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Test: पापा खो गए- 2 - Class 7 MCQ


Test Description

20 Questions MCQ Test - Test: पापा खो गए- 2

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Test: पापा खो गए- 2 - Question 1

“मीठी आवाज़ में न गाएँ तो क्या इस कौए जैसी आवाज़ में कॉव-कॉव करें?” यह कथन किसका है?

Detailed Solution for Test: पापा खो गए- 2 - Question 1

“मीठी आवाज़ में न गाएँ तो क्या इस कौए जैसी आवाज़ में कॉव-कॉव करें?” यह कथन लैटर बक्स का है

Test: पापा खो गए- 2 - Question 2

“कौन है जो रात के वक्त इतनी मीठी आवाजें लगाकर मेरी नींद खराब करता हैं?” यह कथन किसका है?

Detailed Solution for Test: पापा खो गए- 2 - Question 2

यह कथन एकांकी "पापा खो गए" में कौए का है। इस दृश्य में, जब लैटरबक्स गुनगुनाते हुए किसी दोहे का एक चरण गा रहा होता है, तो उसकी आवाज से कौए की नींद खराब हो जाती है। कौआ पेड़ के पीछे से झाँककर गुस्से में कहता है, "काँsव। कौन है जो रात के वक्त इतनी मीठी आवाजें लगाकर मेरी नींद खराब करता है? ज़राभर चैन नहीं इन्हें।" यहाँ कौआ लैटरबक्स की गुनगुनाहट से परेशान होकर यह कथन कहता है, क्योंकि उसकी नींद में खलल पड़ रहा है।

इसलिए, सही उत्तर कौए का है।

Test: पापा खो गए- 2 - Question 3

इस पाठ और लेखक का नाम इनमें से कौन-सा है?

Test: पापा खो गए- 2 - Question 4

इस पाठ में किस समय यह घटनाएं हो रही हैं ?

Test: पापा खो गए- 2 - Question 5

तब भी बरसात की रातों से तो ये रातें कहीं अच्छी हैं, पेड़राजा! बरसात की रातों में तो रातभर भीगते रहो, बादलों से आनेवाले पानी की मार खाते रहो, तेज़ हवाओं में भी बल्ब को कसकर पकड़े बराबर एक टाँग पर खड़े रहो-बिलकुल अच्छा नहीं लगता। उस वक्त लगता है, इससे तो अच्छा था…न होता बिजली के खंभे का जन्म! बल्ब फेंक, तब दूर कहीं भाग जाने का जी होता है।

Q. खंभे की बातों को कौन सुन रहा है?

Test: पापा खो गए- 2 - Question 6

तब भी बरसात की रातों से तो ये रातें कहीं अच्छी हैं, पेड़राजा! बरसात की रातों में तो रातभर भीगते रहो, बादलों से आनेवाले पानी की मार खाते रहो, तेज़ हवाओं में भी बल्ब को कसकर पकड़े बराबर एक टाँग पर खड़े रहो-बिलकुल अच्छा नहीं लगता। उस वक्त लगता है, इससे तो अच्छा था…न होता बिजली के खंभे का जन्म! बल्ब फेंक, तब दूर कहीं भाग जाने का जी होता है।

Q. खंभे की परेशानी क्या है?

Detailed Solution for Test: पापा खो गए- 2 - Question 6

व्याख्या:

  • बारिश में भींगना: खंभा और बल्ब बारिश में भींगते रहते हैं, जिससे परेशानी होती है।
  • एक टाँग पर खड़े रहना: तेज़ हवाओं के दौरान बल्ब को पकड़ कर खड़ा रहना एक कठिन कार्य है।
  • तेज़ आँधी तूफान में बल्ब को सँभाल कर रखना: आँधी और तूफान के दौरान बल्ब को कसकर पकड़ना खंभे की मुश्किलों में शामिल है।

इसलिए, उपर्युक्त सभी विकल्प खंभे की परेशानियों को सही तरीके से दर्शाते हैं।

Test: पापा खो गए- 2 - Question 7

तब भी बरसात की रातों से तो ये रातें कहीं अच्छी हैं, पेड़राजा! बरसात की रातों में तो रातभर भीगते रहो, बादलों से आनेवाले पानी की मार खाते रहो, तेज़ हवाओं में भी बल्ब को कसकर पकड़े बराबर एक टाँग पर खड़े रहो-बिलकुल अच्छा नहीं लगता। उस वक्त लगता है, इससे तो अच्छा था…न होता बिजली के खंभे का जन्म! बल्ब फेंक, तब दूर कहीं भाग जाने का जी होता है।

Q. खंभा किसे कसकर पकड़े रहता है?

Test: पापा खो गए- 2 - Question 8

तब भी बरसात की रातों से तो ये रातें कहीं अच्छी हैं, पेड़राजा! बरसात की रातों में तो रातभर भीगते रहो, बादलों से आनेवाले पानी की मार खाते रहो, तेज़ हवाओं में भी बल्ब को कसकर पकड़े बराबर एक टाँग पर खड़े रहो-बिलकुल अच्छा नहीं लगता। उस वक्त लगता है, इससे तो अच्छा था…न होता बिजली के खंभे का जन्म! बल्ब फेंक, तब दूर कहीं भाग जाने का जी होता है।

Q. खंभे को किस ऋतु की रात पसंद नहीं है?

Test: पापा खो गए- 2 - Question 9

अपने पत्तों का कोट पहनकर मुझे सरदी, बारिश या धूप में उतनी तकलीफ़ नहीं होती, तो भी तुमसे बहुत पहले का खड़ा हूँ मैं यहाँ। यहीं मेरा जन्म हुआ-इसी जगह। तब सब कुछ कितना अलग था यहाँ। वहाँ के, वे सब ऊँचे-ऊँचे घर नहीं थे तब। यह सड़क भी नहीं थी। वह सिनेमा का बड़ा सा पोस्टर और उसमें नाचनेवाली औरत भी तब नहीं थी। सिर्फ सामने का यह समुद्र था। बहुत अकेलापन महसूस होता था। तुम्हें जब यहाँ लाकर खड़ा किया तो सोचा, चलो कोई साथी तो मिला-इतना ही सही। लेकिन वो भी कहाँ? तुम शुरू-शुरू में मुझसे बोलने को ही तैयार नहीं थे। मैंने बहुत बार कोशिश की, पर तुम्हारी अकड़ जहाँ थी वहीं कायम! बाद में मैंने भी सोच लिया, इसकी नाक इतनी ऊँची है तो रहने दो। मैंने भी कभी आवाज़ नहीं लगाई, हाँ! अपना भी स्वभाव ज़रा ऐसा ही है।

Q. जब पेड़ का जन्म हुआ तो उस स्थान पर विशेष रूप से क्या था?

Test: पापा खो गए- 2 - Question 10

अपने पत्तों का कोट पहनकर मुझे सरदी, बारिश या धूप में उतनी तकलीफ़ नहीं होती, तो भी तुमसे बहुत पहले का खड़ा हूँ मैं यहाँ। यहीं मेरा जन्म हुआ-इसी जगह। तब सब कुछ कितना अलग था यहाँ। वहाँ के, वे सब ऊँचे-ऊँचे घर नहीं थे तब। यह सड़क भी नहीं थी। वह सिनेमा का बड़ा सा पोस्टर और उसमें नाचनेवाली औरत भी तब नहीं थी। सिर्फ सामने का यह समुद्र था। बहुत अकेलापन महसूस होता था। तुम्हें जब यहाँ लाकर खड़ा किया तो सोचा, चलो कोई साथी तो मिला-इतना ही सही। लेकिन वो भी कहाँ? तुम शुरू-शुरू में मुझसे बोलने को ही तैयार नहीं थे। मैंने बहुत बार कोशिश की, पर तुम्हारी अकड़ जहाँ थी वहीं कायम! बाद में मैंने भी सोच लिया, इसकी नाक इतनी ऊँची है तो रहने दो। मैंने भी कभी आवाज़ नहीं लगाई, हाँ! अपना भी स्वभाव ज़रा ऐसा ही है।

Q. तुम्हें जब यहाँ लाकर खड़ा किया गया’ किसे खड़ा करने को कहा गया है?

Test: पापा खो गए- 2 - Question 11

अपने पत्तों का कोट पहनकर मुझे सरदी, बारिश या धूप में उतनी तकलीफ़ नहीं होती, तो भी तुमसे बहुत पहले का खड़ा हूँ मैं यहाँ। यहीं मेरा जन्म हुआ-इसी जगह। तब सब कुछ कितना अलग था यहाँ। वहाँ के, वे सब ऊँचे-ऊँचे घर नहीं थे तब। यह सड़क भी नहीं थी। वह सिनेमा का बड़ा सा पोस्टर और उसमें नाचनेवाली औरत भी तब नहीं थी। सिर्फ सामने का यह समुद्र था। बहुत अकेलापन महसूस होता था। तुम्हें जब यहाँ लाकर खड़ा किया तो सोचा, चलो कोई साथी तो मिला-इतना ही सही। लेकिन वो भी कहाँ? तुम शुरू-शुरू में मुझसे बोलने को ही तैयार नहीं थे। मैंने बहुत बार कोशिश की, पर तुम्हारी अकड़ जहाँ थी वहीं कायम! बाद में मैंने भी सोच लिया, इसकी नाक इतनी ऊँची है तो रहने दो। मैंने भी कभी आवाज़ नहीं लगाई, हाँ! अपना भी स्वभाव ज़रा ऐसा ही है।

Q. किसकी नाक ऊँची थी?

Test: पापा खो गए- 2 - Question 12

अपने पत्तों का कोट पहनकर मुझे सरदी, बारिश या धूप में उतनी तकलीफ़ नहीं होती, तो भी तुमसे बहुत पहले का खड़ा हूँ मैं यहाँ। यहीं मेरा जन्म हुआ-इसी जगह। तब सब कुछ कितना अलग था यहाँ। वहाँ के, वे सब ऊँचे-ऊँचे घर नहीं थे तब। यह सड़क भी नहीं थी। वह सिनेमा का बड़ा सा पोस्टर और उसमें नाचनेवाली औरत भी तब नहीं थी। सिर्फ सामने का यह समुद्र था। बहुत अकेलापन महसूस होता था। तुम्हें जब यहाँ लाकर खड़ा किया तो सोचा, चलो कोई साथी तो मिला-इतना ही सही। लेकिन वो भी कहाँ? तुम शुरू-शुरू में मुझसे बोलने को ही तैयार नहीं थे। मैंने बहुत बार कोशिश की, पर तुम्हारी अकड़ जहाँ थी वहीं कायम! बाद में मैंने भी सोच लिया, इसकी नाक इतनी ऊँची है तो रहने दो। मैंने भी कभी आवाज़ नहीं लगाई, हाँ! अपना भी स्वभाव ज़रा ऐसा ही है।

Q. पेड़ का स्वभाव कैसा था?

Test: पापा खो गए- 2 - Question 13

अपने पत्तों का कोट पहनकर मुझे सरदी, बारिश या धूप में उतनी तकलीफ़ नहीं होती, तो भी तुमसे बहुत पहले का खड़ा हूँ मैं यहाँ। यहीं मेरा जन्म हुआ-इसी जगह। तब सब कुछ कितना अलग था यहाँ। वहाँ के, वे सब ऊँचे-ऊँचे घर नहीं थे तब। यह सड़क भी नहीं थी। वह सिनेमा का बड़ा सा पोस्टर और उसमें नाचनेवाली औरत भी तब नहीं थी। सिर्फ सामने का यह समुद्र था। बहुत अकेलापन महसूस होता था। तुम्हें जब यहाँ लाकर खड़ा किया तो सोचा, चलो कोई साथी तो मिला-इतना ही सही। लेकिन वो भी कहाँ? तुम शुरू-शुरू में मुझसे बोलने को ही तैयार नहीं थे। मैंने बहुत बार कोशिश की, पर तुम्हारी अकड़ जहाँ थी वहीं कायम! बाद में मैंने भी सोच लिया, इसकी नाक इतनी ऊँची है तो रहने दो। मैंने भी कभी आवाज़ नहीं लगाई, हाँ! अपना भी स्वभाव ज़रा ऐसा ही है।

Q. किसने आवाज़ नहीं लगाई ?

Test: पापा खो गए- 2 - Question 14

‘आदमी’ लड़की को छोड़कर कहाँ चला गया?

Test: पापा खो गए- 2 - Question 15

‘फ़ीस के पैसे क्या फोकट में आते हैं?’-का भाव क्या है?

Test: पापा खो गए- 2 - Question 16

आसमान में गड़गड़ाती बिजली किस पर आ गिरी थी?

Test: पापा खो गए- 2 - Question 17

खंभे के स्वभाव के बारे में पेड़ क्या सोचता था?

Detailed Solution for Test: पापा खो गए- 2 - Question 17

कहानी में पेड़ को जब खंभा उसके पास लाकर लगाया गया, तो उसे लगा कि अब उसका अकेलापन दूर हो जाएगा और एक साथी मिल गया है।
बरसात के दिनों में जब खंभे को मुश्किल आई, तब पेड़ ने उसका सहारा भी दिया था। इन घटनाओं से पेड़ को लगा कि खंभा दोस्ती निभाने वाला और मिलनसार स्वभाव का है।

Test: पापा खो गए- 2 - Question 18

खंभा, पेड़, लैटरबक्स सभी एक साथ कहाँ खड़े थे?

Test: पापा खो गए- 2 - Question 19
नाटक में सबसे बुद्धिमान पात्र कौन है और क्यों?
Detailed Solution for Test: पापा खो गए- 2 - Question 19
नाटक में सबसे बुद्धिमान पात्र कौआ है क्योंकि उसने लड़की के पापा को खोजने के लिए योजना बनाई और लैटरबक्स के माध्यम से संदेश भेजने का सुझाव दिया।
Test: पापा खो गए- 2 - Question 20
पेड़ और खंभे की दोस्ती कैसे हुई?
Detailed Solution for Test: पापा खो गए- 2 - Question 20
पेड़ और खंभे की दोस्ती इस कारण हुई कि एक जोरदार आँधी के समय खंभा पेड़ पर गिर गया और पेड़ ने खंभे को सँभाल लिया, जिससे खंभे का गर्व समाप्त हो गया और दोनों दोस्त बन गए।
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