Class 8 Exam  >  Class 8 Notes  >  Hindi Class 8  >  पाठ का सारांश: भगवान के डाकिए

पाठ का सारांश: भगवान के डाकिए | Hindi Class 8 PDF Download

पाठ का सारांश
प्रस्तुत कविता में कवि ने पक्षी और बादल को भगवान का डाकिया बताया है, जो मनुष्य को प्रेम, त्याग तथा सद्भाव का संदेश देते हैं।

कवि ‘पक्षी और बादल’ का संबंध मनुष्य से जोड़ते हुए कहता है कि ये दोनों भगवान के डाकिये हैं। जिस प्रकार सरकारी डाकिया हमारे लिए हमारे प्रियजनों का संदेश लाता है, उसी प्रकार ये प्राकृतिक डाकिये हमारे लिए भगवान का संदेश लाते हैं। ये डाकिये किसी स्थान-विशेष के लोगों के लिए संदेश नहीं लाते। पक्षी आकाश में यहाँ-वहाँ भ्रमण करते रहते हैं तथा बादल उमड़-घुमडक़र पृथ्वी का चक्कर लगाते रहते हैं। इनका विचरण देखकर ऐसा लगता है कि ये भगवान के डाकिये हैं, जो भगवान का संेश लेकर सभी देशों अर्थात पूरी पृथ्वी के आस-पास घूम रहे हैं। ये शह संदेश मनुष्य में बाँटते हैं पर अपनी अज्ञानता के कारण मनुष्य उनका संदेश नहीं समझ पाता। इन प्राकृतिक डाकियों की लाई चिट्ठियों को पर्वत, पेड़-पौधे और नदियाँ पढ़ती हैं। पेड़-पौधे अपनी वायु, धरती अपनी सुगंध तथा नदियाँ अपना जल किसी सीमा-विशेष में रहनेवालों के लिए नहीं रखती। वे स्थान, जाति, धर्म, वर्ग आदि का भेदभाव किए बिना सभी को लाभान्वित कती हैं। इनके क्रियाकलाप को देखने के बाद हमें भी किसी से भेदभाव न करने की सीख लेनी चाहिए, जिससे कि ईश्वर का संदेश हमारे लिए भी सार्थक बन सके।

सप्रसंग व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1.  
 पक्षी और बादल,
 ये भगवान के डाकिये हैं,
 जो एक महादेश से
 दूसरे महादेश को जाते हैं।
 हम तो समझ नहीं पाते हैं
 मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
 पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
 बाँचते हैं।   


शब्दार्थ—महादेश—विशाल देश। बाँचते हैं—पढ़ते हैं।

प्रसंग—प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक 'वसंत, भाग-3' में संकलित ‘भगवान के डाकिये’ नामक कविता से ली गई हैं। इसके रचयिता रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं। इन पंक्तियों में पक्षी और बादल को भगवान के डाकिये के रूप में चित्रित किया गया है, जिनकी लाई चिट्ठियाँ हम मनुष्य नहीं पढ़ पाते।

व्याख्या—कवि का कहना है कि पक्षी और बादल प्रकृति के वे डाकिये हैं जो साधारण डाकिये की तरह ही हमारे लिए संदेश लाते हैं। दुख की बात तो यह है कि ज्ञानी कहलानेवाले हम मनुष्य उनकी लाई चिट्ठियों को पढ़ ही नहीं पाते। ये डाकिये किसी सीमा में बँधकर काम नहीं करते। ये इंसान की बनाई हुई सीमाओं को नहीं मानते। वे एक देश से दूसरे देश में भगवान का भेजा हुआ प्रेम, सद्भाव, समानता तथा एकता का संदेश हमारे बीच फैलाते हैं। यह संदेश हमारी समझ में नहीं आता, पर पानी, पेड़-पौधे और पहाड़ इन्हें भली प्रकार पढ़ते हैं। ये इन संदेशों से प्रभावित होते हैं और उसी के अनुरूप व्यवहार करते हैं।

विशेष 

  • 'पेड़, पौधे, पानी और पहाड़' में अनुप्रास अलंकार है तथा काव्यांश में मानवीकरण अलंकार है।
  • काव्यांश की भाषा सरल, सहज है, जिसमें आम बोलचाल के शब्दों का प्रयोग है।
  • ‘पक्षी और बादलों’ को भगवान के डाकिये के रूप में चित्रित करके कवि ने अनूठी कल्पनाशीलता का परिचय दिया है।

प्रश्न  (क)   कवि और कविता का नाम लिखिए।
 उत्तर: कवि का नाम
—रामधारी सिंह ‘दिनकर’।
         कविता का नाम—भगवान के डाकिये।

प्रश्न  (ख) काव्यांश में डाकिये कौन हैं? उन्हें 'डाकिये' क्यों कहा गया है?
 उत्तर: 
काव्यांश में पक्षी और बादल भगवान के डाकिये हैं। ये भगवान का संदेश पृथ्वी पर लाते हैं, इसलिए इन्हें ‘डाकिये’ कहा गया है।

प्रश्न  (ग)  इन डाकियों की लाई चिट्ठियों को कौन पढ़ता है?
 उत्तर: 
इन डाकियों की लाई चिट्ठियों को पेड़-पौधे, पानी तथा पर्वत पढ़ते हैं।

प्रश्न  (घ)  ये डाकिये परंपरागत डाकियों से किस तरह भिन्न होते हैं?
 उत्तर: 
परंपरागत डाकिये मनुष्य द्वारा मनुष्य के लिए भेजे गए संदेश लेकर आते हैड्ड्र इसके विपरीत पक्षी और बादल, भगवान का संदेश लाते हैं, जिन्हें हम नहीं पढ़ पाते।

प्रश्न  (ङ)  इनकी लाई चिट्ठियों में क्या संदेश रहता होगा? अपने अनुमान से लिखें।
उत्तर: पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों में प्रेम, एकता, समानता तथा त्याग का संदेश रहता होगा। 


2.     
 हम तो केवल यह आँकते हैं
 कि एक देश की धरती
 दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
 और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
 पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।
 और एक देश का भाप
 दूसरे देश में पानी
 बनकर गिरता है।  

 शब्दार्थ—आँकना
—हिसाब लगाना। धरती—जमीन। सौरभ—सुंगंध। पाँख—पर, पंख।

प्रसंग—प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक 'वसंत, भाग-3' में संकलित ‘भगवान के डाकिये’ नामक कविता से ली गई हैं। इसके रचयिता रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं। इन पंक्तियों में प्रकृति के विभिन्न अंगों-पेड़-पौधे, पानी, पहाड़ आदि द्वारा बिना भेदभाव के काम किये जाने का वर्णन है।

व्याख्या—प्रकृति के उपादान पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों के अनुरूप ही व्यवहार करते हैं। हम तो केवल यह अनुमान लगाते हैं कि पृथ्वी पर एक स्थान के फूलों की महक हवा में तैरकर तथा पक्षियों के पंखों पर सवार होकर दूसरे देश में जाती है। एक देश के तालाब, झील एवं नदियों का पानी भाप बनकर उड़ता है और किसी अन्य देश में बरस जाता है। प्रकृति के डाकिये न तो किसी सीमा में बँधकर काम करते हैं और न ही अपने-पराये की भावना से ग्रस्त रहते हैं। अर्थात ये हमें भेदभाव मिटाकर काम करते हुए एकता का संदेश देते हैं।

विशेष 

  • प्रकृति द्वारा भेदभाव त्यागकर काम करने का संदेश दिया गया है।
  • ‘दूसरे देश को जाती है’ तथा ‘पक्षियों की पाँखों पर’ में अनुप्रास अलंकार है।
  • काव्यांश की भाषा सरल, सहज तथा बोलचाल के शब्दों से युक्त है।

 

प्रश्न (क)  कवि और कविता का नाम लिखिए।
 उत्तर: कवि का नाम-
रामधारी सिंह ‘दिनकर’।
          कविता का नाम-भगवान के डाकिये।

प्रश्न (ख)  इस काव्यांश में धरती क्या काम करती हुई चित्रित की गई है?
 उत्तर: 
काव्यांश में धरती द्वारा किसी स्थान-विशेष पर खिले पुष्पों की महक किसी अन्य स्थान पर भेजते हुए चित्रित किया गया है।

प्रश्न  (ग)  पृथ्वी द्वारा किए गए इस कार्य का प्रचार-प्रसार कैसे होता है?
 उत्तर: 
पृथ्वी द्वारा भेजी गई महक हवा में तैरती है तथा पक्षियों के पंखों पर सवार होकर अन्य स्थानों तक फैल जाती है।

प्रश्न (घ)  काव्यांश में मनुष्य के लिए क्या संदेश निहित है? 
 उत्तर: 
मनुष्य के लिए निहित संदेश यह है कि हम मनुष्यों को स्वार्थ भावना त्यागकर तथा जाति, धर्म आदि की सीमाओं को लाँघकर प्रेमभाव का संदेश फैलाना चाहिए।

प्रश्न  (ङ)  ‘सौरभ’ तथा ‘पाँख’ शब्दों के अर्थ स्पष्ट कीजिये।
उत्तर: सौरभ— महक, सुगंध
          पाँख— पंख  

The document पाठ का सारांश: भगवान के डाकिए | Hindi Class 8 is a part of the Class 8 Course Hindi Class 8.
All you need of Class 8 at this link: Class 8
52 videos|311 docs|47 tests

FAQs on पाठ का सारांश: भगवान के डाकिए - Hindi Class 8

1. "भगवान के डाकिए" कहानी का मुख्य सारांश क्या है?
Ans."भगवान के डाकिए" कहानी में एक गरीब किसान की कथा है, जो अपने जीवन में कठिनाईयों का सामना करता है। वह अपने ऊपर आए संकटों में भगवान से मदद की प्रार्थना करता है। कहानी में यह दिखाया गया है कि कैसे भगवान अपने भक्तों की सहायता करते हैं, भले ही वे किसी भी रूप में आकर उन्हें मदद करें। अंततः, किसान को यह समझ में आता है कि भगवान की मदद हमेशा उसके आस-पास होती है।
2. इस पाठ में भगवान के डाकिए का क्या महत्व है?
Ans.भगवान के डाकिए का महत्व इस बात में है कि यह दर्शाता है कि भगवान अपने भक्तों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें कठिनाइयों में धैर्य और विश्वास बनाए रखना चाहिए, क्योंकि मदद कभी न कभी अवश्य आएगी, और वह मदद कभी-कभी अप्रत्याशित रूप में होती है।
3. इस कहानी से हमें कौन-सी नैतिक शिक्षा मिलती है?
Ans.इस कहानी से हमें यह नैतिक शिक्षा मिलती है कि हमें अपने जीवन में सकारात्मकता और धैर्य बनाए रखना चाहिए। हमें यह विश्वास नहीं खोना चाहिए कि भगवान हमेशा हमारे साथ हैं और वह हमारी मदद करने के लिए किसी भी रूप में आ सकते हैं। इसके अलावा, यह भी सिखाता है कि हमें दूसरों की सहायता के लिए तैयार रहना चाहिए।
4. कहानी में किसान की भूमिका क्या है और वह किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करता है?
Ans.किसान की भूमिका इस कहानी में मुख्य नायक के रूप में है। वह गरीबी, बीमारी और अन्य कठिनाइयों का सामना करता है। उसकी प्रार्थना और विश्वास की भावना उसे कठिन समय में मजबूत बनाए रखती है। किसान की स्थिति हमें यह सिखाती है कि जीवन में मुश्किल समय आते हैं, लेकिन हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए।
5. "भगवान के डाकिए" की कथा का सांस्कृतिक महत्व क्या है?
Ans."भगवान के डाकिए" की कथा का सांस्कृतिक महत्व यह है कि यह भारतीय संस्कृति में भगवान के प्रति विश्वास और भक्ति को दर्शाती है। यह कहानी हमें सिखाती है कि भगवान के प्रति हमारी आस्था हमें कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति देती है। इसके अलावा, यह सामाजिक एकता और मानवता के मूल्यों को भी प्रोत्साहित करती है।
Related Searches

shortcuts and tricks

,

Important questions

,

past year papers

,

MCQs

,

Semester Notes

,

पाठ का सारांश: भगवान के डाकिए | Hindi Class 8

,

Objective type Questions

,

Previous Year Questions with Solutions

,

mock tests for examination

,

video lectures

,

Sample Paper

,

practice quizzes

,

Viva Questions

,

pdf

,

ppt

,

Extra Questions

,

Summary

,

Free

,

पाठ का सारांश: भगवान के डाकिए | Hindi Class 8

,

पाठ का सारांश: भगवान के डाकिए | Hindi Class 8

,

study material

,

Exam

;