‘कर्मवीर’ में कौन सा तत्पुरुष समास होगा?
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निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस विकल्प का चयन करें जो सही संधि-विच्छेद वाला विकल्प है।
‘सच्चिदानंद’
निम्नलिखित विकल्पों में से ‘अम्बु’ किसका पर्यायवाची शब्द है ?
'लिखावट' शब्द में किस प्रकार का प्रत्यय है?
'जो व्याकरण जानता है' वाक्यांश के लिए एक शब्द है
‘करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान’ – इस लोकोक्ति का तात्पर्य क्या है?
"अहा! आप आ गए" वाक्य में अहा शब्द है?
_______ फल खाता हूँ। यहाँ का सही सर्वनाम शब्द है
निम्नलिखित में से किस तत्सम - तद्भव का युग्म सही नहीं है?
दिए गए वाक्य में वाच्य ज्ञात कीजिए।
मजदूर द्वारा लकड़ी काटी जा रही है।
Comprehension:
सूरदास के 'भ्रमरगीत” का तथा “जायसी ग्रन्थावली' का सम्पादन करने के साथ-साथ राम चन्द्र जी शुक्ल ने “हिन्दी साहित्य का इतिहास' भी लिखा जो नागरी सभा द्वारा प्रकाशित 'हिन्दी शब्द सागर” की भूमिका के रूप में लिखा गया था। यह भूमिका 'हिन्दी साहित्य का विकास' नाम से छपी थी। आपके द्वारा लिखा गया यह इतिहास हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में मील का पत्थर सिद्ध हुआ जिसकी मान्यता आज भी है। शुक्ल जी की भाषा शुद्ध परिष्कृत मानक हिन्दी है। भाषा पर उनका विलक्षण अधिकार है। उनका वाक्य गठन बैजोड़ है, जिसमें से एक शब्द को भी इधर कर पाना सम्भव नहीं है उनकी निबन्ध शैली विषय के अनुरूप बदलती है। शुक्ल जी के निबन्ध हिन्दी निबन्ध कला के निकष हैं। उनमें हृदय और बुद्धि का संतुलित समन्वय है। चिन्तामणि में संकलित निबन्ध दो प्रकार के हैं--भाव या मनोविकार सम्बन्धी तथा समीक्षा सम्बन्धी। शुक्ल जी अपने विचारों को इतनी कुशलता से व्यक्त करते हैं कि पाठकों को उनके निष्कर्षों से सहमत होना ही पड़ता है परिष्कृत प्रांजल भाषा के साथ-साथ उनका शब्द चयन वाक्य विन्यास एवं सादृश्य विधान अनुपम है। उनके निबन्ध 'शैली ही व्यक्तित्व है' के उदाहरण माने जा सकते हैं। इन निबन्धों में शुक्ल जी के व्यक्तित्व की पूरी छाप विद्यमान है।
प्रश्न: गद्यांश के अनुसार भ्रमर गीत के रचनाकार कौन है?
Comprehension:
सूरदास के 'भ्रमरगीत” का तथा “जायसी ग्रन्थावली' का सम्पादन करने के साथ-साथ राम चन्द्र जी शुक्ल ने “हिन्दी साहित्य का इतिहास' भी लिखा जो नागरी सभा द्वारा प्रकाशित 'हिन्दी शब्द सागर” की भूमिका के रूप में लिखा गया था। यह भूमिका 'हिन्दी साहित्य का विकास' नाम से छपी थी। आपके द्वारा लिखा गया यह इतिहास हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में मील का पत्थर सिद्ध हुआ जिसकी मान्यता आज भी है। शुक्ल जी की भाषा शुद्ध परिष्कृत मानक हिन्दी है। भाषा पर उनका विलक्षण अधिकार है। उनका वाक्य गठन बैजोड़ है, जिसमें से एक शब्द को भी इधर कर पाना सम्भव नहीं है उनकी निबन्ध शैली विषय के अनुरूप बदलती है। शुक्ल जी के निबन्ध हिन्दी निबन्ध कला के निकष हैं। उनमें हृदय और बुद्धि का संतुलित समन्वय है। चिन्तामणि में संकलित निबन्ध दो प्रकार के हैं--भाव या मनोविकार सम्बन्धी तथा समीक्षा सम्बन्धी। शुक्ल जी अपने विचारों को इतनी कुशलता से व्यक्त करते हैं कि पाठकों को उनके निष्कर्षों से सहमत होना ही पड़ता है परिष्कृत प्रांजल भाषा के साथ-साथ उनका शब्द चयन वाक्य विन्यास एवं सादृश्य विधान अनुपम है। उनके निबन्ध 'शैली ही व्यक्तित्व है' के उदाहरण माने जा सकते हैं। इन निबन्धों में शुक्ल जी के व्यक्तित्व की पूरी छाप विद्यमान है।
प्रश्न: भाव या मनोविकार सम्बन्धी तथा समीक्षा सम्बन्धी में........ मनोविकार का अर्थ:-
Comprehension:
सूरदास के 'भ्रमरगीत” का तथा “जायसी ग्रन्थावली' का सम्पादन करने के साथ-साथ राम चन्द्र जी शुक्ल ने “हिन्दी साहित्य का इतिहास' भी लिखा जो नागरी सभा द्वारा प्रकाशित 'हिन्दी शब्द सागर” की भूमिका के रूप में लिखा गया था। यह भूमिका 'हिन्दी साहित्य का विकास' नाम से छपी थी। आपके द्वारा लिखा गया यह इतिहास हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में मील का पत्थर सिद्ध हुआ जिसकी मान्यता आज भी है। शुक्ल जी की भाषा शुद्ध परिष्कृत मानक हिन्दी है। भाषा पर उनका विलक्षण अधिकार है। उनका वाक्य गठन बैजोड़ है, जिसमें से एक शब्द को भी इधर कर पाना सम्भव नहीं है उनकी निबन्ध शैली विषय के अनुरूप बदलती है। शुक्ल जी के निबन्ध हिन्दी निबन्ध कला के निकष हैं। उनमें हृदय और बुद्धि का संतुलित समन्वय है। चिन्तामणि में संकलित निबन्ध दो प्रकार के हैं--भाव या मनोविकार सम्बन्धी तथा समीक्षा सम्बन्धी। शुक्ल जी अपने विचारों को इतनी कुशलता से व्यक्त करते हैं कि पाठकों को उनके निष्कर्षों से सहमत होना ही पड़ता है परिष्कृत प्रांजल भाषा के साथ-साथ उनका शब्द चयन वाक्य विन्यास एवं सादृश्य विधान अनुपम है। उनके निबन्ध 'शैली ही व्यक्तित्व है' के उदाहरण माने जा सकते हैं। इन निबन्धों में शुक्ल जी के व्यक्तित्व की पूरी छाप विद्यमान है।
प्रश्न: चिंतामणि के प्रमुख भागो में संकलित निबन्धों के प्रकार है:-
Comprehension:
सूरदास के 'भ्रमरगीत” का तथा “जायसी ग्रन्थावली' का सम्पादन करने के साथ-साथ राम चन्द्र जी शुक्ल ने “हिन्दी साहित्य का इतिहास' भी लिखा जो नागरी सभा द्वारा प्रकाशित 'हिन्दी शब्द सागर” की भूमिका के रूप में लिखा गया था। यह भूमिका 'हिन्दी साहित्य का विकास' नाम से छपी थी। आपके द्वारा लिखा गया यह इतिहास हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में मील का पत्थर सिद्ध हुआ जिसकी मान्यता आज भी है। शुक्ल जी की भाषा शुद्ध परिष्कृत मानक हिन्दी है। भाषा पर उनका विलक्षण अधिकार है। उनका वाक्य गठन बैजोड़ है, जिसमें से एक शब्द को भी इधर कर पाना सम्भव नहीं है उनकी निबन्ध शैली विषय के अनुरूप बदलती है। शुक्ल जी के निबन्ध हिन्दी निबन्ध कला के निकष हैं। उनमें हृदय और बुद्धि का संतुलित समन्वय है। चिन्तामणि में संकलित निबन्ध दो प्रकार के हैं--भाव या मनोविकार सम्बन्धी तथा समीक्षा सम्बन्धी। शुक्ल जी अपने विचारों को इतनी कुशलता से व्यक्त करते हैं कि पाठकों को उनके निष्कर्षों से सहमत होना ही पड़ता है परिष्कृत प्रांजल भाषा के साथ-साथ उनका शब्द चयन वाक्य विन्यास एवं सादृश्य विधान अनुपम है। उनके निबन्ध 'शैली ही व्यक्तित्व है' के उदाहरण माने जा सकते हैं। इन निबन्धों में शुक्ल जी के व्यक्तित्व की पूरी छाप विद्यमान है।
प्रश्न: हिन्दी निबन्ध कला में प्रमुख निबन्ध किन के द्वारा लिखे गए है।
Comprehension:
सूरदास के 'भ्रमरगीत” का तथा “जायसी ग्रन्थावली' का सम्पादन करने के साथ-साथ राम चन्द्र जी शुक्ल ने “हिन्दी साहित्य का इतिहास' भी लिखा जो नागरी सभा द्वारा प्रकाशित 'हिन्दी शब्द सागर” की भूमिका के रूप में लिखा गया था। यह भूमिका 'हिन्दी साहित्य का विकास' नाम से छपी थी। आपके द्वारा लिखा गया यह इतिहास हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में मील का पत्थर सिद्ध हुआ जिसकी मान्यता आज भी है। शुक्ल जी की भाषा शुद्ध परिष्कृत मानक हिन्दी है। भाषा पर उनका विलक्षण अधिकार है। उनका वाक्य गठन बैजोड़ है, जिसमें से एक शब्द को भी इधर कर पाना सम्भव नहीं है उनकी निबन्ध शैली विषय के अनुरूप बदलती है। शुक्ल जी के निबन्ध हिन्दी निबन्ध कला के निकष हैं। उनमें हृदय और बुद्धि का संतुलित समन्वय है। चिन्तामणि में संकलित निबन्ध दो प्रकार के हैं--भाव या मनोविकार सम्बन्धी तथा समीक्षा सम्बन्धी। शुक्ल जी अपने विचारों को इतनी कुशलता से व्यक्त करते हैं कि पाठकों को उनके निष्कर्षों से सहमत होना ही पड़ता है परिष्कृत प्रांजल भाषा के साथ-साथ उनका शब्द चयन वाक्य विन्यास एवं सादृश्य विधान अनुपम है। उनके निबन्ध 'शैली ही व्यक्तित्व है' के उदाहरण माने जा सकते हैं। इन निबन्धों में शुक्ल जी के व्यक्तित्व की पूरी छाप विद्यमान है।
प्रश्न: "भ्रमरगीत” का तथा “जायसी ग्रन्थावली" का सम्पादन किया:-
'बसंत के मौसम में पीले फूल खिलते है' प्रस्तुत वाक्य में विशेषण कौन सा है?
निम्नलिखित में से कौन सा विकल्प यण संधि का उदाहरण है?
‘रातोंरात’ का सामासिक विग्रह है _____ ।
'डाकिया चिट्ठी लाया' वाक्य में क्रिया का कौन-सा भेद प्रयुक्त हुआ है?
निम्नलिखित में से समुच्चयबोधक अव्यय का उदाहरण है?
निम्नलिखित में से उस विकल्प का चयन करें जो ‘अंधे के हाथ बटेर लगना’ मुहावरे का अर्थ व्यक्त करता है।