प्रतिहारों का काल हरियाणा में: सिरसा जिले के जोधका से प्राप्त एक लेख से पता चलता है कि प्रतिहारों ने हरियाणा पर कब्जा कर लिया था। वत्सराज, एक प्रतिहार शासक, ने हरियाणा में विशेष प्रशासक के रूप में तोमर सरदार गाला को नियुक्त किया। राष्ट्रकूट शासकों के बढ़ते प्रभाव के कारण, वत्सराज को सत्ता से बेदखल कर दिया गया। तोमर शासकों को अपनी शक्ति बढ़ाने का अवसर मिला, लेकिन पाल वंश के शासक धर्मपाल ने उन्हें पराजित कर दिया। हरियाणा और कन्नौज को बाद में वत्सराज के पुत्र नागभट्ट के अधीन पुनर्स्थापित किया गया, जिनकी 833 ईस्वी में मृत्यु हुई।
हरियाणा में प्रतिहारों का शासन: रामभद्र, नागभट्ट का पुत्र, 833 से 836 ईस्वी तक असफलता से शासन करता रहा, जिससे अराजकता का दौर आया। Mihirbhoja, रामभद्र का पुत्र, एक सक्षम शासक बना, जिसने एक मजबूत प्रतिहार साम्राज्य की स्थापना की। पेहोवा को एक व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित किया गया, और कन्नौज Mihirbhoja के शासन (836-885 ईस्वी) के दौरान राजधानी बन गया। Mihirbhoja की 885 ईस्वी में मृत्यु के बाद, उनके पुत्र महेंद्रपाल ने शासन संभाला, लेकिन वह एक अयोग्य शासक साबित हुए।
तोमर सरदारों का प्रभुत्व: महेंद्रपाल के शासन के दौरान, एक तोमर सरदार named Jaul ने अपनी शक्ति बढ़ाई, जिससे हरियाणा का एक बड़ा क्षेत्र स्वतंत्र हो गया। Jaul का बड़ा पुत्र, वज्रत, ने हरियाणा में शांति और स्थिरता बनाए रखी। वज्रत के पुत्र, जज्जुक, भी एक योग्य सरदार साबित हुए।
तोमर शासन की स्थापना: 910 ईस्वी में, महेंद्रपाल की मृत्यु के बाद, राजनीतिक अस्थिरता ने जज्जुक के पुत्रों (गोला, पुनराज, और देवराज) को हरियाणा के आस-पास के क्षेत्रों में स्वतंत्र रूप से तोमर शासन स्थापित करने की अनुमति दी।
तोमर वंश की उत्पत्ति: तोमर वंश की उत्पत्ति के संबंध में विभिन्न इतिहासकारों के विभिन्न मत हैं। मुग़ल इतिहासकार खडगराम का सुझाव है कि तोमर सोमवंशी क्षत्रिय थे, जो पांडवों के वंशज थे, जैसा कि 1631 ईस्वी के लेख में उल्लेखित है।
हरियाणा में तोमर वंश: पेहोवा के लेख के अनुसार, तोमर वंश की उत्पत्ति Jaul से है, जो तोमर शासक अनंगपाल की पांचवीं पीढ़ी से थे। अनंगपाल ने तोमर साम्राज्य की नींव रखी, जिसमें धिल्लिका (दिल्ली) इसकी राजधानी थी।
तोमर वंश का नेतृत्व और स्वतंत्रता: Jaul, हालांकि प्रारंभ में प्रतिहारों के अधीन थे, ने अपनी मुद्रा को लोकप्रिय बनाया। अप्रिच्छदेव, जिसे गोग के नाम से भी जाना जाता है, ने तोमर वंश के शासक के रूप में Jaul का उत्तराधिकार लिया। पीपलराज देव, अप्रिच्छदेव के उत्तराधिकारी, ने स्वतंत्रता का संकेत देने वाली मुद्राएँ जारी कीं। तोमर वंश के बाद के शासकों में राघुपाल, विल्हनपाल, और गोपाल शामिल थे।