Class 7 Exam  >  Class 7 Notes  >  संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7)  >  अनुवाद - विश्वबंधुत्वम् | Chapter Explanation

अनुवाद - विश्वबंधुत्वम् | Chapter Explanation | संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7) PDF Download

(क) उत्सवे, व्यसने, दुर्भिक्षे, राष्ट्रविप्लवे, दैनन्दिनव्यवहारे च य: सहायतां करोति सः बन्धु: भवति। यदि विश्वे सर्वत्र एतादृश: भाव: भवेत्‌ तदा विश्वबन्धुत्व सम्भवति।
परन्तु अधुना निखिले संसारे कलहस्य अशान्ते: च वातावरणम्‌ अस्ति। मानवा: परस्परं न विश्वसन्ति। ते परस्य कष्टं स्वकीयं कष्टं न गणयन्ति। अपि च समर्था: देशा: असमर्थान्‌ देशान्‌ प्रति उपेक्षाभावं प्रदर्शयन्ति, तेषाम्‌ उपरि स्वकीयं प्रभुत्व॑ स्थापयन्ति। संसारे सर्वत्र विद्वेषस्य, शत्रुताया:, हिंसाया: च भावना दृश्यते।

सरलार्थ -

उत्सव में , संकट में , अकाल पड़ने पर , देश पर आपदा आने पर और दैनिक व्यवहार में जो सहायता करता है , वह मित्र होता है । यदि संसार में सब जगह ऐसा भाव हो जोए तब भाईचारा सम्भव है ।
परन्तु अब संपूर्ण संसार में कलह और अशान्ति का वातावरण है । मनुष्य आपस में (एक दूसरे पर) विश्वास नहीं करते हैं । वे दूसरे के कष्ट को अपना कष्ट नहीं गिनते हैं । समर्थ देश असमर्थ देशों के प्रति अनादर की भावना प्रदर्शित करते हैं और उन पर अपना प्रभुत्व स्थापित करते हैं । संसार में सब जगह शत्रुता की , वैर की और हिसं की भावना दिखाई पड़ती है ।

(ख) देशानां विकास: अपि अवरुद्ध: भवति। इयम्‌ महती आवश्यकता वर्तते यत्‌ एक: देश: अपरेण देशेन सह निर्मलेन हृदयेन बन्धुतायाः व्यवहारं कुर्यात्‌। विश्वस्य जनेषु इयं भावना आवश्यकी। ततः विकसिताविकसितयो: देशयो: मध्ये स्वस्था स्पर्धा भविष्यति। सर्वे देशा: ज्ञानविज्ञानयो: क्षेत्रे मेत्रीभावनया सहयोगेन च समृद्धि प्राप्तुं समर्था: भविष्यन्ति।
सूर्यस्य चन्द्रस्य च प्रकाश: सर्वत्र समानरूपेण प्रसरति। प्रकृति: अपि सर्वेषु समत्वेन व्यवहरति। तस्मात्‌ अस्माभि: सर्वे: परस्परं वैरभावम्‌ अपहाय विश्वबन्धुत्वं स्थापनीयम्‌।

सरलार्थ -

 देशों का विकास भी बाधित होता है । यह बड़ी आवश्यकता है कि एक देश दूसरे देश के साथ शुद्ध हृदय से बन्धुता का व्यवहार करें । संसार के मनुष्यो में यह भावना आवश्यक हैं । इससे विकसित - अविकसित देशों के बीच में स्वस्थ होड़ होगी । सभी देश ज्ञान - विज्ञान के क्षेत्र में मैत्री भावना और सहयोग के द्वारा समृद्धि को प्राप्त करने में समर्थ हो जाएँगे । सूर्य और चंद्रमा का प्रकाश सब जगह समान रुप सें फैसलता है । प्रकृति भी सभी के साथ समान व्यवहार करती है । इसलिए हम सभी को आपस में वैरभाव को छोड़कर विश्वबन्धुता की स्थापना करनी चाहिए ।

(ग) अत: विश्वस्य कल्याणाय एतादशी भावना भवेत्‌-
अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्‌ |
उदारचरितानां तु वसुधैव कुट॒म्बकम्‌ ॥
अन्वयः - अयं निजः पर वा इति लबुचेतसां गणना (अस्ति)। उदारचरितानां तु वसुधा एव कुटुम्बकम् (भवनि)।

सरलार्थ -

इसलिए विश्व के कल्याण के लिए ऐसी भावना होनी चाहिए -
यह अपना है अथवा पराया है , ऐसी सोच छोटे मन वालों की होती है उदार मन वालों के लिए (समपूर्ण) पृथ्वी ही परिवार होती है।

The document अनुवाद - विश्वबंधुत्वम् | Chapter Explanation | संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7) is a part of the Class 7 Course संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7).
All you need of Class 7 at this link: Class 7
15 videos|72 docs|21 tests

Top Courses for Class 7

FAQs on अनुवाद - विश्वबंधुत्वम् - Chapter Explanation - संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7)

1. विश्वबंधुत्वम् का अर्थ क्या है?
उत्तर: विश्वबंधुत्वम् एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है "विश्व में बंधुत्व"। यह एक महत्वपूर्ण भावना है जो सभी मानवों को एक-दूसरे के साथ मिलजुलकर जीने और सहयोग करने की भावना को दर्शाती है। विश्वबंधुत्वम् व्यापक रूप से विश्वव्यापी शांति, समझदारी, समरसता और सामरिक सहयोग पर आधारित है।
2. विश्वबंधुत्वम् क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: विश्वबंधुत्वम् महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका पालन करने से हम सभी मानव एक-दूसरे के साथ मिलजुलकर जी सकते हैं। यह हमें एक समरस और समर्पित समाज के निर्माण में मदद करता है जहां विभिन्न समुदायों के लोग एक-दूसरे के साथ सहयोग करते हैं। इसका पालन हमारे बीच विश्वव्यापी शांति और समझदारी को बढ़ावा देता है और सामरिक सहयोग को समर्पित करता है।
3. विश्वबंधुत्वम् के लिए कौन-कौन से मार्ग हैं?
उत्तर: विश्वबंधुत्वम् को प्राप्त करने के लिए कई मार्ग हैं। पहले, हमें अपने साथी मानवों के प्रति समरसता और समर्पण वाला व्यवहार दिखाना चाहिए। दूसरे, हमें अपने कर्तव्यों को आदर्शों के साथ निभाना चाहिए और सभी के साथ न्यायपूर्वक व्यवहार करना चाहिए। तीसरे, हमें सभी धर्मों के लोगों को समान रूप से समझना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए। चौथे, हमें विश्वव्यापी सभी मानवों के साथ शांति और समझदारी बनाए रखने के लिए सहयोग करना चाहिए। और अंत में, हमें विश्वव्यापी समरसता और समर्पण के भाव को अपने बच्चों को सिखाना चाहिए।
4. विश्वबंधुत्वम् के लाभ क्या हैं?
उत्तर: विश्वबंधुत्वम् के मानव समाज पर कई लाभ होते हैं। पहले, यह अलग-अलग समुदायों के लोगों के बीच समरसता और समर्पण बढ़ाता है जो सामाजिक एकता को बढ़ावा देता है। दूसरे, विश्वव्यापी सहयोग से हम विभिन्न क्षेत्रों में विकास कर सकते हैं और आर्थिक तंगी को कम कर सकते हैं। तीसरे, विश्वबंधुत्वम् व्यापक रूप से शांति और समझदारी की भावना को बढ़ावा देता है और सामरिक सहयोग को समर्पित करता है। इसके अलावा, यह समग्र मानवता को गहराई से समझने में मदद करता है और परस्पर सम्बंधों को मजबूत बनाता है।
5. क्या विश्वबंधुत्वम् एक धर्म से संबंधित है?
उत्तर: विश्वबंधुत्वम् एक धर्म से संबंधित भावना नहीं है, यह एक मानवीय भावना है जो सभी धर्मों और संस्कृतियों के लोगों को समान रूप से समझती है। इसका मतलब है कि विश्वबंधुत्वम् को सभी धर्मों
15 videos|72 docs|21 tests
Download as PDF
Explore Courses for Class 7 exam

Top Courses for Class 7

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Viva Questions

,

Important questions

,

Objective type Questions

,

अनुवाद - विश्वबंधुत्वम् | Chapter Explanation | संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7)

,

अनुवाद - विश्वबंधुत्वम् | Chapter Explanation | संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7)

,

MCQs

,

ppt

,

pdf

,

practice quizzes

,

Extra Questions

,

Exam

,

video lectures

,

shortcuts and tricks

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Free

,

Sample Paper

,

Summary

,

mock tests for examination

,

past year papers

,

Semester Notes

,

अनुवाद - विश्वबंधुत्वम् | Chapter Explanation | संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7)

,

study material

;