विभक्ति
कारक को प्रकट करने के लिए संज्ञा या सर्वनाम के साथ, जो चिह्न लगाया जाता है, उसे विभक्ति कहते हैं।
1. कर्ता कारक (Karta Karak) - (ने)
जैसे -
2. कर्म कारक (Karm Karak) - ‘को’
जैसे -
3. करण कारक (Karn Karak)
जैसे -
नोट - अंग विकार में भी करण कारक होता है।
जैसे -
4. सम्प्रदान कारक (Sampradan Karak)
जैसे -
‘को’ विभक्ति -
5. अपादान कारक (Apadan Karak)
अपादान का अर्थ है - पृथक होना या अलग होना।
वाक्य में किसी संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से एक वस्तु या व्यक्ति का दूसरी वस्तु या व्यक्ति से अलग होने या तुलना करने के भाव का बोध होता है, वहाँ अपादान कारक होता है।
जैसे -
जैसे – डर, भय
लाज, शर्म
शिक्षा या सीखना
शुरुआत / प्रारम्भ -
गंगा हिमालय से निकलती है।
6. सम्बन्ध कारक (Sambandh Karak)
शब्द का वह रूप जो दूसरे संज्ञा या सर्वनाम शब्दों से सम्बन्ध बताए, वह संबंध कारक कहलाता है।
जैसा - मेरा, मेरे, हमारा, हमारी, तुम्हारा, तुम्हारी, आपका, आपकी, तेरा इत्यादि।
7. अधिकरण कारक (Adhikaran Karak)
वाक्य में प्रयुक्त, संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं।
अधिकरण कारक के विभक्ति चिन्ह् है - में, पर, पे
जैसे -
8. सम्बोधन कारक (Sambodhan Karak)
जैसे – बालको, यहाँ आओं।
जैसे – हे ईश्वर! मेरा पोता कहाँ गया ?
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