प्रस्तुत पाठ के माध्यम से बाल मजदूरी के विरोध में जन जागरूकता उत्पन्न करने का प्रयास किया गया है। साथ-साथ इसे गैर कानूनी बताते हुए शिक्षा के अधिकार से विद्यार्थियों को अवगत कराया गया है।
प्रस्तुत नाटक के माध्यम से बालशोषण का विरोध दर्शाकर उनके शिक्षा के मौलिक अधिकार का ज्ञान कराया गया है। एक अल्पवयस्का बालिका से गृहकार्य करवाना अनुचित है। अतः मालिनी दर्शना को कहती है कि यह समय तो उसकी अल्पवयस्का पुत्री के पढ़ने और खेलने का है तो दर्शना कहती है कि उसकी पुत्री एक परिवार का समस्त गृहकार्य करती थी। धनाभाव के कारण उन्हें यह सब करना पड़ता हैं क्योंकि उसका बीमार पति कुछ भी काम नहीं करता।
तो मालिनी दर्शना को समझाती है कि शिक्षा बच्चों का मौलिक अधिकार है। बच्चों की शिक्षा के लिए सरकारी विद्यालयों में निःशुल्क शिक्षा, निःशुल्क परिधान, पुस्तकें, स्कूलबैग, जूते, दोपहर का भोजन और छात्रवृत्ति आदि दी जाती है। यह सुनकर दर्शना की पुत्री खुशी से ताली बजाकर नाचती है और कहती है कि मैं भी विद्यालय जाऊँगी और मालिनी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करती है।
(क) मालिनि – (प्रतिवेशिनी प्रति) गिरिजे! मम पुत्रः मातुलगृहं प्रति प्रस्थितः काचिद्
अन्यां कामपि महिला कार्यार्थं जानासि तर्हि प्रेषय।
गिरिजा – आम् सखि! अद्य प्रातः एव मम सहायिका स्वसुतायाः कृते कर्मार्थं पृच्छति स्म।
श्वः प्रातः एव तया सह वार्ता करिष्यामि।
(अग्रिमदिने प्रातः काले षट्वादने एव मालिन्याः गृहघण्टिका आगन्तारं कमपि सूययति मालिनी
द्वारमुदघाटयति पश्यति यत् गिरिजायाः सेविकया दर्शनया सह एका अष्टवर्षदेशीय, बालिका तिष्ठति)
सरलार्थः
मालिनी – (पड़ोसिनी से) हे गिरिजा! मेरा पुत्र मामा के घर गया है, किसी दूसरी महिला (औरत) को काम के लिए जानती हो तो भेजो।।
गिरिजा – हाँ सखी! आज सुबह ही मेरी नौकरानी (सहायिका) अपनी बेटी के लिए काम हेतु पूछ रही थी। कल सुबह ही उसके साथ बात करूँगी। (अगले दिन सुबह छह बजे ही मालिनी के घर की घंटी किसी आने वाले की सूचना देती है, मालिनी दरवाजा खोलती है कि गिरिजा की नौकरानी दर्शना के साथ एक आठ वर्ष की, लड़की खड़ी है)
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
सन्धिविच्छेदः
(ख) दर्शना – महोदये! भवती कार्यार्थं गिरिजामहोदयां पृच्छति स्म कृपया मम सुतायै अवसरं प्रदाय अनुगृह्णातु भवती।
मालिनी – परमेषा तु अल्पवयस्का प्रतीयते। किं कार्यं करिष्यत्येषा? अयं तु अस्याः अध्ययनस्य क्रीडनस्य च कालः।
दर्शना – एषा एकस्य गृहस्य संपूर्ण कार्यं करोति स्म। सः परिवारः अधुना विदेशं प्रति प्रस्थितः।
कार्याभावे अहमेतस्यै कार्यमेवान्वेषयामि स्म येन भवत्सदृशानां कार्य प्रचलेत् अस्मद्सदृशाना गृहसञ्चालनाय च धनस्य व्यवस्था भवेत्।
सरलार्थः
दर्शना – महोदया (मैडम)! आप काम के लिए गिरिजा जी (देवी) से पूछ रही थीं कृपया मेरी बेटी को मौका देकर आप उपकार करें।
मालिनी – परंतु यह तो कम उम्र की दिखाई देती है। क्या काम करेगी यह? यह तो इसके पढ़ने और खेलने का समय है।
दर्शना – यह एक घर का सारा काम करती थी। वह परिवार इस समय विदेश चला गया है। काम की कमी के कारण मैं इसके लिए काम ढूँढ रही थी जिससे आप जैसों का काम चले और हमारे जैसों के घर को चलाने के लिए धन की व्यवस्था हो जाए।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
सन्धिविच्छेदः-
(ग) मालिनी – परमेतत्तु सर्वथाऽनुचितम्। किं न जानासि यत् शिक्षा तु सर्वेषां बालकानां सर्वासां बालिकानां च मौलिकः अधिकारः।
दर्शना – महोदये! अस्मद् सदृशानां तु मौलिकाः अधिकाराः केवलं स्वोदरपूत्तिरेवास्ति। एतस्य व्यवस्थायै एव अहं सर्वस्मिन् दिने पञ्च-षड्गृहाणां कार्यं करोमि। मम रुग्णः पतिः तु किञ्चिदपि कार्यं न करोति। अतः अहं मम पुत्री च मिलित्वा परिवारस्य भरण-पोषणं कुर्वः। अस्मिन् महार्घताकाले मूलभूतावश्यकतानां कृते एव धनं पर्याप्तं न भवति तर्हि कथं विद्यालयशुल्कं, गणवेषं पुस्तकान्यादीनि क्रेतुं धनामानेष्यामि।
सरलार्थः
मालिनी – परन्तु यह तो पूरी तरह से अनुचित (ठीक नहीं) है। क्या तुम नहीं जानती हो कि शिक्षा तो सभी लड़कों और सभी लड़कियों का मूलभूत (स्वाभाविक) अधिकार है।
दर्शना – देवी (मैडम)! हमारे जैसों का तो मूलभूत अधिकार केवल अपना पेट भरना ही है। इसकी व्यवस्था के लिए ही मैं सब दिन (पूरे दिन) में पाँच-छह घरों का काम करती हूँ। मेरे बीमार पति तो कुछ भी काम नहीं करते हैं। इसलिए मैं और मेरी बेटी मिलकर परिवार का भरण-पोषण (का काम) करते हैं। इस मँहगाई के समय में मूलभूत जरूरतों के लिए ही धन काफी नहीं होता है तो कैसे विद्यालय की फ़ीस, वेशभूषा (Uniform), पुस्तकें आदि को खरीदने के लिए धन लाएँगे।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
सन्धिविच्छेदः
(घ) मालिनी – अहो! अज्ञानं भवत्याः। किं न जानासि यत् नवोत्तर-द्वि-सहस्र (2009) तमे वर्षे सर्वकारेण सर्वेषां बालकानां, सर्वासां बालानां कृते शिक्षायाः मौलिकाधिकारस्य घोषणा कृता। यदनुसारं षड्वर्षेभ्यः आरभ्य चतुदर्शवर्षपर्यन्तं सर्वे बालाः समीपस्थं सर्वकारीयं विद्यालयं प्राप्य न केवलं नि:शुल्कं शिक्षामेव प्राप्स्यन्ति अपितु निःशुल्कं गणवेषं पुस्तकानि, पुस्तकस्यूतम्, पादत्राणाम्, माध्याह्नभोजनम्, छात्रवृत्तिम् इत्यादिकं सर्वमेव प्राप्स्यन्ति।
सरलार्थः
मालिनी अरे यह आपकी मूर्खता (नासमझी) है। क्या नहीं जानती हो कि सन् 2001 ई० वर्ष में सरकार ने सब बच्चों, सभी बच्चियों के लिए शिक्षा के मौलिक (स्वाभाविक) अधिकार की घोषणा की है। जिसके अनुसार छह वर्षों से लेकर चौदह वर्ष तक के सारे बच्चे पास के (पास स्थित) सरकारी स्कूल में जाकर न सिर्फ निशुल्क (without fee) पढ़ाई ही करेंगे बल्कि बिना फीस वर्दी (Uniform), पुस्तकें, बस्ते (Bags), जूते, दोपहर का भोजन और वज़ीफा (Scholar ship) आदि सभी कुछ पाएँगे।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
सन्धिविच्छेदः –
(ङ) दर्शना – अप्येवम् (आश्चर्येण मालिनी पश्यति)
मालिनी – आम्। वस्तुतः एवमेव।
दर्शना – (कृतार्थतां प्रकटयन्ती) अनुगृहीताऽस्मि महोदये! एतद् बोधनाय। अहम् अद्यैवास्याः
प्रवेशं समीपस्थे विद्यालये कारयिष्यामि। दर्शनायाःपुत्री- (उल्लासेन सह) अहं विद्यालयं गमिष्यामि! अहमपि पठिष्यामि! (इत्युक्त्वा
करतलवादनसहितं नृत्यति मालिनी प्रति च कृतज्ञतां ज्ञापयति)
सरलार्थः
दर्शना – ऐसा भी है (आश्चर्य से मालिनी को देखती है)
मालिनी – हाँ! वास्तव में यही है।
दर्शना – (कृतार्थता) (धन्यवाद) को प्रकट करती हुई) मैडम! मैं आभारी हूँ। यह बताने के लिए। मैं आज ही इसका प्रवेश पास (निकट) स्थित विद्यालय में कराऊँगी।
दर्शना की बेटी – (खुशी के साथ) मैं विद्यालय जाऊँगी। मैं भी पढंगी! (ऐसा कहकर ताली बजाकर नाचती है और मालिनी के लिए आभार व्यक्त करती है)
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
सन्धिविच्छेदः
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