कहानियाँ सुनने-सुनाने की लंबी परंपरा रही है। सभी कहानी सुनने में बहुत रुचि लेते हैं। कहानी सुनते समय बच्चे इतने मस्त हो जाते हैं कि वे खाना-पीना भी भूल जाते हैं। कहानी लिखना भी एक महत्वपूर्ण कला है। कुछ लोग इस प्रकार से कहानी सुनाते हैं कि सुनने वाले के मन पर उसका बहुत प्रभाव पड़ता है। कहानी केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं, बल्कि अनुभव पर आधारित शिक्षा प्राप्त करने का महत्वपूर्ण साधन भी है। एक अच्छी कहानी वही समझी जाती है जो सरल, सरस, सजीव और रोचक हो। कहानी की सबसे बड़ी विशेषता यह होनी चाहिए कि कहानी सुनाते समय काल्पनिक दृश्य सामने आते जाएं।
कहानी लिखते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए:
एक समय की बात है। एक धोबी था। उसके पास एक गधा था। दिन के समय वह गधा धोबी का बोझा ढोने का काम करता था। रात के समय वह अपनी इच्छा से घूमा करता था। एक दिन उस गधे की दोस्ती एक सियार से हो गई। वे दोनों रात में साथ-साथ घूमते और खेतों की बाड को लाँघकर उसके अंदर घुस जाते थे। रात-भर वहाँ दोनों ककड़ियाँ खाते और दिन चढने पर अपनी-अपनी जगह चले जाते थे। रोज़ की तरह उस दिन भी वे दोनों किसी खेत में ककड़ियाँ खा रहे थे। चाँदनी रात थी। चाँदनी रात को देखकर गधे का मन ‘गाना’ गाने को हुआ। उसने अपने दोस्त सियार से कहा-”चाँदनी रात को देखकर मेरा मन ‘गाना’ गाने को कर रहा है।” सियार गधे को समझाते हुए बोला-“नहीं दोस्त, नहीं! ऐसा गजब मत करना। तुम ‘गाना’ बिलकुल मत गाना। हम दोनों चोरी से ककड़ियाँ खा रहे हैं और चोरी करने वाले को सदा चुप रहना चाहिए। तुम्हारे गाना गाने से हम पकड़े जा सकते हैं।” गधा अपनी बात पर अड़ा रहा और गुस्से से बोला-“तुम क्या जानो गाना क्या होता है? तुम्हें गाना आता, तो तुम जानते। मैं तो गाना अवश्य गाऊँगा।”
सियार बोला-‘गाना तुम्हें भी नहीं आता। तुम तो बुरी तरह रेंकते हो। तुम्हारा रेंकना सुनकर खेत का मालिक आ जाएगा और हम पकड़े जाएँगे। गधे ने सियार की बात नहीं मानी और ज़ोर-ज़ोर से रेंकना शुरू कर दिया। गधे के रेंकते ही सियार खेत छोड़कर भाग गया। गधे की बेसुरी आवाज सुनकर खेत का मालिक आ गया। उसने डंडे से गधे की जमकर पिटाई कर दी। गधा डंडे की मार से गिर गया। खेत के मालिक ने उसके गले में भारी-सी ओखली बाँध दी और सो गया।
गधा अपनी पीड़ा को भूलकर झटपट उठा और खेत के बाहर निकल भागा। बाहर निकलते ही उसे सियार मिला। सियार ने कहा-“दोस्त, मैंने तुम्हें गाना गाने के लिए बहुत मना किया, परंतु तुम माने नहीं। तुम्हारे गले में बँधी ओखली तुम्हारे गाने का पुरस्कार है। अगर तुम मेरी बात मान लेते, तो तुम्हारी यह हालत न होती।”
शिक्षाः जैसा समय हो वैसा ही काम करना चाहिए।
बहुत पुरानी बात है। एक गाँव था। उस गाँव के समीप एक नदी बहती थी। नदी के दूसरी तरफ घना जंगल था। उस जंगल में एक खरगोश रहता था। एक दिन की बात है। नदी में कहीं से एक बड़ा-सा कछुआ आकर रहने लगा। खरगोश और कछुए दोनों में दोस्ती हो गई। एक दिन खरगोश ने कछुए से पूछा- “तुम कितनी विद्याएँ जानते हो?” कछुए ने बड़े ही घमंड से कहा- “मैं दस विद्याएँ जानता हूँ।” खरगोश ने मुँह लटकाकर कहा-“मैं तो केवल एक ही विद्या जानता हूँ।”
खरगोश और कछुआ दोनों हर रोज़ साथ-साथ खेलते थे। एक दिन किसी मछुआरे ने नदी में जाल डाला। उस जाल में कछुआ भी फँस गया। उस दिन वह खरगोश के पास नहीं पहुँच सका। खरगोश को चिंता हुई। वह कछुए से मिलने नदी पर गया। खरगोश ने देखा कछुआ मछुआरे के जाल में फँसा हुआ छटपटा रहा है। यह देखकर खरगोश चुपके से छिपते-छिपाते कछुए के पास गया और उससे कहने लगा-“दोस्त, तुम तो दस विद्याएँ जानते हो। अपनी किसी भी विद्या से उपाय कर जाल से बाहर आ जाओ।” कछुए ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह जाल से निकल न सका। उसने खरगोश से विनती की “दोस्त, अब तुम ही मेरी जान बचा सकते हो। दया करके अपनी विद्या से उपाय करके मेरी जान बचाओ।” खरगोश भी अपने दोस्त को मुसीबत में देखकर दु:खी था।
उसने कछुए से कहा- “दोस्त, जब मछुआरा यहाँ आए, तो तुम मरने का नाटक कर लेना। वह तुम्हें मरा हुआ जानकर जाल से निकालकर नदी के बाहर रख देगा। उसी समय तुम नदी में चले जाना।” कछुए ने ऐसा ही किया। मछुआरे ने कछुए को मरा हुआ जानकर उसे जाल से निकालकर नदी के बाहर ज़मीन पर रख दिया। फिर रस्सी उठाने झाड़ी की ओर चला गया। मछुआरे को झाड़ी की तरफ़ जाता देख कछुआ जल्दी से उठा और नदी की तरफ़ चलने लगा। कछुआ जाल में फँसने के कारण थोड़ा लँगड़ाकर चल रहा था। शायद उसके पैर में चोट लग गई थी। खरगोश ने कछुए से कहा-“दोस्त, जल्दी करो मछुआरा रस्सी लेने पास की झाड़ी की तरफ़ ही गया है।” खरगोश की बात सुन कछुए ने कहा- “दोस्त, मेरा पैर घायल है। मुझसे जल्दी नहीं चला जा रहा है। शायद अब मैं बच न सकूँगा। तुम यहाँ से चले जाओ और अपनी जान बचाओ। कहीं मछुआरे की नज़र तुम पर भी न पड़ जाए।”अपने दोस्त की निराशा भरी बात सुनकर खरगोश बोला-“दोस्त, जब तुमसे दोस्ती की है, तो निभाऊँगा भी। तुम घबराओ मत मैं कुछ करता हूँ।” यह कहकर खरगोश झाड़ी से निकलकर लँगड़ाकर चलने लगा। मछुआरा उसे पकड़ने के लिए भागा। खरगोश ने मछुआरे को जंगल में इधर-उधर खूब भगाया। इस तरह वह मछुआरे को कछुए से बहुत दूर ले गया। फिर खरगोश मछुआरे को चकमा देकर वापस नदी पर आ गया। अब तक कछुआ भी नदी में जा चुका था। खरगोश को नदी पर आया देख कछुए ने अपने दोस्त का धन्यवाद किया। इस तरह अपने दोस्त की समझदारी से कछुए की जान बच गई।
शिक्षाः सच्ची दोस्ती की परख मुसीबत में ही होती है।
सूरज और हवा दोनों ही का जीवन में बहुत महत्व है। इनके बिना जीवन संभव नहीं है। एक बार सूरज और हवा में इस बात पर बहस हो गई कि दोनों में से अधिक बलवान कौन है? दोनों अपने आपको एक-दूसरे से अधिक बलवान समझते थे। हवा का सोचना था कि वह सबको तेज हवा से उड़ा सकती है और एक पल में सुखा सकती है। इसलिए वह अपने-आपको बलवान समझती थी। सूरज की सोच थी कि वह अपनी तेज चमक व धूप से सबको पराजित कर सकता है, दोनों में कौन अधिक बलवान है? इसको सिद्ध करने के लिए दोनों में शर्त लगी।
इतने में उधर से एक व्यक्ति गुजरा जिसने एक कंबल ओढ़ रखा था। पहले हवा ने अपने पूरे वेग के साथ व्यक्ति का कंबल उतारने या उड़ाने की कोशिश की। कंबल उड़ने ही वाला था कि व्यक्ति ने उसे जोर से पकड़कर शरीर को ढाँप लिया। हवा ने एक बार फिर प्रयत्न किया, वह फिर भी व्यक्ति का कंबल न उतरवा सकी। इसलिए हवा से व्यक्ति इतना प्रभावित न हो सका। अब सूरज को अपना बल सिद्ध करना था। सूरज अपने पूरे यौवन पर चमकने लगा जिससे धूप ने निरंतर फैलना शुरू कर दिया। पसीने से उस व्यक्ति का शरीर पूरी तरह से भर गया। गर्मी ने व्यक्ति को इतना व्याकुल कर दिया कि उसने कंबल के साथ-साथ अपना कुर्ता भी उत्तर दिया। इस तरह सूरज व्यक्ति को पूरी तरह से प्रभावित करने में सफल हुआ। सूरज ने अपने आपको हवा से श्रेष्ठ और बलवान साबित किया और हवा ने अपनी पराजय स्वीकार कर ली।
शिक्षा- हमें अभिमान नहीं करना चाहिए।
बहुत पुरानी बात है। एक तालाब के किनारे नीम का एक बहुत पुराना व बड़ा पेड़ था। उस पर एक कौआ रहता था। पेड़ के नीचे बिल में एक चूहा रहता था। पास ही झाड़ियों में एक हिरन रहता था; और पास के तालाब में एक कछुआ रहता था। कौआ, चूहा, हिरन और कछुआ पक्के दोस्त थे।
वे हमेशा साथ-साथ खेलते-कूदते थे। मुसीबत में एक-दूसरे की मदद करते थे। मिल-बाँटकर खाते थे। एक बार शाम को हिरन वापस नहीं लौटा। उसके दोस्तों को बहुत चिंता हुई। कौए ने कहा- “मैं देखकर आता हूँ कि हिरन कहाँ रह गया है?” कौआ उड़कर, इधर-उधर देखने लगा। थोड़ी ही देर में उसे हिरन दिख गया। उसने देखा, हिरन एक जाल में फँसा हुआ है। वह उड़कर हिरन के पास गया। कौए को आया देख हिरन ने कहा- “दोस्त, मुझे बचा लो। शिकारी मुझे मार डालेगा।” कौआ बोला- “चिंता मत करो दोस्त, मैं अभी चूहे को लेकर आता हूँ। वह इस जाल को अपने तेज़ दाँतों से तुरंत काट देगा।”
कौए ने वापस आकर चूहे और कछुवे को सारी बात बताई। चूहा बोला- “दोस्त! देर मत करो। मुझे अपने पंजों में पकड़कर, तेज़ी से उड़कर हिरन के पास ले चलो।” कौए ने तुरंत चूहे को सावधानी से अपने पंजों में पकड़ा और उड़ चला हिरन के पास। हिरन के पास पहुँचने पर चूहे ने अपने तेज़ दाँतों से जल्दी-जल्दी जाल को काट दिया। हिरन जाल से आज़ाद हो गया। धीरे-धीरे चलता हुआ कछुआ भी वहाँ पहुँच गया था। हिरन बोला-“भागो, शिकारी आ रहा है।” शिकारी को आता देख कौआ उड़ गया, चूहा झाड़ी में घुस गया, हिरन भाग गया और कछुआ भी धीरे-धीरे तालाब की ओर चल दिया। शिकारी ने देखा हिरन भाग गया है और जाल कटा पड़ा है। यह देखकर वह बहुत दु:खी हुआ। उसने इधर-उधर देखा। धीरे-धीरे जाता हुआ कछुआ उसे दिखाई दिया। उसने लपककर कछुए को पकड़ लिया और सोचा चलो आज कछुआ ही सही। वह उसे थैले में डालकर चल पड़ा।
अब तीनों दोस्तों ने कछुए को बचाने की योजना बनाई। हिरन बोला-“मैं घास खाने के बहाने शिकारी के सामने जाऊँगा। मैं उसके सामने धीरे-धीरे चलूँगा। शिकारी थैला फेंककर मेरे पीछे भागेगा। मैं उसे दूर तक ले जाऊँगा। तब तक चूहा थैले को काट देगा। कछुआ झाड़ियों के रास्ते तालाब में चला जाएगा। जब कछुआ तालाब में चला जाएगा, तब कौआ आकर मुझे बता देगा। मैं तेजी से भागकर दूर चला जाऊँगा।”
इतना कहकर हिरन शिकारी के सामने आ गया। हिरन को देखते ही शिकारी ने थैला पटका और उसके पीछे दौड़ पड़ा। हिरन उसे दूर तक दौड़ाकर ले गया। इधर चूहे ने थैला काट दिया। कछुआ थैले से निकलकर तालाब में चला गया। कौए ने तेज़ी से उड़कर हिरन को भागने का इशारा कर दिया। हिरन तेज़ी से भागकर शिकारी की आँखों से ओझल हो गया।शिकारी हिरन को नहीं पकड़ सका। वह लौटकर थैले के पास आया। थैला कटा हुआ था। कछुआ भी भाग चुका था। यह देखकर शिकारी बहुत दुःखी हुआ। परेशान शिकारी खाली हाथ लौट गया। चारों दोस्त फिर से पहले की तरह खुशी-खुशी एक साथ रहने लगे।
शिक्षाः सच्चे दोस्तों की परख संकट के समय ही होती है।
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1. कहानी लेखन क्या है? |
2. कहानी लेखन क्यों महत्वपूर्ण है? |
3. कहानी लेखन के लिए आवश्यक तत्व क्या होते हैं? |
4. कहानी लेखन के लिए कैसे तैयारी करें? |
5. कहानी लेखन के लिए उपयुक्त टिप्स क्या हैं? |
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