समाज को खूशबू देने वाले लोग गंदी जगहों पर रहने के लिए क्यों मजबूर हैं?
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‘बसंत का गया पतझड़’ में लौटने से क्या अभिप्राय है?
कवि पीपल, लोहे के दरवाजों, खाली ज़मीन के आधार पर क्या पहचानना चाहता है?
समाज को सुंदर बनाने वाले लोग अक्सर कैसी जगहों में रहते हैं?
‘खूशबू रचते हाथ’ कविता में कैसे-कैसे हाथों का उल्लेख हआ है?
नए इलाके में जाने पर कवि क्या भूल जाता है?
‘खुशबू रचते हाथ’ कविता के कवि कौन हैं?
यहाँ रोज कुछ बन रहा है
रोज़ कुछ घट रहा है
यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
जैसे बसंत का गया पतझड़ को लौटा हूँ
जैसे बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ,
अब यही उपाय है कि हर दरवाजा खटखटाओ
और पूछो-क्या यही है वो घर?
अब किस पर भरोसा नहीं किया जा सकता?
दुनिया एक दिन में ही क्यों पुरानी पड़ जाती है?
‘जैसे वंसत का गया पतझड़ को लौटा हूँ’ से कवि का क्या आशय है?
“समय बहुत कम है तुम्हारे पास’ कहकर कवि क्या समझाना चाहता है?
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