इस कहानी में हम एक चतुर किसान और एक भालू के बीच के संवाद को देखते हैं। कहानी का मुख्य विषय फसल के बंटवारे पर आधारित है, जहाँ दोनों पात्र अपने-अपने हिस्से के लिए समझौता करते हैं। किसान अपनी बुद्धिमत्ता से भालू को हर बार मात देता है। यह कहानी हमें दिखाती है कि कैसे चतुराई से बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
कहानी का प्रारंभ और प्रस्ताव: एक साधारण दिन में, जब किसान खेत में काम कर रहा होता है, तभी अचानक एक भालू उस पर हमला करने आ जाता है। किसान, भालू को रोकने के लिए और स्थिति को संभालने के लिए, उसे फसल का हिस्सा देने की पेशकश करता है। इससे किसान न केवल खुद को बचाता है बल्कि भालू को भी समझौते में शामिल करता है।
पहला समझौता - आलू की फसल: भालू, फसल के ऊपरी हिस्से को चुनता है, जिस पर किसान चतुराई से आलू बोता है। आलू एक ऐसी फसल है जिसका खाने योग्य हिस्सा जमीन के नीचे होता है और पत्तियाँ ऊपर होती हैं। इस चतुराई से किसान भालू को सिर्फ सूखे पत्ते थमा देता है, जबकि सारे आलू अपने पास रख लेता है।
भालू की प्रतिक्रिया और दूसरा समझौता: जब भालू को पता चलता है कि उसे खाली हाथ छोड़ दिया गया है, वह बहुत निराश होता है और अगली बार फसल के नीचे के हिस्से को चुनता है। इस बार किसान गेहूं बोता है, जिसमें दाने ऊपर होते हैं और जड़ें नीचे होती हैं।
किसान का दूसरी बार जीतना: जब गेहूं की फसल तैयार होती है, तो किसान को दाने मिलते हैं और भालू को फिर से बेकार की जड़ें मिलती हैं। भालू इस बार भी ठगा हुआ महसूस करता है, और उसे यह एहसास होता है कि किसान ने फिर से उसे चतुराई से मात दी है।
तीसरा समझौता: भालू अब फसल के ऊपरी और निचले हिस्से दोनों की मांग करता है। इस बार किसान गन्ना लगाता है, जिसका उपयोगी हिस्सा मध्य में होता है। फसल तैयार होने पर, भालू को फिर से निराशा हाथ लगती है क्योंकि उसे केवल गन्ने के ऊपरी पत्ते और निचली जड़ें मिलती हैं, जबकि सारा मीठा हिस्सा किसान के पास रहता है।
भालू का अंतिम समझ: इस घटना के बाद भालू समझ जाता है कि किसान ने उसे कैसे चालाकी से हराया है। वह किसान की बुद्धिमत्ता की सराहना करता है और उससे सीखने की कोशिश करता है। भालू ने इस अनुभव से यह सीखा कि सिर्फ शक्ति ही सब कुछ नहीं होती, बुद्धिमत्ता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
कहानी "किसान की होशियारी" हमें सिखाती है कि कैसे बुद्धि और चतुराई से बड़ी से बड़ी समस्या का हल निकाला जा सकता है। किसान के जैसे, हमें भी समस्याओं का समाधान चतुराई से करना चाहिए और कभी भी परिस्थितियों के आगे हार नहीं माननी चाहिए। यह कहानी यह भी दिखाती है कि कैसे अनुभव और ज्ञान हमें जीवन में आगे बढ़ने में मदद करते हैं।
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1. किसान की होशियारी का मतलब क्या है? |
2. किसान अपनी फसल को कैसे बचा सकता है? |
3. किसान की होशियारी से क्या लाभ होता है? |
4. क्या तकनीकी ज्ञान किसान की होशियारी में मदद करता है? |
5. किसान को अपनी फसल के लिए सबसे अच्छी समय सीमा कैसे निर्धारित करनी चाहिए? |
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