‘सीताराम’ शब्द में निम्न में से कौन सा समास है ?
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पुरुषवाचक सर्वनाम के कितने भेद होते हैं?
'अंधे की लाठी' मुहावरों का सही अर्थ कौन-सा है?
जहाँ जाना कठिन हो' वाक्यांश के लिए उपयुक्त शब्द क्या होगा?
‘सम्राट’ शब्द का स्त्रीलिंग क्या होगा?
निम्न में से किस शब्द की वर्तनी सही है?
निर्देश: गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
पिछले रविवार को में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला देखने गया। यह प्रदर्शनी प्रगति मैदान में लगाई गई थी। इसे लघु उद्योग विभाग ने आयोजित किया थाl यहाँ पर लोगों की बहुत भीड़ थी। उन लोगों ने अच्छे परिधान धारण किये हुए थे। ये एक बड़े मेले जैसा दिखाई देता है। अधिकांश राज्यों ने अपने-अपने पवैलियन स्थापित किये थे। यहाँ पर हस्तशिल्प, होजरी और बने - बनाये वस्त्र, खेलों का सामान और प्लास्टिक के खिलोने थे। खाने की वस्तुओं के स्टालों पर बहुत अधिक भीड़ थी। बच्चों के लिए अप्पू घर विशेष आकर्षण का केंद्र था। मैंने यहाँ पर प्रसन्नतापूर्वक समय व्यतीत किया। यह प्रदर्शिनी दर्शाती थी कि ग्रामों के उत्थान से ही भारत एक विकसित देश बन सकता है।
Q. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या होगा ?
निर्देश: गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
पिछले रविवार को में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला देखने गया। यह प्रदर्शनी प्रगति मैदान में लगाई गई थी। इसे लघु उद्योग विभाग ने आयोजित किया थाl यहाँ पर लोगों की बहुत भीड़ थी। उन लोगों ने अच्छे परिधान धारण किये हुए थे। ये एक बड़े मेले जैसा दिखाई देता है। अधिकांश राज्यों ने अपने-अपने पवैलियन स्थापित किये थे। यहाँ पर हस्तशिल्प, होजरी और बने - बनाये वस्त्र, खेलों का सामान और प्लास्टिक के खिलोने थे। खाने की वस्तुओं के स्टालों पर बहुत अधिक भीड़ थी। बच्चों के लिए अप्पू घर विशेष आकर्षण का केंद्र था। मैंने यहाँ पर प्रसन्नतापूर्वक समय व्यतीत किया। यह प्रदर्शिनी दर्शाती थी कि ग्रामों के उत्थान से ही भारत एक विकसित देश बन सकता है।
Q. प्रदर्शनी क्या दर्शाती है ?
निर्देश: गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
पिछले रविवार को में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला देखने गया। यह प्रदर्शनी प्रगति मैदान में लगाई गई थी। इसे लघु उद्योग विभाग ने आयोजित किया थाl यहाँ पर लोगों की बहुत भीड़ थी। उन लोगों ने अच्छे परिधान धारण किये हुए थे। ये एक बड़े मेले जैसा दिखाई देता है। अधिकांश राज्यों ने अपने-अपने पवैलियन स्थापित किये थे। यहाँ पर हस्तशिल्प, होजरी और बने - बनाये वस्त्र, खेलों का सामान और प्लास्टिक के खिलोने थे। खाने की वस्तुओं के स्टालों पर बहुत अधिक भीड़ थी। बच्चों के लिए अप्पू घर विशेष आकर्षण का केंद्र था। मैंने यहाँ पर प्रसन्नतापूर्वक समय व्यतीत किया। यह प्रदर्शिनी दर्शाती थी कि ग्रामों के उत्थान से ही भारत एक विकसित देश बन सकता है।
Q. गद्यांश के अनुसार लेखक कहाँ गया था ?
जिसे जाना ना जा सके वाक्यांश के लिए एक शब्द है-
दिए गए शब्दों में से स्त्रीलिंग शब्द है:-
यों तो पश्चिम की युवा संस्कृतियों में पले हुए लोग प्राय: पूर्व की प्राचीन संस्कृतियों की चर्चा करते हुए 'संस्कृति के भार' की चर्चा किया करते हैं - बहुत लंबी सांस्कृतिक परंपरा का एक बोझ उस परंपरा में रहने वालों पर हो जाता है, जिससे वह समकालीन प्रत्येक प्रवृत्ति या घटना को सुदूर अतीत को कसौटी पर परखने लगते हैं, सामने न देख कर पीछे देखते हैं और एक प्रकार के नियतिवादी हो जाते हैं। भारत के बारे में और इसी प्रकार मिश्र आदि के बारे में पाश्चात्य अध्येताओं ने ऐसे विचार प्रकट किए हैं लेकिन अगर कुछ सहस्त्र वर्षों की सांस्कृतिक परंपरा का ही इतना बोझ हो सकता है, तो कल्पना कीजिए उस बोझ का, जो ब्रह्मा के एक युग की उद्भावना करने से पड़ता होगा। यद्यपि यह हम कह चुके कि ब्रह्मा का युग हमारी उद्भावना की पकड़ से बाहर की चीज़ है- वह काल्पनिक यथार्थता भी नहीं हो सकती।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
Q. इनमें से ‘परंपरा’ का अर्थ क्या नहीं है?
यों तो पश्चिम की युवा संस्कृतियों में पले हुए लोग प्राय: पूर्व की प्राचीन संस्कृतियों की चर्चा करते हुए 'संस्कृति के भार' की चर्चा किया करते हैं - बहुत लंबी सांस्कृतिक परंपरा का एक बोझ उस परंपरा में रहने वालों पर हो जाता है, जिससे वह समकालीन प्रत्येक प्रवृत्ति या घटना को सुदूर अतीत को कसौटी पर परखने लगते हैं, सामने न देख कर पीछे देखते हैं और एक प्रकार के नियतिवादी हो जाते हैं। भारत के बारे में और इसी प्रकार मिश्र आदि के बारे में पाश्चात्य अध्येताओं ने ऐसे विचार प्रकट किए हैं लेकिन अगर कुछ सहस्त्र वर्षों की सांस्कृतिक परंपरा का ही इतना बोझ हो सकता है, तो कल्पना कीजिए उस बोझ का, जो ब्रह्मा के एक युग की उद्भावना करने से पड़ता होगा। यद्यपि यह हम कह चुके कि ब्रह्मा का युग हमारी उद्भावना की पकड़ से बाहर की चीज़ है- वह काल्पनिक यथार्थता भी नहीं हो सकती।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
Q. ‘प्रवृत्ति’ का अर्थ क्या है?
यों तो पश्चिम की युवा संस्कृतियों में पले हुए लोग प्राय: पूर्व की प्राचीन संस्कृतियों की चर्चा करते हुए 'संस्कृति के भार' की चर्चा किया करते हैं - बहुत लंबी सांस्कृतिक परंपरा का एक बोझ उस परंपरा में रहने वालों पर हो जाता है, जिससे वह समकालीन प्रत्येक प्रवृत्ति या घटना को सुदूर अतीत को कसौटी पर परखने लगते हैं, सामने न देख कर पीछे देखते हैं और एक प्रकार के नियतिवादी हो जाते हैं। भारत के बारे में और इसी प्रकार मिश्र आदि के बारे में पाश्चात्य अध्येताओं ने ऐसे विचार प्रकट किए हैं लेकिन अगर कुछ सहस्त्र वर्षों की सांस्कृतिक परंपरा का ही इतना बोझ हो सकता है, तो कल्पना कीजिए उस बोझ का, जो ब्रह्मा के एक युग की उद्भावना करने से पड़ता होगा। यद्यपि यह हम कह चुके कि ब्रह्मा का युग हमारी उद्भावना की पकड़ से बाहर की चीज़ है- वह काल्पनिक यथार्थता भी नहीं हो सकती।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
Q. गद्यांश का केंद्रीय विषय क्या है?
‘पीयूष राम को पीट रहा है’, इसमें स्थूलांकित शब्द में कौन-सा कारक है?
निम्नलिखित में से कौन सा विकल्प द्रव्यवाचक संज्ञा है?
‘कलियुग’ का विपरीतार्थक शब्द क्या है?
निम्नलिखित में से कौन सा शब्द 'अग्नि' का पर्यायवाची नहीं है?
'इति-ईति' शब्द युग्म का अर्थ क्या है?
निम्नलिखित विकल्पो मे विसर्ग संधि का उदाहरण है:
निर्देश: गद्यांश पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि यूरोप की सभ्यता सर्वथा तिरस्कार की वस्तु नहीं; क्योंकि मैं भी उस ईश्वर में विश्वास करना नही चाहता जो मरने के बाद मुझो शांति तो दे सकता है, किंतु जीवन में मुझे रोटी नहीं दे सकता। स्पष्ट ही, स्वामी विवेकानंद भारतीय अध्यात्म का संबंध उस वस्तु के साथ जोड़ना चाहते थे जो हमारे पास नहीं थी-जो शायद, हमारे पूर्वजों के पास भी नहीं थी। उन्होंने धर्म की गोद में ऊँघते हुए भारतवर्ष को जगाने के लिए शंखनाद किया और कहा, कि तुम्हें जीवन में स्पंदन भरे वाली प्रेरणा की जरूरत है; तुम्हें शक्ति का वह विद्युत् प्रवाह चाहिए जिससे धरती जवान रहती है और जिससे यूरोप के अंग-अंग में चेतना और स्वास्थ्य का सोंदर्य छलक रहा है।
Q. विवेकानंद ने किसके विद्युत् प्रवाह की वकालत की?
निर्देश: गद्यांश पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि यूरोप की सभ्यता सर्वथा तिरस्कार की वस्तु नहीं; क्योंकि मैं भी उस ईश्वर में विश्वास करना नही चाहता जो मरने के बाद मुझो शांति तो दे सकता है, किंतु जीवन में मुझे रोटी नहीं दे सकता। स्पष्ट ही, स्वामी विवेकानंद भारतीय अध्यात्म का संबंध उस वस्तु के साथ जोड़ना चाहते थे जो हमारे पास नहीं थी-जो शायद, हमारे पूर्वजों के पास भी नहीं थी। उन्होंने धर्म की गोद में ऊँघते हुए भारतवर्ष को जगाने के लिए शंखनाद किया और कहा, कि तुम्हें जीवन में स्पंदन भरे वाली प्रेरणा की जरूरत है; तुम्हें शक्ति का वह विद्युत् प्रवाह चाहिए जिससे धरती जवान रहती है और जिससे यूरोप के अंग-अंग में चेतना और स्वास्थ्य का सोंदर्य छलक रहा है।
Q. ‘स्पंदन’ का अर्थ क्या है?