नम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिएः
‘‘वह जो पेड़ तुम देखते हो न! वह ऊपर ही इतना बड़ा नहीं है, पृथ्वी में भी लगभग इतना ही बड़ा है। उसकी बड़ी जड़ें, छोटी जड़ें और जड़ों के रोएँ हैं। वे रोएँ बड़े निर्दयी होते हैं। मुझ जैसे असंख्य जल-कणों को वे बलपूर्वक पृथ्वी में से खींच लेते हैं। कुछ को तो पेड़ एकदम खा जाते हैं और अधिकांश का सब कुछ छीनकर उन्हें बाहर निकाल देते हैं।’’
प्रशन: यहाँ कौन, किससे बातें कर रहा/रही है?
नम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिएः
‘‘तुम क्या समझते हो कि वे इतने बड़े यों ही खड़े हैं। उन्हें इतना बड़ा बनाने के लिए मेरे असंख्य बंधुओं ने अपने प्राण- नाश किए हैं।’’ मैं बड़े ध्यान से उसकी कहानी सुन रहा था। ‘‘हाँ, तो मैं भूमि के खनिजों को अपने शरीर में घुलाकर आनंद से फिर रही थी कि दुर्भाग्यवश एक रोएँ से मेरा शरीर छू गया। मैं काँपी, दूर भागने का प्रयत्न किया, परंतु वे पकडक़र छोडऩा नहीं जानते। मैं रोएँ में खींच ली गई।’’
प्रशन: वे इतने बड़े यों ही खड़े हैं।- यहाँ ‘वे’ किस के लिए प्रयुक्त हुआ है?
‘तुम क्या समझते हो कि वे इतने बड़े यों ही खड़े हैं। उन्हें इतना बड़ा बनाने के लिए मेरे असंख्य बंधुओं ने अपने प्राण- नाश किए हैं।’’ मैं बड़े ध्यान से उसकी कहानी सुन रहा था। ‘‘हाँ, तो मैं भूमि के खनिजों को अपने शरीर में घुलाकर आनंद से फिर रही थी कि दुर्भाग्यवश एक रोएँ से मेरा शरीर छू गया। मैं काँपी, दूर भागने का प्रयत्न किया, परंतु वे पकडक़र छोडऩा नहीं जानते। मैं रोएँ में खींच ली गई।
प्रशन: उसके असंख्य बंध्ओं ने प्राणों का नाश किस प्रकार किया है?
‘तुम क्या समझते हो कि वे इतने बड़े यों ही खड़े हैं। उन्हें इतना बड़ा बनाने के लिए मेरे असंख्य बंधुओं ने अपने प्राण- नाश किए हैं।’’ मैं बड़े ध्यान से उसकी कहानी सुन रहा था। ‘‘हाँ, तो मैं भूमि के खनिजों को अपने शरीर में घुलाकर आनंद से फिर रही थी कि दुर्भाग्यवश एक रोएँ से मेरा शरीर छू गया। मैं काँपी, दूर भागने का प्रयत्न किया, परंतु वे पकडक़र छोडऩा नहीं जानते। मैं रोएँ में खींच ली गई।
प्रशन:’’खनिज तत्व कहाँ घुले हुए थे?
‘‘तुम क्या समझते हो कि वे इतने बड़े यों ही खड़े हैं। उन्हें इतना बड़ा बनाने के लिए मेरे असंख्य बंधुओं ने अपने प्राण- नाश किए हैं।’’ मैं बड़े ध्यान से उसकी कहानी सुन रहा था। ‘‘हाँ, तो मैं भूमि के खनिजों को अपने शरीर में घुलाकर आनंद से फिर रही थी कि दुर्भाग्यवश एक रोएँ से मेरा शरीर छू गया। मैं काँपी, दूर भागने का प्रयत्न किया, परंतु वे पकडक़र छोडऩा नहीं जानते। मैं रोएँ में खींच ली गई।’
प्रशन:’रोएँ से मिलने पर जल की बूँद का अस्तित्व कैसे समाप्त हो गया?
‘‘तुम क्या समझते हो कि वे इतने बड़े यों ही खड़े हैं। उन्हें इतना बड़ा बनाने के लिए मेरे असंख्य बंधुओं ने अपने प्राण- नाश किए हैं।’’ मैं बड़े ध्यान से उसकी कहानी सुन रहा था। ‘‘हाँ, तो मैं भूमि के खनिजों को अपने शरीर में घुलाकर आनंद से फिर रही थी कि दुर्भाग्यवश एक रोएँ से मेरा शरीर छू गया। मैं काँपी, दूर भागने का प्रयत्न किया, परंतु वे पकडक़र छोडऩा नहीं जानते। मैं रोएँ में खींच ली गई।
’‘दुर्भाग्यवश’ का विपरीतार्थक शब्द है-
नम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिएः
‘‘वह जो पेड़ तुम देखते हो न! वह ऊपर ही इतना बड़ा नहीं है, पृथ्वी में भी लगभग इतना ही बड़ा है। उसकी बड़ी जड़ें, छोटी जड़ें और जड़ों के रोएँ हैं। वे रोएँ बड़े निर्दयी होते हैं। मुझ जैसे असंख्य जल-कणों को वे बलपूर्वक पृथ्वी में से खींच लेते हैं। कुछ को तो पेड़ एकदम खा जाते हैं और अधिकांश का सब कुछ छीनकर उन्हें बाहर निकाल देते हैं।’’
प्रशन: प्रथम पंक्ति के कथन में कौन-सा भाव निहित है?
नम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिएः‘
‘वह जो पेड़ तुम देखते हो न! वह ऊपर ही इतना बड़ा नहीं है, पृथ्वी में भी लगभग इतना ही बड़ा है। उसकी बड़ी जड़ें, छोटी जड़ें और जड़ों के रोएँ हैं। वे रोएँ बड़े निर्दयी होते हैं। मुझ जैसे असंख्य जल-कणों को वे बलपूर्वक पृथ्वी में से खींच लेते हैं। कुछ को तो पेड़ एकदम खा जाते हैं और अधिकांश का सब कुछ छीनकर उन्हें बाहर निकाल देते हैं।
’’जड़ के रोओं वेफ लिए प्रयुक्त विशेषण कौन-सा शब्द है?
नम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिएः‘
‘वह जो पेड़ तुम देखते हो न! वह ऊपर ही इतना बड़ा नहीं है, पृथ्वी में भी लगभग इतना ही बड़ा है। उसकी बड़ी जड़ें, छोटी जड़ें और जड़ों के रोएँ हैं। वे रोएँ बड़े निर्दयी होते हैं। मुझ जैसे असंख्य जल-कणों को वे बलपूर्वक पृथ्वी में से खींच लेते हैं। कुछ को तो पेड़ एकदम खा जाते हैं और अधिकांश का सब कुछ छीनकर उन्हें बाहर निकाल देते हैं।’’
प्रशन: रोएँ जल-कणों को वैफसे खींचते हैं?
नम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिएः
‘‘वह जो पेड़ तुम देखते हो न! वह ऊपर ही इतना बड़ा नहीं है, पृथ्वी में भी लगभग इतना ही बड़ा है। उसकी बड़ी जड़ें, छोटी जड़ें और जड़ों के रोएँ हैं। वे रोएँ बड़े निर्दयी होते हैं। मुझ जैसे असंख्य जल-कणों को वे बलपूर्वक पृथ्वी में से खींच लेते हैं। कुछ को तो पेड़ एकदम खा जाते हैं और अधिकांश का सब कुछ छीनकर उन्हें बाहर निकाल देते हैं।’’
प्रशन: ‘निर्दयी’ में प्रयुक्त उपसर्ग कौन-सा है?
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