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मातृभूमि Chapter Notes | Hindi (Vasant) Class 6 PDF Download

कविता का परिचय

"मातृभूमि" कविता सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित एक देशभक्ति कविता है। इस कविता में कवि ने अपनी मातृभूमि के प्रति गहरी श्रद्धा और प्रेम व्यक्त किया है। कवि ने हिमालय, गंगा-यमुना, त्रिवेणी, और भारत के विभिन्न प्राकृतिक सौंदर्य को वर्णित करते हुए भारत की महानता और उसकी पवित्रता का बखान किया है। कविता में कवि ने अपने देश की गौरवमयी संस्कृति और इतिहास को भी उजागर किया है।मातृभूमि Chapter Notes | Hindi (Vasant) Class 6

कविता का सारांश

कविता "मातृभूमि" में कवि ने भारत की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक, सांस्कृतिक, और ऐतिहासिक महत्व को बेहद खूबसूरती से प्रस्तुत किया है।

पहला पद

ऊँचा खड़ा हिमालय,
आकाश चमकता है,
नीचे चरण तले झुक,
नित सिंधु झूमता है।

हिमालय पर्वत ऊँचा और भव्य खड़ा है, जैसे आकाश को छू रहा हो। उसके नीचे, नदियाँ (सिंधु) रोज़ खुशी से झूमती रहती हैं, मानो पर्वत के चरणों में झुक रही हों।

दूसरा पद

गंगा यमुना त्रिवेणी,
नदियाँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली,
पग पग छहर रही हैं।

गंगा, यमुना और सरस्वती (त्रिवेणी) नदियाँ अपने किनारों पर लहराते हुए बहती हैं। इन नदियों का संगम और प्राकृतिक सुंदरता हर जगह फैलती जाती है, जिससे धरती की शोभा बढ़ जाती है।

मातृभूमि Chapter Notes | Hindi (Vasant) Class 6

तीसरा पद

वह पुण्य-भूमि मेरी,
वह स्वर्ण-भूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी,
वह मातृभूमि मेरी।

कवि अपनी भूमि को पुण्य और स्वर्णिम बताते हैं। यह वह भूमि है जहाँ कवि का जन्म हुआ है, और यही उनकी मातृभूमि है, जिसे वे गर्व से अपना कहते हैं।

चौथा पद

झरने अनेक झरते,
जिसकी पहाड़ियों में,
चिड़ियाँ चहक रही हैं,
हो मस्त झाड़ियों में।

कवि उस भूमि की सुंदरता का वर्णन करते हैं, जहाँ की पहाड़ियों से कई झरने बहते हैं और झाड़ियों में चिड़ियाँ मस्ती में चहकती रहती हैं।

पांचवां पद

अमराइयाँ घनी हैं,
कोयल पुकारती है,
बहती मलय पवन है,
तन-मन सँवारती है।

इस भूमि में घने आम के बगीचे (अमराइयाँ) हैं, जहाँ कोयल अपनी मधुर आवाज़ में गाती है। यहाँ की ठंडी और सुगंधित हवा शरीर और मन को ताजगी प्रदान करती है।

छठा पद

वह धर्मभूमि मेरी,
वह कर्मभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी,
वह मातृभूमि मेरी।

कवि अपनी भूमि को धर्म और कर्म की भूमि बताते हैं। यह भूमि कवि की जन्मभूमि और मातृभूमि है, जिससे उनका गहरा संबंध है।

सातवां पद

जन्मे जहाँ थे रघुपति,
जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई,
वंशी पवित्र गीता।

यह वही भूमि है जहाँ भगवान राम (रघुपति) और माता सीता का जन्म हुआ था। यही भूमि है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया था।

आठवाँ पद

गौतम ने जन्म लेकर,
जिसका यश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई,
जग को दिया दिखाया।

इस भूमि पर गौतम बुद्ध का जन्म हुआ, जिन्होंने अपने करुणा और दया के उपदेश से पूरी दुनिया को शिक्षित किया और सही मार्ग दिखाया।

नौवां पद

वह युद्धभूमि मेरी,
वह बुद्धभूमि मेरी।
वह मातृभूमि मेरी,
वह जन्मभूमि मेरी।

कवि बताते हैं कि यह भूमि युद्ध भूमि भी है, जहाँ कई महायुद्ध लड़े गए, और बुद्ध भूमि भी है, जहाँ शांति और ज्ञान का प्रसार हुआ। यही कवि की मातृभूमि और जन्मभूमि है, जिसे वे गर्व से अपनाते हैं।

शब्दार्थ

  1. हिमालय - उत्तर भारत का विशाल पर्वत श्रृंखला
  2. सिंधु - एक पवित्र नदी, जिसे आजकल 'इंडस' कहा जाता है
  3. त्रिवेणी - वह स्थान जहाँ तीन नदियाँ मिलती हैं (गंगा, यमुना, सरस्वती)
  4. छटा - सुंदर दृश्य
  5. पुण्य-भूमि - पवित्र भूमि
  6. स्वर्ण-भूमि - सुनहरी भूमि
  7. अमराइयाँ - आम के पेड़ों का समूह
  8. मलय पवन - दक्षिण से बहने वाली सुगंधित हवा
  9. तन-मन - शरीर और मन
  10. रघुपति - भगवान राम का दूसरा नाम
  11. सीता - राम की पत्नी और एक पवित्र नारी
  12. श्रीकृष्ण - महाभारत के मुख्य पात्र और भगवान
  13. वंशी - बाँसुरी
  14. गीता - श्रीमद्भगवद्गीता, श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया उपदेश
  15. गौतम - भगवान बुद्ध
  16. सुयश - अच्छा यश
  17. दया - करुणा
  18. दिखाया - मार्गदर्शन किया
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FAQs on मातृभूमि Chapter Notes - Hindi (Vasant) Class 6

1. मातृभूमि कविता का मुख्य विषय क्या है ?
Ans. मातृभूमि कविता का मुख्य विषय देशप्रेम और मातृभूमि के प्रति श्रद्धा है। यह कविता हमें अपने देश की महिमा और उसकी रक्षा करने की प्रेरणा देती है।
2. इस कविता में कवि ने मातृभूमि का वर्णन कैसे किया है ?
Ans. कवि ने मातृभूमि का वर्णन अत्यंत भावुकता और आदर के साथ किया है। उन्होंने उसकी सुंदरता, महानता और उसकी रक्षा के लिए बलिदान देने की आवश्यकता को उजागर किया है।
3. 'मातृभूमि' कविता से हमें क्या सीखने को मिलता है ?
Ans. 'मातृभूमि' कविता से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमें अपने देश के प्रति हमेशा समर्पित रहना चाहिए और उसकी रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए। यह हमें मातृभूमि के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का एहसास कराती है।
4. मातृभूमि कविता में कौन से प्रमुख भावनाएँ व्यक्त की गई हैं ?
Ans. मातृभूमि कविता में प्रेम, सम्मान, गर्व और बलिदान की भावनाएँ व्यक्त की गई हैं। कवि ने अपने देश के प्रति अपनी गहरी भावनाओं को शब्दों में पिरोया है।
5. क्या मातृभूमि कविता का कोई ऐतिहासिक संदर्भ है ?
Ans. हाँ, मातृभूमि कविता में ऐतिहासिक संदर्भ भी है। यह कविता उन बलिदानियों को याद करती है जिन्होंने अपने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहूति दी। यह हमें अपने इतिहास को समझने और उसकी कद्र करने की प्रेरणा देती है।
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