Humanities/Arts Exam  >  Humanities/Arts Notes  >  Hindi Class 11  >  नमक का दारोगा - पठन सामग्री और सार

नमक का दारोगा - पठन सामग्री और सार | Hindi Class 11 - Humanities/Arts PDF Download

सारांश -: मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित यह कहानी कर्मों का फल में विश्वास दिलाती हुई कहानी है| कहानी में मानव मूल्यों का आदर्श रूप दिखाया गया है और उसे सम्मानित भी किया गया है| सत्यनिष्ठा, धर्मनिष्ठा और कर्मपरायणता को विश्व के दुर्लभ गुणों में बताया गया है| यह कहानी धन के ऊपर धर्म के जीत की है|

कहानी आजादी से पहले की है| नमक का नया विभाग बना| विभाग में ऊपरी कमाई बहुत ज्यादा थी| सभी व्यक्ति इस विभाग में काम करने को उत्सुक थे| उसे दौर में लोग प्रेम की कथाएँ पढ़कर उच्च पदों पर पहुँच जाते थे|
मुंशी वंशीधर भी महत्वपूर्ण विषय जैसे इतिहास को छोड़ प्रेम गाथाओं का ज्यादा अध्ययन कर रोजगार की खोज में निकल पड़े| उनके पिता अनुभवी पुरुष थे| उन्होंने समझाया कि घर की दुर्दशा के अनुसार नौकरी करना चाहिए| वे बताते हैं कि प्रतिष्ठा के आधार पदों का चुनाव ना करे बल्कि उस पद को चुने जिसमें ऊपरी कमाई हो| मासिक वेतन के बारे में वे कहते हैं कि महीने की शुरुआत में ही खत्म होनी शुरू हो जाती है| ऊपरी आय को वह ऐसा स्त्रोत बताते हैं जो हर वक़्त आती है| महीने की कमाई को वह मनुष्य की देन तो वहीं ऊपरी कमाई को वह ईश्वर की देन बताते हैं|

वंशीधर पिता से आशीर्वाद लेकर नौकरी की तलाश में निकल जाते हैं| भाग्य से नमक विभाग के दारोग पद की नौकरी मिली जाती है जिसमें वेतन अच्छा था साथ ही ऊपरी कमाई भी ज्यादा थी| यह खबर जब पिता को पता चली तो वह बहुत खुश हुए|

मुंशी वंशीधर ने छः महीने में अपनी कार्यकुशलता और अच्छे आचरण से सभी अफ़सरों को मोहित कर लिया था| जाड़े के समय एक रात वंशीधर अपने दफ़्तर में सो रहे थे| उनके दफ़्तर से एक मील पहले जमुना नदी थी जिसपर नावों का पुल बना हुआ था| वंशीधर सो रहे थे| गाड़ियों की आवाज़ और मल्लाहों की कोलाहल से उनकी नींद खुली| बंदूक जेब में रखा और घोड़े पर बैठकर पुल पर पहुँचे वहाँ गाड़ियों की एक लंबी कतार पुल पार कर रही थीं| उन्होंने पूछा किसकी गाड़ियाँ हैं तो पता चला, पंडित अलोपीदीन की हैं|

मुंशी वंशीधर चौंक पड़े| पंडित अलोपीदीन इलाके के सबसे प्रतिष्ठित जमींदार थे| लाखों रुपयों का व्यापार था| वंशीधर ने जब जाँच किया तब पता चला कि गाड़ियों में नमक के ढेले के बोरे हैं| उन्होंने गाड़ियाँ रोक लीं|

पंडितजी को यह बात पता चली तो वह अपने धन पर विश्वास किए वंशीधर के पास पहुँचे और उनसे गाड़ियों के रोकने के बारे में पूछा| पंडितजी ने वंशीधर को रिश्वत देकर गाड़ियों को छोड़ने को कहा परन्तु वंशीधर अपने कर्तव्य पर अडिग रहे और पंडितजी को गिरफ़्तार करने का हुक्म दे दिया| पंडितजी आश्चर्यचकित रह गए| पंडितजी ने रिश्वत को बढ़ाया भी परन्तु वंशीधर नहीं माने और पंडितजी को गिरफ्तार कर लिया गया|

अगले दिन यह खबर हर तरफ फैली गयी| पंडित अलोपीदीन के हाथों में हथकड़ियाँ डालकर अदालत में लाया गया| हृदय में ग्लानि और क्षोभ और लज्जा से उनकी गर्दन झुकी हुई थी| सभी लोग चकित थे कि पंडितजी कानून की पकड़ में कैसे आ गए| सारे वकील और गवाह पंडितजी के पक्ष में थे, वंशीधर के पास केवल सत्य का बल था| न्याय की अदालत में पक्षपात चल रहा था| मुकदमा तुरंत समाप्त हो गया| पंडित अलोपीदीन को सबूत के अभाव में रिहा कर दिया गया| वंशीधर के उद्दंडता और विचारहीनता के बर्ताव पर अदालत ने दुःख जताया जिसके कारण एक अच्छे व्यक्ति को कष्ट झेलना पड़ा| भविष्य में उसे अधिक होशियार रहने को कहा गया|

पंडित अलोपीदीन मुस्कराते हुए बाहर निकले| रुपये बाँटे गए| वंशीधर को व्यंग्यबाणों को सहना पड़ा| एक सप्ताह के अंदर कर्तव्यनिष्ठा का दंड मिला और नौकरी से हटा दिया गया| पराजित हृदय, शोक और खेद से व्यथित अपने घर की ओर चल पड़े| घर पहुँचे तो पिताजी ने कड़वीं बातें सुनाई| वृद्धा माता को भी दुःख हुआ| पत्नी ने कई दिनों तक सीधे मुँह तक बात नहीं की|

एक सप्ताह बीत गया| संध्या का समय था| वंशीधर के पिता राम-नाम की माला जप रहे थे| तभी वहाँ एक सजा हुआ एक रथ आकर रुका| पिता ने देखा पंडित अलोपीदीन हैं| झुककर उन्हें दंडवत किया और चापलूसी भरी बातें करने लगे, साथ ही अपने बेटे को कोसा भी| पंडितजी ने बताया कि उन्होंने कई रईसों और अधिकारियों को देखा और सबको अपने धनबल का गुलाम बनाया| ऐसा पहली बार हुआ जब कोई व्यक्ति ने अपनी कर्तव्यनिष्ठा द्वारा उन्हें हराया हो|

वंशीधर ने जब पंडितजी को देखा तो स्वाभिमान सहित उनका सत्कार किया| उन्हें लगा की पंडितजी उन्हें लज्जित करने आए हैं| परन्तु पंडितजी की बातें सुनकर उनके मन का मैल मिट गया और पंडितजी की बातों को उनकी उदारता बताया| उन्होंने कहा पंडितजी को कहा कि उनका जो हुक्म होगा वे करने को तैयार हैं| इस बात पर पंडितजी ने स्टाम्प लगा हुआ एक पत्र निकला और उसे प्रार्थना स्वीकार करने को बोला| वंशीधर ने जब कागज़ पढ़ा तो उसमें पंडितजी ने वंशीधर को अपनी सारी जायदाद का स्थायी मैनेजर नियुक्त किया था| कृतज्ञता से वंशीधर की आँखों में आँसू आ गए और उन्होंने कहा कि वे इस पद के योग्य नहीं हैं|  इसपर पंडितजी ने मुस्कराते हुए कहा कि उन्हें अयोग्य व्यक्ति ही चाहिए| वंशीधर ने कहा कि उनमें इतनी बुद्धि नहीं की वह यह कार्य कर सकें| पंडितजी ने वंशीधर को कलम देते हुए कहा कि उन्हें विद्यवान नहीं चाहिए बल्कि धर्मनिष्ठित व्यक्ति चाहिए|

वंशीधर ने काँपते हुए मैनेजरी की कागज़ पर दस्तखत कर दिए| पंडित अलोपीदीन ने वंशीधर को ख़ुशी से गले लगा लिया|


कथाकार परिचय-: प्रेमचंद

मूल नाम - धनपत राय

जन्म -: सन् 1880, लमही गाँव (उत्तर प्रदेश में)

प्रमुख रचनाएँ - सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, कायाकल्प, गबन, कर्मभूमि, गोदान (उपन्यास) एवं अन्य|

मृत्यु -: सन् 1986

प्रेमचंद हिंदी साहित्य की नामचीन हस्ती हैं| इनका बचपन अभावों में बीता| स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद किसी तरह से बी.ए. किया| एम.ए. करना चाहते थे परन्तु जीवनयापन के लिए नौकरी करनी पड़ी| असहयोग आंदोलन में सक्रीय होने के कारण सरकारी नौकरी छोड़नी पड़ी| जीवन का राजनितिक संघर्ष उनकी रचनाओं में सामाजिक संघर्ष झलकता है जिसमें जीवन का यथार्थ और आदर्श दोनों है|


कठिन शब्दों के अर्थ-:

• ईश्वर-प्रदत्त - ईश्वर द्वारा दी गई

• पटवारी - लेखा-जोखा रखने वाला सरकारी अधिकारी

• प्राबल्य - प्रधानता

• जुलेखा - कुरआन में हज़रत यूसुफ और जुलेखा के प्रेम की कहानी

• कगारे पर का वृक्ष - वृद्धावस्था

• बरकत - तरक्की

• बेगरज़ - लापरवाह

• आत्मावलंबन - खुद पर भरोसा रखने वाला

• शूल - अत्याधिक पीड़ा

• सदाव्रत - दान

• अल्हड़ - भोला

• कातर - भय से काँपता हुआ

• व्यग्र - व्यस्त

• अगाध - जिसकी कोई सीमा ना हो

• विस्मित - चकित

• तजवीज़ - फैसला

• भग्न - टूटा हुआ

The document नमक का दारोगा - पठन सामग्री और सार | Hindi Class 11 - Humanities/Arts is a part of the Humanities/Arts Course Hindi Class 11.
All you need of Humanities/Arts at this link: Humanities/Arts
31 videos|90 docs|24 tests

Top Courses for Humanities/Arts

FAQs on नमक का दारोगा - पठन सामग्री और सार - Hindi Class 11 - Humanities/Arts

1. कहानी में नमक का दारोगा कौन है?
उत्तर: नमक का दारोगा कहानी का मुख्य पात्र है। वह एक छोटे से गांव में रहता है और उसका काम नमक की गोदाम में रखरखाव करना होता है।
2. कहानी में नमक का दारोगा की कहानी क्या है?
उत्तर: कहानी में नमक का दारोगा के जीवन में उसकी बेटी की शादी के लिए पैसों की कमी होती है। उसने अपने दोस्त से पैसे मांगने की कोशिश की लेकिन उसे नहीं मिले। उसने अपना नामकरण बदलकर अपने पुराने दोस्त के बेटे के नाम के तहत एक लोन लिया। जब उसने लोन वापस नहीं किया, तो उसे कारावास की सजा सुनाई गई।
3. कहानी में नमक का दारोगा की परिवार की स्थिति क्या है?
उत्तर: नमक का दारोगा की परिवार की स्थिति गंभीर है। वह एक छोटे से गांव में रहते हैं और उनके पास कम पैसे हैं। उनकी बेटी की शादी के लिए पैसे की कमी होती है जिससे उन्हें बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ता है।
4. कहानी में नमक का दारोगा ने क्या किया?
उत्तर: कहानी में नमक का दारोगा ने लोन लेने के लिए अपना नाम बदलकर अपने पुराने दोस्त के बेटे का नाम लिया। जब उसने लोन वापस नहीं किया तो उसे कारावास की सजा सुनाई गई।
5. कहानी का संदेश क्या है?
उत्तर: कहानी का संदेश है कि बेईमानी किसी को भी भुगतनी पड़ती है। नमक का दारोगा ने बेईमानी की वजह से अपनी सजा का सामना करना पड़ा। इसलिए हमें ईमानदार रहना चाहिए और हमेशा सच बोलना चाहिए।
31 videos|90 docs|24 tests
Download as PDF
Explore Courses for Humanities/Arts exam

Top Courses for Humanities/Arts

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

नमक का दारोगा - पठन सामग्री और सार | Hindi Class 11 - Humanities/Arts

,

study material

,

practice quizzes

,

Viva Questions

,

past year papers

,

shortcuts and tricks

,

Semester Notes

,

video lectures

,

Important questions

,

pdf

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Extra Questions

,

Free

,

MCQs

,

Summary

,

Sample Paper

,

ppt

,

mock tests for examination

,

नमक का दारोगा - पठन सामग्री और सार | Hindi Class 11 - Humanities/Arts

,

नमक का दारोगा - पठन सामग्री और सार | Hindi Class 11 - Humanities/Arts

,

Exam

,

Objective type Questions

;