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Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Uttarakhand Police SI MCQ


Test Description

30 Questions MCQ Test Uttarakhand Police SI Mock Test Series 2024 - Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 for Uttarakhand Police SI 2024 is part of Uttarakhand Police SI Mock Test Series 2024 preparation. The Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 questions and answers have been prepared according to the Uttarakhand Police SI exam syllabus.The Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 MCQs are made for Uttarakhand Police SI 2024 Exam. Find important definitions, questions, notes, meanings, examples, exercises, MCQs and online tests for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 below.
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Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 1

निर्देश: निम्नलिखित परिच्छेद पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
"संत साहित्य का प्रसार भारतीय संस्कृति के इतिहास में एक अनूठी घटना थी, उस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। अचानक संस्कृति - प्रभुत्तव जो सैकड़ों साल से चला आ रहा था, खत्म होता दिखायी दिया। जनता की संस्कृति, जिसे पुरोहितों ने अबतक दबाया था, पुष्पित और पल्लवित होने लगी। जो लोग खुलकर पुरोहित के खिताफ एक शब्द न कह सकते थे, अब खुलेआम उन्हें चुनौती देने लगे। इसका कारण क्या था। क्या सामंती व्यवस्था के कमजोर हुए बिना यह संभव था ? 16वीं सदी के लगभग शेरशाह और अकबर के शासन  काल में उत्तर भारत में सामंती व्यवस्था काफी कमजोर हुई। नहरें खुदने और सड़कें बनने से यातायात में उन्नति हुई; एक तरह की मुद्रा के चलन से व्यापार में सुविधा हुई; राज्य और काश्तकार में सीधा संबंध स्थापित होने से जनपदो का अलगाव कम हुआ; बारूद के इस्तेमाल से केंद्रीय राज्यसत्ता जागीरदारों की स्वच्छन्दता कम करके उन्हें अपने मातहत कर सकी; यूरोप में भारत का व्यापार बहुत बड़े पैमाने पर आगे बढ़ा; उत्तर भारत में शहरों की संख्या ही नहीं बढ़ी, उनकी जनसंख्या और उनका व्यवसायी महत्त्व भी बढ़ा; जगह-जगह अपने अधिकारों के लिए जनता ने संघर्ष किए और इस तरह भी उसकी एकता बढ़ी। इन परिस्थितियों में सामंती ढाँचा जर्जर हुआ। उस ढॉंचे के भी व्यापारियों द्वारा पैदा किए पूंजीवादी संबंध जन्म लेने लगे। पुराने जनपदों का अलगाव काफी दूर हुआ और वेमिलकर एक जाति (नेशन) के रूप में संगठित होने लगे। भक्ति आंदोलन इस जातीय आंदोलन का सांस्कृतिक प्रतिबिम्ब था।"

Q. 'भक्ति आंदोलन जातीय आंदोलन का सांस्कृतिक प्रतिबिम्ब था' से लेखक का आशय है- 

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 1

भक्ति आंदोलन ने सामंती व्‍यवस्‍था को तोड़ने का काम किया।

  • भक्ति आन्दोलन ने निम्न वर्ग और हाशिये पर ठहरे समाज को मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया।
  • जगह जगह जनता ने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किये।
  • भारत के विकास के कारण जनता को अपने अधिकार समझ आये।
  • इस तरह सदियों से चली आ रही सामंती और ब्राह्मणवादी व्यवस्था को चोट पंहुची।
Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 2

निर्देश: निम्नलिखित परिच्छेद पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
"संत साहित्य का प्रसार भारतीय संस्कृति के इतिहास में एक अनूठी घटना थी, उस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। अचानक संस्कृति - प्रभुत्तव जो सैकड़ों साल से चला आ रहा था, खत्म होता दिखायी दिया। जनता की संस्कृति, जिसे पुरोहितों ने अबतक दबाया था, पुष्पित और पल्लवित होने लगी। जो लोग खुलकर पुरोहित के खिताफ एक शब्द न कह सकते थे, अब खुलेआम उन्हें चुनौती देने लगे। इसका कारण क्या था। क्या सामंती व्यवस्था के कमजोर हुए बिना यह संभव था ? 16वीं सदी के लगभग शेरशाह और अकबर के शासन  काल में उत्तर भारत में सामंती व्यवस्था काफी कमजोर हुई। नहरें खुदने और सड़कें बनने से यातायात में उन्नति हुई; एक तरह की मुद्रा के चलन से व्यापार में सुविधा हुई; राज्य और काश्तकार में सीधा संबंध स्थापित होने से जनपदो का अलगाव कम हुआ; बारूद के इस्तेमाल से केंद्रीय राज्यसत्ता जागीरदारों की स्वच्छन्दता कम करके उन्हें अपने मातहत कर सकी; यूरोप में भारत का व्यापार बहुत बड़े पैमाने पर आगे बढ़ा; उत्तर भारत में शहरों की संख्या ही नहीं बढ़ी, उनकी जनसंख्या और उनका व्यवसायी महत्त्व भी बढ़ा; जगह-जगह अपने अधिकारों के लिए जनता ने संघर्ष किए और इस तरह भी उसकी एकता बढ़ी। इन परिस्थितियों में सामंती ढाँचा जर्जर हुआ। उस ढॉंचे के भी व्यापारियों द्वारा पैदा किए पूंजीवादी संबंध जन्म लेने लगे। पुराने जनपदों का अलगाव काफी दूर हुआ और वेमिलकर एक जाति (नेशन) के रूप में संगठित होने लगे। भक्ति आंदोलन इस जातीय आंदोलन का सांस्कृतिक प्रतिबिम्ब था।"

Q. ''संंस्‍कृृ‍ति प्रभुत्‍व'' से लेखक का संकेत किस संस्‍कृति के प्रभुत्‍व से है ?

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 2
  • पुरोहितों- जागीरदारों के राज को यहाँ 'संस्कृति-प्रभुत्व' कहा गया है।
  • जनता की संस्कृति अर्थात जहाँ सामंतवादी व्यवस्था न हो, वर्गीकरण न हो।
  • संत साहित्य ने इस व्यवस्था को समाप्त करने में योगदान दिया।

अत: विकल्प (C) सही है।

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Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 3

निर्देश: निम्नलिखित परिच्छेद पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
"संत साहित्य का प्रसार भारतीय संस्कृति के इतिहास में एक अनूठी घटना थी, उस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। अचानक संस्कृति - प्रभुत्तव जो सैकड़ों साल से चला आ रहा था, खत्म होता दिखायी दिया। जनता की संस्कृति, जिसे पुरोहितों ने अबतक दबाया था, पुष्पित और पल्लवित होने लगी। जो लोग खुलकर पुरोहित के खिताफ एक शब्द न कह सकते थे, अब खुलेआम उन्हें चुनौती देने लगे। इसका कारण क्या था। क्या सामंती व्यवस्था के कमजोर हुए बिना यह संभव था ? 16वीं सदी के लगभग शेरशाह और अकबर के शासन  काल में उत्तर भारत में सामंती व्यवस्था काफी कमजोर हुई। नहरें खुदने और सड़कें बनने से यातायात में उन्नति हुई; एक तरह की मुद्रा के चलन से व्यापार में सुविधा हुई; राज्य और काश्तकार में सीधा संबंध स्थापित होने से जनपदो का अलगाव कम हुआ; बारूद के इस्तेमाल से केंद्रीय राज्यसत्ता जागीरदारों की स्वच्छन्दता कम करके उन्हें अपने मातहत कर सकी; यूरोप में भारत का व्यापार बहुत बड़े पैमाने पर आगे बढ़ा; उत्तर भारत में शहरों की संख्या ही नहीं बढ़ी, उनकी जनसंख्या और उनका व्यवसायी महत्त्व भी बढ़ा; जगह-जगह अपने अधिकारों के लिए जनता ने संघर्ष किए और इस तरह भी उसकी एकता बढ़ी। इन परिस्थितियों में सामंती ढाँचा जर्जर हुआ। उस ढॉंचे के भी व्यापारियों द्वारा पैदा किए पूंजीवादी संबंध जन्म लेने लगे। पुराने जनपदों का अलगाव काफी दूर हुआ और वेमिलकर एक जाति (नेशन) के रूप में संगठित होने लगे। भक्ति आंदोलन इस जातीय आंदोलन का सांस्कृतिक प्रतिबिम्ब था।"

Q. शेरशाह और अकबर के शासन काल के कौन से गुण ने भक्ति आंदोलन को फैलने में मदद पहुॅचायी ?

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 3

विस्तृत , उदारवादी, और स्थायी साम्राज्य उत्तर भारत में पनपा।
सामंत व्यवस्था कमजोर हुई और पूंजीवाद ने जड़ पकड़ी।
लोगों में ब्राह्मणवाद के खिलाफ एक ऊर्जा संचारित हुई और इस तरह संत साहित्य ने जन्म लिया।

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 4

क्रमशः (पहले अशुद्ध ——बाद मे शुद्ध) वर्तनी युग्म जाँचिये , जो सही न हो उसकी पहचान कीजिये ?

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 4

यहाँ दी गई वर्तनी युग्मों में से कुछ अशुद्ध और कुछ शुद्ध हैं। इन्हें एक-एक करके जाँचते हैं:

  • साधु ------------साधू : यह वर्तनी युग्म शुद्ध है। दोनों शब्दों की वर्तनी 'साधु' सही है।
  • आधीन ----------अधीन : यह वर्तनी युग्म अशुद्ध है। पहले शब्द 'आधीन' की वर्तनी गलत है। सही वर्तनी 'अधीन' है।
  • अजमाइश--------आजमाइश : यह वर्तनी युग्म अशुद्ध है। पहले शब्द 'अजमाइश' की वर्तनी गलत है। सही वर्तनी 'आजमाइश' है।
  • हीजड़ा-----------हिजड़ा : यह वर्तनी युग्म अशुद्ध है। पहले शब्द 'हीजड़ा' की वर्तनी गलत है। सही वर्तनी 'हिजड़ा' है।

इस प्रकार, वर्तनी युग्म बी, सी और डी अशुद्ध हैं।

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 5

‘कवि’ शब्द का स्त्रीलिंग रूप क्या है ?

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 5

शब्द का स्त्रीलिंग रूप:
'कवि' शब्द का स्त्रीलिंग रूप होता है 'कवयित्री'।
विस्तृत व्याख्या:

  • कवि शब्द पुल्लिंग है और इसका अर्थ होता है कवि या कवी।
  • हिंदी भाषा में, स्त्रीलिंग रूप को बनाने के लिए, हम अक्सर '-त्री' का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, 'डॉक्टर' का स्त्रीलिंग रूप 'डॉक्ट्री' होता है।
  • इसी प्रकार, 'कवि' शब्द का स्त्रीलिंग रूप 'कवयित्री' होता है।
  • 'कवयित्री' शब्द का अर्थ होता है महिला कवि या कवयित्री।
Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 6

साधु शब्‍द का बहुवचन रूप क्‍या होगा?

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 6

वे शब्द जो किसी वस्तु की बहुलता को प्रकट करते हैं उन्हें बहुवचन के रूप में जाना जाता है।

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 7

तत्सम शब्द नहीं है-

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 7

कोढ़ तत्सम शब्द नहीं है। कोढ़ शब्द का तत्सम रूप कुष्ठ है। कुष्ठ का तद्भव रूप कोढ़ है।

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 8

आलोक का विलोम शब्द है-

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 8

आलोक का विलोम शब्द अन्धकार है।

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 9

"पूत कपूत तो क्यों धन संचय | पूत सपूत तो क्यों धन संचय", प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है ?

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 9

प्रस्तुत पंक्तियों में लाटानुप्रास अलंकार है।

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 10

आसमान पर चढ़ाना का अर्थ है -

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 10

आसमान पर चढ़ाना का अर्थ
"आसमान पर चढ़ाना" एक मुहावरा है, जिसका अर्थ होता है "अत्यधिक प्रशंसा करना"। इस मुहावरे का अर्थ नीचे विस्तार से समझाया गया है:

  • अत्यधिक प्रशंसा: जब हम किसी की अत्यधिक प्रशंसा करते हैं, तो हम उसे आसमान पर चढ़ाते हैं। यह एक व्यापक रूप से स्वीकृत आलोकिक भाषा है जिसका अर्थ है किसी की अत्यधिक स्तुति या प्रशंसा करना।
  •  
  • उपयोग: यह मुहावरा अक्सर तारीफ़ और सम्मान के संदर्भ में उपयोग किया जाता है। यदि किसी व्यक्ति ने कुछ असाधारण काम किया हो और उसके लिए उचित सम्मान और तारीफ़ हो, तो हम कह सकते हैं कि "हमने उसे आसमान पर चढ़ा दिया".
  • उदाहरण: "राम के प्रदर्शन को देखकर, सबलोगों ने उसे आसमान पर चढ़ा दिया।" इसमें आसमान पर चढ़ाने का अर्थ है कि सबलोगों ने राम की बहुत प्रशंसा की।
Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 11

निम्नलिखित में नामधातु क्रिया है?

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 11

नामधातु क्रिया :  ऐसी धातु जो क्रिया को छोड़कर किन्ही अन्य शब्दों जैसे संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि से बनती है वह नामधातु क्रिया कहते हैं। जैसे: अपनाना, गर्माना आदि।

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 12

निम्नलिखित विकल्पों में से ‘अम्बु’ किसका पर्यायवाची शब्द है ?

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 12
  • ‘अम्बु’ का पर्यायवाची ‘नीर’ है।
  • ‘नीर’ के अन्य पर्यायवाची शब्द - वारि, जल, तोय,उदक, पानी, सलिल, पय, मेघपुष्प।

अन्य विकल्प:

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 13

'ओछे की प्रति बालू की भीति' का भाव है

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 13
  • ओछे की प्रीत बालू की भीत हिन्दी का एक प्रसिद्ध लोकोक्ति है जिसका प्रयोग अक्सर हिन्दी के लेख,निबंध आदि में किया जाता है।
  • भाषा की समृद्धि और उसकी अभिव्यक्ति क्षमता के विकास हेतु मुहावरों एवं कहावतों का प्रयोग उपयोगी होता है। 
  • लोकोक्ति शब्द का निर्माण दो शब्दों-“लोक’ और “उक्ति” से मिल कर हुआ है।
  • भाषा शास्त्र की दृष्टि से लोकोक्ति उस कथन को कहते हैं,जिसमें किसी प्रसंग विशेष का अर्थ स्पष्ट करने के लिए प्रयोग में लाई जाती हैं।
  • लोकोक्तियाँ समाज के मूल सिद्धांतों को प्रतिपादित करती हैं और यही कारण है की वे लोक-मानस में प्रसिद्ध और प्रचलित हो जाती हैं।
Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 14

'जो व्याकरण जानता है' वाक्यांश के लिए एक शब्द है

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 14
  • जो विज्ञान जनता है- वैज्ञानिक
  • जो बहुत जानता है- बहुज्ञ
  • जो शास्त्र जानता है- शास्त्रज्ञ
Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 15

"अहा! आप आ गए" वाक्य में अहा शब्द है?

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 15

उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प अव्यय सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।

  • अहा! शब्द अव्यय है।
  • यह विस्मयादिबोधक अव्यय का भेद हर्ष बोधक अव्यय है।
Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 16

निम्नलिखित में से किस तत्सम - तद्भव का युग्म सही नहीं है?

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 16

उपर्युक्त युग्मों में से 'उलूखल - उल्लू' युग्म सही नहीं है। 'उलूखल' का तद्भव 'ओखली'है। अन्य विकल्प तत्सम - तद्भव की दृष्टि से सही हैं। अतः सही विकल्प 'उलूखल - उल्लू' है। 

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 17

सूरदास के 'भ्रमरगीत” का तथा “जायसी ग्रन्थावली' का सम्पादन करने के साथ-साथ राम चन्द्र जी शुक्ल ने “हिन्दी साहित्य का इतिहास' भी लिखा जो नागरी सभा द्वारा प्रकाशित 'हिन्दी शब्द सागर” की भूमिका के रूप में लिखा गया था। यह भूमिका 'हिन्दी साहित्य का विकास' नाम से छपी थी। आपके द्वारा लिखा गया यह इतिहास हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में मील का पत्थर सिद्ध हुआ जिसकी मान्यता आज भी है। शुक्ल जी की भाषा शुद्ध परिष्कृत मानक हिन्दी है। भाषा पर उनका विलक्षण अधिकार है। उनका वाक्य गठन बैजोड़ है, जिसमें से एक शब्द को भी इधर कर पाना सम्भव नहीं है उनकी निबन्ध शैली विषय के अनुरूप बदलती है। शुक्ल जी के निबन्ध हिन्दी निबन्ध कला के निकष हैं। उनमें हृदय और बुद्धि का संतुलित समन्वय है। चिन्तामणि में संकलित निबन्ध दो प्रकार के हैं--भाव या मनोविकार सम्बन्धी तथा समीक्षा सम्बन्धी। शुक्ल जी अपने विचारों को इतनी कुशलता से व्यक्त करते हैं कि पाठकों को उनके निष्कर्षों से सहमत होना ही पड़ता है परिष्कृत प्रांजल भाषा के साथ-साथ उनका शब्द चयन वाक्य विन्यास एवं सादृश्य विधान अनुपम है। उनके निबन्ध 'शैली ही व्यक्तित्व है' के उदाहरण माने जा सकते हैं। इन निबन्धों में शुक्ल जी के व्यक्तित्व की पूरी छाप विद्यमान है।

Q. गद्यांश के अनुसार भ्रमर गीत के रचनाकार कौन है?

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 17
  • सूरदास की अन्य रचनाएँ:- साहित्य सागर, साहित्य लहरी
  • भ्रमरगीत और जायसी ग्रन्थावली का सम्पादन आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किया। 
  • जायसी ने- पद्मावत नामक प्रसिद्ध महाकाव्य लिखा था। 
Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 18

सूरदास के 'भ्रमरगीत” का तथा “जायसी ग्रन्थावली' का सम्पादन करने के साथ-साथ राम चन्द्र जी शुक्ल ने “हिन्दी साहित्य का इतिहास' भी लिखा जो नागरी सभा द्वारा प्रकाशित 'हिन्दी शब्द सागर” की भूमिका के रूप में लिखा गया था। यह भूमिका 'हिन्दी साहित्य का विकास' नाम से छपी थी। आपके द्वारा लिखा गया यह इतिहास हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में मील का पत्थर सिद्ध हुआ जिसकी मान्यता आज भी है। शुक्ल जी की भाषा शुद्ध परिष्कृत मानक हिन्दी है। भाषा पर उनका विलक्षण अधिकार है। उनका वाक्य गठन बैजोड़ है, जिसमें से एक शब्द को भी इधर कर पाना सम्भव नहीं है उनकी निबन्ध शैली विषय के अनुरूप बदलती है। शुक्ल जी के निबन्ध हिन्दी निबन्ध कला के निकष हैं। उनमें हृदय और बुद्धि का संतुलित समन्वय है। चिन्तामणि में संकलित निबन्ध दो प्रकार के हैं--भाव या मनोविकार सम्बन्धी तथा समीक्षा सम्बन्धी। शुक्ल जी अपने विचारों को इतनी कुशलता से व्यक्त करते हैं कि पाठकों को उनके निष्कर्षों से सहमत होना ही पड़ता है परिष्कृत प्रांजल भाषा के साथ-साथ उनका शब्द चयन वाक्य विन्यास एवं सादृश्य विधान अनुपम है। उनके निबन्ध 'शैली ही व्यक्तित्व है' के उदाहरण माने जा सकते हैं। इन निबन्धों में शुक्ल जी के व्यक्तित्व की पूरी छाप विद्यमान है।

Q. चिंतामणि के प्रमुख भागो में संकलित निबन्धों के प्रकार है:

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 18
  • चिन्तामणि में संकलित निबन्ध दो प्रकार के हैं--भाव या मनोविकार सम्बन्धी तथा समीक्षा सम्बन्धी।
  • समीक्षा सम्बन्धित निबन्धों का अर्थ है किसी भी विषय पर चर्चा ज्सिमे उसके गुण, दोष सभी संकलित हो समीक्षा कहलाती है।
Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 19

सूरदास के 'भ्रमरगीत” का तथा “जायसी ग्रन्थावली' का सम्पादन करने के साथ-साथ राम चन्द्र जी शुक्ल ने “हिन्दी साहित्य का इतिहास' भी लिखा जो नागरी सभा द्वारा प्रकाशित 'हिन्दी शब्द सागर” की भूमिका के रूप में लिखा गया था। यह भूमिका 'हिन्दी साहित्य का विकास' नाम से छपी थी। आपके द्वारा लिखा गया यह इतिहास हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में मील का पत्थर सिद्ध हुआ जिसकी मान्यता आज भी है। शुक्ल जी की भाषा शुद्ध परिष्कृत मानक हिन्दी है। भाषा पर उनका विलक्षण अधिकार है। उनका वाक्य गठन बैजोड़ है, जिसमें से एक शब्द को भी इधर कर पाना सम्भव नहीं है उनकी निबन्ध शैली विषय के अनुरूप बदलती है। शुक्ल जी के निबन्ध हिन्दी निबन्ध कला के निकष हैं। उनमें हृदय और बुद्धि का संतुलित समन्वय है। चिन्तामणि में संकलित निबन्ध दो प्रकार के हैं--भाव या मनोविकार सम्बन्धी तथा समीक्षा सम्बन्धी। शुक्ल जी अपने विचारों को इतनी कुशलता से व्यक्त करते हैं कि पाठकों को उनके निष्कर्षों से सहमत होना ही पड़ता है परिष्कृत प्रांजल भाषा के साथ-साथ उनका शब्द चयन वाक्य विन्यास एवं सादृश्य विधान अनुपम है। उनके निबन्ध 'शैली ही व्यक्तित्व है' के उदाहरण माने जा सकते हैं। इन निबन्धों में शुक्ल जी के व्यक्तित्व की पूरी छाप विद्यमान है।

Q. "भ्रमरगीत” का तथा “जायसी ग्रन्थावली" का सम्पादन किया:

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 19

"भ्रमरगीत” का तथा “जायसी ग्रन्थावली" का सम्पादन:- "आचार्य रामचन्द्र शुक्ल" ने किया।

  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी के महान विद्वान और इतिहास कार है।
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने लिखा “हिन्दी साहित्य का इतिहास" भी लिखा जो नागरी सभा द्वारा प्रकाशित 'हिन्दी शब्द सागर” की भूमिका के रूप में लिखा गया था।
  • यह भूमिका 'हिन्दी साहित्य का विकास' नाम से छपी थी।  
Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 20

'बसंत के मौसम में पीले फूल खिलते है' प्रस्तुत वाक्य में विशेषण कौन सा है?

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 20
  • ‘पीले’ शब्द ‘गुणवाचक विशेषण’ है। 
  • वे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम के गुण, धर्म, स्वाभाव आदि का बोध कराते हैं वे गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
  • जैसे- बलशाली, पुराण, नया, तीक्ष्ण, कमजोर, मोटा, दुर्बल, पठारी आदि।
  • अन्य विकल्प असंगत हैं क्योंकि 'पीले' शब्द फूल की विशेषता बता रहा है इसलिए यह विशेषण शब्द है।
  • 'फूल' शब्द विशेष्य है, क्योंकि जो शब्द विशेष्य की विशेषता बताते हैं वे विशेषण कहलाते हैं।
Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 21

दिए गए विकल्पों में से ‘देवता’ किसका समानार्थी है?

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 21

समानार्थी का अर्थ होता हैं (सामान+अर्थ) अर्थात किसी शब्द का सामान अर्थ वाले दूसरे शब्द या उसी के सामान कोई दूसरा नाम (वस्तु)। सामान्यत: हिन्दी में एक ही वस्तु के अनेक समान अर्थ वाले शब्द है।
देवता के समानार्थी – सुर, आदित्य, अमर, देव, वसु।
अत: विकल्प (B) सही है I

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 22

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये I
आज विकास मॉडल में मानवीय विकास की जगह आर्थिक विकास को ज्यादा तवज्जो दी जाती है। अध्ययन बताते हैं कि विस्थापन तथा आजीविका से बेदखली व विकास की वर्तमान सोच का ही नतीजा है कि ताकतवर और भी ज्यादा ताकतवर बनते जा रहे हैं तथा कमजोर पहले से कहीं ज्यादा अभावग्रस्त होकर और भी हाशिए पर चले जाते हैं। यही वजह है कि विस्थापन के अध्ययन में ‘विकास के प्रतिमान’ केंद्र में आ जाते हैं। लोगों को उनके संसाधनों से अलग करने की प्रक्रिया औपनिवेशिक काल में ही शुरू हो गई थी और आजादी के बाद योजनाबद्ध विकास में यह और भी ज्यादा बढ़ी। यही नहीं, विस्थापन और अभाव की प्रकृति में भी बदलाव आया, पहले महज प्रक्रिया आधारित दखल से बढ़कर यह भूमि और उनकी आजीविका के सीधे नुकसान तक पहुँच गई। धीरे-धीरे इसकी तीव्रता बढ़ी लेकिन जागरूकता और पुनर्वास दोनों ही क्षेत्रों में कमजोर रही। इसका मुख्य कारण यह है कि विकास के प्रतिमान औपनिवेशिक देशों से लिए किए गए और स्वतंत्र भारत के निर्णयकारी लोगों द्वारा जस के तस लागू कर दिए गए। योजनाकारों ने ये अहम निर्णय ‘राष्ट्र निर्माण’ के सिद्धान्त के आधार पर लिए। इसमें यह माना गया कि कुछ लोगों को विकास की क़ीमत जरूर चुकानी होगी लेकिन यह इस मायने में लाभप्रद भी होगा कि विकास के फायदे सभी तक पहुँच जाएंगे। आधुनिकीकरण के नाम पर पूँजीपतियों ने अपना निवेश किया और यहाँ के प्राकृतिक संसाधनों पर ज़ोर आजमाए। बहुत ही कम लोगों ने महसूस किया था कि उपनिवेशवादी देश अपने उपनिवेशों का शोषण कर अमीर बनते जा रहे हैं। इसीलिए गांधीजी ने औद्योगिकीकरण का नहीं, उद्योगवाद का विरोध किया था। वे ऐसे विकास के विरोधी थे जो उस तकनीक और उपभोग की राह पर चलता था जो बहुमत की पहुँच से बहुत दूर था।

Q. विकास के प्रतिमान किसके केंद्र में आ जाते हैं?

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 22

प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार विस्थापन के मुख्य कारणों पर विचार करने पर विकास की आर्थिक अंध विचारधारा मुख्य कारण के तौर पर उभरती है जहाँ पर सामाजिक और आम आदमी के विकास के बारे में विचार न कर सिर्फ आर्थिक पक्ष को मुख्य तौर से देखा जाता रहा है। औपनिवेशिक काल से लेकर अब तक लोगों को उनके संसाधनों से अलग करने की प्रक्रिया योजनाबद्ध तरीके से चलते रही। इस प्रकार विस्थापन के अध्ययन में विकास के प्रतिमान (सिर्फ आर्थिक विकास) केंद्र में आ जाते हैं।
अत: विकल्प (C) सही है I

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 23

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये I
आज विकास मॉडल में मानवीय विकास की जगह आर्थिक विकास को ज्यादा तवज्जो दी जाती है। अध्ययन बताते हैं कि विस्थापन तथा आजीविका से बेदखली व विकास की वर्तमान सोच का ही नतीजा है कि ताकतवर और भी ज्यादा ताकतवर बनते जा रहे हैं तथा कमजोर पहले से कहीं ज्यादा अभावग्रस्त होकर और भी हाशिए पर चले जाते हैं। यही वजह है कि विस्थापन के अध्ययन में ‘विकास के प्रतिमान’ केंद्र में आ जाते हैं। लोगों को उनके संसाधनों से अलग करने की प्रक्रिया औपनिवेशिक काल में ही शुरू हो गई थी और आजादी के बाद योजनाबद्ध विकास में यह और भी ज्यादा बढ़ी। यही नहीं, विस्थापन और अभाव की प्रकृति में भी बदलाव आया, पहले महज प्रक्रिया आधारित दखल से बढ़कर यह भूमि और उनकी आजीविका के सीधे नुकसान तक पहुँच गई। धीरे-धीरे इसकी तीव्रता बढ़ी लेकिन जागरूकता और पुनर्वास दोनों ही क्षेत्रों में कमजोर रही। इसका मुख्य कारण यह है कि विकास के प्रतिमान औपनिवेशिक देशों से लिए किए गए और स्वतंत्र भारत के निर्णयकारी लोगों द्वारा जस के तस लागू कर दिए गए। योजनाकारों ने ये अहम निर्णय ‘राष्ट्र निर्माण’ के सिद्धान्त के आधार पर लिए। इसमें यह माना गया कि कुछ लोगों को विकास की क़ीमत जरूर चुकानी होगी लेकिन यह इस मायने में लाभप्रद भी होगा कि विकास के फायदे सभी तक पहुँच जाएंगे। आधुनिकीकरण के नाम पर पूँजीपतियों ने अपना निवेश किया और यहाँ के प्राकृतिक संसाधनों पर ज़ोर आजमाए। बहुत ही कम लोगों ने महसूस किया था कि उपनिवेशवादी देश अपने उपनिवेशों का शोषण कर अमीर बनते जा रहे हैं। इसीलिए गांधीजी ने औद्योगिकीकरण का नहीं, उद्योगवाद का विरोध किया था। वे ऐसे विकास के विरोधी थे जो उस तकनीक और उपभोग की राह पर चलता था जो बहुमत की पहुँच से बहुत दूर था।

Q. गांधीजी ने किसका विरोध किया?

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 23

गद्यांश के अनुसार उपनिवेशवादी देश अपने उपनिवेशों का शोषण कर अमीर बनते जा रहे थें। इसीलिए गांधीजी ने औद्योगिकीकरण का नहीं, उद्योगवाद का विरोध किया था। ताकि भारत में समाज के गरीब तबके का शोषण न हो। 
अत: विकल्प (B) सही है I

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 24

‘बिजली’ शब्द किसका पर्यायवाची है?

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 24

ऐसे शब्द जिनके अर्थ समान हों, पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं।
‘बिजली’ के पर्यायवाची शब्द - दामिनी, तड़ित्, चंचला, चपला, इन्द्रवज्र, अशनि, क्षणप्रभा, क्षणिका, गाज, करका, वज्र, शंपा, विद्युत I
अत: विकल्प (C) सही है I

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 25

दिए गए विकल्पों में से शुद्ध वर्तनी वाला शब्द कौन-सा है?

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 25

शुद्ध वर्तनी वाला शब्द ‘पुनीत’ है। 

अत: विकल्प (D) सही है I

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 26

दिए गए विकल्पों में से ‘कलाकार’ शब्द में प्रत्यय है।

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 26

प्रत्यय- वे शब्दांश, जो यौगिक शब्द बनाते समय बाद में लगते हैं। जैसे-
1. अक- पाठक
2. आई- पढ़ाई 
कला शब्द में कार प्रत्यय के योग से कलाकार शब्द बना है।
अत: विकल्प (C) सही है I

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 27

दिए गए विकल्पों में से ‘मानव’ शब्द से _______विशेषण बनेगा।

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 27

विशेषण: जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, विशेषण कहलाते हैं। जैसे- मानव संज्ञा है लेकिन मानवीयता विशेषण शब्द है क्योंकि यह व्यक्ति का एक गुण है।
अत: विकल्प (D) सही है I

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 28

‘तुम काम कर रहे हो कि समय बर्बाद कर रहे हो।’ इस वाक्य में रेखांकित वाक्यांश के लिए उचित मुहावरा क्या है।

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 28

'समय बर्बाद करना' के लिए सही मुहावरा है 'भाड़ झोंकना'। इस प्रकार उपर्युक्त वाक्य में इस मुहावरे का प्रयोग उचित है। अन्य मुहावरों के अर्थ भिन्न हैं।
अत: विकल्प (C) सही है I

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 29

‘लड़का’ शब्द से भाववाचक संज्ञा बनाइए। 

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 29

वे संज्ञा शब्द जिससे किसी व्यक्ति या वस्तु के भाव, गुण या धर्म दशा या व्यापर का बोध हो उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं। भाववाचक संज्ञा को जातिवाचक शब्दों से, सर्वनाम शब्दों से, विशेषण शब्दों से, क्रिया शब्दों से बदला जाता है।
‘लड़का’ एक जातिवाचक संज्ञा है, उसमें पन शब्द के जुड़ जाने से वह भाववाचक संज्ञा बन जाता है I
अत: विकल्प (C) सही है I

Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 30

‘अनुचर’ का पर्यायवाची _____ नहीं है I

Detailed Solution for Uttarakhand Police SI Paper 1 Mock Test - 6 - Question 30

जो शब्द समान पर्याय में प्रयुक्त होते हैं, वे पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं।
अनुचर के पर्यायवाची शब्द- दास, किंकर, परिचारक हैं।
अत: विकल्प (C) सही है I

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