कविता में “इन सपनों के पंख न काटो” पंक्ति से काव्यरचना में कवयित्री कौन-सा भाव प्रदर्शित कर रही हैं?
“सौरभ उड़ जाता है नभ में / फिर वह लौट कहाँ आता है?” में ‘सौरभ’ का क्या रूपक है?
“बीज धूलि में गिर जाता जो / वह नभ में कब उड़ पाता है?” पंक्तियों का मुख्य आशय है—
“अग्नि सदा धरती पर जलती / धूम गगन में मँडराता है” में ‘अग्नि’ और ‘धूम’ का संयोजन क्या दर्शाता है?
“इसका आरोहण मत रोको इसका अवरोहण मत बाँधो” में कवयित्री क्या चेतावनी दे रही हैं?
“मुक्त गगन में विचरण कर यह / तारों में फिर मिल जायेगा” अंश का मूल संदेश क्या है?
“मेघों से रंग औ’ किरणों से / दीप्ति लिए भू पर आयेगा” में कविता किस प्रक्रिया का वर्णन करती है?
“स्वर्ग बनाने का फिर कोई शिल्प / भूमि को सिखलायेगा !” पद्यांश से क्या सन्देश मिलता है?
कविता में ‘नभ तक जाने से मत रोको / धरती से इसको मत बाँधो’ कहाँ तक का विस्तार मांगती है?
कवयित्री ने “मेघों से रंग” और “किरणों से दीप्ति” की कौन-सी विधा अपनाई है?
“स्वर्ग बनाने का फिर कोई शिल्प” में ‘शिल्प’ किस अर्थ में उपयोग हुआ है?
“पृथ्वी को सिखलायेगा” पंक्ति में ‘पृथ्वी’ किस प्रतीक के रूप में है?
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