निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिए:
मुँहमाँगी मजूरी पर कौन मुजी तैयार न होता। ‘कच्च-कच्च’ उसकी कैंची चल उठी और चूहे की तरह ‘सर्र-सर्र’ उसकी सुई कपड़े के भीतर-बाहर होने लगी। बड़े मनोयोग से उसने दो टोपियाँ सिल दीं। खुश होकर दर्जी ने अपनी ओर से एक टोपी पर पाँच फुँदने भी जड़ दिए। फूँदनेवाली टोपी पहनकर तो गवरइया जैसे आपे में न रही। डेढ़ टाँगोंपर ही लगी नाचने, फुदक-फुदककर लगी गवरा को दिखाने,‘‘देख मेरी टोपी सबसे निराली ...पाँच फुँदनेवाली।’’
प्रश्न: दर्जी को कितनी मशदूरी मिल रही थी?
निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिए:
मुँहमाँगी मजूरी पर कौन मुजी तैयार न होता। ‘कच्च-कच्च’ उसकी कैंची चल उठी और चूहे की तरह ‘सर्र-सर्र’ उसकी सुई कपड़े के भीतर-बाहर होने लगी। बड़े मनोयोग से उसने दो टोपियाँ सिल दीं। खुश होकर दर्जी ने अपनी ओर से एक टोपी पर पाँच फुँदने भी जड़ दिए। फूँदनेवाली टोपी पहनकर तो गवरइया जैसे आपे में न रही। डेढ़ टाँगोंपर ही लगी नाचने, फुदक-फुदककर लगी गवरा को दिखाने,‘‘देख मेरी टोपी सबसे निराली ...पाँच फुँदनेवाली।’’
प्रश्न: दर्जी ने मनोयोग से काम क्यों किया?
निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिए:
मुँहमाँगी मजूरी पर कौन मुजी तैयार न होता। ‘कच्च-कच्च’ उसकी कैंची चल उठी और चूहे की तरह ‘सर्र-सर्र’ उसकी सुई कपड़े के भीतर-बाहर होने लगी। बड़े मनोयोग से उसने दो टोपियाँ सिल दीं। खुश होकर दर्जी ने अपनी ओर से एक टोपी पर पाँच फुँदने भी जड़ दिए। फूँदनेवाली टोपी पहनकर तो गवरइया जैसे आपे में न रही। डेढ़ टाँगोंपर ही लगी नाचने, फुदक-फुदककर लगी गवरा को दिखाने,‘‘देख मेरी टोपी सबसे निराली ...पाँच फुँदनेवाली।’’
प्रश्न: खुश दर्जी ने टोपी को सुंदर बना दिया,कैसे ?
निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिए:
मुँहमाँगी मजूरी पर कौन मुजी तैयार न होता। ‘कच्च-कच्च’ उसकी कैंची चल उठी और चूहे की तरह ‘सर्र-सर्र’ उसकी सुई कपड़े के भीतर-बाहर होने लगी। बड़े मनोयोग से उसने दो टोपियाँ सिल दीं। खुश होकर दर्जी ने अपनी ओर से एक टोपी पर पाँच फुँदने भी जड़ दिए। फूँदनेवाली टोपी पहनकर तो गवरइया जैसे आपे में न रही। डेढ़ टाँगोंपर ही लगी नाचने, फुदक-फुदककर लगी गवरा को दिखाने,‘‘देख मेरी टोपी सबसे निराली ...पाँच फुँदनेवाली।’’
प्रश्न:‘गवरइया आपे में न रही’ का भाव है-
निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिए:
मुँहमाँगी मजूरी पर कौन मुजी तैयार न होता। ‘कच्च-कच्च’ उसकी कैंची चल उठी और चूहे की तरह ‘सर्र-सर्र’ उसकी सुई कपड़े के भीतर-बाहर होने लगी। बड़े मनोयोग से उसने दो टोपियाँ सिल दीं। खुश होकर दर्जी ने अपनी ओर से एक टोपी पर पाँच फुँदने भी जड़ दिए। फूँदनेवाली टोपी पहनकर तो गवरइया जैसे आपे में न रही। डेढ़ टाँगोंपर ही लगी नाचने, फुदक-फुदककर लगी गवरा को दिखाने,‘‘देख मेरी टोपी सबसे निराली ...पाँच फुँदनेवाली।’’
प्रश्न: दर्जी ने दो टोपियाँ क्यों सिली थीं?
17 videos|193 docs|129 tests
|
17 videos|193 docs|129 tests
|