CTET & State TET Exam  >  CTET & State TET Tests  >  CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - CTET & State TET MCQ

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - CTET & State TET MCQ


Test Description

30 Questions MCQ Test - CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 for CTET & State TET 2025 is part of CTET & State TET preparation. The CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 questions and answers have been prepared according to the CTET & State TET exam syllabus.The CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 MCQs are made for CTET & State TET 2025 Exam. Find important definitions, questions, notes, meanings, examples, exercises, MCQs and online tests for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 below.
Solutions of CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 questions in English are available as part of our course for CTET & State TET & CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 solutions in Hindi for CTET & State TET course. Download more important topics, notes, lectures and mock test series for CTET & State TET Exam by signing up for free. Attempt CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 | 150 questions in 150 minutes | Mock test for CTET & State TET preparation | Free important questions MCQ to study for CTET & State TET Exam | Download free PDF with solutions
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 1

निम्‍न में से कौन सा परीक्षण की वैधता को मापने हेतु मानदंड है?
(A) संरचना
(B) स्‍थिरता
(C) मापदंड
(D) विषय वस्‍तु

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 1

यह विश्‍वास करने के लिए कि एक परीक्षण वैध है, और इस प्रकार परीक्षण स्कोर के आधार पर किए गए निष्‍कर्ष मान्य हैं, तीन प्रकार के वैधता प्रमाण हैं:
संरचना- यह वह परिमाण है जिस पर परीक्षण की सामग्री निर्देशपरक उद्देश्यों से मेल खाती है।
मापदंड - यह वह क्षेत्र है जिसमें परीक्षण के स्कोर साथ अनुबंधित होते हैं या बाह्य मापदंड का पूर्वानुमान व्‍यक्‍त करते हैं।
विषय-वस्‍तु - यह वह क्षेत्र है जिस पर अन्‍य चरों के अनुरूप मूल्‍यांकन उपपत्‍ति या सिद्धांत द्वारा पूर्वानुमानित किया जाता है।

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 2

किसी उत्पाद का इस्तेमाल करके उपभोक्ता भी बाजार में भागीदार बन जाता है। यदि उपभोक्ता नही होंगे तो किसी भी कंपनी का अस्तित्व नही होगा। जहाँ तक उपभोक्ता के अधिकार का सवाल है तो उपभोक्ता की स्थिति दयनीय ही कही जायेगी। इसको समझने के लिए आप वैसे दुकानदार का उदाहरण ले सकते है जो कम वजन तौलता है या वह कम्पनी जो अपने पैक पर झूठे वादे करती है। ज्यादातर मिठाई बेचने वाले कच्चे माल में मिलावट करके लड्डू या बर्फी बनाते है। कुछ वर्षो पहले मिलावटी सरसों तेल से फैलने वाली ड्रॉप्सी नाम की बीमारी आपको याद होगी। यदि आपने कभी ट्रेन से सफर किया होगा तो आपको पता होगा कि ट्रेन में बिकने वाले खाने पीने की ज्यादातर चीजे घटिया होती है। यहाँ तक की पैंट्री में मिलने वाला खाना भी घटिया क्वालिटी का होता है। भारत में मिलावट, कालाबाजारी, जमाखोरी, कम वजन आदि की पुरानी परम्परा रही है। 1960 के दशक से भारत में उपभोक्ता आन्दोलन शुरू हुए थे। 1970 के दशक तक उपभोक्ता आन्दोलन केवल आर्टिकल लिखने और प्रदर्शनी लगाने तक ही सीमित था। लेकिन हाल के वर्षो में उपभोक्ता संगठनों की संख्या में तेजी से उछाल आया है।
विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से लोगो में इतनी अधिक असंतुष्टि थी कि उपभोक्ताओं के पास अपनी आवाज उठाने के सिवा और कोई रास्ता नही बचा था। कई वर्षो के लम्बे संघर्ष के बाद सरकार को इसकी खैर लेने के लिए बाधित होना पड़ा और इसकी परिणति के रूप में 1986 में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (कोपरा) को लागू किया गया। एक उपभोक्ता को किसी उत्पाद के बारे में सही जानकारी पाने का अधिकार होता है। अब ऐसे कानून है जो किसी उत्पाद के पैक पर अवयवों और सुरक्षा के बारे में जानकारी देना अनिवार्य बनाते है। सही सूचना से उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद को खरीदने के लिए उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है। किसी भी उत्पाद के पैक पर खुदरा मूल्य लिखना भी अनिवार्य होता है। यदि कूई दुकानदार एमआरपी से अधिक चार्ज करता है तो उपभोक्ता उसकी शिकायत कर सकता है। एक उपभोक्ता को विभिन्न विकल्पों में से चुनने का अधिकार होता है। कोई भी विक्रेता केवल एक ही ब्रांड पेश नही कर सकता है। उसे अपने ग्राहक को कई विकल्प देने होगे। इस अधिकार को मोनोपोली ट्रेंड के खिलाफ बने कानूनों के जरिये लागू किया जाता है।

Q. ट्रेन में बिकने वाली खाने पीने वाली ज्यादातर चीजो की गुणवत्ता कैसी होती है?

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 2
  • उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार ट्रेन में बिकने वाली खाने पीने वाली ज्यादातर चीजों की गुणवत्ता घटिया होती है।
  • यहाँ तक की पैंट्री में मिलने वाला खाना भी घटिया क्वालिटी का होता है।
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 3

किसी उत्पाद का इस्तेमाल करके उपभोक्ता भी बाजार में भागीदार बन जाता है। यदि उपभोक्ता नही होंगे तो किसी भी कंपनी का अस्तित्व नही होगा। जहाँ तक उपभोक्ता के अधिकार का सवाल है तो उपभोक्ता की स्थिति दयनीय ही कही जायेगी। इसको समझने के लिए आप वैसे दुकानदार का उदाहरण ले सकते है जो कम वजन तौलता है या वह कम्पनी जो अपने पैक पर झूठे वादे करती है। ज्यादातर मिठाई बेचने वाले कच्चे माल में मिलावट करके लड्डू या बर्फी बनाते है। कुछ वर्षो पहले मिलावटी सरसों तेल से फैलने वाली ड्रॉप्सी नाम की बीमारी आपको याद होगी। यदि आपने कभी ट्रेन से सफर किया होगा तो आपको पता होगा कि ट्रेन में बिकने वाले खाने पीने की ज्यादातर चीजे घटिया होती है। यहाँ तक की पैंट्री में मिलने वाला खाना भी घटिया क्वालिटी का होता है। भारत में मिलावट, कालाबाजारी, जमाखोरी, कम वजन आदि की पुरानी परम्परा रही है। 1960 के दशक से भारत में उपभोक्ता आन्दोलन शुरू हुए थे। 1970 के दशक तक उपभोक्ता आन्दोलन केवल आर्टिकल लिखने और प्रदर्शनी लगाने तक ही सीमित था। लेकिन हाल के वर्षो में उपभोक्ता संगठनों की संख्या में तेजी से उछाल आया है।
विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से लोगो में इतनी अधिक असंतुष्टि थी कि उपभोक्ताओं के पास अपनी आवाज उठाने के सिवा और कोई रास्ता नही बचा था। कई वर्षो के लम्बे संघर्ष के बाद सरकार को इसकी खैर लेने के लिए बाधित होना पड़ा और इसकी परिणति के रूप में 1986 में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (कोपरा) को लागू किया गया। एक उपभोक्ता को किसी उत्पाद के बारे में सही जानकारी पाने का अधिकार होता है। अब ऐसे कानून है जो किसी उत्पाद के पैक पर अवयवों और सुरक्षा के बारे में जानकारी देना अनिवार्य बनाते है। सही सूचना से उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद को खरीदने के लिए उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है। किसी भी उत्पाद के पैक पर खुदरा मूल्य लिखना भी अनिवार्य होता है। यदि कूई दुकानदार एमआरपी से अधिक चार्ज करता है तो उपभोक्ता उसकी शिकायत कर सकता है। एक उपभोक्ता को विभिन्न विकल्पों में से चुनने का अधिकार होता है। कोई भी विक्रेता केवल एक ही ब्रांड पेश नही कर सकता है। उसे अपने ग्राहक को कई विकल्प देने होगे। इस अधिकार को मोनोपोली ट्रेंड के खिलाफ बने कानूनों के जरिये लागू किया जाता है।

Q. भारत में उपभोक्ता आंदोलन किस दशक में शुरू हुए थे?

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 3
  • उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार भारत में उपभोक्ता आंदोलन 1960 के दशक में शुरू हुए थे।
  • 1970 के दशक तक उपभोक्ता आंदोलन केवल आर्टिकल लिखने और प्रदर्शनी लगाने तक ही सीमित थे।
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 4

किसी उत्पाद का इस्तेमाल करके उपभोक्ता भी बाजार में भागीदार बन जाता है। यदि उपभोक्ता नही होंगे तो किसी भी कंपनी का अस्तित्व नही होगा। जहाँ तक उपभोक्ता के अधिकार का सवाल है तो उपभोक्ता की स्थिति दयनीय ही कही जायेगी। इसको समझने के लिए आप वैसे दुकानदार का उदाहरण ले सकते है जो कम वजन तौलता है या वह कम्पनी जो अपने पैक पर झूठे वादे करती है। ज्यादातर मिठाई बेचने वाले कच्चे माल में मिलावट करके लड्डू या बर्फी बनाते है। कुछ वर्षो पहले मिलावटी सरसों तेल से फैलने वाली ड्रॉप्सी नाम की बीमारी आपको याद होगी। यदि आपने कभी ट्रेन से सफर किया होगा तो आपको पता होगा कि ट्रेन में बिकने वाले खाने पीने की ज्यादातर चीजे घटिया होती है। यहाँ तक की पैंट्री में मिलने वाला खाना भी घटिया क्वालिटी का होता है। भारत में मिलावट, कालाबाजारी, जमाखोरी, कम वजन आदि की पुरानी परम्परा रही है। 1960 के दशक से भारत में उपभोक्ता आन्दोलन शुरू हुए थे। 1970 के दशक तक उपभोक्ता आन्दोलन केवल आर्टिकल लिखने और प्रदर्शनी लगाने तक ही सीमित था। लेकिन हाल के वर्षो में उपभोक्ता संगठनों की संख्या में तेजी से उछाल आया है।
विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से लोगो में इतनी अधिक असंतुष्टि थी कि उपभोक्ताओं के पास अपनी आवाज उठाने के सिवा और कोई रास्ता नही बचा था। कई वर्षो के लम्बे संघर्ष के बाद सरकार को इसकी खैर लेने के लिए बाधित होना पड़ा और इसकी परिणति के रूप में 1986 में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (कोपरा) को लागू किया गया। एक उपभोक्ता को किसी उत्पाद के बारे में सही जानकारी पाने का अधिकार होता है। अब ऐसे कानून है जो किसी उत्पाद के पैक पर अवयवों और सुरक्षा के बारे में जानकारी देना अनिवार्य बनाते है। सही सूचना से उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद को खरीदने के लिए उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है। किसी भी उत्पाद के पैक पर खुदरा मूल्य लिखना भी अनिवार्य होता है। यदि कूई दुकानदार एमआरपी से अधिक चार्ज करता है तो उपभोक्ता उसकी शिकायत कर सकता है। एक उपभोक्ता को विभिन्न विकल्पों में से चुनने का अधिकार होता है। कोई भी विक्रेता केवल एक ही ब्रांड पेश नही कर सकता है। उसे अपने ग्राहक को कई विकल्प देने होगे। इस अधिकार को मोनोपोली ट्रेंड के खिलाफ बने कानूनों के जरिये लागू किया जाता है।

Q. विक्रेता को अपने ग्राहकों को क्या कई देने होंगे?

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 4
  • उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार विक्रेता को अपने ग्राहकों को विकल्प देने होंगे।
  • इस अधिकार को मोनोपोली ट्रेंड के खिलाफ बने कानूनों के जरिए लागू किया जाता है।
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 5

भाषा क्या है?

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 5

भाषा अर्जित संपत्ति है।
भाषा शब्द ‘भाष‘ धातु के संयोग से बना है। जिसका अर्थ है बोलना या कहना, अर्थात भाषा वह है जो बोली और कही जा सके तथा उसमें ध्वन्यात्मक हो। भाषा मुख से उच्चारित होने वाली वह ध्वनि है जिसके द्वारा मनुष्य अपने मन के विचारों और भावनाओं को दूसरों के सामने अभिव्यक्त करता है।

  • भाषा के द्वारा एक मानव समुदाय अपने भावों व विचारों की परस्पर अभिव्यक्ति अथवा संप्रेषण करता है।
  • भाषा एक अर्जित संपत्ति है क्योंकि बच्चे अपने घरेलू और आस-पास के परिवेश से भाषा के नियमों को अर्जित कर के ही आत्मसात् करते हैं।
  • उदाहरण: एक भारतीय बच्चे का जन्म अगर अमेरिका में होता है और अगर उसके निकट वातावरण में अंग्रेजी का प्रयोग किया जाता है, तो वह बच्चा अंग्रेजी भाषा को ही अर्जित करेगा। अतः यह कहा जा सकता है की भाषा एक अर्जित संपत्ति है।
  • भाषा अर्जित करना या सीखना एक सहजात योग्यता है परंतु भाषा एक अर्जित संपत्ति है।

इसलिए, उपर्युक्त पंक्तियों से स्पष्ठ है कि भाषा अर्जित संपत्ति है।

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 6

संश्लेषण विधि में सीखने की प्रक्रिया है:

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 6

भाषा ज्ञान को विकसित करने के लिए शिक्षक द्वारा कई विधिया अपनाई जाती है।
संश्लेषण विधि: संश्लेषण का अर्थ है उस वस्तु को जिसको छोटे - छोटे टुकड़ों में विभाजित कर देना तथा, उसे पुन: एकत्रित कर देना है।

  • इस विधि में किसी समस्या का हल एकत्रित करने के लिए उस समस्या से संबंधित पूर्व ज्ञात सूचनाओं को एक साथ मिलाकर समस्या को हल करने का प्रयत्न किया जाता है।
  • प्राथमिक स्तर पर बच्चों में पठन कौशल विकसित करने के लिए यह विधि काम में लायी जाती है।
  • बालको को सबसे पहले वर्णों की ध्वनि उच्चारण का अभ्यास कराया जाता है।
  • ध्वनि उच्चारण के बाद वर्णों की ध्वनियों को संयुक्त करके शब्द बनाने का अभ्यास कराया जाता है।
  • शब्दों को संयुक्त करने का अभ्यास दो वर्णों के जोड़े जाने से आरम्भ होता है, जो मात्राओं के संश्लेषण पर पूर्ण होता है।
  • इसके साथ ही बालको को शब्दों से वाक्य बनाने का अभ्यास भी कराया जाता है।
  • संश्लेषण विधि का प्रयोग पठन के साथ-साथ लेखन कौशल के विकास में भी किया जाता है और इस प्रकार कक्षा तीन तक बालकों में चारों कौशलों का विकास पूर्ण हो जाता है।
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 7

डिसग्राफिया से ग्रसित बच्चे की पहचान है:

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 7

डिसग्राफिया से ग्रसित बच्चे की पहचान बालक द्वारा अक्षरों का लाईन के ऊपर नीचे लिखा जाना है।
डिस्ग्राफिया वाले बच्चों को मुख्यत: लिखने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
अधिगम अक्षमता तंत्रिका संबंधी विकार को संदर्भित करती है जो संज्ञानात्मक हानि का कारण बनती है। डिस्लेक्सिया (पढ़ने में अक्षमता), डिस्ग्राफिया (लिखने में असमर्थता), डिस्केलकुलिया (गणना करने में असमर्थता), आदि सीखने की विकलांगता का उदाहरण हैं।
डिसग्राफिया:

  • यह एक लेखन विकार है जो सुसंगत रूप से लिखने की क्षमता को प्रभावित करती है।
  • अपने विचारों को लिपिबद्ध करने में कठिनाई आती है तथा विचार और लिखने की गति में सामंजस्‍य नहीं बैठ पाता।
  • डिस्ग्राफिया से ग्रसित लोग खराब हस्तलेखन, अशुद्ध वर्तनी, अक्षर और शब्द संगठन में असंगति, आदि समस्याओं का सामना करते हैं।
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 8

किसी उत्पाद का इस्तेमाल करके उपभोक्ता भी बाजार में भागीदार बन जाता है। यदि उपभोक्ता नही होंगे तो किसी भी कंपनी का अस्तित्व नही होगा। जहाँ तक उपभोक्ता के अधिकार का सवाल है तो उपभोक्ता की स्थिति दयनीय ही कही जायेगी। इसको समझने के लिए आप वैसे दुकानदार का उदाहरण ले सकते है जो कम वजन तौलता है या वह कम्पनी जो अपने पैक पर झूठे वादे करती है। ज्यादातर मिठाई बेचने वाले कच्चे माल में मिलावट करके लड्डू या बर्फी बनाते है। कुछ वर्षो पहले मिलावटी सरसों तेल से फैलने वाली ड्रॉप्सी नाम की बीमारी आपको याद होगी। यदि आपने कभी ट्रेन से सफर किया होगा तो आपको पता होगा कि ट्रेन में बिकने वाले खाने पीने की ज्यादातर चीजे घटिया होती है। यहाँ तक की पैंट्री में मिलने वाला खाना भी घटिया क्वालिटी का होता है। भारत में मिलावट, कालाबाजारी, जमाखोरी, कम वजन आदि की पुरानी परम्परा रही है। 1960 के दशक से भारत में उपभोक्ता आन्दोलन शुरू हुए थे। 1970 के दशक तक उपभोक्ता आन्दोलन केवल आर्टिकल लिखने और प्रदर्शनी लगाने तक ही सीमित था। लेकिन हाल के वर्षो में उपभोक्ता संगठनों की संख्या में तेजी से उछाल आया है।
विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से लोगो में इतनी अधिक असंतुष्टि थी कि उपभोक्ताओं के पास अपनी आवाज उठाने के सिवा और कोई रास्ता नही बचा था। कई वर्षो के लम्बे संघर्ष के बाद सरकार को इसकी खैर लेने के लिए बाधित होना पड़ा और इसकी परिणति के रूप में 1986 में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (कोपरा) को लागू किया गया। एक उपभोक्ता को किसी उत्पाद के बारे में सही जानकारी पाने का अधिकार होता है। अब ऐसे कानून है जो किसी उत्पाद के पैक पर अवयवों और सुरक्षा के बारे में जानकारी देना अनिवार्य बनाते है। सही सूचना से उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद को खरीदने के लिए उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है। किसी भी उत्पाद के पैक पर खुदरा मूल्य लिखना भी अनिवार्य होता है। यदि कूई दुकानदार एमआरपी से अधिक चार्ज करता है तो उपभोक्ता उसकी शिकायत कर सकता है। एक उपभोक्ता को विभिन्न विकल्पों में से चुनने का अधिकार होता है। कोई भी विक्रेता केवल एक ही ब्रांड पेश नही कर सकता है। उसे अपने ग्राहक को कई विकल्प देने होगे। इस अधिकार को मोनोपोली ट्रेंड के खिलाफ बने कानूनों के जरिये लागू किया जाता है।

Q. हाल के वर्षो में उपभोक्ता संगठनों की संख्या में तेजी से क्या आया है?

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 8
  • उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार हाल के वर्षों में उपभोक्ता संगठनों की संख्या में तेजी से उछाल आया है।
  • विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से लोगों में इतनी अधिक संतुष्टि थी कि उपभोक्ताओं के पास अपनी आवाज उठाने के सिवा और कोई रास्ता नहीं बचा था।
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 9

अंग्रेजी भाषा में उपचारात्मक शिक्षण का उद्देश्य है/हैं:

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 9

उपचारात्मक शिक्षण शिक्षण-शिक्षण कार्यक्रम का एक अभिन्न अंग है, जिसे प्रतिपूरक या सुधारात्मक शिक्षण के रूप में भी जाना जाता है।
अंग्रेजी भाषा में उपचारात्मक शिक्षण के उद्देश्य:

  • अप्रभावी आदतों को खत्म करने के लिए।
  • अतिरिक्त सहायता देकर शिक्षार्थियों को बेहतर सीखने के लिए।
  • विद्यार्थियों को उनकी क्षमताओं और आवश्यकताओं के अनुसार सीखने की गतिविधियाँ और व्यावहारिक अनुभव प्रदान करना।
  • ठीक से नहीं सीखी गई भाषा वस्तुओं को फिर से पढ़ाने के लिए।
  • प्रेरक उपागमों के साथ सीखने में शिक्षार्थियों की रुचि जगाना।
  • विद्यार्थियों को उनकी सामान्य या विशिष्ट कमजोरियों से छुटकारा पाने में मदद करें।
  • शिक्षार्थियों को उनकी विविध आवश्यकताओं के अनुसार व्यावहारिक अनुभव प्रेषित करना।
  • गहन उपचारात्मक सहायता के साथ व्यक्तिगत शिक्षण प्रदान करना।

इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि उपरोक्त सभी अंग्रेजी भाषा में उपचारात्मक शिक्षण के उद्देश्य हैं।

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 10

एक स्मार्टबोर्ड है:

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 10

एक स्मार्टबोर्ड एक ऑडियो-विजुअल सहायता है जो श्रवण और दृश्य प्रणालियों की सहायता से सीखने को अधिकतम करता है।

  • कक्षाओं में स्मार्टबोर्ड शिक्षकों और छात्रों को वीडियो से लेकर टेक्स्ट से लेकर एनिमेशन और ऐप्स तक, ऑनलाइन उपलब्ध शैक्षिक संसाधनों की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंचने की अनुमति देता है।
  • ऑडियो-विजुअल एड्स विभिन्न विषयों के बारे में जानकारी प्रदान करके शिक्षार्थी के ज्ञान को समृद्ध करने और उनके आत्मविश्वास और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए श्रवण और दृष्टि दोनों की भावना को सक्रिय करते हैं।
  • एक ऑडियो-विजुअल लर्निंग एड होने के नाते वीडियो का उपयोग पाठ को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है जिसमें ध्वनि और चित्र दोनों शामिल होते हैं ताकि सीखने को सार्थक बनाने के लिए शिक्षार्थी की बौद्धिक क्षमताओं को बढ़ाया जा सके।

इसलिए, उपर्युक्त बिंदुओं से, यह स्पष्ट हो जाता है कि स्मार्टबोर्ड एक दृश्य-श्रव्य सहायता है।

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 11

किसी उत्पाद का इस्तेमाल करके उपभोक्ता भी बाजार में भागीदार बन जाता है। यदि उपभोक्ता नही होंगे तो किसी भी कंपनी का अस्तित्व नही होगा। जहाँ तक उपभोक्ता के अधिकार का सवाल है तो उपभोक्ता की स्थिति दयनीय ही कही जायेगी। इसको समझने के लिए आप वैसे दुकानदार का उदाहरण ले सकते है जो कम वजन तौलता है या वह कम्पनी जो अपने पैक पर झूठे वादे करती है। ज्यादातर मिठाई बेचने वाले कच्चे माल में मिलावट करके लड्डू या बर्फी बनाते है। कुछ वर्षो पहले मिलावटी सरसों तेल से फैलने वाली ड्रॉप्सी नाम की बीमारी आपको याद होगी। यदि आपने कभी ट्रेन से सफर किया होगा तो आपको पता होगा कि ट्रेन में बिकने वाले खाने पीने की ज्यादातर चीजे घटिया होती है। यहाँ तक की पैंट्री में मिलने वाला खाना भी घटिया क्वालिटी का होता है। भारत में मिलावट, कालाबाजारी, जमाखोरी, कम वजन आदि की पुरानी परम्परा रही है। 1960 के दशक से भारत में उपभोक्ता आन्दोलन शुरू हुए थे। 1970 के दशक तक उपभोक्ता आन्दोलन केवल आर्टिकल लिखने और प्रदर्शनी लगाने तक ही सीमित था। लेकिन हाल के वर्षो में उपभोक्ता संगठनों की संख्या में तेजी से उछाल आया है।
विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से लोगो में इतनी अधिक असंतुष्टि थी कि उपभोक्ताओं के पास अपनी आवाज उठाने के सिवा और कोई रास्ता नही बचा था। कई वर्षो के लम्बे संघर्ष के बाद सरकार को इसकी खैर लेने के लिए बाधित होना पड़ा और इसकी परिणति के रूप में 1986 में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (कोपरा) को लागू किया गया। एक उपभोक्ता को किसी उत्पाद के बारे में सही जानकारी पाने का अधिकार होता है। अब ऐसे कानून है जो किसी उत्पाद के पैक पर अवयवों और सुरक्षा के बारे में जानकारी देना अनिवार्य बनाते है। सही सूचना से उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद को खरीदने के लिए उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है। किसी भी उत्पाद के पैक पर खुदरा मूल्य लिखना भी अनिवार्य होता है। यदि कूई दुकानदार एमआरपी से अधिक चार्ज करता है तो उपभोक्ता उसकी शिकायत कर सकता है। एक उपभोक्ता को विभिन्न विकल्पों में से चुनने का अधिकार होता है। कोई भी विक्रेता केवल एक ही ब्रांड पेश नही कर सकता है। उसे अपने ग्राहक को कई विकल्प देने होगे। इस अधिकार को मोनोपोली ट्रेंड के खिलाफ बने कानूनों के जरिये लागू किया जाता है।

Q. किसी चीज से उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद को खरीदने के लिए उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है?

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 11

उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार सही सूचना से उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद को खरीदने के लिए उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है।
गद्यांश से

  • "सही सूचना से उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद को खरीदने के लिए उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है। किसी भी उत्पाद के पैक पर खुदरा मूल्य लिखना भी अनिवार्य होता है।"
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 12

निर्देश: दिए गए पद्यांश को ध्यानपर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
मुक्त करो नारी को, मानव !
चिर बंदिनी नारी को,
युग-युग की निर्मम कारा से
जननी, सखी, प्यारी को !
छिन्न करो सब स्वर्ण-पाश ।
उसके कोमल तन-मन के,
वे आभूषण नहीं, दाम
उसके बंदी जीवन के !
उसे मानवी का गौरव दे
पूर्ण सत्व दो नूतन,
उसका मुख जग का प्रकाश हो,
उठे अंध अवगुंठन।
मुक्त करो जीवन–संगिनी को,
जननी देवी को आदृत
जगजीवन में मानव के संग
हो मानवी प्रतिष्ठित !
प्रेम–स्वर्ग हो धरा, मधुर
नारी महिमा से मंडित,
नारी-मुख की नव किरणों से
युग–प्रभात हो ज्योतित !

Q. 'अवगुंठन' शब्द का अर्थ है:

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 12

'अवगुंठन' शब्द का अर्थ घूँघट' है।
अव + गुंठन = 'अवगुंठन'
'अव' (हीन) उपसर्ग और 'गुंठन' (छिपाना) मूल शब्द
अर्थ: कपड़े से मुँह छिपाने या ढकने की क्रिया।

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 13

नाटक शिक्षण खेल-खेल में भाषा कौशल को सीखने का माध्यम है। नाटक शिक्षण:

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 13

नाटक शिक्षण खेल-खेल में भाषा कौशल को सीखने का माध्यम है। नाटक शिक्षण उपरोक्त सभी से संबंधित है।
नाटक- जो रचना श्रवण के द्वारा ही नही अपितु दृष्टि के द्वारा भी दर्शकों के हृदय में रसानुभूती कराती है, उसे नाटक कहते हैं। नाटक में संवाद अदायगी सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। 

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 14

निर्देश: दिए गए पद्यांश को पढकर निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प छाँटिएI
पूछे सिकता-कण से हिमपति!
तेरा वह राजस्थान कहाँ?
वन-वन स्वतंत्रता-दीप लिये
फिरनेवाला बलवान कहाँ?
तू पूछ, अवध से, राम कहाँ?
वृंदा! बोलो, घनश्याम कहाँ?
ओ मगध! कहाँ मेरे अशोक?
वह चंद्रगुप्त बलधाम कहाँ ?
पैरों पर ही है पड़ी हुई
मिथिला भिखारिणी सुकुमारी,
तू पूछ, कहाँ इसने खोयीं
अपनी अनंत निधियाँ सारी?
री कपिलवस्तु! कह, बुद्धदेव
के वे मंगल-उपदेश कहाँ?
तिब्बत, इरान, जापान, चीन
तक गये हुए संदेश कहाँ?
वैशाली के भग्नावशेष से
पूछ लिच्छवी-शान कहाँ?
ओ री उदास गंडकी! बता
विद्यापति कवि के गान कहाँ?
तू तरुण देश से पूछ अरे,
गूँजा कैसा यह ध्वंस-राग?
अंबुधि-अंतस्तल-बीच छिपी
यह सुलग रही है कौन आग?
प्राची के प्रांगण-बीच देख,
जल रहा स्वर्ण-युग-अग्निज्वाल,

Q. प्राची शब्द का अर्थ है: 

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 14

प्राची शब्द का अर्थ 'पूर्व दिशा' है।

  • प्रतीची शब्द का अर्थ: 'पश्चिम दिशा'
  • वायव्य शब्द का अर्थ: उत्तर -पश्चिम दिशा 
  • आग्नेय शब्द का अर्थ: 'दक्षिण - पूर्व दिशा'
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 15

किसी उत्पाद का इस्तेमाल करके उपभोक्ता भी बाजार में भागीदार बन जाता है। यदि उपभोक्ता नही होंगे तो किसी भी कंपनी का अस्तित्व नही होगा। जहाँ तक उपभोक्ता के अधिकार का सवाल है तो उपभोक्ता की स्थिति दयनीय ही कही जायेगी। इसको समझने के लिए आप वैसे दुकानदार का उदाहरण ले सकते है जो कम वजन तौलता है या वह कम्पनी जो अपने पैक पर झूठे वादे करती है। ज्यादातर मिठाई बेचने वाले कच्चे माल में मिलावट करके लड्डू या बर्फी बनाते है। कुछ वर्षो पहले मिलावटी सरसों तेल से फैलने वाली ड्रॉप्सी नाम की बीमारी आपको याद होगी। यदि आपने कभी ट्रेन से सफर किया होगा तो आपको पता होगा कि ट्रेन में बिकने वाले खाने पीने की ज्यादातर चीजे घटिया होती है। यहाँ तक की पैंट्री में मिलने वाला खाना भी घटिया क्वालिटी का होता है। भारत में मिलावट, कालाबाजारी, जमाखोरी, कम वजन आदि की पुरानी परम्परा रही है। 1960 के दशक से भारत में उपभोक्ता आन्दोलन शुरू हुए थे। 1970 के दशक तक उपभोक्ता आन्दोलन केवल आर्टिकल लिखने और प्रदर्शनी लगाने तक ही सीमित था। लेकिन हाल के वर्षो में उपभोक्ता संगठनों की संख्या में तेजी से उछाल आया है।
विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से लोगो में इतनी अधिक असंतुष्टि थी कि उपभोक्ताओं के पास अपनी आवाज उठाने के सिवा और कोई रास्ता नही बचा था। कई वर्षो के लम्बे संघर्ष के बाद सरकार को इसकी खैर लेने के लिए बाधित होना पड़ा और इसकी परिणति के रूप में 1986 में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (कोपरा) को लागू किया गया। एक उपभोक्ता को किसी उत्पाद के बारे में सही जानकारी पाने का अधिकार होता है। अब ऐसे कानून है जो किसी उत्पाद के पैक पर अवयवों और सुरक्षा के बारे में जानकारी देना अनिवार्य बनाते है। सही सूचना से उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद को खरीदने के लिए उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है। किसी भी उत्पाद के पैक पर खुदरा मूल्य लिखना भी अनिवार्य होता है। यदि कूई दुकानदार एमआरपी से अधिक चार्ज करता है तो उपभोक्ता उसकी शिकायत कर सकता है। एक उपभोक्ता को विभिन्न विकल्पों में से चुनने का अधिकार होता है। कोई भी विक्रेता केवल एक ही ब्रांड पेश नही कर सकता है। उसे अपने ग्राहक को कई विकल्प देने होगे। इस अधिकार को मोनोपोली ट्रेंड के खिलाफ बने कानूनों के जरिये लागू किया जाता है।

Q. किसी उत्पाद के पैक पर क्या लिखना अनिवार्य होता है?

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 15
  • उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार किसी उत्पाद के पैक पर अधिकतम खुदरा मूल्य लिखना अनिवार्य होता है।
  • यदि कोई दुकानदार एमआरपी से अधिक चार्ज करता है तो उपभोक्ता उसकी शिकायत कर सकता है।
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 16

निर्देश: दिए गए पद्यांश को पढकर निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प छाँटिएI
पूछे सिकता-कण से हिमपति!
तेरा वह राजस्थान कहाँ?
वन-वन स्वतंत्रता-दीप लिये
फिरनेवाला बलवान कहाँ?
तू पूछ, अवध से, राम कहाँ?
वृंदा! बोलो, घनश्याम कहाँ?
ओ मगध! कहाँ मेरे अशोक?
वह चंद्रगुप्त बलधाम कहाँ ?
पैरों पर ही है पड़ी हुई
मिथिला भिखारिणी सुकुमारी,
तू पूछ, कहाँ इसने खोयीं
अपनी अनंत निधियाँ सारी?
री कपिलवस्तु! कह, बुद्धदेव
के वे मंगल-उपदेश कहाँ?
तिब्बत, इरान, जापान, चीन
तक गये हुए संदेश कहाँ?
वैशाली के भग्नावशेष से
पूछ लिच्छवी-शान कहाँ?
ओ री उदास गंडकी! बता
विद्यापति कवि के गान कहाँ?
तू तरुण देश से पूछ अरे,
गूँजा कैसा यह ध्वंस-राग?
अंबुधि-अंतस्तल-बीच छिपी
यह सुलग रही है कौन आग?
प्राची के प्रांगण-बीच देख,
जल रहा स्वर्ण-युग-अग्निज्वाल,

Q. 'तरुण देश' से क्या अभिप्राय है?

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 16

पद्यांश के अनुसार,
"तू तरुण देश से पूछ अरे,
गूँजा कैसा यह ध्वंस-राग?"
इसलिए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि 'तरुण देश' से अभिप्राय 'नवयुगीन भारत' है।

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 17

किसी उत्पाद का इस्तेमाल करके उपभोक्ता भी बाजार में भागीदार बन जाता है। यदि उपभोक्ता नही होंगे तो किसी भी कंपनी का अस्तित्व नही होगा। जहाँ तक उपभोक्ता के अधिकार का सवाल है तो उपभोक्ता की स्थिति दयनीय ही कही जायेगी। इसको समझने के लिए आप वैसे दुकानदार का उदाहरण ले सकते है जो कम वजन तौलता है या वह कम्पनी जो अपने पैक पर झूठे वादे करती है। ज्यादातर मिठाई बेचने वाले कच्चे माल में मिलावट करके लड्डू या बर्फी बनाते है। कुछ वर्षो पहले मिलावटी सरसों तेल से फैलने वाली ड्रॉप्सी नाम की बीमारी आपको याद होगी। यदि आपने कभी ट्रेन से सफर किया होगा तो आपको पता होगा कि ट्रेन में बिकने वाले खाने पीने की ज्यादातर चीजे घटिया होती है। यहाँ तक की पैंट्री में मिलने वाला खाना भी घटिया क्वालिटी का होता है। भारत में मिलावट, कालाबाजारी, जमाखोरी, कम वजन आदि की पुरानी परम्परा रही है। 1960 के दशक से भारत में उपभोक्ता आन्दोलन शुरू हुए थे। 1970 के दशक तक उपभोक्ता आन्दोलन केवल आर्टिकल लिखने और प्रदर्शनी लगाने तक ही सीमित था। लेकिन हाल के वर्षो में उपभोक्ता संगठनों की संख्या में तेजी से उछाल आया है।
विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से लोगो में इतनी अधिक असंतुष्टि थी कि उपभोक्ताओं के पास अपनी आवाज उठाने के सिवा और कोई रास्ता नही बचा था। कई वर्षो के लम्बे संघर्ष के बाद सरकार को इसकी खैर लेने के लिए बाधित होना पड़ा और इसकी परिणति के रूप में 1986 में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (कोपरा) को लागू किया गया। एक उपभोक्ता को किसी उत्पाद के बारे में सही जानकारी पाने का अधिकार होता है। अब ऐसे कानून है जो किसी उत्पाद के पैक पर अवयवों और सुरक्षा के बारे में जानकारी देना अनिवार्य बनाते है। सही सूचना से उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद को खरीदने के लिए उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है। किसी भी उत्पाद के पैक पर खुदरा मूल्य लिखना भी अनिवार्य होता है। यदि कूई दुकानदार एमआरपी से अधिक चार्ज करता है तो उपभोक्ता उसकी शिकायत कर सकता है। एक उपभोक्ता को विभिन्न विकल्पों में से चुनने का अधिकार होता है। कोई भी विक्रेता केवल एक ही ब्रांड पेश नही कर सकता है। उसे अपने ग्राहक को कई विकल्प देने होगे। इस अधिकार को मोनोपोली ट्रेंड के खिलाफ बने कानूनों के जरिये लागू किया जाता है।

Q. अधिकारों के मामले में भारतीय उपभोक्ताओं की स्थिति कैसी है?

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 17
  • उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार अधिकारों के मामलों में भारतीय उपभोक्ताओं की स्थिति दयनीय है।
  • अर्थात उपभोक्ताओं के पास अधिकार ना के बराबर है बाद के वर्षों में जाकर उपभोक्ता संगठन सक्रिय हुए।
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 18

Read the sentence:
I can recall those happy events.
The words underlined show a/an

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 18

The underlined words represent the ability of a person to recall something.

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 19

"There are four men": Which of the following aspect of teaching language will help you to understand the usage of "are" in the statement? 

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 19

Language is a symbolic, rule-governed system, shared by a group of people to express their thoughts and feelings. These rules are the set of conventions that organize their proper use and dictate how words relate to one another. Some of these rules that govern a language include morpheme, phonetics, syntax, semantic, etc. 

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 20

A reading activity, where students focus on phonemic sounds, pronunciation and intonation, can be used to assess

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 20

This is the correct option because you will be expected to recognise strategies for promoting fluency with respect to reading rate, reading accuracy and prosodic reading. You may be asked about appropriate strategies for monitoring students' reading fluency development.

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 21

Which of the following tense forms is used in the following sentence?
By the end of next year, I will have been 50 years old.

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 21

"By the end of next year, I will have been 50 years old."
This sentence introduces the following tense form: Perfect
It is a future perfect tense.
The future perfect tense indicates that an action will have been completed (finished or "perfected") at some point in the future. This tense is formed with "will" plus "have" plus the "past participle of the verb" (which can be either regular or irregular in form).

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 22

Direction: Read the passage given below and answer the questions that follow by selecting the most appropriate options:
(1) We embarked along the sapphire route along National Highway 17 for a sun-soaked holiday. This route along Karnataka’s Karavali coast is India’s best beach and temple country. Flanked by the soaring Western Ghats on the east and the Arabian Sea on the west, the Karavali stretch is a scenic treat all the way.
(2) The first halt in our coastal circuit in Uttara Kannada district was Bhatkal. Bhatkal is where Konkani begins to share space with Tulu. A 4-km drive out of town took us to the beach and the small fishing wharf. At the bazaar, we tried out the two local specialities – date halwa and a salted roti. One also shouldn’t miss the Bhatkal biriyani.
(3) Gokarna is a charming little town with temples, a wide expanse of beach, two principal streets and clusters of traditional tile-roofed brick houses. You’ll also find quaint Udupi food joints, souvenir shops, and cyber cafes here.
(4) Once the ‘temple fatigue’ set in, we indulged in some sedate sea-watching. Om beach, one of Gokarna’s famed five, takes the shape of an ‘Om’, a spiritual symbol. The road twists through alleys, past people’s houses, temple chariots and ‘Way to Beach’ signs. The other pristine beaches, wedged between gigantic cliffs that protrude like delicate fingers into the sea, are Gokarna, Kudle, Half Moon and Paradise.
(5) The last halt in our coastal itinerary was Karwar. Karwar was the erstwhile trading outpost of foreigners. It is said that even the great explorer Vasco da Gama walked on the golden sands of Karwar. Apart from the excellent harbour, four beaches that offer sun, sand, surf and sport and five islands, Karwar has much more to offer.
(6) A short boat ride away you’ll find the excellent Devbagh Beach and five idyllic islands. With its pristine beach, and an eco-friendly resort with ethnic log huts, it is a romantic hideaway offering complete privacy and solitude sans the five-star trappings.
(7) We followed Tagore’s footsteps and took a boat cruise up the Kali from the mouth. We spotted dolphins as they gracefully dived into azure waters. From the island one can have a gorgeous view of the sea, sand and the neighbouring islands. As we returned from our coastal odyssey, we realised Karnataka is not short of fabulous beaches but lacks salesmen of its ravishing beauty.

Q. Find out the parts of speech of the underlined word –
At the bazaar, we tried out the two local specialities – date halwa and a salted roti.

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 22

An adverb further describes a verb, an adjective or another adverb. Here, ‘two’ further describes the adjective ‘local’. ‘Local’ is an example of adjective because it describes the noun ‘specialities’. Another example of nouns are ‘bazaar’, ‘halwa’ and ‘roti’ Adjectives describe a noun. ‘Date’ and ‘salted’ are examples of adjectives because they describe the nouns ‘halwa’ and ‘roti’ respectively. Preposition is a word used before a noun or pronoun and expresses the relationship of that noun with other words in the sentence. ‘At’ is an example of preposition here.

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 23

Direction: Read the passage given below and answer the questions that follow by selecting the most appropriate options:
(1) We embarked along the sapphire route along National Highway 17 for a sun-soaked holiday. This route along Karnataka’s Karavali coast is India’s best beach and temple country. Flanked by the soaring Western Ghats on the east and the Arabian Sea on the west, the Karavali stretch is a scenic treat all the way.
(2) The first halt in our coastal circuit in Uttara Kannada district was Bhatkal. Bhatkal is where Konkani begins to share space with Tulu. A 4-km drive out of town took us to the beach and the small fishing wharf. At the bazaar, we tried out the two local specialities – date halwa and a salted roti. One also shouldn’t miss the Bhatkal biriyani.
(3) Gokarna is a charming little town with temples, a wide expanse of beach, two principal streets and clusters of traditional tile-roofed brick houses. You’ll also find quaint Udupi food joints, souvenir shops, and cyber cafes here.
(4) Once the ‘temple fatigue’ set in, we indulged in some sedate sea-watching. Om beach, one of Gokarna’s famed five, takes the shape of an ‘Om’, a spiritual symbol. The road twists through alleys, past people’s houses, temple chariots and ‘Way to Beach’ signs. The other pristine beaches, wedged between gigantic cliffs that protrude like delicate fingers into the sea, are Gokarna, Kudle, Half Moon and Paradise.
(5) The last halt in our coastal itinerary was Karwar. Karwar was the erstwhile trading outpost of foreigners. It is said that even the great explorer Vasco da Gama walked on the golden sands of Karwar. Apart from the excellent harbour, four beaches that offer sun, sand, surf and sport and five islands, Karwar has much more to offer.
(6) A short boat ride away you’ll find the excellent Devbagh Beach and five idyllic islands. With its pristine beach, and an eco-friendly resort with ethnic log huts, it is a romantic hideaway offering complete privacy and solitude sans the five-star trappings.
(7) We followed Tagore’s footsteps and took a boat cruise up the Kali from the mouth. We spotted dolphins as they gracefully dived into azure waters. From the island one can have a gorgeous view of the sea, sand and the neighbouring islands. As we returned from our coastal odyssey, we realised Karnataka is not short of fabulous beaches but lacks salesmen of its ravishing beauty.

Q. Which of the following words is an antonym to the word – 
‘quaint’

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 23

Quaint means old-fashioned and unusual. So, modern is the word which is opposite in meaning to the given word. Unfamous is the opposite of famous. Small and real are not opposites of quaint. 

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 24

Teacher pointing to a picture of a girl:
Teacher: This is Rita. She has black hair. She is wearing a blue dress.
Teacher: Who is she? (Pointing to the picture)
Class: She is Rita.
Teacher: What is the colour of her hair?
Class: It is black.
Teacher: What is the colour of her dress?
Class: It is blue

Q. Which one of the following is the best suitable method to conduct the above-mentioned activity in the language classroom?

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 24

English is a second language, irrespective of its standard of teaching and availability of English in the ambiance and exposure and access to the language.

  • Methods of language teaching have been influenced by a variety of extant social, political, and psychological factors. There are several methods of English language teaching and the direct method is one of them.
CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 25

Direction: Read the passage given below and answer the questions that follow by selecting the most appropriate options:
(1) We embarked along the sapphire route along National Highway 17 for a sun-soaked holiday. This route along Karnataka’s Karavali coast is India’s best beach and temple country. Flanked by the soaring Western Ghats on the east and the Arabian Sea on the west, the Karavali stretch is a scenic treat all the way.
(2) The first halt in our coastal circuit in Uttara Kannada district was Bhatkal. Bhatkal is where Konkani begins to share space with Tulu. A 4-km drive out of town took us to the beach and the small fishing wharf. At the bazaar, we tried out the two local specialities – date halwa and a salted roti. One also shouldn’t miss the Bhatkal biriyani.
(3) Gokarna is a charming little town with temples, a wide expanse of beach, two principal streets and clusters of traditional tile-roofed brick houses. You’ll also find quaint Udupi food joints, souvenir shops, and cyber cafes here.
(4) Once the ‘temple fatigue’ set in, we indulged in some sedate sea-watching. Om beach, one of Gokarna’s famed five, takes the shape of an ‘Om’, a spiritual symbol. The road twists through alleys, past people’s houses, temple chariots and ‘Way to Beach’ signs. The other pristine beaches, wedged between gigantic cliffs that protrude like delicate fingers into the sea, are Gokarna, Kudle, Half Moon and Paradise.
(5) The last halt in our coastal itinerary was Karwar. Karwar was the erstwhile trading outpost of foreigners. It is said that even the great explorer Vasco da Gama walked on the golden sands of Karwar. Apart from the excellent harbour, four beaches that offer sun, sand, surf and sport and five islands, Karwar has much more to offer.
(6) A short boat ride away you’ll find the excellent Devbagh Beach and five idyllic islands. With its pristine beach, and an eco-friendly resort with ethnic log huts, it is a romantic hideaway offering complete privacy and solitude sans the five-star trappings.
(7) We followed Tagore’s footsteps and took a boat cruise up the Kali from the mouth. We spotted dolphins as they gracefully dived into azure waters. From the island one can have a gorgeous view of the sea, sand and the neighbouring islands. As we returned from our coastal odyssey, we realised Karnataka is not short of fabulous beaches but lacks salesmen of its ravishing beauty.

Q. Which of the following statement is NOT true according to the passage:

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 25

Paragraph 5 mentions that Karwar is famous as an erstwhile harbour. Paragraph 1 mentions as to how the Karavali stretch has the Western Ghats on the east and the Arabian Sea on the west. Paragraph 2 mentions that salted roti and date halwa are a local cuisine of Bhatkal region. So, option C is incorrect. Paragraph 6 mentions how Devbhag beach with its beautiful beach is a romantic hideaway for couples. All the statements except C is mentioned in the passage. 

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 26

A student has difficulty in applying the learned knowledge. For example, in word problems, the student also fails to translate sentences into equations or identify the variables. A possible solution to this problem could be

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 26

A student has difficulty in applying the learned knowledge. For example, in word problems, the student also fails to translate sentences into equations or identify the variables. A possible solution to this problem could be giving carefully designed assignment-simpler-simple-complex.

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 27

While writing a precis of a passage, you must reduce the passage to

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 27

It is generally accepted that a precis should be a third of the passage given. If the original passage has 300 words, the precis should not be more than 110 words in length.

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 28

In a classroom, while reading the text a teacher is emphasizing pronouns, determiners, and conjunctions. It means she is focusing over:

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 28

Word is the basic unit of language. It refers to a speech sound or a mixture of two or more speech sounds in both written and verbal forms of language.

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 29

Which method is most helpful in understanding the depth of meaning?

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 29

Silent reading is most helpful in understanding the depth of meaning. By reading silently, understanding the words in their mind, they read further. It also increases the speed of reading and increases the ability to understand.

CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 30

Which of the following statements is not true with respect to remedial teaching?

Detailed Solution for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 - Question 30

Remedial teaching refers to the method of teaching that helps the teacher to provide learners with the necessary help and guidance to overcome the problems which are determined through diagnosing them. 

View more questions
Information about CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 Page
In this test you can find the Exam questions for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9 solved & explained in the simplest way possible. Besides giving Questions and answers for CTET पेपर-II (सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान) मॉक टेस्ट - 9, EduRev gives you an ample number of Online tests for practice
Download as PDF