DSSSB TGT/PGT/PRT Exam  >  DSSSB TGT/PGT/PRT Notes  >  Hindi Language for Teaching Exams  >  अपठित गद्यांश - 3

अपठित गद्यांश - 3 | Hindi Language for Teaching Exams - DSSSB TGT/PGT/PRT PDF Download

गद्यांश - 1

एकांत ढूँढने के कई सकारात्मक कारण हैं| एकांत की चाह किसी घायल मन की आह भर नहीं, जो जीवन के काँटों से बिंध कर घायल हो चुका है, एकांत सिर्फ उसके लिए शरण मात्र नहीं। यह उस इंसान की ख्वाइश भर नहीं, जिसे इस संसार में ‘फेंक दिया गया’ हो और वह फेंक दिये जाने की स्थिति से भयभीत होकर एकांत ढूंढ रहा हो। हम जो एकांत में होते हैं, वही वास्तव में होते हैं। एकांत हमारी चेतना की अंतर्वस्तु को पूरी तरह उघाड़ कर रख देता है।

अंग्रेजी का एक शब्द है-‘आइसोनोफिलिया’। इसका अर्थ है अकेलेपन, एकांत से गहरा प्रेम। पर इस शब्द को गौर से समझें तो इसमें अलगाव की एक परछाई भी दिखती है। एकांत प्रेमी हमेशा ही अलगाव की अभेद्य दीवारों के पीछे छिपना चाह रहा हो, यह जरूरी नहीं। एकांत की अपनी एक विशेष सुरभि है और जो भीड़ के अशिष्ट प्रपंचों में फेस चुका हो, ऐसा मन कभी इसका सौंदर्य नहीं देख सकता। एकांत और अकेलेपन में थोड़ा फर्क समझना जरूरी है। एकांतजीवी में कोई दोष या मनोमालिन्य नहीं होता। वह किसी व्यक्ति या परिस्थिति से तंग आकर एकांत की शरण में नहीं जाता। न ही आतातायी नियति के विषैले बाणों से घायल होकर वह एकांत की खोज करता है। अंग्रेजी कवि लॉर्ड बायरन ऐसे एकांत की बात करते हैं। वे कहते हैं कि ऐसा नहीं कि वे इंसान से कम प्रेम करते हैं, बस प्रकृति से ज्यादा प्रेम करते हैं।

बुद्ध अपने शिष्यों से कहते हैं कि वे जंगल में विचरण करते हुए गैंडे की सींग की तरह अकेले रहें। वे कहते हैं-‘प्रत्येक जीव जन्तु के प्रति हिंसा का त्याग करते हुए, किसी की भी हानि की कामना न करते हुए, अकेले चलो-फिरो, वैसे ही जैसे किसी गैंडे का सींग।’ हक्सले ‘एकांत के धर्म’ या ‘रिलीजन ऑफ सोलीट्यूड’ की बात करते हैं। वे कहते हैं जो मन जितना ही अधिक शक्तिशाली और मौलिक होगा, एकांत के धर्म की तरफ उसका उतना ही अधिक झुकाव होगा; धर्म के क्षेत्र में एकांत, अंधविश्वासों, मतों और धर्माधता के शोर से दूर ले जाने वाला होता है।

इसके अलावा एकांत धर्म और विज्ञान के क्षेत्र में नई अंतर्दष्टियों को भी जन्म देता है। ज्यां पॉल सातत्र इस बारे में बड़ी ही खूबसूरत बात कहते हैं। उनका कहना है- ईश्वर एक अनुपस्थिति है। ईश्वर है इंसान का एकांत।

क्या एकांत लोग इसलिए पसंद करते हैं कि वे किसी को मित्र बनाने में असमर्थ हैं? क्या वे सामाजिक होने की अपनी असमर्थता को छिपाने के लिए एकांत को महिमामंडित करते हैं? वास्तव में एकांत एक दुधारी तलवार की तरह है। लोग कया कहेंगे इसका डर भी हमें अक्सर एकांत में रहने से रोकता है। यह बड़ी अजीब बात है, क्योंकि जब आप वास्तव में अपने साथ या अकेले होते हैं, तभी इस दुनिया और कुदरत के साथ अपने गहरे संबंध का अहसास होता है। इस संसार को और अधिक गहराई और अधिक समानुभूति के साथ प्रेम करके ही हम अपने दुखदाई अकेलेपन से बाहर हो सकते हैं।

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Try yourself:ईश्वर एक अनुपस्थिति है - कैसे?
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Try yourself:एकांत की खुशबू को कैसे महसूस किया जा सकता है?
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Try yourself:एकांत में रहने का अर्थ है?
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Try yourself:नई अंतर्दृष्टि से आप क्या समझते है?
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Try yourself:गैंडे के सींग की क्या विशेष बी है?
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गद्यांश - 2

परिश्रम ‘कल्पवृक्ष’ है! जीवन की कोई भी अभिलाषा परिश्रम रूपी कल्पवृक्ष से पूर्ण हो सकती है। परिश्रम जीवन का आधार है, उज्जवल भविष्य का जनक और सफलता की कुंजी है। सृष्टि के आदि से अद्यतन काल तक विकसित सभ्यता और सर्वश्र उन्नति परिश्रम का परिणाम है। आज से लगभग पचास साल पहले कौन कल्पना कर सकात था कि मनुष्य एक दिन चाँद पर कदम रखेगा या अंतरिक्ष में विचरण करेगा पर निरंतर श्रम की बदौलत मनुष्य ने उन कल्पनाओं एवं संभावनाओं को साकार कर दिखाया है। मात्र हाथ पर हाथ धरकर बैठे रहने से कदापि संभव नहीं होता।

किसी देश, राष्ट्र अथवा जाति को उस देश के भातिक संसाधन तब तक समृद्ध नहीं बना सकते जब तक कि वहाँ के निवासा उन संसाधनों का दोहन करने के लिए अथक परिश्रम नहीं करते। किसी भूभाग की मिटटी कितनी भी उपजाऊ क्यों न हो, जब तक विधिवत परिश्रमपूर्वक उसमें जुताई, बुआई, सिंचाई, निराई-गुड़ाई नहीं होगी, अच्छी फसल प्राप्त नहीं हो सकती। किसी किसान को कृषि संबंधी अत्पाधुनिक कितनी ही सुविधाएँ उपलब्ध करा दीजिए, यदि उसके उपयोग में लाने के लिए समुचित श्रम नहीं होगा, उत्पादन क्षमता में वृद्धि संभव नहीं है। परिश्रम से रेगस्तिन भी अन्न उगलने लगते हैं हमारे देश की स्वतंत्रता के पश्चात हमारी प्रगति की द्रुतगति भी हमारे श्रम का ही फल है। भाखड़ा नांगल का विशाल बाँध हो या थुंबा या श्री हरिकोटा के रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र, हरित क्रांति की सफलता हो या कोविड -19 की रोकथाम के लिए टीका तैयार करना, प्रत्येक सफलता हमारे श्रम का परिणाम है तथा प्रणाम भी है।

जीवन में सुख की अभिलाषा सभी को रहती है। बिना श्रम किए भौतिक साधनों को जुटाकर जो सुख प्राप्त करने के फेर में है, वह अधकार में है। उसे वास्तविक और स्थायी शांति नहीं मित्नती। गांधीजी तो कहते थे कि जो बिना श्रम किए भोजन ग्रहण करता है, वह चोरी का अन्न खाता है। ऐसी सफलता मन को शांति देने के बजाए उसे व्यथित करेगी। परिश्रम से दूर रहकर और सुखमय जीवन व्यतीत करने वाले विद्यार्थी को ज़ान कैसे प्राप्त होगा? हवाई किले तो सहज ही बन जाते हैं, लेकिन वे हवा के हल्के झोंके से दह जाते हैं। मन में मधुर कल्पनाओं के सँजोने मात्र से किसी कार्य की सिंदृधि नहीं होती। कार्य सिंदृधि के लिए उद्यम और सतत उद्यम आवश्यक है। तुलसीदास ने सत्य ही कहा है- सकल पदारथ है जग माहीं करमहीन न पावत नाहीं।

अर्थात इस दुनिया में सारी चीजें हासिल की जा सकती हैं लेकिन वे कर्महीन व्यक्ति को कभी नहीं मित्रती हैं।

अगर आप भविष्य में सफलता की फसल काटना चाहते हैं, तो आपको उसके लिए बीज आज ही बोने होंगे. आज बीज नहीं बोयेंगे, तो भविष्य में फ़सल काटने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? पूरा संसार कर्म और फल के सिंदृधांत पर चलता है इसलिए कर्म की तरफ आगे बढ़ना होगा।

यदि सही मायनों में सफल होना चाहते हैं तो कर्म में जुट जाएँ और तब तक जुटे रहें जब तक कि सफल न हो जाएँ। अपना एक-एक मिनट अपने लक्ष्य को समर्पित कर दें। काम में जुटने से आपको हर वस्तु मिलेगी जो आप पाना चाहते हैं- सफलता, सम्मान, धन, सुख या जो भी आप चाहते हों…।

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Try yourself:गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक है-
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Try yourself:स्वतंत्रता शब्द में उपसर्ग व प्रत्यप अलग करने पर होगा -
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Try yourself:गद्यांश में अच्छी फ़सल प्राप्त करने के लिए कहे गए कथन से स्पष्ट होता है कि -
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Try yourself:समुचित' शब्द का अर्थ है -
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Try yourself:किस अवस्था में प्राप्त सफलता मन को व्यथित करेगी ?
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गद्यांश - 3

विज्ञान प्रकृति को जानने का महत्वपूर्ण साधन है। भौतिकता आज आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति का स्तर निर्धारित करती है। विज्ञान केवल सत्य, अर्थ और प्रकृति के बारे में उपयोग ही नहीं बल्कि प्रकृति की खोज का एक क्रम है। विज्ञान प्रकृति को जानने का एक महत्वपूर्ण साधन है। यह प्रकृति को जानने के विषय में हमें महत्वपूर्ण और विश्वसनीय ज़ान देता है। व्यक्ति जिस बात पर विश्वास करता है वही उसका ज़ान बन जाता है। कुछ लोगों के पास अनुचित ज़ान होता है और वह उसी ज़ान को सत्य मानकर उसके अनुसार काम करते हैं। वैज़ानिकता और आलोचनात्मक विचार उस समय जररी होते हैं जब वह विश्वसनीय ज़ान पर आधारित हों। वैज्ञानिक और आल्रोचक अक्सर तर्क संगत विचारों का प्रयोग करते हैं। तर्क हमें उचित सोचने पर प्रेरित करते हैं। कुछ लोग तर्क संगत विचारधारा नहीं रखते क्योंकि उन्होंने कभी तर्क करना जीवन में सीखा ही नहीं होता।

प्रकृति वैज्ञानिक और कवि दोनों की ही उपास्या है। दोनों ही उससे निकटतम संबंध स्थापित करने की चेष्टा करते है, किंतु दोनों के दृष्टिकोण में अतर है। वैज्ञानिक प्रकृति के बाह्य रूप का अवलोकन करता है और सत्य की खोज करता है, परंतु कवि बाह्य रूप पर मुग्ध होकर उससे भावों का तादात्म्य स्थापित करता है। वैज्ञानिक प्रकृति की जिस वस्तु का अवलोकन करता है, उसका सूक्ष्म निरीक्षण भी करता है। चंद्र को देखकर उसके मस्तिष्क में अनेक विचार उठते हैं उसका तापक्रम क्या है, कितने वर्षो में वह पूर्णत: शीतल हो जाएगा, ज्वार-भाटे पर उसका क्या प्रभाव होता है, किस प्रकार और किस गति से वह सौर मंडल में परिक्रमा करता है और किन तत्वों से उसका निर्माण हुआ है? वह अपने सूक्ष्म निरीक्षण और अनवरत चिंतन से उसको एक लोक ठहराता है और उस लोक में स्थित ज्वालामुखी पर्वतों तथा जीवनधारियों की खोज करता है। इसी प्रकार वह एक प्रफुल्लित पुष्प को देखकर उसके प्रत्येक अग का विश्लेषण करने को तैयार हो जाता है। उसका प्रकृति-विषयक अध्ययन वस्तुगत होता है। उसकी दृष्टि में विश्लेषण और वर्ग विभाजन की प्रधानता रहती है। वह सत्य और वास्तविकता का पुजारी होता है। कवि की कविता भी प्रत्यक्षावलोकन से प्रस्फुटित होती है वह प्रकृति के साथ अपने भावों का संबंध स्थापित करता है। वह उसमें मानव चेतना का अनुभव करके उसके साथ अपनी आंतरिक भावनाओं का समन्वय करता है। वह तथ्य और भावना के संबंध पर बल देता है। उसका वस्तु वर्णन हृदय की प्रेरणा का परिणाम होता है, वैज्ञानिक की भाँति मस्तिष्क की यांत्रिक प्रक्रिया नहीं। कवियों द्वारा प्रकृति -चित्रण का एक प्रकार ऐसा भी है जिसमें प्रकृति का मानवीकरण कर लिया जाता है अर्थात प्रकृति के तत्त्वों को मानव ही मान लिया जाता है।

प्रकृति में मानवीय क्रियाओं का आरोपण किया जाता है। हिंदी में इस प्रकार का प्रकृति-चित्रण छायावादी कवियों में पाया जाता है। इस प्रकार के प्रकृति-चित्रण में प्रकृति सर्वया गौण हो जाती है। इसमें प्राकृतिक वस्तुओं के नाम तो रहते हैं परंतु झंकृत चित्रण मानवीय भावनाओं का ही होता है। कवि लहलहाते पौधे का चित्रण न कर खुशी से झूमते हुए बच्चे का चित्रण करने लगता है।

Question for अपठित गद्यांश - 3
Try yourself:सूक्ष्म निरीक्षण और अनवरत चिंतन से तात्पर्य है-
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Try yourself:लहलहाते पौधे का चित्रण न कर झूमते बच्चे का चित्रण करना दर्शाता है कि -
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Try yourself: विज़ान प्रकृति को जानने का एक महत्वपूर्ण साधन है क्योंकि यह-
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Try yourself:कवि के संबंध में इनमें से सही तथ्य है-
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Try yourself:कौन अनवरत चिंतन करता है?
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गद्यांश - 4

“साहित्य का आधार जीवन है। इसी आधार पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियां, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दवी पड़़ी है। जीवन परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है । जीवन परमात्मा को अपने कामों का जवाबदेह है या नहीं हमें मालूम नहीं, लेकिन साहित्य मनुष्य के सामने जवाबदेह है। इसके लिए कानून है जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवनपर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को यह रत्न, द्रव्य में मिलता है, किसी को भरे-पूरे परिवार में, किसी को लंबे-चीड़े भवन में, किसी को ऐश्वर्य में । लेकिन साहित्य का आनंद इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य हे। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना वही आनंद उत्पन्न करना साहित्य का उद्देश्य है।”

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Try yourself:मनुष्य किसकी खोज में जीवन भर लगा रहता है
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Question for अपठित गद्यांश - 3
Try yourself:परिमिति का अर्थ है
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Question for अपठित गद्यांश - 3
Try yourself:'लंबे चौड़े भवन में' वाक्य में लंबे चौड़े व्याकरण की दृष्टि से क्या है
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Question for अपठित गद्यांश - 3
Try yourself:साहित्य के आनंद का आधार है
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Question for अपठित गद्यांश - 3
Try yourself:साहित्य और जीवन में गहरा संबंध है क्योंकि
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गद्यांश - 5

निदा की ऐसी ही महिमा है। दो-चार निंदको को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए,

दो चार ईश्वर भक्तों से जो रामधुन गा रहे हैं। निंदको की-सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुरलभ है। इसलिए संतों ने निंदको को आंगन कुटी छवाय पास रखने की सलाह दी है कुछ ‘मिशनरी’ निंदक मैने देखे हैं। उनका किसी से बैर नहीं, धूप नहीं। वे किसी का बुरा नहीं सोचते पर चीबीस पंटे वे निंदा-कर्म में वात पवित्र भाव से लगे रहते हैं कि ये प्रसंग आने पर अपने बाप की पगड़ी भी उसी आनंद से उछालते हैं, जिस आनंद से अन्य लोग दुश्मन की। निंदा इनके लिए टॉनिक होती है। इयां-ट्वेष से प्रेरित निंदा भी होती है। वह ईया-वेष से चौबीसों घंटे जलता है और निदा का जल छिड़ककर कुछ शांति अनुभव करता है। ऐसा निदक बड़ा दयनीय होता है। अपनी अक्षमता से पीड़ित वह बेचारा दूसरे की सक्षमता के चाँद को देखकर सारी रात श्वान जैसा भौकता है। ईष्य्या-दूवेष से प्रेरित निंदा करने वाले को कोई दंड देने की जरूरत नहीं है। वह निंदक बेचारा स्वयं दंडित होता है। जाप चैन से सोझा और वह जलन के कारण सो नहीं पाता । उसे और क्या दंड चाहिए निरंतर अच्छे काम करते जाने से उसका दंड भी सख्त होता जाता है; जैसे-एक कवि ने एक अच्छी कविता लिखी, ईष्यंग्रस्त निदक की कष्ट होगा अब अगर एक और अच्छी कविता लिख दी, तो उसका कष्ट दुगुना हो जाएगा।

Question for अपठित गद्यांश - 3
Try yourself:कवि की अच्छी कविता पर ईर्ष्याग्रस्त निंदक कैसा अनुभव करता है
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Try yourself:निंदा-कर्म से पवित्र भाव से कौन लगा रहता है
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Try yourself:निंदको की सी एकाग्रता, आत्मीयता व निमग्नता किसमें दुर्लभ है?
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Try yourself:निंदको को पास रखने की सलाह किसने दी है
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Try yourself:ईर्ष्या, द्वेष, की आग में जलने वाला शांति का अनुभव कैसे करता है
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FAQs on अपठित गद्यांश - 3 - Hindi Language for Teaching Exams - DSSSB TGT/PGT/PRT

1. कोविड-19 वायरस क्या है?
Ans. कोविड-19 वायरस एक नया प्रकार का कोरोना वायरस है जो मानवों में इंफेक्शन का कारण बनता है। यह वायरस संक्रमण के माध्यम से फैलता है और सामान्यतः संक्रमित व्यक्ति के साथ-साथ निकट संपर्क में आने वाले व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकता है।
2. कोविड-19 के लक्षण क्या हैं?
Ans. कोविड-19 के आम लक्षण में बुखार, सांस लेने में तकलीफ, सूखी खांसी, थकान, गले में खराश और सामान्यतः बीमारी के अन्य लक्षण शामिल हो सकते हैं। इन लक्षणों का वर्णन करने से पहले, यदि आपको ऐसा महसूस होता है कि आप संक्रमित हो सकते हैं, तो आपको कोविड-19 टेस्ट कराना चाहिए।
3. कोविड-19 के लिए सबसे अच्छा इलाज क्या है?
Ans. कोविड-19 का इलाज व्यक्ति के लक्षणों के आधार पर अलग-अलग होता है। गंभीर मामलों में, अस्पताल में उपचार की आवश्यकता हो सकती है जिसमें ऑक्सीजन थेरेपी, दवाओं का उपयोग और अन्य उपचार शामिल हो सकते हैं। हल्के मामलों में, आपको आराम करना, पर्याप्त पानी पीना, विश्राम करना और दवाओं का सेवन करना सुझाया जा सकता है।
4. कोविड-19 से बचाव के लिए कौन-कौन सी सावधानियां अपनाई जानी चाहिए?
Ans. कोविड-19 से बचाव के लिए आपको निम्नलिखित सावधानियों का पालन करना चाहिए: - बार-बार हाथ धोना और सैनिटाइज़र का उपयोग करना - घर से बाहर जाते समय फेस मास्क पहनना - लोगों के साथ निकट संपर्क से बचना - अपने मुंह, नाक और आंखों को छूने से बचना - वायरस संक्रमण के लक्षणों के साथ अलग रहना और कोविड-19 टेस्ट कराना
5. कोविड-19 वैक्सीन कितनी सुरक्षित है?
Ans. कोविड-19 वैक्सीनेशन को वैज्ञानिक और चिकित्सा समुदाय द्वारा संशोधित और मान्यता प्राप्त उत्पादों के द्वारा प्रदान किया जाता है। ये वैक्सीनेशन परीक्षणों और निगरानी के माध्यम से मान्यता प्राप्त की जाती हैं। वैक्सीनेशन की सुरक्षा और प्रभावशीलता को विभिन्न चरणों में निरीक्षण किया जाता है और उन्हें अधिकतम सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनुकरणीय मानकों का पालन किया जाता है।
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