भाववाचक संज्ञा वह संज्ञा होती है, जो किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान के भाव, गुण, अवस्था, कार्य, या स्थिति को व्यक्त करती है। यह संज्ञाएँ अमूर्त (Abstract) होती हैं, जैसे खुशी, दुख, मूर्खता, चतुराई, आदि। आइए, दिए गए विकल्पों का विश्लेषण करें:
(a) मूर्खता: यह एक भाववाचक संज्ञा है, क्योंकि यह "मूर्ख" (विशेषण) से बनी है और मूर्ख होने की अवस्था या भाव को व्यक्त करती है। "मूर्खता" एक अमूर्त गुण है, जो किसी व्यक्ति के व्यवहार या बुद्धि की स्थिति को दर्शाता है। अतः यह सही उत्तर है।
(b) चतुर: "चतुर" एक विशेषण है, जो किसी व्यक्ति के गुण (चतुराई) को दर्शाता है। यह भाववाचक संज्ञा नहीं है, क्योंकि यह स्वयं एक भाव को नहीं, बल्कि किसी व्यक्ति या वस्तु की विशेषता को व्यक्त करता है। चतुराई (जो "चतुर" से बनी भाववाचक संज्ञा है) इस संदर्भ में उपयुक्त होती, लेकिन "चतुर" स्वयं भाववाचक संज्ञा नहीं है।
(c) आप: "आप" एक सर्वनाम है, जो संबोधन के लिए प्रयुक्त होता है। यह किसी भाव, गुण, या अवस्था को व्यक्त नहीं करता, बल्कि एक व्यक्ति को संदर्भित करता है। अतः यह भाववाचक संज्ञा नहीं है।
(d) प्रभु: "प्रभु" एक व्यक्तिवाचक संज्ञा है, जो किसी विशिष्ट व्यक्ति (जैसे ईश्वर या स्वामी) को संदर्भित करती है। यह किसी भाव या अवस्था को नहीं दर्शाता, इसलिए यह भाववाचक संज्ञा नहीं है।
निष्कर्ष: विकल्पों में केवल मूर्खता ही भाववाचक संज्ञा है, क्योंकि यह मूर्ख होने की अवस्था या भाव को व्यक्त करती है। इसलिए, सही उत्तर है a) मूर्खता।