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Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Class 7 MCQ


Test Description

20 Questions MCQ Test Hindi (Vasant II) Class 7 - Test: अपूर्व अनुभव- 2

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Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 1

तोत्तो-चान ने अपनी योजना को बड़ों से क्यों छुपाया?

Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 2

‘अपूर्व अनुभव’ की घटना किस देश से संबंधित है?

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Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 3

यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोतो-चान को अथक प्रयास क्यों करना पड़ा?

Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 4

‘अपूर्व अनुभव’ के लेखक कौन हैं?

Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 5

यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह न तो किसी पेड़ पर चढ़ पाता था और न किसी पेड़ को निती संपत्ति मानता था। अतः तोत्तो-चान ने उसे अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था। पर यह बात उन्होंने किसी से नहीं कही, क्योंकि अगर बड़े सुनते तो ज़रूर डाँटते। घर से निकलते समय तोत्तो-चान ने माँ से कहा कि वह यासुकी-चान के घर डेनेनचोफु जा रही है। चूंकि वह झूठ बोल रही थी, इसलिए उसने माँ की आँखों से नहीं झाँका। वह अपनी नज़रें जूतों के फीतों पर ही गड़ाए रही। रॉकी उसके पीछे-पीछे स्टेशन तक आया। जाने से पहले उसे सच बताए बिना तोत्तो-चान से रहा नहीं गया।

Q. तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर क्यों आमंत्रित किया?

Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 6

यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह न तो किसी पेड़ पर चढ़ पाता था और न किसी पेड़ को निती संपत्ति मानता था। अतः तोत्तो-चान ने उसे अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था। पर यह बात उन्होंने किसी से नहीं कही, क्योंकि अगर बड़े सुनते तो ज़रूर डाँटते। घर से निकलते समय तोत्तो-चान ने माँ से कहा कि वह यासुकी-चान के घर डेनेनचोफु जा रही है। चूंकि वह झूठ बोल रही थी, इसलिए उसने माँ की आँखों से नहीं झाँका। वह अपनी नज़रें जूतों के फीतों पर ही गड़ाए रही। रॉकी उसके पीछे-पीछे स्टेशन तक आया। जाने से पहले उसे सच बताए बिना तोत्तो-चान से रहा नहीं गया।

Q. तोत्तो-चान कहाँ जा रही थी?

Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 7

यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह न तो किसी पेड़ पर चढ़ पाता था और न किसी पेड़ को निती संपत्ति मानता था। अतः तोत्तो-चान ने उसे अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था। पर यह बात उन्होंने किसी से नहीं कही, क्योंकि अगर बड़े सुनते तो ज़रूर डाँटते। घर से निकलते समय तोत्तो-चान ने माँ से कहा कि वह यासुकी-चान के घर डेनेनचोफु जा रही है। चूंकि वह झूठ बोल रही थी, इसलिए उसने माँ की आँखों से नहीं झाँका। वह अपनी नज़रें जूतों के फीतों पर ही गड़ाए रही। रॉकी उसके पीछे-पीछे स्टेशन तक आया। जाने से पहले उसे सच बताए बिना तोत्तो-चान से रहा नहीं गया।

Q. तोत्तो-चान क्या कहकर घर से निकली?

Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 8

यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह न तो किसी पेड़ पर चढ़ पाता था और न किसी पेड़ को निती संपत्ति मानता था। अतः तोत्तो-चान ने उसे अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था। पर यह बात उन्होंने किसी से नहीं कही, क्योंकि अगर बड़े सुनते तो ज़रूर डाँटते। घर से निकलते समय तोत्तो-चान ने माँ से कहा कि वह यासुकी-चान के घर डेनेनचोफु जा रही है। चूंकि वह झूठ बोल रही थी, इसलिए उसने माँ की आँखों से नहीं झाँका। वह अपनी नज़रें जूतों के फीतों पर ही गड़ाए रही। रॉकी उसके पीछे-पीछे स्टेशन तक आया। जाने से पहले उसे सच बताए बिना तोत्तो-चान से रहा नहीं गया।

Q. चलते समय तोत्तो-चान ने अपनी माँ से नज़रें क्यों नहीं मिलाई?

Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 9

यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह न तो किसी पेड़ पर चढ़ पाता था और न किसी पेड़ को निती संपत्ति मानता था। अतः तोत्तो-चान ने उसे अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था। पर यह बात उन्होंने किसी से नहीं कही, क्योंकि अगर बड़े सुनते तो ज़रूर डाँटते। घर से निकलते समय तोत्तो-चान ने माँ से कहा कि वह यासुकी-चान के घर डेनेनचोफु जा रही है। चूंकि वह झूठ बोल रही थी, इसलिए उसने माँ की आँखों से नहीं झाँका। वह अपनी नज़रें जूतों के फीतों पर ही गड़ाए रही। रॉकी उसके पीछे-पीछे स्टेशन तक आया। जाने से पहले उसे सच बताए बिना तोत्तो-चान से रहा नहीं गया।

Q. ‘आमंत्रित’ शब्द में प्रत्यय होगा

Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 10

‘अपूर्व अनुभव’ इनमें से क्या है?

Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 11

“द्विशाखा’ शब्द का क्या अर्थ है?

Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 12

यासुकी-चान और तोत्तो-चान को क्या अपूर्व अनुभव मिला?

Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 13

जैसे ही यासुकी-चान ने तोत्तो-चान को देखा, वह पैर घसीटता हुआ उसकी ओर बढ़ा। उसके हाथ अपनी चाल को स्थिर करने के लिए दोनों ओर फैले हुए थे। तोत्तो-चान उत्तेचित थी। वे दोनों आज कुछ ऐसा करने वाले थे जिसका भेद किसी को भी पता न था। वह उल्लास में ठिठियाकर हँसने लगी। यासुकी-चान भी हँसने लगा।

तोत्तो-चान यासुकी-चान को अपने पेड़ की ओर ले गई और उसके बाद वह तुरंत चौकीदार के छप्पर की ओर भागी, जैसा उसने रात को ही तय कर लिया था। वहाँ से वह एक सीढ़ी घसीटती हुई लाई। उसे तने के सहारे ऐसे लगाया, जिससे वह द्विशाखा तक पहुँच जाए। वह कुरसी से ऊपर चढ़ी और सीढ़ी के किनारे को पकड़ किया। तब उसने पुकारा, “ठीक है, अब ऊपर चढ़ने की कोशिश करो।”

Q. यासकी-चान तोत्तो-चान की ओर किस प्रकार बढ़ा?

Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 14

जैसे ही यासुकी-चान ने तोत्तो-चान को देखा, वह पैर घसीटता हुआ उसकी ओर बढ़ा। उसके हाथ अपनी चाल को स्थिर करने के लिए दोनों ओर फैले हुए थे। तोत्तो-चान उत्तेचित थी। वे दोनों आज कुछ ऐसा करने वाले थे जिसका भेद किसी को भी पता न था। वह उल्लास में ठिठियाकर हँसने लगी। यासुकी-चान भी हँसने लगा।

तोत्तो-चान यासुकी-चान को अपने पेड़ की ओर ले गई और उसके बाद वह तुरंत चौकीदार के छप्पर की ओर भागी, जैसा उसने रात को ही तय कर लिया था। वहाँ से वह एक सीढ़ी घसीटती हुई लाई। उसे तने के सहारे ऐसे लगाया, जिससे वह द्विशाखा तक पहुँच जाए। वह कुरसी से ऊपर चढ़ी और सीढ़ी के किनारे को पकड़ किया। तब उसने पुकारा, “ठीक है, अब ऊपर चढ़ने की कोशिश करो।”

Q. “द्विशाखा’ शब्द में समास होगा

Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 15

जैसे ही यासुकी-चान ने तोत्तो-चान को देखा, वह पैर घसीटता हुआ उसकी ओर बढ़ा। उसके हाथ अपनी चाल को स्थिर करने के लिए दोनों ओर फैले हुए थे। तोत्तो-चान उत्तेचित थी। वे दोनों आज कुछ ऐसा करने वाले थे जिसका भेद किसी को भी पता न था। वह उल्लास में ठिठियाकर हँसने लगी। यासुकी-चान भी हँसने लगा।

तोत्तो-चान यासुकी-चान को अपने पेड़ की ओर ले गई और उसके बाद वह तुरंत चौकीदार के छप्पर की ओर भागी, जैसा उसने रात को ही तय कर लिया था। वहाँ से वह एक सीढ़ी घसीटती हुई लाई। उसे तने के सहारे ऐसे लगाया, जिससे वह द्विशाखा तक पहुँच जाए। वह कुरसी से ऊपर चढ़ी और सीढ़ी के किनारे को पकड़ किया। तब उसने पुकारा, “ठीक है, अब ऊपर चढ़ने की कोशिश करो।”

Q. तोत्तो-चान चौकीदार के छप्पर की ओर क्यों भागी?

Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 16

तोमोए में हरेक बच्चा बाग के एक-एक पेड़ को अपने खुद के चढ़ने का पेड़ मानता था। तोत्तो-चान का पेड़ मैदान के बाहरी हिस्से में कुहोन्बुत्सु जानेवाली सड़क के पास था। बड़ा सा पेड़ था उसका, चढ़ने जाओ तो पैर फिसल-फिसल जाते। पर, ठीक से चढ़ने पर ज़मीन से कोई छह फुट की ऊँचाई पर एक विशाखा तक पहुँचा जा सकता था। बिलकुल किसी झूले-सी आरामदेह जगह थी यह। तोत्तो-चान अकसर खाने की छुट्टी के समय या स्कूल के बाद ऊपर चढ़ी मिलती।

Q. उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का नाम एवं लेखक हैं

Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 17

तोमोए में हरेक बच्चा बाग के एक-एक पेड़ को अपने खुद के चढ़ने का पेड़ मानता था। तोत्तो-चान का पेड़ मैदान के बाहरी हिस्से में कुहोन्बुत्सु जानेवाली सड़क के पास था। बड़ा सा पेड़ था उसका, चढ़ने जाओ तो पैर फिसल-फिसल जाते। पर, ठीक से चढ़ने पर ज़मीन से कोई छह फुट की ऊँचाई पर एक विशाखा तक पहुँचा जा सकता था। बिलकुल किसी झूले-सी आरामदेह जगह थी यह। तोत्तो-चान अकसर खाने की छुट्टी के समय या स्कूल के बाद ऊपर चढ़ी मिलती।

Q. पेड़ की विशाखा ज़मीन से कितनी ऊँचाई पर थी?

Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 18

तोमोए में हरेक बच्चा बाग के एक-एक पेड़ को अपने खुद के चढ़ने का पेड़ मानता था। तोत्तो-चान का पेड़ मैदान के बाहरी हिस्से में कुहोन्बुत्सु जानेवाली सड़क के पास था। बड़ा सा पेड़ था उसका, चढ़ने जाओ तो पैर फिसल-फिसल जाते। पर, ठीक से चढ़ने पर ज़मीन से कोई छह फुट की ऊँचाई पर एक विशाखा तक पहुँचा जा सकता था। बिलकुल किसी झूले-सी आरामदेह जगह थी यह। तोत्तो-चान अकसर खाने की छुट्टी के समय या स्कूल के बाद ऊपर चढ़ी मिलती।

Q. उपर्युक्त गद्यांश से हमें किस बात का पता चलता है?

Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 19

तोमोए में हरेक बच्चा बाग के एक-एक पेड़ को अपने खुद के चढ़ने का पेड़ मानता था। तोत्तो-चान का पेड़ मैदान के बाहरी हिस्से में कुहोन्बुत्सु जानेवाली सड़क के पास था। बड़ा सा पेड़ था उसका, चढ़ने जाओ तो पैर फिसल-फिसल जाते। पर, ठीक से चढ़ने पर ज़मीन से कोई छह फुट की ऊँचाई पर एक विशाखा तक पहुँचा जा सकता था। बिलकुल किसी झूले-सी आरामदेह जगह थी यह। तोत्तो-चान अकसर खाने की छुट्टी के समय या स्कूल के बाद ऊपर चढ़ी मिलती।

Q. पेड़ की विशाखा पर दोनों बच्चे कैसे महसूस करते थे?

Test: अपूर्व अनुभव- 2 - Question 20

तोमोए में हरेक बच्चा बाग के एक-एक पेड़ को अपने खुद के चढ़ने का पेड़ मानता था। तोत्तो-चान का पेड़ मैदान के बाहरी हिस्से में कुहोन्बुत्सु जानेवाली सड़क के पास था। बड़ा सा पेड़ था उसका, चढ़ने जाओ तो पैर फिसल-फिसल जाते। पर, ठीक से चढ़ने पर ज़मीन से कोई छह फुट की ऊँचाई पर एक विशाखा तक पहुँचा जा सकता था। बिलकुल किसी झूले-सी आरामदेह जगह थी यह। तोत्तो-चान अकसर खाने की छुट्टी के समय या स्कूल के बाद ऊपर चढ़ी मिलती।

Q. हरेक बच्चा बाग के एक-एक पेड़ को क्या मानता था?

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