रत्यय ‘आई’ जोड़ने से भाववाचक संज्ञा बनाने वाले एक शब्द की पहचान कीजिए।
निम्नलिखित में से कौन सा वाक्य अकर्मक क्रिया का एक उदाहरण है?
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