Class 9 Exam  >  Class 9 Notes  >  Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)  >  विज्ञान: वरदान या अभिशाप

विज्ञान: वरदान या अभिशाप | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

रूपरेखा

  • प्रस्तावना,
  • विज्ञान: वरदान के रूप में,
    (क) परिवहन के क्षेत्र में,
    (ख) संचार के क्षेत्र में,
    (ग) चिकित्सा के क्षेत्र में,
    (घ) खाद्यान्न के क्षेत्र में,
    (ङ) उद्योगों के क्षेत्र में,
    (च) दैनिक जीवन में,
  • विज्ञान : एक अभिशाप के रूप में,
  • उपसंहार।

प्रस्तावना


विज्ञान ने हमें अनेक सुख–सुविधाएँ प्रदान की हैं, किन्तु साथ ही विनाश के विविध साधन भी जुटा दिए हैं। इस स्थिति में यह प्रश्न विचारणीय हो गया है कि विज्ञान मानव कल्याण के लिए कितना उपयोगी है? वह समाज के लिए वरदान है या अभिशाप?

विज्ञान: वरदान के रूप में

आधुनिक विज्ञान ने मानव–सेवा के लिए अनेक प्रकार के साधन जुटा दिए हैं। पुरानी कहानियों में वर्णित अलादीन के चिराग का दैत्य जो काम करता था, उन्हें विज्ञान बड़ी सरलता से कर देता है।

रातो–रात महल बनाकर खड़ा कर देना, आकाश–मार्ग से उड़कर दूसरे स्थान पर चले जाना, शत्रु के नगरों को मिनटों में बरबाद कर देना आदि विज्ञान के द्वारा सम्भव किए गए ऐसे ही कार्य हैं। विज्ञान मानव–जीवन के लिए वरदान सिद्ध हुआ है। उसकी वरदायिनी शक्ति ने मानव को अपरिमित सुख–समृद्धि प्रदान की है।
(क) परिवहन के क्षेत्र में:
पहले लम्बी यात्राएँ दुरूह स्वप्न–सी लगती थीं, किन्तु आज रेल, मोटर और वायुयानों ने लम्बी यात्राओं को अत्यन्त सुगम व सुलभ कर दिया है। पृथ्वी पर ही नहीं, आज के वैज्ञानिक साधनों के द्वारा मनुष्य ने चन्द्रमा पर भी अपने कदमों के निशान बना दिए हैं।
(ख) संचार के क्षेत्र में:
टेलीफोन, टेलीग्राम, टेलीप्रिण्टर, टैलेक्स, फैक्स, ई–मेल आदि के द्वारा क्षणभर में एक स्थान से दूसरे स्थान को सन्देश पहुँचाए जा सकते हैं। रेडियो और टेलीविजन द्वारा कुछ ही क्षणों में किसी समाचार को विश्वभर में प्रसारित किया जा सकता है।
(ग) चिकित्सा के क्षेत्र में:
चिकित्सा के क्षेत्र में तो विज्ञान वास्तव में वरदान सिद्ध हुआ है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति इतनी विकसित हो गई है कि अन्धे को आँखें और विकलांगों को अंग मिलना अब असम्भव नहीं है। कैंसर, टी०बी०, हृदयरोग जैसे भयंकर और प्राणघातक रोगों पर विजय पाना विज्ञान के माध्यम से ही सम्भव हो सका है।
(घ) खाद्यान्न के क्षेत्र में:
आज हम अन्न उत्पादन एवं उसके संरक्षण के मामले में आत्मनिर्भर होते जा रहे हैं। इसका श्रेय आधुनिक विज्ञान को ही है। विभिन्न प्रकार के उर्वरकों, कीटनाशक दवाओं, खेती के आधुनिक साधनों तथा सिंचाई सम्बन्धी कृत्रिम व्यवस्था ने खेती को अत्यन्त सरल व लाभदायक बना दिया है।
(ङ) उद्योगों के क्षेत्र में:
उद्योगों के क्षेत्र में विज्ञान ने क्रान्तिकारी परिवर्तन किए हैं। विभिन्न प्रकार की मशीनों ने उत्पादन की मात्रा में कई गुना वृद्धि की है।
(च) दैनिक जीवन में 
हमारे दैनिक जीवन का प्रत्येक कार्य अब विज्ञान पर ही आधारित है। विद्युत् हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग बन गई है। बिजली के पंखे, कुकिंग गैस स्टोव, फ्रिज आदि के निर्माण ने मानव को सुविधापूर्ण जीवन का वरदान दिया है। इन आविष्कारों से समय, शक्ति और धन की पर्याप्त बचत हुई है।
विज्ञान: वरदान या अभिशाप | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)विज्ञान ने हमारे जीवन को इतना अधिक परिवर्तित कर दिया है कि यदि दो–सौ वर्ष पूर्व का कोई व्यक्ति हमें देखे तो वह यही समझेगा कि हम स्वर्ग में रह रहे हैं। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति न होगी कि भविष्य का विज्ञान मृत व्यक्ति को भी जीवन दे सकेगा। इसलिए विज्ञान को वरदान न कहा जाए तो और क्या कहा जाए?

विज्ञान: एक अभिशाप के रूप में

विज्ञान का एक दूसरा पहलू भी है। विज्ञान ने मनुष्य के हाथ में बहुत अधिक शक्ति दे दी है, किन्तु उसके प्रयोग पर कोई बन्धन नहीं लगाया है। स्वार्थी मानव इस शक्ति का प्रयोग जितना रचनात्मक कार्यों के लिए कर रहा है, उससे अधिक प्रयोग विनाशकारी कार्यों के लिए भी कर रहा है।

सुविधा प्रदान करनेवाले उपकरणों ने मनुष्य को आलसी बना दिया है। यन्त्रों के अत्यधिक उपयोग ने देश में बेरोजगारी को जन्म दिया है। परमाणु–अस्त्रों के परीक्षणों ने मानव को भयाक्रान्त कर दिया है। जापान के नागासाकी और हिरोशिमा नगरों का विनाश विज्ञान की ही देन माना गया है। मनुष्य अपनी पुरानी परम्पराएँ और आस्थाएँ भूलकर भौतिकवादी होता जा रहा है।
भौतिकता को अत्यधिक महत्त्व देने के कारण उसमें विश्वबन्धुत्व की भावना लुप्त होती जा रही है। परमाणु तथा हाइड्रोजन बम नि:सन्देह विश्व–शान्ति के लिए खतरा बन गए हैं। इनके प्रयोग से किसी भी क्षण सम्पूर्ण विश्व तथा विश्व–संस्कृति का विनाश पलभर में ही सम्भव है।

उपसंहार


विज्ञान का वास्तविक लक्ष्य है–मानव–हित और मानव–कल्याण। यदि विज्ञान अपने इस उद्देश्य की दिशा में पिछड़ जाता है तो विज्ञान को त्याग देना ही हितकर होगा। राष्ट्रकवि रामधारीसिंह ‘दिनकर’ ने अपनी इस धारणा को इन शब्दों में व्यक्त किया है-
सावधान, मनुष्य, यदि विज्ञान है तलवार,
तो इसे दे फेंक, तजकर मोह, स्मृति के पार।
हो चुका है सिद्ध, है तू शिशु अभी अज्ञान,
फूल–काँटों की तुझे कुछ भी नहीं पहचान।
खेल सकता तू नहीं ले हाथ में तलवार,
काट लेगा अंग, तीखी है बड़ी यह धार।

The document विज्ञान: वरदान या अभिशाप | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan) is a part of the Class 9 Course Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan).
All you need of Class 9 at this link: Class 9
60 videos|316 docs|77 tests
Related Searches

विज्ञान: वरदान या अभिशाप | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

,

video lectures

,

practice quizzes

,

Objective type Questions

,

pdf

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Exam

,

study material

,

past year papers

,

Important questions

,

MCQs

,

विज्ञान: वरदान या अभिशाप | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

,

shortcuts and tricks

,

Semester Notes

,

Free

,

Summary

,

mock tests for examination

,

Extra Questions

,

Sample Paper

,

ppt

,

Viva Questions

,

विज्ञान: वरदान या अभिशाप | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

;