Class 10 Exam  >  Class 10 Tests  >  Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Class 10 MCQ

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Class 10 MCQ


Test Description

10 Questions MCQ Test - Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 for Class 10 2025 is part of Class 10 preparation. The Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 questions and answers have been prepared according to the Class 10 exam syllabus.The Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 MCQs are made for Class 10 2025 Exam. Find important definitions, questions, notes, meanings, examples, exercises, MCQs and online tests for Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 below.
Solutions of Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 questions in English are available as part of our course for Class 10 & Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 solutions in Hindi for Class 10 course. Download more important topics, notes, lectures and mock test series for Class 10 Exam by signing up for free. Attempt Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 | 10 questions in 10 minutes | Mock test for Class 10 preparation | Free important questions MCQ to study for Class 10 Exam | Download free PDF with solutions
Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 1

लेखक के पिता किस बात पर नाराज़ हो जाते थे?

Detailed Solution for Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 1

लेखक के पिता इस बात पर बहुत नाराज़ होते थे कि कोई दिन में दीवार के सुराख में हाथ डालकर चिड़िया के बच्चे निकाले। वे कहते थे कि चिड़िया को भी अपने बच्चों को खिलाने-पिलाने का मौका मिलना चाहिए। यह उनके जीवदया और जीवों के प्रति सम्मान के भाव को दर्शाता है।

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 2

‘समुद्र के गुस्से’ का क्या कारण बताया गया है?

Detailed Solution for Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 2

लेखक ने मुंबई में बढ़ते अतिक्रमण और समुद्र को पीछे धकेलने के मानवीय प्रयासों को ‘समुद्र के गुस्से’ का कारण बताया है। वे कहते हैं कि बिल्डर समुद्र को पीछे धकेलकर ज़मीन हड़प रहे थे। एक रात समुद्र की लहरें तीन जहाँ तक चली गईं और अपनी चीज़ें ले गईं, जिससे समुद्र के स्वभाव को छेड़ने का परिणाम दिखाया गया है।

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 3

मुंबई में कहाँ के निवासी समुद्री लहरों का शिकार हुए थे?

Detailed Solution for Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 3

लेखक ने मुंबई में समुद्र के गुस्से का उदाहरण देते हुए बताया है कि एक रात समुद्र की लहरें कोलाबा और वर्सोवा के तटों को तोड़कर अंदर तक घुस आई थीं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मनुष्यों ने समुद्र के किनारे की ज़मीन को हथिया लिया था, जिसके परिणामस्वरूप समुद्र ने अपना ही स्थान वापस ले लिया।

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 4

बिल्डर समुद्र को पीछे धकेलकर क्या कर रहे थे?

Detailed Solution for Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 4

लेखक के अनुसार, मुंबई में कुछ बिल्डर समुद्र को पीछे धकेलकर उसकी ज़मीन हड़प रहे थे। वे कंक्रीट की दीवारें खड़ी करके और मलबा डालकर समुद्र की सीमा को छोटा कर रहे थे। इस अतिक्रमण का परिणाम यह हुआ कि समुद्र ने अपना ही स्थान वापस लेने के लिए अपनी लहरों से कहर ढाया।

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 5

प्रकृति के संतुलन बिगड़ने का मुख्य कारण क्या बताया गया है?

Detailed Solution for Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 5

पाठ का केंद्रीय विचार यही है कि मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति का अत्यधिक दोहन किया है। उसने पेड़ों को काटा, समुद्र को पीछे धकेला, और अन्य जीवों का घर छीना। इसी अनैतिक व्यवहार के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है, और इसका खामियाजा मनुष्यों को ही भुगतना पड़ रहा है।

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 6

‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ शीर्षक का क्या अर्थ है?

Detailed Solution for Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 6

शीर्षक ‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ इस बात को दर्शाता है कि आधुनिक मनुष्य स्वार्थी हो गया है और उसमें दूसरों के प्रति, विशेषकर प्रकृति और अन्य जीवों के प्रति, संवेदनशीलता का अभाव हो गया है। पहले लोग, जैसे लेखक की माँ या सुलेमान, जीवों के दुख से दुखी होते थे, लेकिन अब यह भावना लुप्त होती जा रही है।

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 7

बाइबिल में हज़रत सुलेमान को क्या कहा गया है?

Detailed Solution for Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 7

पाठ के अनुसार, बाइबिल में हज़रत सुलेमान को पैगंबर कहा गया है। पैगंबर वे होते हैं जिन्हें ईश्वर का संदेश मिलता है और वे उसे लोगों तक पहुँचाते हैं। सुलेमान की कहानी में उनकी संवेदनशीलता और जीवों के प्रति दयालुता को दर्शाया गया है, जिससे उनकी पैगंबर जैसी छवि और मजबूत होती है।

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 8

लेखक ने एक बार क्या देखकर अपनी नींद खो दी थी?

Detailed Solution for Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 8

लेखक ने अपनी डायरी में दर्ज किया है कि एक बार एक दिन वह घर लौट रहा था। घर में चींटियों की एक पूरी कतार थी जो उनके घर में घुस रही थी। उसने देखा कि बहुत सारी चींटियाँ दीवार पर चढ़ रही हैं। उस रात उन्हें नींद नहीं आई। यह घटना लेखक की संवेदनशीलता और प्रकृति के जीवों के प्रति उनके लगाव को दर्शाती है।

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 9

लेखक ने दीवार पर चढ़ती चींटियों को देखकर क्या सोचा?

Detailed Solution for Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 9

लेखक को जब दीवार पर चढ़ती चींटियाँ दिखीं, तो उन्हें लगा कि यह कहाँ जा रही हैं और शायद इन्हें भूख लगी होगी। इस विचार के कारण उन्हें रात भर नींद नहीं आई। उन्होंने तुरंत अपनी माँ से खाने का डिब्बा लाने को कहा और चींटियों के रास्ते पर खाना फैला दिया। यह उनके परोपकारी और जीवदयावान स्वभाव को दर्शाता है।

Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 10

आज मनुष्य अपने घरों को किस प्रकार बनाता है, जिससे जीवों को कष्ट होता है?

Detailed Solution for Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 - Question 10

लेखक बताते हैं कि पहले घरों में रोशनदान, कबूतरों के लिए आले और खुले आँगन होते थे जहाँ चिड़ियाएँ आती थीं। लेकिन अब मनुष्य ने अपने घर इतने संवेदनहीन तरीके से बनाए हैं कि उसमें एक भी जीव के लिए जगह नहीं है। वे प्रकृति से कटकर ऐसे मकान बना रहे हैं जो केवल उनके अपने स्वार्थ को पूरा करते हैं, जिससे अन्य जीवों को बेघर होना पड़ता है।

Information about Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 Page
In this test you can find the Exam questions for Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2 solved & explained in the simplest way possible. Besides giving Questions and answers for Test: अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले - 2, EduRev gives you an ample number of Online tests for practice
Download as PDF