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कबीर के दोहे Chapter Notes | Hindi Class 8 PDF Download

कवि परिचय

कबीर एक ऐसे संत और कवि थे जो करघे पर कपड़ा बुनते थे और साथ ही सुंदर दोहे भी कहते थे। उनका जन्म चौदहवीं शताब्दी में काशी (वाराणसी) में हुआ माना जाता है। उनकी रचनाएँ "कबीर ग्रंथावली" में मिलती हैं। उनके दोहे हमें सच्चाई, ईमानदारी और अच्छा इंसान बनने की सीख देते हैं। उनके दोहे इतने सरल और सुंदर हैं कि लोग आज भी उन्हें गाते और सीखते हैं।

कबीर के दोहे Chapter Notes | Hindi Class 8कबीर

मुख्य विषय

कबीर के इन दोहों का मुख्य विषय यह है कि हमें हमेशा सच बोलना चाहिए, बुरे कामों से बचना चाहिए, अच्छे और सच्चे गुरु का सम्मान करना चाहिए, और ऐसी बातें बोलनी चाहिए जो घमंड रहित हों और दूसरों को शांति दें। बुरी आदतों और बुरे लोगों से सीखने के बजाय अच्छे लोगों की संगति करनी चाहिए, ताकि हमारा जीवन अच्छा बने।

दोहों का सार

कबीर के दोहे हमें सरल शब्दों में जीवन का सही रास्ता दिखाते हैं। वे कहते हैं कि सच्चाई सबसे बड़ा तप है और झूठ सबसे बड़ा पाप। जिसके दिल में सच है, उसके पास सच्चा ज्ञान (गुरु) होता है। केवल बड़े होने से कोई महान नहीं बनता, जैसे खजूर का पेड़ न छाया देता है न पास से फल देता है। गुरु को भगवान से भी पहले स्थान दिया गया है क्योंकि वही हमें भगवान का रास्ता बताते हैं। किसी भी बात में ज़्यादा बोलना, चुप रहना या ज़्यादा बरसना और धूप, सब हानिकारक हैं—हर चीज़ में संतुलन होना चाहिए। हमें ऐसी बातें करनी चाहिए जिनमें घमंड न हो, जिससे दूसरों को सुख मिले और हमें भी शांति मिले। बुराई बताने वाले (निंदक) को अपने पास रखना चाहिए क्योंकि वह बिना पानी-साबुन के हमारे स्वभाव को साफ कर देता है। सच्चा साधु सूप की तरह होता है, जो अच्छा बचा लेता है और बुरा अलग कर देता है। हमारा मन पक्षी जैसा है, वह जहाँ चाहे उड़ जाता है, लेकिन जैसी संगति होगी, वैसा ही फल मिलेगा।

दोहों की व्याख्या

पद 1

साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
जाके हिरदे साँच है, ता हिरदे गुरु आप।।

व्याख्या: कबीर कहते हैं कि दुनिया में सच बोलने से बड़ा कोई धर्म या पूजा नहीं है। जैसे मंदिर में पूजा करना अच्छा है, वैसे ही सच बोलना भी सबसे बड़ी पूजा है। वहीं, झूठ बोलना सबसे बड़ा पाप है, क्योंकि झूठ से विश्वास टूटता है और बुरे काम होते हैं। जिसके दिल में सच्चाई होती है, वहाँ सच्चा ज्ञान (गुरु) खुद आ जाता है। उदाहरण: जैसे तुम सच बोलकर सबका भरोसा जीतते हो, वैसे ही सच बोलने से मन में अच्छी समझ आती है।

कबीर के दोहे Chapter Notes | Hindi Class 8

पद 2

बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लागै अति दूर।।

व्याख्या: कबीर कहते हैं कि केवल ऊँचा होना या बड़ा पद पाना ही सम्मान की बात नहीं है, बल्कि दूसरों के काम आना जरूरी है। खजूर का पेड़ बहुत ऊँचा होता है, लेकिन राहगीर को न तो उसकी छाया मिलती है, और न ही फल आसानी से। उसी तरह, अगर कोई इंसान ऊँचे पद पर है या बहुत धनवान है, लेकिन किसी की मदद नहीं करता, तो उसका बड़ा होना बेकार है।

पद 3

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागौं पाँय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।।

व्याख्या: कबीर कहते हैं कि अगर गुरु और भगवान दोनों सामने खड़े हों, तो पहले गुरु को प्रणाम करना चाहिए। क्योंकि गुरु ही हमें भगवान के बारे में बताते हैं और हमें सही रास्ता दिखाते हैं। गुरु के बिना हम भगवान तक नहीं पहुँच सकते।

कबीर के दोहे Chapter Notes | Hindi Class 8गुरु गोविंद 

पद 4

अति का भला न बोलना, अति का भला न चूप।
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।।

व्याख्या: कबीर कहते हैं कि किसी भी चीज की अधिकता अच्छी नहीं होती। बहुत ज्यादा बोलना बुरा है, क्योंकि लोग परेशान हो जाते हैं। बहुत ज्यादा चुप रहना भी बुरा है, क्योंकि इससे ज़रूरी बातें छुप जाती हैं। उसी तरह, बहुत ज्यादा बारिश से बाढ़ आ जाती है और बहुत तेज धूप से धरती सूख जाती है।

पद 5

ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करै, आपहुँ सीतल होय।।

व्याख्या: कबीर कहते हैं कि हमें ऐसे शब्द बोलने चाहिए जिनमें घमंड न हो और जो सुनने वाले को शांति दें। ऐसी नम्र बातें दूसरों के दिल को ठंडक पहुँचाती हैं और हमें भी खुशी देती हैं। उदाहरण: जैसे तुम दोस्तों से प्यार से बात करो तो सब खुश रहते हैं, वैसे ही हमें हमेशा शांत और अच्छी बातें करनी चाहिए।

पद 6

निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय।
बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करै सुभाय।।

व्याख्या: कबीर कहते हैं कि जो हमारी बुराई बताता है, उसे अपने पास रखना चाहिए। वह हमारी गलतियाँ बता कर हमें सुधारने में मदद करता है। यह काम वह बिना किसी खर्च के करता है — जैसे बिना पानी और साबुन के सफाई हो जाए।

पद 7

साधू ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।
सार सार को गहि रहै, थोथा देइ उड़ाय।।

व्याख्या: कबीर कहते हैं कि अच्छा इंसान उस सूप की तरह होना चाहिए, जो अनाज में से दाने (अच्छा) रख लेता है और भूसी (बुरा) को उड़ा देता है। इंसान को भी अच्छी बातें और अच्छे गुण अपनाने चाहिए और बुरी आदतें छोड़ देनी चाहिए।

पद 8

कबिरा मन पंछी भया, भावै तहवाँ जाय।
जो जैसी संगति करै, सो तैसा फल पाय।।

व्याख्या: कबीर कहते हैं कि मन एक पक्षी की तरह है, जो जहाँ चाहे उड़ जाता है। अगर हम अच्छे लोगों के साथ रहेंगे तो अच्छे विचार और अच्छे परिणाम मिलेंगे। लेकिन अगर हम बुरे संग में रहेंगे तो हमें बुरे परिणाम ही मिलेंगे।

दोहों से शिक्षा

कबीर के दोहों से हमें यह सीख मिलती है कि हमेशा सच बोलना चाहिए क्योंकि झूठ बुरा होता है। बड़ा होना सिर्फ नाम का नहीं, बल्कि दूसरों की मदद करने वाला होना जरूरी है। गुरु का सम्मान पहले करना चाहिए, क्योंकि वे हमें भगवान का रास्ता दिखाते हैं। किसी भी काम में ज़्यादा करना ठीक नहीं होता, इसलिए हमें सही मात्रा में बोलना और सही समय पर चुप रहना सीखना चाहिए। हमें हमेशा नम्र और शांत करने वाले शब्द बोलने चाहिए जिससे सबका दिल खुश हो। जो हमारी गलतियाँ बताएं, उन्हें पास रखना चाहिए ताकि हम सुधर सकें। अच्छा दोस्त वही होता है जो अच्छे विचार अपने दिल में रखे और बुरी बातें दूर करे। हमारा मन उस समाज जैसा बनता है जहाँ हम रहते हैं, इसलिए अच्छे लोगों के साथ रहना चाहिए ताकि हमारा स्वभाव भी अच्छा हो। ये सीख हमें अच्छा इंसान बनने और सुखी जीवन जीने में मदद करती हैं।

शब्दार्थ

  • साँच: सत्य, जो सही और वास्तविक हो
  • तप: तपस्या, कठिन साधना या कष्ट
  • हिरदे: हृदय, दिल
  • गुरु: शिक्षक या आध्यात्मिक मार्गदर्शक
  • पंथी: यात्री या रास्ते पर चलने वाला
  • गोविंद: भगवान विष्णु का एक नाम
  • पाँय: पैर
  • बलिहारी: समर्पित या बलिदान देने वाला
  • बानी: बोली गई भाषा या वाणी
  • आपा: स्वाभिमान या अहंकार
  • निंदक: आलोचक, जो बुराई निकालता है
  • कुटी: छोटी झोपड़ी या घर
  • सुभाय: अच्छा स्वभाव या अच्छी आदत
  • सूप: अनाज छानने का कृषि उपकरण
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FAQs on कबीर के दोहे Chapter Notes - Hindi Class 8

1. कबीर का जीवन और उनकी काव्यशैली क्या है?
Ans. कबीर एक प्रमुख संत कवि थे, जिनका जन्म 15वीं शताब्दी में हुआ। वे भारतीय संत परंपरा के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हैं और उनके दोहे सच्चाई, प्रेम और मानवता के संदेश देते हैं। कबीर की काव्यशैली सरल और बोधगम्य है, जिसमें वे अपनी विचारधारा को अलंकारिक भाषा में प्रस्तुत करते हैं।
2. कबीर के दोहे का मुख्य विषय क्या है?
Ans. कबीर के दोहे मुख्य रूप से भक्ति, मानवता, और सच्चाई के विषयों पर आधारित हैं। वे सामाजिक बुराइयों, धार्मिक अंधविश्वास और भेदभाव के खिलाफ बोलते हैं और सच्चे प्रेम और एकता का संदेश देते हैं।
3. कबीर के दोहों का सार क्या है?
Ans. कबीर के दोहों का सार यह है कि वे भक्ति के माध्यम से आत्मा की शुद्धता और सच्चाई की खोज को प्रोत्साहित करते हैं। उनके दोहे जीवन के साधारण सत्य और ज्ञान की ओर इंगित करते हैं, जिससे व्यक्ति अपने अंदर की शक्ति और सच्चाई को पहचान सके।
4. कबीर के दोहों से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
Ans. कबीर के दोहों से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में सच्चाई और प्रेम का महत्व है। वे हमें यह सिखाते हैं कि बाहरी धार्मिकता से अधिक महत्वपूर्ण आंतरिक शुद्धता और मानवता का सम्मान है।
5. कबीर के दोहों की व्याख्या कैसे की जा सकती है?
Ans. कबीर के दोहों की व्याख्या उनके सामाजिक और धार्मिक संदर्भ में की जा सकती है। प्रत्येक दोहे में उनके विचारों का गहरा अर्थ होता है, जिसे समझने के लिए ध्यानपूर्वक अध्ययन और मनन आवश्यक है। उनके दोहे अक्सर प्रतीकात्मक होते हैं, और इन्हें अपने समय की सामाजिक परिस्थितियों के दृष्टिकोण से समझा जा सकता है।
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