Table of contents |
|
कहानी परिचय |
|
मुख्य विषय |
|
कहानी का सार |
|
कहानी की मुख्य बातें |
|
कहानी से शिक्षा |
|
शब्दार्थ |
|
यह कहानी पंचतंत्र से ली गई है। इसमें तीन मछलियों की बात की गई है, जो आपस में अच्छी मित्र थीं। तीनों का स्वभाव अलग-अलग था – पहली मछली हमेशा पहले से सोचकर संकट से बचने का उपाय कर लेती थी। दूसरी मछली समय आने पर अपनी बुद्धि से समस्या का हल निकाल लेती थी। तीसरी मछली भाग्य पर भरोसा करके कुछ नहीं करती थी। कहानी में बताया गया है कि सोच-समझकर काम करने और समय पर सही निर्णय लेने से ही हम मुसीबत से बच सकते हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि मेहनत और समझदारी से काम करना हमेशा लाभदायक होता है।
यह कहानी तीन मछलियों की है जो एक सरोवर में रहती थीं। इस कहानी का मुख्य विषय है कि हमें मुसीबतों से बचने के लिए पहले से योजना बनानी चाहिए और अपनी बुद्धि का उपयोग करना चाहिए। अनागतविधाता मछली भविष्य की परेशानियों को पहले से सोचकर उपाय करती थी, इसलिए वह बच गई। प्रत्युत्पन्नमति मछली ने अपनी तेज बुद्धि से सही समय पर उपाय किया और वह भी बच गई। लेकिन यद्भविष्य मछली ने न तो पहले से योजना बनाई और न ही समय पर कुछ किया, इसलिए वह मुसीबत में फंस गई। यह कहानी हमें सिखाती है कि मेहनत, समझदारी और सही समय पर निर्णय लेना बहुत जरूरी है। भाग्य के भरोसे बैठने से काम नहीं चलता।
एक सुंदर सरोवर में तीन मछलियाँ रहती थीं, जिनका नाम था अनागतविधाता, प्रत्युत्पन्नमति और यद्भविष्य। ये तीनों बहुत अच्छी दोस्त थीं और सरोवर की दूसरी मछलियों के साथ मिलकर खुशी से रहती थीं। अनागतविधाता बहुत बुद्धिमान थी और भविष्य की समस्याओं का हल पहले से सोच लेती थी। प्रत्युत्पन्नमति की बुद्धि बहुत तेज थी, वह किसी भी समस्या का समाधान उसी समय निकाल लेती थी। लेकिन यद्भविष्य आलसी थी और उसका मानना था कि जो होगा, वह भाग्य में लिखा होगा, इसलिए कुछ करने की जरूरत नहीं है।
एक दिन शाम को दो मछुआरे सरोवर के पास आए। उन्होंने पानी में बहुत सारी मछलियाँ देखीं और अगले दिन सुबह जाल लेकर मछलियाँ पकड़ने का प्लान बनाया। तीनों मछलियों ने उनकी बात सुन ली और सरोवर की सारी मछलियों को बुलाकर सभा की। अनागतविधाता ने सबको बताया कि मछुआरे सुबह जाल डालने आएंगे और सभी को खतरा है। उसने सुझाव दिया कि सभी मछलियाँ सरोवर छोड़कर पास के दूसरे सरोवर में चली जाएँ।
प्रत्युत्पन्नमति ने कहा कि वह यहीं रहेगी और अगर मछुआरे आए तो वह उस समय कोई उपाय ढूंढ लेगी। यद्भविष्य ने कहा कि वह अपना घर नहीं छोड़ेगी और जो भाग्य में होगा, वही होगा। उसने सोचा कि शायद मछुआरे आएँ ही नहीं। इसके बाद अनागतविधाता और कई मछलियाँ पास के सरोवर में चली गईं, लेकिन प्रत्युत्पन्नमति, यद्भविष्य और कुछ अन्य मछलियाँ, जो यद्भविष्य की बात से सहमत थीं, वहीं रहीं।
अगली सुबह मछुआरे आए और उन्होंने जाल डालकर सभी मछलियों को पकड़ लिया, जिसमें प्रत्युत्पन्नमति और यद्भविष्य भी थीं। मछुआरे बहुत खुश थे कि उन्हें इतनी बड़ी और स्वस्थ मछलियाँ मिलीं। प्रत्युत्पन्नमति ने तुरंत एक उपाय सोचा। उसने समझा कि मछुआरे केवल जीवित मछलियाँ चाहते हैं। उसने अपना शरीर सिकोड़ लिया, आँखें बंद कीं और मरी हुई मछली की तरह बन गई। मछुआरों ने उसे मरा समझकर सरोवर में फेंक दिया और इस तरह उसकी जान बच गई। लेकिन यद्भविष्य ने कोई उपाय नहीं किया और मछुआरे उसे और बाकी मछलियों को लेकर चले गए। इस तरह उसकी जान नहीं बच सकी।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा भविष्य की समस्याओं के बारे में पहले से सोचकर उनकी तैयारी करनी चाहिए। अनागतविधाता ने पहले ही खतरे को समझकर दूसरी जगह चली गई और बच गई। प्रत्युत्पन्नमति ने अपनी तेज बुद्धि से आखिरी समय में उपाय निकाला और वह भी बच गई। लेकिन यद्भविष्य ने कोई मेहनत नहीं की और भाग्य के भरोसे रही, इसलिए वह नहीं बच सकी। इसीलिए हमें आलस्य छोड़कर समय पर सही निर्णय लेना चाहिए और मुसीबतों से बचने के लिए पहले से योजना बनानी चाहिए।
5 videos|133 docs|12 tests
|
1. 'तीन मछलियाँ' कहानी का मुख्य विषय क्या है? | ![]() |
2. 'तीन मछलियाँ' कहानी का सार क्या है? | ![]() |
3. इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है? | ![]() |
4. 'तीन मछलियाँ' कहानी में मुख्य पात्र कौन हैं? | ![]() |
5. 'तीन मछलियाँ' कहानी का नैतिक क्या है? | ![]() |