इस कविता "भारत तू है हमको प्यारा" को दोहा लाल त्रिवेदी जी ने लिखा है। इसमें भारत देश की सुंदरता, पेड़-पौधे, नदियाँ और उसकी संस्कृति की बात की गई है। यह कविता हमें भारत की महानता और पवित्रता के बारे में सिखाती है।
"भारत तू है हमको प्यारा,
तू है सब देशों से न्यारा।
मुकुट हिमालय तेरा सुंदर,
धोता तेरे चरण समुद्र।"
व्याख्या: यहाँ कवि ने भारत के प्रति अपने प्यार और श्रद्धा को प्रकट किया है। भारत के लिए हिमालय मुकुट जैसा है और समुद्र इसके चरणों को धोता है, जो इसकी विशालता और सुंदरता को दर्शाता है।
"गंगा यमुना की है धारा,
जिनसे है पावन जग सारा।
अन्न, फूल, फल, जल हैं प्यारे,
तुझमें रत्न जवाहर न्यारें।"
व्याख्या: इस हिस्से में कवि गंगा और यमुना की पवित्रता का वर्णन कर रहा है। इन नदियों से सारा संसार पावन होता है। भारत के पास बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन हैं, जैसे अन्न, फूल, फल और जल, जो इसकी अनमोल संपत्ति हैं।
"राम कृष्ण का अंतर्यामी,
तेरे सभी पुत्र हैं नामी।
हम सदैव तेरा गुण गाएँ,
सब विधि तेरा सुयश बढ़ाएँ।"
व्याख्या: यहाँ कवि भगवान राम और कृष्ण का नाम लेते हुए भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का गुणगान करता है। भारत के सभी नागरिक महान और नामी हैं। कवि कहता है कि हम हमेशा भारत का गुणगान करते रहेंगे और उसकी महिमा को बढ़ाएँगे।
इस कविता में भारत के प्राकृतिक सौंदर्य, उसके संसाधनों और उसकी परंपराएँ और रीति-रिवाज का वर्णन किया गया है। यह कविता हमें सिखाती है कि हमें अपने देश पर गर्व करना चाहिए और उसकी महिमा को सदैव बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
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1. भारत के प्रमुख पर्व कौन-कौन से हैं ? |
2. भारत की राजधानी क्या है ? |
3. भारत की राष्ट्रीय भाषा क्या है ? |
4. भारत का सबसे बड़ा राज्य कौन सा है ? |
5. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कौन-से प्रमुख नेता थे ? |
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