परिभाषा
विस्मय, हर्ष, शोक, आश्चर्य, घृणा, विषाद आदि भावों को प्रकट करने वाले अविकारी शब्द ‘विस्मयादिबोधक’ कहलाते हैं। इन शब्दों का वाक्य से कोई व्याकरणिक संबंध नहीं होता। अर्थ की दृष्टि से इसके मुख्य आठ भेद हैं:
(i) विस्मयसूचक – अरे!, क्या!, सच!, ऐं!, ओह!, हैं!
(ii) हर्षसूचक – वाह!, अहा!, शाबाश!, धन्य!
(iii) शोकसूचक – ओह!, हाय!, त्राहि-त्राहि!, हाय राम!
(iv) स्वीकारसूचक – अच्छा!, बहुत अच्छा!, हाँ-हाँ!, ठीक!
(v) तिरस्कारसूचक – धिक्!, छि:!, हट!, दूर!
(vi) अनुमोदनसूचक – हाँ-हाँ!, ठीक!, अच्छा!
(vii) आशीर्वादसूचक – जीते रहो!, चिरंजीवी हो! दीर्घायु हो!
(viii) संबोधनसूचक – हे!, रे!, अरे!, ऐ!
इन सभी के अलावा कभी-कभी संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया और क्रियाविशेषण आदि का प्रयोग भी विस्मयादिबोधक के रूप में होता है;
जैसे:- संज्ञा – शिव, शिव!, हे राम!, बाप रे!
- सर्वनाम – क्या!, कौन?
- विशेषण – सुंदर!, अच्छा!, धन्य!, ठीक!, सच!
- क्रिया – हट!, चुप!, आ गए!
- क्रियाविशेषण – दूर-दूर!, अवश्य!